A. गद्यांश संबंधित प्रश्नोत्तर (A Passage of text be given Questions be asked from the passage to be answered)
Comprehension : विदेश में प्रत्यक्ष निवेश के उद्देश्य सामान्यत: वही होते हैं जैसे विदेश में उच्च विकास दर के कारण संभवत: अधिक लाभ। अर्जित करना‚ अधिक अनुकूल कर व्यवहार या अभिसंरचना की बेहतर उपलब्धता तथा अपने जोखिमों का विविधीकरण वस्तुत:‚ यह देखा गया है कि मजबूत अंतराष्ट्रीय अभिमुखता वाली कंपनियों विशेषज्ञों के माध्यम से या विदेश में उत्पादन और/या बिक्री सुविधाओं के माध्यम से ज्यादा लाभ अर्जित करती हैं तथा उनके लाभ में विशुद्ध घरेलू कंपनियों के लाभ की तुलना में काफी कम भिन्नता होती है। हालांकि ये कारण अंतराराष्ट्रीय निवेश को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं‚ किन्तु यहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संबंध में एक मूलभूत प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है। लेकिन इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि किसी देश के निवासी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकार करने की बजाय अन्य देशों से ऋण लेकर स्वयं अपने देश में वास्तविक निवेश क्यों नहीं करते। आखिरकार‚ किसी देश के निवासियों से स्थानीय स्थितियों के साथ ज्यादा परिचित होने की अपेक्षा की जाती है तथा इसलिए वे विदेशी निवेशकों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से लाभ में होंगे। इसके लिए कई संभावित व्याख्याएं है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि सामान्यत: एकाधिकारी एवं अल्पाधिकारी बाजारों में बड़े निगमों के पास प्राय: कुछ विशिष्ट उत्पादन ज्ञान या प्रबंध कौशल होता है जिसे विदेश में आसानी एवं लाभदायक रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है तथा जिसके ऊपर निगम अपना सीधा नियंत्रण रखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में‚ कंपनी विदेश में प्रत्यक्ष निवेश करेगी। इसमें किसी ऐसे वस्तु का भी विदेश में समस्तर समावेशन या उत्पादन शामिल है जिसका अपने देश में उत्पादन किया जाता है। इससे निर्यात के बजाय विदेशी बाजार को अलग रखते हुए स्थानीय स्थितियों को अपनाकर व्यापार करने में ज्यादा सहायता मिलती है।
1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में‚ किस कारक का समाधान नहीं किया गया है?
(a) विदेशी निवेश की स्वीकार्यता
(b) विदेशी निवेश की अस्वीकार्यता
(c) प्रतिस्पर्धात्मक लाभ का अभाव
(d) एकाधिकार वाले निगमों की भूमिका
Ans. (b)
2. विशुद्ध घरेलू कंपनियाँ निम्नलिखित से प्रभावित होती हैं?
(a) कम ब्याज दर (b) लाभ में कम भिन्नता
(c) लाभ में अधिक भिन्नता (d) निर्यात नियंत्रण
Ans. (c)
3. बड़े निगमों को क्या अनुकूल स्थिति प्राप्त हैं?
(a) लाभप्रदत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण
(b) अविभेदित उत्पादों का ज्यादा उत्पादन
(c) प्रबंधन कौशल का स्थानीयकरण
(d) बेहतर लाभ हेतु बाधाओं को दूर करना
Ans. (a)
4. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए संभावित तर्क क्या हो सकता है?
(a) अधिक लाभ
(b) बेहतर कर व्यवस्था
(c) अधिसंरचना की उपलब्धता
(d) जोखिम कम करना
(e) स्थानीय निवेशकों से वित्तीय सहायता सही विकल्प का चयन कीजिए−
(a) (a), (d) और (e) (b) (b), (c) और (d)
(c) (a), (b) और (c) (d) (d), (e) और (f)
Ans. (b)
5. यह गद्यांश मुख्य रूप से निम्नलिखित से किस संबंधित पहलुओं पर केंद्रित है :
(a) निवेश पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण
(b) निवेश का अंतर्राष्ट्रीय अभिमुखीकरण
(c) बिक्री सुविधाएँ
(d) उत्पादन के समावेशन में विहित जोखिम
Ans. (b)
Comprehension : अनुच्छेद को पढ़िए और प्रश्न 6 से 10 के उत्तर दीजिए− कोई भी‚ यदि किसी ऐसी कक्षा में रहा हो‚ जहां अध्यापक की प्रस्तुति निष्प्राण‚ स्थिर और वाचिक वैविध्य के बिना हो‚ वह शिक्षण के भावात्मक पक्ष की आम समझ की सराहना करेगा। तथापि‚ अन्य व्यवहारों के विपरीत भाव को शिक्षण के प्रतिलेखों या कक्षागत अन्तर्किया के उपकरणों से उकेरा नहीं जा सकता। संकुचित दृष्टिकोण केन्द्रित शोध विधा प्राय: शिक्षक की भावात्मक प्रकृति की अनदेखी करते हैं‚ जो कक्षा के बारे में अधिक समग्र दृष्टिकोण से उभरता है। यह भावात्मक प्रकृति‚ वह नींव है‚ जिस पर अपने अधिगमकर्ताओं के साथ रागात्मक एवं पोषक संबंध का निर्माण किया जा सकता है। जो साधनों में अनुपलब्ध होता है‚ विद्यार्थी उसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। विद्यार्थी‚ अध्यापकों के कृत्यों को रेखांकित करने वाले संवेंगों और आशयों के अच्छे आग्राहक होते हैं और वे प्राय: तदनुसार प्रतिक्रिया भी करते हैं कोई अध्यापक जो पढ़ाए जा रहे विषय को लेकर उत्साहित होता है और वह इसे अपनी मुखकेन्द्रित भाव-भंगिमाओं‚ वाणी उतार-चढ़ाव और प्रवृत्ति द्वारा प्रदर्शित करता है और इस प्रकार अधिगमकर्ता हेतु सम्मान और चिन्ता संप्रेषित करता है और उन्हें इन व्यवहारों को प्रदर्शित न करने वालों की तुलना में उपलब्धि के उच्चतर स्तरों के लिए प्रोत्साहित करता है‚ ऐसी दशा में विद्यार्थियों का अधिक ध्यान आकर्षित होने की संभावना भी रहेगी। विद्यार्थी इन भावात्मक संकेतों का अनुसरण करते हैं और तदनुसार पाठ के साथ अपने विनियोजन को निम्न या उच्च कर सकते हैं। अध्यापक के भाव का एक महत्वपूर्ण पहलू उत्साह है। उत्साह‚ कक्षा प्रस्तुति के दौरान अध्यापक का जोश‚ ऊर्जा‚ आवेष्टन‚ मनोबल और रूचि तथा अधिगमकर्ताओं के साथ संवेग को साझा करने की इच्छा हैं‚ जिसमें विद्यार्थी समान प्रतिक्रिया देंगें।
6. विद्यार्थी‚ ऐसे अध्यापक को सम्मान देते हैं‚ जो
(a) भावुक हो
(b) विद्यार्थियों के प्रति चिन्ता दर्शाएं
(c) सशक्त वाणी वाला हो
(d) आत्मरति परक अभिवृत्ति वाला हो
Ans. (b)
7. अनुच्छेद में किस बात पर ध्यान केन्द्रित किया गया है?
(a) निष्प्राण कक्षागत प्रस्तृति
(b) शिक्षण के भावात्मक कारक
(c) संवेगात्मक अधिगमकर्ताओं के रूप में विद्यार्थी
(d) अध्यापक की भावात्मक प्रकृति का मापन
Ans. (b)
8. हम शिक्षण के भावात्मक पहलुओं के महत्व की आवश्यकता कब महसूस करते हैं?
(a) जब अध्यापक में वाचिक वैविध्य हो
(b) जब अध्यापक में जीवंत प्रस्तुति दे
(c) जब अध्यापक की प्रस्तुति नीरस हो
(d) जब अध्यापक का व्याख्यान उम्मीद से बेहतर हो
Ans. (c)
9. शिक्षण की भावात्मक प्रकृति परिलक्षित होती है
(a) कक्षाकक्ष के वातावरण के गहन अवबोध में
(b) अध्यापक के अन्य व्यवहार से
(c) कक्षागत अन्त:क्रिया की रिकॉर्डिंग
(d) शोध साधनों पर सीमित रूप में आश्रित होना
Ans. (a)
10. भावात्मक संकेत विद्यार्थी को प्रदत्त करेंगे
(a) विषय-वस्तु अवबोध हेतु आधार
(b) प्रदर्शनकारी व्यवहार
(c) ध्यान बनाए रखने हेतु संकेत
(d) उत्साह को और प्रवृत्त करने हेतु आधार
Ans. (d)
Comprehension : निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़ें और प्रश्न 11 से 15 के उत्तर दें− समस्त कलायें स्वरूप और विषय-वस्तु का मिश्रण होती है और इन दोनों से संबंधित कतिपय उत्कृष्टताओं के माध्यम से कलाकार हमारे भीतर कलात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में सफल होते हैं। उदाहरण के लिए कविता में विषय-वस्तु की निर्मित आलंकारिक विचारों और इसके माध्यम से व्यक्त संवेदनाओं से होती है और स्वरूप निर्धारण की अभिव्यक्ति के लिए इसमें प्रयुक्त संगीतमय भाषा है इनमें से एक कला से दूसरी कला में स्वरूप में काफी बदलाव होता है और यह तकनीकी भी होता है। हम यहाँ इसकी ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे और विषय-वस्तु पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे। हम सिर्फ इस बात को ध्यान में रखेंगे कि स्वरूप वस्तुत: विषय-वस्तु अपेक्षित भूमिका में ही होता है और यदि इसकी भूमिका ज्यादा प्रभावी हो तो संबंधित कृति को उत्कृष्ट कला प्रकारता का उदाहरण नहीं कहा जा सकता। कला की विषयवस्तु को सामान्यत: इसके द्वारा अभिव्यक्त अभिप्राय के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें अनेक उत्कृष्टतायें सन्निहित हो सकती हैं और उन्हें विविध प्रकार से वर्गीकृत भी किया गया है।
11. कला की विषय-वस्तु को परिच्छेद में किस प्रकार परिभाषित किया गया है?
(a) इसके द्वारा प्रदर्शित स्वरूप के तौर
(b) इसके द्वारा प्रयुक्त भाषा के तौर पर
(c) इसमें समाहित अर्थ के तौर पर
(d) इसके द्वारा अभिव्यक्त अभिप्राय के तौर पर
Ans. (d)
12. परिच्छेद के अनुसार कविता के स्वरूप के बारे में निम्नलिखित में से कौन सही है?
(a) एक कला से दूसरी कला में स्वरूप नही बदलता है
(b) इसका स्वरूप तकनीकी है
(c) स्वरूप आलंकारिक होता है
(d) स्वरूप संगीतमय भाषा की रचना करता है निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनें :
(a) केवल (a) और (b)
(b) केवल (b) और (d)
(c) केवल (b), (c) और (d)
(d) केवल (a), (c) और (d)
Ans. (b)
13. परिच्छेद के अनुसार किस प्रकार की कला सर्वोत्तम प्रकारता का उदाहरण है?
(a) वह जिसमें विषय-वस्तु को ज्यादा महत्व दिया जाता है
(b) वह जिस में स्वरूप को ज्यादा महत्व दिया जाता है
(c) वह जिस में स्वरूप‚ विषय-वस्तु के लिए सहायक होता है।
(d) वह जिस में विषय-वस्तु स्वरूप के लिए सहायक होता है।
Ans. (c)
14. स्वरूप की वास्तविक भूमिका क्या है?
(a) विषय-वस्तु विपर्यय
(b) विषय-वस्तु की अस्वीकृति
(c) विषय-वस्तु में सहायक होना
(d) विषय-वस्तु को समाहित कर लेना
Ans. (c)
15. परिच्छेद के अनुसार कविता की विषय वस्तु से क्या सन्निहित है?
(a) आलंकारिक विचार
(b) संगीतमय भाषा
(c) अभिव्यक्त संवेदनायें निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनें-
(d) केवल (a) और (b) (d) केवल (a) और (c)
(d) केवल (b) और (c) (d) केवल (b)
Ans. (b)
Comprehension : मैं यह नहीं कहना चाहता कि शिक्षण में मानवतावादी तत्व उपयोगितावादी तत्वों से कम महत्वपूर्ण हैं। कल्पनाशक्ति के संपूर्ण विकास के लिए थोड़ा-बहुत महान साहित्य‚ थोड़ा-बहुत वैश्विक इतिहास और थोड़ा-बहुत संगीत‚ चित्रकला और वास्तुकला का ज्ञान अनिवार्य है और सिर्फ कल्पना-शक्ति के माध्यम से ही मनुष्यों को संसार की विभिन्न संभावनओं के बारे में पता चला‚ इसके शरीर बगैर ‘प्रगति’ यांत्रिक और खोखली बन जाएगी। लेकिन विज्ञान भी कल्पना को प्रेरित कर सकता है। मनोविज्ञान‚ बहुत हाल के वर्षों तक‚ सहज अकादमिक अध्ययन का एक विषय हुआ करता था और व्यावहारिक कार्यों में इसकी उपयोगिता पर्याप्त कम थी। अब यह सब बदल चुका है। उदाहरण स्वरूप अब हमारे पास औद्योगिक मनोविज्ञान है‚ नैदानिक मनोविज्ञान है‚ शैक्षणिक मनोविज्ञान है और इन सब का पर्याप्त व्यावहारिक महत्व है। हम यह आशा और उपेक्षा कर सकते है कि निकट भविष्य में हमारे संस्थानों में मनोविज्ञान का प्रभाव तेजी से बढ़ेगा। शिक्षा के क्षेत्र में तो इसका पहले ही से हितकारी और अच्छा प्रभाव रहा है।
16. परिच्छेद के अनुसार बहुत हाल के वर्षों तक मनोविज्ञान का/की बहुत ही कम ……………
(a) अकादमिक उन्मुखीकरण था
(b) अकादमिक अनुप्रयोग था
(c) व्यावहारिक उपयोगिता थी
(d) कल्पना शक्ति के लिए उपयोगिता थी
Ans. (c)
17. परिच्छेद में लेखक किस बात को लेकर आशान्वित हैं?
(a) शिक्षण में उपयोगितावादी तत्व
(b) शिक्षण में कल्पनाशक्ति की भूमिका में ह्रास
(c) प्रयोगशालाओ में मनोविज्ञान की भूमिका
(d) संस्थानों में मनोविज्ञान के प्रभाव में अभिवृद्धि
Ans. (d)
18. परिच्छेद के अनुसार यदि कल्पना शक्ति का संपूर्ण विकास करना है तो निम्नलिखित में से किसका थोड़ाबहुत ज्ञान होना चाहिए?
(a) साहित्य (b) विश्व इतिहास
(c) संगीत (d) राजनीति निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनें−
(a) केवल (a) और (b) सही हैं
(b) केवल (a) और (c) सही हैं
(c) केवल (a), (b) और (d) सही हैं
(d) केवल (a), (b) और (c) सही हैं
Ans. (d)
19. परिच्छेद के अनुसार लोगों को ‘संसार की संभावनाओं के बारे में किसके माध्यम से जानकारी मिल सकती है?
(a) साहित्य (b) इतिहास
(c) कल्पना-शक्ति (d) संगीत
Ans. (c)
20. परिच्छेद के अनुसार कल्पना-शक्ति के अभाव में ‘प्रगति’ क्या हो जाएगी?
(a) मानवतावादी (b) यांत्रिक
(c) सर्जनात्मक (d) यथार्थपरक
Ans. (b)
Comprehension: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए: यद्यपि समकालीन विश्व में वैश्वीकरण सर्वाधिक चर्चित मुद्दों में से एक है तथापि यह लगभग पूरी तरह परिभाषित नहीं है। मोटे तौर पर वैश्विक प्रतिक्रियाओं की अनेकता को वैश्वीकरण के अंतर्गत रखा जाता है। जिसमें पूरे विश्व में आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में वृद्धि के लिए सीमाओं से परे सांस्कृतिक और व्यावहारिक प्रभाव शामिल होते हैं। वैश्वीकरण को बड़े पैमाने पर अस्वीकार्यता न केवल वैश्विक व्यापार के विरुद्ध जाएगी बल्कि इससे विचार‚ समझ और ज्ञान का प्रवाह कट जाएगा जिससे विश्व के सभी लोगों को‚ जिस में विश्व की जनसंख्या के सर्वाधिक वंचित लोग शामिल हैं‚ मदद मिल सकती है‚ वैश्वीकरण की व्यापक अस्वीकृति हालांकि शक्तिशाली हो सकती हैं किंतु यह हानिकारक हैं। हमें उन विभिन्न मुद्दों को पृथक करने की आवश्यकता है जो कि वैश्वीकरण विरोधी प्रदर्शनों से उपजे और इससे मिले हैं। ज्ञान के वैश्वीकरण में सभी अच्छी चीजें‚ जिन्हें ‘स्थानीय ज्ञान’ के महत्व के बारे में सही कहा जा सकता है‚ के बावजूद इसे उच्च स्तर की मान्यता मिलनी चाहिए। वैश्वीकरण को पत्रकारिता की चर्चाओं और विशेष रूप से कई अकादमिक लेखों दोनों में पाश्चात्यीकरण की प्रक्रिया के रूप में प्राय: देखा जाता है। वस्तुत: जो लोग इसे आशावादी उन्मुख दृष्टि में लेते हैं वे भी इसे विश्व को पाश्चात्य सभ्यता की देन मानते हैं।
21. गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन हानिकारक है?
(a) वैश्वीकरण को व्यापक समर्थन
(b) वैश्वीकरण की व्यापक अस्वीकृति
(c) वैश्वीकरण-विरोधी प्रदर्शन की व्यापक अस्वीकृति
(d) स्थानीय ज्ञान पद्धतियों की मान्यता
Ans. (b)
22. गद्यांश के अनुसार वैश्वीकरण विश्व को बड़े पैमाने पर अस्वीकार करना निम्नलिखित में से किसको प्रभावित करेगा?
(a) वैश्विक व्यापार
(b) विचारों के प्रवाह
(c) स्थानीय ज्ञान पद्धति सही विकल्प का चयन कीजिए−
(a) केवल (a) और (b) (b) केवल (a) और (c)
(c) केवल (c) और (b) (d) (a), (b) और (c)
Ans. (a)
23. गद्यांश के अनुसार वैश्वीकरण को मीडिया और अकादमिकों द्वारा किस रूप में देखा जाता है?
(a) स्थानीय ज्ञान पद्धति का समर्थन
(b) स्थानीय ज्ञान पद्धति के लिये हानिकारक
(c) पाश्चालीकरण की एक प्रक्रिया
(d) विश्व व्यापार को सुगम बनाने की एक प्रक्रिया
Ans. (c)
24. गद्यांश में लेखक ने निम्नलिखित में से किस पर बल दिया है?
(a) वैश्वीकरण का बिना शर्त वकालत करना
(b) वैश्वीकरण को बिना शर्त अस्वीकार करना
(c) स्थानीय ज्ञान प्रणाली को बिना शर्त अस्वीकार करना
(d) वैश्वीकरण का पक्षपात रहित मूल्यांकन करना
Ans. (d)
25. गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन सुपरिभाषित अवधारणा नहीं हैं?
(a) बहु-संस्कृतिवाद (b) पहचान
(c) वैश्वीकरण (d) स्थानीय ज्ञान
Ans. (c)
Comprehension : गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: इसमें कोई संदेह नही है कि यथार्थ के रूप में बाजार और सिद्धांत के रूप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था की उदारवादी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका थी। परंतु उदारवाद न तो इनका परिणाम है और न ही इनका विकास। बल्कि उदारवादी स्थापना में बाजार ने परीक्षण- सुविधायुक्त अनुभव के अधिकेन्द्र जहाँ कोई सरकारी तंत्र की अत्यधिक भूमिका के परिणामों को चिह्नत कर सकता है और अपने महत्व को आकलन भी कर सकता है‚ की भूमिका निभायी। अठारहवीं शताब्दी के मध्य में अभाव अथवा और अधिक सामान्य रूप से खाद्य़ान्न व्यापार के अभाव के तंत्र से सम्बन्धित विश्लेषण का उद्देश्य इस बिंदु को परिलक्षित करना था जिस पर सरकार हमेशा अत्यधिक नियमन कर रही थी। अंत: मूल्य निर्माण और धन के परिचालन को साक्ष्य के रूप में मूर्त रूप देने के लिए विश्लेषण या इसके विपरीत व्यक्तिगत लाभ चाहना और सामूहिक धन का विकास-किसी मामले में अर्थशास्त्र के मध्य संबंध की आन्तरिक अमूर्तता के पूर्वानुमान विषयक विश्लेषण के माध्यम से आर्थिक प्रक्रिया का इष्टतम विकास तथा सरकारी प्रक्रियाओं का अधिकतम नियमन के चलते मूलभूत असामंजस्य की अभिव्यक्ति विचारों की क्रीड़ा से अधिक इसके माध्यम से फ्रांसीसी और अंग्रेज अर्थशास्त्री वाणिज्यवाद और वाणिज्यीकरण की सोच से दूर हटे। उन्होनें अर्थशास्त्रीय परंपरा के विमर्श को राज्य की युक्ति‚ और सरकारी हस्तक्षेप की संतृप्ता के आधिपत्य से मुक्त किया। ‘अत्यधिक नियमन’ के उपाय के रूप में इसका प्रयोग करते हुए उन्होंने इसे सरकारी कार्यवाही की सीमा के ऊपर रखा। स्पष्ट है कि उदारवाद का उद्भव आर्थिक विकास से अधिक न्यायिक विचार से नहीं हुआ। वह राजनीतिक समुदाय का विचार नहीं है‚ बल्कि सरकार की उदारवादी प्रौद्योगिकी के अन्वेषण सहज परिणति है।
26. उदारवादी स्थापना को मूर्त रूप देने के लिए किस प्रकार के साक्ष्य की आवश्यकता थी?
(a) धन के परिचालन
(b) व्यक्तिगत लाभ का पूर्वानुमान
(c) खाद्यान्न की आपूर्ति में कमी
(d) विकास का बेमेल होना
Ans. (a)
27. इष्टतम आर्थिक विकास के संदर्भ में निम्नांकित में से कौन बेमेल हैं?
(a) विचारों से खेलना
(b) वाणिज्यिकरण का अभाव
(c) राजनीतिक समुदाय
(d) अत्यधिक सरकारी कार्यपद्धति
Ans. (d)
28. यह गद्यांश लेखक की किसके प्रति वरीयता को दर्शाता है?
(a) व्यक्तियों का आर्थिक आधिपत्य
(b) अर्थशास्त्र पर सरकारी नियंत्रण को सीमित करना
(c) न्यायिक विचार से हट कर उदारवादिता की तलाश
(d) व्यक्तिगत लाभों को बढ़ावा देना
Ans. (b)
29. उदारवादी स्थापना में निम्नलिखित में से किसकी भूमिका रही है?
(a) बाजारीकरण के परिणामस्वरूप उदारवाद
(b) राजनीतिक अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप उदारवाद
(c) बाजार की वास्तविकता
(d) व्यवहार के रूप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था
Ans. (c)
30. उदारवादी स्थापना में किसके निहितार्थों की समीक्षा की गयी−
(a) बाजार का विस्तार
(b) अत्यधिक शासन
(c) राजनीतिक अर्थव्यवस्था का विकास
(d) बाजारीकरण की राजनीति
Ans. (b)
Comprehension : निम्नांकित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़िए और संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। मूल्य के श्रम सिद्धांत के अंतर्गत‚ किसी वस्तु का मूल्य या कीमत‚ विशिष्टत: उस वस्तु के उत्पादन में लगने वाली श्रम की मात्रा पर निर्भर करती है। इसका अर्थ यह है कि या तो केवल श्रम ही उत्पादन का एकमात्र कारक है या श्रम को सभी वस्तुओं के उत्पादन में समान निर्धारित समानुपात में प्रयोग किया जाता है और श्रम समदृश है अर्थात् केवल एक प्रकार है। चूंकि इन अनुमानों में से कोई भी सही नहीं है‚ हम तुलनात्मक लाभ को मूल्य के श्रम सिद्धांत के आधार पर वर्णित नहीं कर सकते। विशेषकर‚ श्रम‚ उत्पादन का केवल एकमात्र कारक नहीं है और ना ही इसे सभी वस्तुओं के उत्पादन के समान निर्धारित समानुपात में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए वस्त्र की तुलना में इस्पात के कुछ उत्पादों को उत्पादित करने हेतु प्रति श्रमिक अधिक पूंजी उपस्कर की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त‚ अधिकतर वस्तुओं के उत्पादन में श्रम‚ पूंजी और अन्य कारकों को एक-दूसरे से बदलने की प्राय: कुछ संभावना होती है। इसके आगे‚ श्रम नि:संदेह समृदश है‚ परन्तु प्रशिक्षण‚ उत्पादकता और दिहाड़ियों के संबंध में इसमें काफी अंतर है। हमें कम से कम‚ श्रम की विभिन्न उत्पादकताओं को स्वीकार करना चाहिए। वस्तुत: रिकार्डों का तुलनात्मक लाभ सिद्धांत‚ इसी रूप में आनुभाविक आधार पर परखा गया है। किसी भी स्थिति में तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत मूल्य के श्रम सिद्धांत पर आधारित नहीं होना चाहिए‚ परन्तु इसे अवसर (विकल्प) लागत सिद्धांत के आधार पर वर्णित किया जा सकता है‚ जो कि स्वीकार्य है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि स्वयं रिकार्डों मूल्य के श्रम सिद्धांत को नही मानते थे और उन्होंने इसका प्रयोग केवल तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत को स्पष्ट करने हेतु एक साधारण मार्ग के रूप में किया था। तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत को कई बार तुलनात्मक लागत के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
31. अनुच्छेद के लेखक के अनुसार :
(a) श्रम‚ वस्तु मूल्य निर्धारण का आधार है
(b) श्रम के स्थान पर पूंजी को रखा जा सकता है
(c) वस्त्र जैसे उत्पादों हेतु प्रति श्रमिक कम पूंजी उपस्कर की आवश्यकता होती है
(d) अवसर लागत तुलनात्मक लाभ का वर्णन करने में मदद कर सकती है।
(e) रिकार्डो ने तुलनात्मक लागत को केवल मूल्य के श्रम सिद्धांत को वर्णित करने के लिए प्रयोग किया
(f) रिकार्डो स्वयं अपने सिद्धांत के प्रति निश्चित नहीं थे सही विकल्प चुनिए:
(a) (a), (b) और (c) (b) (b), (c) और (d)
(c) (d), (e) और (f) (d) (c), (d) और (e)
Ans. (d)
32. मूल्य के श्रम सिद्धांत का क्या अर्थ है?
(a) श्रम‚ उत्पादन में एक बाह्य कारक है
(b) उत्पादन में श्रम की एक सीमित भूमिका है
(c) उत्पादन में श्रम का उच्चतम मूल्य है
(d) वस्तु मूल्य और श्रम मूल्य का सीधा सम्बन्ध होता है।
Ans. (d)
33. रिकार्डो सिद्धांत की जांच किसके आधार पर की जाती है?
(a) श्रम मूल्य
(b) श्रम की समदृश्यता
(c) श्रम उत्पादकता के विभिन्न स्तर
(d) संभाव्यता (अवसर) का सिद्धांत
Ans. (c)
34. इस्पात जैसे उत्पादों को किसकी आवश्यकता होती है?
(a) कम श्रमिक की (b) अधिक श्रमिक की
(c) अधिक मशीनों की (d) कम मशीनों की
Ans. (c)
35. मूल्य के श्रम सिद्धांत में जब वस्तुओं के उत्पादन की बात आती है‚ तो श्रम को शामिल करना कहलाएगा :
(a) विजातीय (b) निर्धारित समानुपात
(c) विविध समानुपात (d) पूंजी सघन
Ans. (b)
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़ें और इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें। प्रथम-विश्व युद्ध से पहले का समय‚ लोकप्रिय आंदोलनों का गहराई से मूल्यांकन करने हेतु एक उपयुक्त तरीका रहा है। चूंकि यह सजह था‚ यह अंशत: प्रभावित प्रबुद्धता‚ विचारधाराओं‚ उद्देश्यों या तकनीकों से अधिक कुछ नहीं था। ऐसी सहजता की सीमाएं लगभग स्पष्ट हैं। लोकप्रिय आंदोलन तत्कालीन भारतीय अत्याचारियों के विरुद्ध लक्षित थे न कि दूरस्थ श्वेत वरिष्ठ पर‚ और इसलिए यह अधिकतर जानबूझकर या आत्म-निष्ठ रूप से गैर-साम्राज्यवादी नहीं थे। यह स्थान और समय की दृष्टि से काफी व्यापक रूप में पृथक थे और अत्यधिक उग्र थे‚ जिसमें अभिव्यक्तीकरण के विभिन्न सामाजिक रूप एक-दूसरे के साथ विस्मयकारी सुगमता को समाविष्ट कर रहे थे। यह सब ‘कृषक राष्ट्रवाद’ की अवधारणा को बिना कुछ अर्हताओं के प्रबुद्ध देश भक्ति की विचारधाराओं और आंदोलनों के लिए सुसंगत विकल्प के रूप में स्वीकारना और कठिन बनाना है। नि:सन्देह कई बार लोकप्रिय पहल और स्वायत्तता विशिष्ट थीं‚ परन्तु मध्यम वर्गीय राष्ट्रवाद‚ जिसमें कम से कम विचारधारा के स्तर पर कतिपय निरंतरता है‚ सन् 1870 के दशक से ‘ड्रेन ऑफ वेल्थ थियोरी’ के निर्माण के साथ जिन आंदोलनों पर विचार किया गया‚ वे स्पष्टत: खण्डित थे। फिर भी ऐसी सीमाओं और अपरिपक्वताओं के बावजूद लोकप्रिय असंतोष मुद्दों और संघर्ष के रूपों के आलोक में मध्यम वर्गीय राष्ट्रवाद को काफी हद तक समझता है‚ यद्यपि इसके विशिष्ट लाभ कई बार नगण्य थे। वन अधिकार‚ किराए का भार‚ सूदखोरी और भू-राजस्व‚ रोपण श्रमिक शोषण और श्रम शिकायत इत्यादि को बाद में मध्य वर्गीय राष्ट्रवाद ने अपने साथ ले लिया।
36. युद्ध-पूर्व लोकप्रिय आंदोलन थे-
(a) एक जैसे सामाजिक रूप
(b) नगण्य महत्व
(c) मध्यम वर्गीय राष्ट्रवाद
(d) समय समय पर विशिष्ट लाभ
Ans. (d)
37. अनुच्छेद के अनुसार ‘कृषक राष्ट्रवाद’ संबंधी मुद्दा क्या था?
(a) प्रबुद्ध राष्ट्रवाद का एक व्यवहार्थ विकल्प
(b) संगतता और नियंत्रण में रहना
(c) निरंतरता की कमी
(d) समयानुरूप होना
Ans. (c)
38. लोकप्रिय आंदोलनों के संबंध में लेखक का आंकलन क्या है?
(a) कुछ लोकप्रिय मुद्दों को मध्यम वर्गीय राष्ट्रवाद द्वारा अपने साथ मिला लिया गया।
(b) ये विस्मयकारी और मनोरंजक थे।
(c) ये विशिष्ट और समय की कसौटी पर खरे थे।
(d) युद्ध से पहले सामान्य असंतोष गैर-साम्राज्यवादी था।
Ans. (a)
39. लोकप्रिय आंदोलन……………
(a) साम्राज्यवादियों के विरुद्ध थे
(b) अपने स्वामियों के विरुद्ध थे
(c) जानबूझकर उग्र थे
(d) समय-बद्ध थे
Ans. (b)
40. प्रथम विश्व युद्ध पूर्व के लोकप्रिय आंदोलनों के विश्लेषण द्वारा क्या प्रकट होता है?
(a) लोकप्रिय आंदोलनों पर प्रबुद्धता का प्रभाव कम था
(b) आंदोलन वैचारिक थे
(c) आंदोलनों के स्पष्ट उद्देश्य थे
(d) सीमित सहजता
Ans. (a)
Comprehension : निम्नलिखित परिच्छेद को ध्यानूपर्वक पढ़े और प्रश्न सं. 41 से 45 तक तक का उत्तर दें। अंत: उद्योग व्यापार उत्पादन पैमानों के महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के लाभ को ध्यान में रखकर उद्भूत हुआ है। यथा-अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा औद्योगिक देशों में प्रत्येक फर्म या प्लांट को किसी एक उत्पाद या कुछ विशेष प्रकार और शैली के उत्पादन पर बल देती है। यह विभिन्न प्रकार और शैली पर बल नहीं देता। इससे इकाई (यूनिट) लगात को कम रखने में कठिनाई होती है। कतिपय विविधताओं और शैली को ध्यान में रखते हुए सतत परिचालन और दीर्घ उत्पादन करने के लिए विशिष्ट और तीव्रतर मशीनरी विकसित की जा सकती है। एक राष्ट्र तब अन्य राष्ट्रों से अन्य विभिन्नताओं तथा शैली के उत्पादों का आयात कर सकता है। अंत: उद्योग व्यापार उपभोक्ताओं के लिए लाभ प्रद होता है क्योंकि इससे व्यापक रेंज के विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं यथा विपुल प्रकार के वैविध्यपूर्ण उत्पाद का उत्पादन में कोटियों की अर्थ व्यवस्था द्वारा कम मूल्यों पर मिलना संभव हो जाता है। इसके कारण उपभोक्ताओं की क्षमता में बहुत बड़ी मात्रा में वेलफेयर उत्पाद प्राप्त होते हैं और इससे माल की किस्मों में वृद्धि होती है और वे व्यापार के जरिये अच्छा माल खरीद सकते हैं। अंत: उद्योग व्यापार के महत्व स्पष्ट दिखाई पड़ने लगते हैं। और ऐसा तब हुआ जब 1958 में यूरोपियन यूनियन या साझा बाजार के सदस्यों के बीच व्यापार के संचरण में आने वाले प्रशुल्क और अन्य बाधाओं को हटा दिया गया। यह पाया गया कि इससे व्यापार की मात्रा में प्रवाह होने लगा किन्तु प्रत्येक ब्रॉड औद्योगिक वर्गीकरण के भीतर विविधतापूर्ण उत्पादों के विनिमय में भी संगतपूर्ण वृद्धि होने लगी।
41. यूरोपीयन यूनियन में व्यापार फ्लो के लिए बाधाओं को हटाने का क्या परिणाम हुआ?
(a) अंत: उद्योग व्यापार में मंदी
(b) समान उत्पादों का बहाव
(c) सदस्य राज्यों के बीच व्यापार की मात्रा में वृद्धि
(d) विविध उत्पादों पर बल
Ans. (c)
42. कम उत्पाद मूल्य का अर्थ है?
(a) सतत उत्पाद परिचालन
(b) विकल्प का अभाव
(c) व्यापार सूचना विनिमय में वृद्धि
(d) उपभोक्ता की क्रय शक्ति में वृद्धि
Ans. (d)
43. अंत: उद्योग व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा का प्रभाव किस पर देखा जा सकता है?
(a) उत्पादों की वृद्ध किस्मों की उपलब्धता
(b) एक ही प्रकार की सीमित किस्म
(c) औद्योगिक उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव
(d) उत्पादन के प्रतिबंधात्मक लाभ
Ans. (b)
44. उत्पादों के कुछ किस्मों के बड़े उत्पादन का परिणाम होगा-
(a) इकाई की लागत में कमी
(b) पैमाने की औद्योगिक अर्थ व्यवस्थाओं को लाभ
(c) महत्वपूर्ण अर्थ व्यवस्थाओं के ग्राहकों को लाभ
(d) उत्पादन की बढ़ती लागत
Ans. (b)
45. विकास और विशिष्ट मशीनरी के उपयोग का क्या परिणाम होगा?
(a) उत्पादों की अधिक किस्में होंगी
(b) उपभोक्ताओं के हितों मे कमी आएगी
(c) उत्पादों की किस्मों का आयात
(d) अंत: उद्योग व्यापार में अवरोध
Ans. (c)
Comprehension : निम्नलिखित अवतरण को पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए− निस्संदेह राजनीतिक ‘प्रतिनिधित्व’ ऐसा माध्यम है जिसमें आधुनिक‚ व्यावहारिक‚ राजनीतिक और देशीय भाषा में ‘लोकतंत्र’ का पुन: प्रतिपादन संभव हुआ। परिणामी उदार लोकतंत्र प्रत्यक्षत: प्राचीन एथेंस के लोकतंत्र से प्राप्त नहीं हुआ है। उन युगों के मध्य वास्तव में ऐसा कुछ नहीं था जो ‘लोकतंत्र’ के प्रतिस्तविक या नामित राजनीतिक दृष्टिकोण रखता था और जब यह पुन: राजनीति और सिद्धांत का केन्द्र बना‚ तो इसमें प्रतिनिधित्व जुड़ गया− जिसे हम लोकतंत्र कहते हैं‚ वस्तुत: विशेष प्रकार का लोकतंत्र है ‘प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र’ जबकि निर्वाचन और जनमानस का दबाव निश्चित रूप से राजनीतिक प्रभाव डालता है‚ प्रतिनिधियों के कार्य लोकतांत्रिक नागरिकता को राजनीतिक अधिकार में परिणत करने हेतु प्राथमिक सरकारी प्रणाली होते हैं। लोकतांत्रिक समाज में राजनीतिक अच्छाई को बढ़ावा देने के लिए हम प्रतिनिध्यात्मक प्रक्रिया पर भरोसा करते हैं। परंतु आजकल जब कोई ‘प्रतिनिधित्व’ के विचार की कल्पना करता है‚ तो नैतिकता या अच्छाई से इसका साहचर्य मस्तिष्क में नहीं आता है। कुल मिलाकर यह तटस्थ प्रक्रिया है− एह यांत्रिक विधि है जिसके द्वारा एक सत्ता दूसरे के लिए होती है या उसका प्रतिनिधित्व करती है और यह लाखों नागरिकों के निर्णयों को कुछ जनप्रतिनिधियों के विधिक आधिकारिक हाथों में देने या हजारों लोगों की भावनाओं को भी एक व्यक्ति के नेतृत्व को सौंपने की राजनीतिक आवश्यकता होत है।
46. प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र के संबंध में लेखक का क्या विचार है?
(a) विधिक और नैतिक
(b) सार्वभौम भागीदारी
(c) मनमाना सत्तापरक
(d) कुछ व्यक्तियें के हाथ में सत्ता का केन्द्रीकरण
Ans. (d)
47. इस अवतरण के अनुसार राजनीतिक प्रतिनिधियों के कार्य क्या दर्शाते हैं?
(a) राजनीतिक इच्छाशक्ति (b) जनमानस का दबाव
(c) राजनीतिक शक्ति (d) आत्म-विलोपन व्यवहार
Ans. (c)
48. निम्नलिखित में से किसमें आधुनिक राजनीतिक देशी भाषा की विशेषता निहित हैं?
(a) लोकलुभावन राजनीति (b) संरचना का अभाव
(c) नीतिगत विमर्श (d) प्रतिनिधिमूलकता
Ans. (d)
49. राजनीति प्रतिनिधित्व के कारण निम्नांकित में से किस का उद्भव हुआ?
(a) एथेंस का लोकतंत्र (b) उदार लोकतंत्र
(c) वास्तविक लोकतंत्र (d) सैद्धांतिक लोकतंत्र
Ans. (b)
50. लेखक के अनुसार लोकतंत्र के विचार को किस रूप में देखा जाता है?
(a) नीति आधारित राजनीति
(b) प्रतिनिधित्व की अच्छाई
(c) प्रतिनिध्यात्मक प्रक्रिया
(d) कुछ लोगों के विचारों को माध्यम प्रदान करना।
Ans. (c)
Comprehension: माइकल एंजेलो मानव शरीर की सफल व्याख्या करने के लिए प्रसिद्ध है। उनकी महान उपलब्धि डेविड जो मानव की योग्यता और क्षमता के प्रतीक के रूप में विद्यमान है‚ का चित्रांकन है। यह माना जाता है कि वे जिस युग में थे‚ वह ज्ञान के आदान-प्रदान‚ विज्ञान के विकास के लिए उपयुक्त था तथा सभी क्षेत्रों में जाँच के क्षितिज के विस्तार हेतु पर्याप्त रूप से अनुकूल था। पुनर्जागरण कालीन मानववाद ने कला की प्रकृति‚ जो सटीक विवरणों पर केन्द्रित थी‚ पर गंभीर पुर्नचिंतन पर बल दिया जाता है। चित्रकला और मूर्तिकला में नैमित्तिक की बजाय सत्यापनीय तथा सूक्ष्म विवरणों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। माइकल एंजेलो के चित्र भी इसके अपवाद नहीं हैं। रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसीन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शल्य चिकित्सकों के एक समूह का मानना है कि यह महान सिद्धहस्त व्यक्ति अपने जोड़ों की बीमारी से ग्रस्त था। उन्होंने उनके रूपचित्र को अपने विचार के समर्थन में साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया है। अपने जीवन के दौरान उसने जिस गठिया को महसूस किया‚ उसकी शिकायत की। बाद में उसने दुखते और सख्त हाथों की शिकायत की‚ जिसे डॉक्टर हस्तनिर्मित कला में संलग्न किसी व्यक्ति के बारे में स्वभाविक मानेंगे। चिकित्सकों को कलाकार के चित्रों में उन दावों की पुष्टि मिली जिसने अपक्षयनात्मक और गैर अपक्षयनात्मक दोनों परिवर्तनों सहित झूलते हुए बायें हाथ को दिखाया गया है। वे दर्द का कारण न सिर्फ गठिया को बताते हैं‚ अपितु हथौड़ी और छेनी के प्रयोग के दबाव को भी मानते हैं और यह पाते हैं कि यद्यपि यह सिद्धहस्त व्यक्ति वृद्धावस्था में अपनी मृत्यु के पूर्व के दिनों में हथौड़ी का प्रयोग करता हुआ देखा गया‚ अपनी मृत्यु से पहले उसने न तो अपने पत्र लिखे न ही हस्ताक्षर किये। हाल ही में उनके समय की अज्ञात बीमारियों से ग्रस्त प्रसिद्ध कलाकारों का निदान करने के प्रयत्न किये गये हैं। इस प्रचलन ने विशेषकर शोध नैतिकता के मुद्दे पर बहुत से प्रश्न खड़े किये हैं। प्रायोगिक विश्लेषण से यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि माइकल एंजेलो अपने जीवन के अंतिम दिनों तक कार्य करता रहा था। यह सिद्धान्त इस बात पर बल देगा कि उसके कला विषय ने उसकी शारीरिक नि:शक्तता की अवज्ञा की।
51. उपर्युक्त गद्यांश इस विवाद के बारे में है कि क्या−
(a) माइकल एंजेलो ने दबाव में काम किया
(b) माइकल एंजेलो कलात्मक उत्कृष्टता के द्वारा अपनी शारीरिक अशक्तता को कम कर सकता था
(c) माइकल एंजेलो अपनी बीमारी से हार गया
Ans. (b)
52. यूरोप में पुनर्जागरण चित्रकला किसके बारे में संदेहवादी थी−
(a) परिशुद्धता की मनोग्रसित मध्यकालीन पद्धति
(b) श्रेण्य सहजता और नियंत्रण का अभाव
(c) पूर्व की कला की सरलता तथा अलंकरणीय अतिशयता
Ans. (c)
53. उपर्युक्त गद्यांश से वस्तुत: किस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है−
(a) शारीरिक अशक्तताएं सक्षम लोगों को उत्कृष्टता की ओर बढ़ने से रोकती है
(b) किसी भी रूप में उत्कृष्टता शारीरिक बीमारियों सहित बाहरी कारकों पर विजयी रहती है
(c) माइकल एंजेलो की गठिया और अन्य बीमारियों ने उनकी दक्षता को कम किया
Ans. (b)
54. लोग किस प्रकार का सामान्यीकरण अपनाते हैं−
(a) डी एन ए जांच द्वारा तथ्यों को स्थापित करना
(b) प्रसिद्ध लोगों की हस्तलिपि से चरित्र के सार का निष्कर्ष निकालना
(c) प्रसिद्ध व्यक्तियों की शारीरिक संरचना के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए उनके बाल की कार्बन डेटिंग करना
Ans. (d)
55. माइकल एंजेलो उस काल के दौरान था‚ जो हमें यह ज्ञात कराता है कि−
(a) मानव आकांक्षाएं असीम हैं और ज्ञान के नए क्षेत्रों के लिए खुली हैं
(b) विचारों का अंत: सांस्कृतिक आदान-प्रदान मानव प्रगति का एकमात्र रास्ता है
(c) यह विज्ञान और शरीर रचना विज्ञान की प्रगति है‚ जो अनन्य रूप से सभ्यताओं को योगदान करती है
Ans. (a)
निम्नलिखि गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न के उत्तर दीजिए। भारत की सांख्यिकीय प्रणाली के रहस्योद्घाटन में एक सामान्य विचार अंतर्विष्ट में एक सामान्य विचार अंतविर्षष्ट है। सुदृढ़ संस्थाओं वाली आधुनिक अर्थव्यवस्था की विशेषता यह होती है कि उसमें विश्वसनीय आँकड़े समय पर जारी किये जाते हैं। एक दीर्घकालिक नीति के लिए इन्द्रियानुभविक आधार की आवश्यकता होती है और आँकड़ों की सत्यता के मुद्दे निवेश संबंधी निर्णयों को प्रभावित करेंगे। युवाओं की अधिक जनसंख्या वाले देश में राष्ट्रीय विकास संबंधी आँकड़े विशेषकर कृषि‚ उद्योग‚ स्वास्थ्य‚ शिक्षा और रोजगार जैसे मूल क्षेत्रों से संबंधित आँकड़े महत्वपूर्ण होंगे। यहाँ मानक निर्धारित करने के लिए गठित किए गए निकाय‚ राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की भूमिका सामने आती है। आँकड़ों की सत्यता पर संदेह करना एक वैश्विक प्रक्रम है। आधिकारिक वक्तव्य पर प्रतिपक्ष के लोगों द्वारा हमेशा संदेह व्यक्त किया जाता है। जमीनी स्तर के लोग जिन्होंने यर्थार्थ को जीया है‚ उन तक आर्थिक आँकड़ों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य है। आँकड़ों की कमी राष्ट्रीय नीतियों की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी। भारत की केन्द्रीय सांख्यिकी आयोग जैसी संस्थाओं को सुदृढ़ करना चाहिए। इन संस्थाओं को स्वायत्तता प्रदान की जानी चाहिए और उन्हें बाह्य हस्तक्षेपों से बचाना चाहिए। अधिक प्रकार्यात्मक स्वायत्तता उनके कार्य को विश्वसनीय बनाएगी। प्रकार्यात्मक स्वायत्तता का एक परिसूचक उनकी यह योग्यता है कि वे पूर्वनिर्धारित समय पर आँकड़ों को जारी करें‚ चाहे आँकड़े जो भी दर्शाते हों।
56. आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए क्या महत्वपूर्ण हैं?
(a) एक सामान्य विचार
(b) विश्वसनीय आँकड़ों को जारी किया जाना
(c) सांख्यिकीय प्रणाली का स्पष्टीकरण
(d) आँकड़ों का चयनात्मक वितरण
Ans : (b)
57. निवेश संबंधी निर्णय प्रभावित होते हैं
(a) युवा जनसंख्या
(b) राष्ट्रीय विकास
(c) आँकड़ों की सत्यता के मुद्दे
(d) राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना
Ans : (c)
58. उपर्युक्त गद्यांश में राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग को अंततः क्या सुझाव दिया गया है?
(a) नीतिगत निर्णयों पर प्रतिबंध लगाना।
(b) आँकड़ों की सत्यता की समीक्षात्मक जाँच करना।
(c) आँकड़े सम्बन्धित कलेंडर का पालन करना।
(d) मूल क्षेत्रों में विकास का समर्थन करना।
Ans : (c)
59. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का क्या कार्य है?
(a) मानक निर्धारित करना
(b) आँकड़ों की सत्यता पर संदेह करना
(c) आधिकारिक वक्तव्यों पर संदेह करना
(d) जनधारण का समर्थन करना
Ans : (a)
60. राष्ट्रीय नीतियों की गुणवत्ता में कैसे सुधार किया जा सकता है?
(a) जमीनी स्तर पर अनुभव करके।
(b) वाह्य हस्तक्षेपों का समर्थन करके।
(c) स्वायत्त संस्थाओं पर नियंत्रण करके।
(d) अधिक प्रकार्यात्मक स्वतंत्रता प्रदान करके।
Ans : (d)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए संख्या 61 से 65 के उत्तर दीजिए सभी महान चिंतक विचार के उच्च धरातल पर रहते हैं। वे वहीं उन्मुक्त होकर सांस ले सकते हैं। वे अपने स्वयं के सदृश भावनाओं वाले व्यक्तिओं के साथ ही सदृश्यता से रह सकते हैं और शांति प्राप्त कर सकते हैं जो आदर्श संगति से उत्पन्न होता है। सभी महान चिंतकों का अध्ययन मानवीय चिंतन के शीर्ष पर होना चाहिए। मैंने सदैव विचार किया है कि बैकन के सिद्धांत के पक्ष में प्रबल तर्क था कि कोई भी व्यक्ति भले ही उसकी प्रतिभा कितनी ही असंदिग्ध क्यों न हो‚ नाटक और सॉनेट नहीं लिख सकता था जो हमारे समक्ष शैक्सपीयर के स्वयं के नाम से प्रस्तुत किया जा सकता था जिन्हें बैकन की उदार शिक्षा नहीं मिली थी। वे भव्य आदर्श जो मानव के मन को अब तक कौन्तित किया है और हमें भावी अमरत्व का सर्वोच्च प्रमाण इस कारण से दिया है कि यहां अमरत्व प्राप्त करना असम्भव है‚ ये जीवन की वास्तविकताओं के सम्पर्क में परमाणुओं की भाँति बिखरे होते हैं। अतएव हमारा उदात्त असंतोष उत्पन्न होता है। पश्चिमी देशों की समस्याओं की स्वाभाविक मध्यस्थता जो मानव जीवन को रेखांकित करता है और मानव के प्रारब्ध में अंत:विष्ट है− अमरत्व‚ मानव की लघुता‚ मानव की आत्मा की महानता‚ ब्रह्मांड के भव्य स्वरूप जो गली में साधारण व्यक्तियों की दृष्टि से परे होते हैं‚ से सम्बन्धित चिंतन ऐसे ही हैं जैसे कि पीटर के लिए मकड़ी। ये आम आदमी की समझ से परे होती है ना ही वे नवजीवन से अछूते जनसमूह की घोर मानसिक विफलता का धैर्यपूर्वक सहन कर सकते हैं। अत: यह समझ पाना सहज है कि किन कारणों से ऐसे चिंतक अपने स्वयं के विचारों के एकाकीपन अथवा अमर प्राणियों की मूक संगति में चले जाते हैं और यदि वे गद्य या पद्य के माध्यम से विश्व के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करते हैं तो उनके इन विचारों में चिंतन के दुर्बल प्रदर्शन से गम्भीर और विषण्णता को उद्वधृत किया जाता है जिससे वे उत्पन्न हुए थे।
61. अमरत्व एक महत्वपूर्ण विचार है जिसकी निरन्तर खोज की जा रही है
(a) साधारण यात्रियों के द्वारा
(b) महानचिंतकों द्वारा
(c) चिंतकों के समक्ष प्रकट होने वाले देवताओं द्वारा
(d) वैज्ञानिकों द्वारा
Ans. (b)
62. महान चिंतकों को एकांत क्यों पसन्द है?
(a) अमर प्राणियों की संगति में आदर्श स्थिति की तलाश में रहने के लिए
(b) शांति में जीवन व्यतीत करने के लिए
(c) क्योंकि वे मानव मात्र से घृणा करते हैं
(d) क्योंकि वास्तविक जगत के विषय उनके लिए अस्वास्थ्यकर हैं
Ans. (a)
63. महान चिंतक किस अवस्था में जीवन व्यतीत कर संतुष्ट रहते हैं?
(a) सभ्यताओं के संकटों के मध्य रहकर
(b) असाधारण प्रशांति में उदात चिन्तन में रहकर
(c) समाज से दूर रहने के लिए उच्च तुंङ्गता पर रहकर
(d) जीवन की जटिलताओं में रहकर और उनका समाधान ज्ञात कर
Ans. (b)
64. गद्यांश के अनुसार‚ हमारी उदात्त असंतुष्टि निम्नलिखित में से किस कारण से उत्पन्न होती है?
(a) ईश्वर के साथ हमारे साक्षात्कार के अभाव की अनुभूति
(b) प्रतिकूल जगत में अत्यधिक अकेलेपन का भाव
(c) ईश्वर के कतिपय दोतों के माध्यम से अमरत्व पद की सम्भावना और इस पर अधिकार प्राप्त करने की अक्षमता
(d) महान साहित्य में उल्लिखित आदर्शों और वास्तविक जीवन में विपरीत स्थितियों में विरोधाभास
Ans. (d)
65. बैकन की उदार शिक्षा है :
(a) उदात्त और आदर्श फंतासी
(b) मानव को अपने प्रारब्ध पर पश्चाताप करने योग्य बनाने में अभिकारक
(c) दैनिक जीवन की जटिलताओं से सम्पर्क
(d) उत्कृष्टता के प्राचीन आदर्शों के समतुल्य
Ans. (c)
प्रश्न संख्या (66-70) के लिए− किसी भी व्यवसाय को सामान्यत: चार स्पष्ट चरणों से गुजरना पड़ता है जिसमें संगठनात्मक जीवन-चक्र का निर्माण होता है। ये चरण हैं आरंभ‚ आरंभिक विकास‚ सतत् विकास‚ परिपक्वता और ह्रास। पहला चरण‚ प्रारंभिक चरण‚ स्टार्ट अप चरण होता है जहाँ व्यवसाय अपनी मुख्य शक्ति और क्षमता के संबंध में अभिनिश्चय करता है और अपने उत्पाद अथवा सेवाएं बेचना शुरू करता है। इस आरंभिक चरण में संस्थापक अथवा संस्थापक गण व्यवसाय की दैनिक प्रक्रिया के प्रत्येक पहलू का एक हिस्सा होता है। इस चरण में प्रमुख लक्ष्य है‚ एक अच्छी शुरुआत का बाजार में स्थान बनाना। दूसरे चरण अर्थात् आरंभिक विकास चरण का उद्देश्य बिक्री बढ़ाना तथा विकास में तेजी लाना। इस चरण में मूल उत्पादन अथवा सेवा पर बल दिया जाता है। परंतु इस मूल क्रम में बाजार के शेयर में वृद्धि लाने तथा संबंधित उत्पादों अथवा सेवाओं से सहबद्ध होने का प्रयास किया जाता है मुख्य लक्ष्य संस्थापक को अधिक प्रंबंधकीय भूमिका प्रदान करना रहता है। अत: प्रबंधन तथा व्यवसाय निर्माण में अधिक समय व्यतीत होता है। इस अवसर पर कागजातों एवं नीतियों के निर्माण की आवश्यकता होती है‚ ताकि संगठन का कोई भी सदस्य किसी भी समय व्यवसाय को देख सके। तृतीय चरण‚ सतत विकास के प्रक्रम में एक व्यवस्थित संरचना और प्रतिभागियों के मध्य औपचारिक संबंध अपेक्षित होता है। इस चरण में व्यवसाय के संसाधन की आवश्यकताओं को सावधानीपूर्वक पूरा किया जाना चाहिए। यहां पर व्यवसाय की मुख्यशक्ति एवं क्षमता का ध्यान में रखते हुए व्यवसाय के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस चरण में औपचारिक संगठनात्मक संरचना और स्पष्ट प्रत्यायोजन-योजना महत्त्वपूर्ण हैं। परिपक्वता के चौथे चरण में व्यवसाय में प्राय:मंदी आ जाती है क्योंकि इसकी नवोन्मेषी ऊर्जा संभवत: क्षीण हो चुकी होती है और इसकी औपचारिक संरचना व्यवधान बन जाती है। इस प्रकार ह्रास रोकने हेतु काफी ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
66. संबंधित उत्पादो तथा सेवा से संबंधित व्यवसाय आरंभ करने का अभिप्राय यह नहीं है कि व्यवसाय में
(a) मूल उत्पाद की अवहेलना की जाए
(b) संस्थापक को अधिक प्रबंधकीय भूमिका का निर्वाह करना प़डे
(c) अधिक उत्तरदायित्व प्रत्यायोजित हो
(d) संबंधित उत्पादों एवं सेवाओं की अपेक्षा की जाए
Ans : (a)
67. व्यवसाय में मंदी हो सकती है यदि
(a) बाजार के शेयर में गिरावट हो
(b) नवोन्मेषी उर्जा का स्तर कमजोर पड़ जाय
(c) प्रबंधकीय भूमिकाएं स्पष्ट न हों।
(d) निवेश का स्तर घट जाय।
Ans : (b)
68. व्यवसाय का संस्थापक किस चरण में अधिक प्रबंधकीय भूमिका की ओर अग्रसर नहीं होता है?
(a) आरंभिक विकास चरण (b) परिपक्वता चरण
(c) ह्रास चरण (d) स्टार्ट-अप चरण
Ans : (d)
69. कोई व्यवसाय बाजार में अपना स्थान कब बनाएगा?
(a) परिपक्वता की अवस्था में
(b) आरंभिक चरण में
(c) आरंभिक विकास की अवस्था में
(d) परवर्ती विकास के चरण में
Ans : (b)
70. किसी व्यवसाय के संसाधन की आवश्यकताओं की सावधानीपूर्वक पूर्ति किस चरण में की जाएगी :
(a) चौथे (b) पहले
(c) तीसरे (d) दूसरे
Ans : (c)
प्रश्न संख्या (71-75) के लिए− नि:संदेह साहित्यिक जीवन आधिकांशत: अवसादपूर्ण होता है क्योंकि यदि आप विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं तो आपको अपनी इस विलक्षणता की कीमत चुकानी पड़ेगी; और यदि आप केवल प्रतिभावान है तो विद्वतजनों की परिस्थितियों के आनुषंगिक बहुत सी चिताएं होती हैं जिसके परिणामस्वरूप जीवन अत्याधिक दयनीय हो जाता है। रचना की पीड़ा और निरंतर नैराश्य जिसे कोई कलाकर उद्घाटित करने में असमर्थ होता है‚ इसे अन्य व्यक्तियों के समक्ष बताने में निरंतर कठिनाई होती है। युवा लेखक इस आशा और विश्वास से रहते हैं कि उन्हें केवल उस कविता को विश्व में लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना है जिसके बदले उन्हें प्रशंसा रूपी मुकुट प्राप्त होगा। यह कि उन्हें केवल साहित्य को नए रूप में आलोकित करना है। आप नए लेखक को कभी विश्वास नहीं दिला सकते हैं कि पत्रिकाओं के संपादक और पुस्तकों के प्रकाशक ऐसे सांसारिक जीव हैं जो जनता के सम्मुख सर्वोत्कृष्ट साहित्य प्रस्तुत करने के लिए बहुत अधिक चिंतित रहते है। पुनरपि ज्यादातर वे केवल दलाल की भूमिका में होते है तो केवल लाभ-हानि के आधार पर अपना व्यवसाय करते हैं। लेकिन अगर आपकी पुस्तक अच्छे से चल निकलती है तो यह उसकी परिसंकटमय यात्रा आरंभ है; आपको अपने आलोचकों की चुनौतियों का भी सामना करना है। जब आप थोड़े अधिक उम्र के हैं तो आप पाएगें कि आलोचना किसी सर्कस में विदूषक के उस मंचनवृ âत्य से अधिक गंभीर नहीं है जब वे गोलाकार प्रांगण के इर्द-गिर्द ढोल बजाते हैं तथा तत्क्षण आहत व्यक्ति उन्हीं खंभों के पास लटका होता है। प्रत्येक लेखक के जीवन में ऐसा पल आता है जब वह आलोचकों को दुजेंय मानने की बजाय हास्यास्पद मानता है और उनकी परवाह किए बगैर आगे अपने मार्ग पर चलता है। किन्तु कतिपय ऐसे संवेदनशील व्यक्ति होते हैं जो ताड़न के समक्ष मत्था टेक देते हैं और संभवत: बहुत अधिक मूक प्रताड़ना सहन करने के बाद लेखन कार्य से सर्वदा के लिए नाता तोड़ लेते है।
71. साहित्यिक जीवन अवसादपूर्ण होता है क्योंकि :
(a) व्यक्ति के कुशाग्र न होते हुए भी कुशाग्र होने का बोझ वहन करना पड़ता है
(b) कुशाग्र व्यक्ति दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में दु:ख के बीच भी कुशाग्र बना रह सकता है
(c) प्रतिभा के परिणामस्वरूप छद्मं हर्ष उत्पन्न होता है
(d) अन्य व्यक्तियो से आगे निकलने की निरंतर चाह होती है
Ans. (b)
72. किसी लेखक का अनुभव और उम्र
(a) लेखक को आलोचना के प्रति वीतरागी बनाता है।
(b) लेखक को क्षुब्ध और एकाकी बनाता है।
(c) लेखक को विदूषक बना देता है।
(d) लेखक को छिद्रन्वेषण की ओर प्रेरित करता है।
Ans. (a)
73. युवा लेखक की चाहत होती है :
(a) स्वयं को स्थापित लेखकों के समतुल्य बनाना
(b) केवल अपने कार्य से संतुष्ट रहना
(c) अपनी मेधा से गौरव प्राप्त करने के बावजूद भी सदैव जल्दबाजी में रहना
(d) परवर्तीकाल में आलोचक बनना
Ans. (c)
74. आलोचना से निपटने का प्रभावी तरीका है :
(a) प्रिंट मीडिया के माध्यम से स्वयं की प्रतिरक्षा करना
(b) अपने कौशल के बारे में दृढ़तापूर्वक विचार अभिव्यक्त करना
(c) अपने स्वयं की कला का आलोचक बनकर उसके गुण का विश्लेषण करना
(d) कलात्मक अभ्यास के प्रति सम्मानजनक रूप से संबद्ध रहना
Ans. (d)
75. उपर्युक्त गद्यांश में प्रकाशकों और आलोचकों के प्रति प्रत्यक्षीकरण का भाव है‚
(a) तीव्र आलोचना का (b) सहानुभूति का
(c) उदारता का (d) दोषदर्शिता का
Ans. (d)
प्रश्न संख्या (76-80) के लिए− निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िये और प्रश्न के उत्तर दीजिये 1970 के दशक में मीडिया को जिस बात से कठिनाई थी वह कदाचित् स्वतंत्रता में परिवर्तन थी जिसके संकेत मिल रहे थे। सदियों से पत्रकार जिस आधार पर कार्य कर रहे थे वह था नकारात्मक स्वतंत्रता अथवा बाहरी नियंत्रण से स्वतंत्रता। परंतु अचानक जिस ओर महत्त्व दिया जाने लगा वह थी सकारात्मक स्वतंत्रता‚ जो कतिपय पूर्व निर्धारित लक्ष्यों के अनुसरण हेतु स्वतंत्रता थी । यह नवीन सामाजिक उत्तरदायित्व एक विचारधारा पर आधारित था जो नकारात्मक स्वतंत्रता को उसी प्रकार अपर्याप्त एवं अप्रभावी मानता था जैसे लोगों से कहा जाय कि वे टहलने के लिये स्वतंत्र हैं‚ पर इस बात को पहले सुनिश्चित किये बिना कि वे अपंग नहीं होंगे। समुचित साधन के साथ मावनीयता प्रदान करने की क्षमता सरकार से अधिक और किसमें हो सकती है? सरकार‚ यहां तक कि लोकतांत्रिक सरकार को भी सामाजिक उत्तरदायित्व के अनुगामी उस शक्ति के रूप में देखते हैं जो स्वतंत्रता के प्रभावी कार्यान्वयन की गारंटी दे सकती है। परंतु इससे उन प्रेक्षकों की नाराजगी कम नहीं होती जो सामाजिक दायित्व को अधिकारवादिता का केवल थोड़ा-सा छदम रूप मानते हैं। इस सिद्धान्त के सर्वाधिक मुखर आलोचना मीडिया दार्शनिक जॉन मेरिल हैं। उनके अनुसार यह कहना कि विचारों का बहुत्व‚ सरकार द्वारा अधिवेशित हो‚ हास्यास्पद है। उनका कहना है कि पत्रकारों को अपना समाचार तैयार करने एवं संपादकीय निर्णयों की अपनी स्वतंत्रता- अवश्य बनायी रखनी चाहिए। मेरिल ने आगे लिखा है कि मीडिया में सुधार चाहने वाले वाह्य समूहों द्वारा अच्छी मंशा से किये गये प्रयास भी स्वहितान्वेषी होते हैं तथा ये अपरिहार्यत: पत्रकारों की स्वायत्तता को न्यून बनाते हैं। इससे मीडिया की स्वायत्तता के बारे में प्रश्न उठता है।
76. जॉन मेरिल के अनुसार मीडिया में सुधार लाना
(a) समुचित है (b) अच्छी मंशा है
(c) अपरिहार्य है (d) स्वाहितान्वेषी है
Ans. (d)
77. कुछ लोग मीडिया के सामाजिक उत्तरदायित्व के पहलू को मानते हैं
(a) नकारात्मक स्वतंत्रता
(b) बहुलवाद
(c) मीडिया का लोकतंत्रीकरण
(d) अधिकारवादिता
Ans. (d)
78. इस गद्यांश में किसका समीक्षात्मक विश्लेषण किया गया है?
(a) पत्रकारों के कार्य का
(b) सरकार के लिये अधिदेश का
(c) मीडिया के सामाजिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का
(d) पत्रकारों की नियन्त्रित स्वायत्तता
Ans. (c)
79. पहले पत्रकारों के कार्य करने का क्या आधार होता था?
(a) सीमित विकल्प की स्वतंत्रता
(b) सामाजिक उत्तरदायित्व
(c) वाह्य दबाव से मुक्त
(d) सरकारी नियंत्रण
Ans. (c)
80. सकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ है
(a) आधारिक चिंतन
(b) कतिपय निर्धारित लक्ष्यों का अनुसरण
(c) सशर्त स्वतंत्रता
(d) चिन्हित किए गए साधन प्रदान करना
Ans. (b)
प्रश्न संख्या (81-85) के लिए− मानव और पशु में एक महत्वपूर्ण अन्तर भाषायी गुण का है। पशुओं में मौलिक सूचना प्रक्रिया होती है किन्तु इस प्रक्रिया में मानव-भाषा का परिमार्जन और इसका दुरहस्वरूप नहीं होता है यदि दो स्थानों में परस्पर वार्तालाप होता है तो वे जानकारी तो संप्रेषित करते हैं किन्तु मानव की भाँति गहन विवेचन करने में अक्षम होते हैं। जबकि मनुष्य में भाषिक क्षमता पारित करने का नैसर्गिक गुण विद्यमान होता है‚ ज्यादातर वे अपनी इस क्षमता का पूर्ण रूपेण उपयोग नहीं करते हैं। सम्भवत: ऐसा इसलिए है कि मन में उत्तर देने की बजाय प्रतिक्रिया देने की प्रवृत्ति होती है और इस प्रतिक्रिया के क्रम में भाषा का बहुत अधिक संदेश विलुप्त हो जाता है। भाषा के दैनिक प्रयोग में लोग यहाँ तक कि एक शब्द बोलने के लिए भी उसमें सन्निहित जटिल प्रक्रिया पर ध्यान नहीं देते हैं। इस प्रक्रिया का विस्मयकारी पहलू यह है कि इसकी प्रकृति अनैच्छिक है। यह पूरी श्रृंखला जो मस्तिष्क में उद्भूत होने से लेकर अपेक्षित संदेश वाहक शब्द निर्माण के माध्यम से स्वर तंत्रों से संयमित होती है‚ तात्क्षणिक रूप में फेफड़ों और मुख में गुमफित होती है। कदाचित ‘बोलने से पहले सोचो’ के सुझाव के परिणामस्वरूप समस्त संसार के नि:शब्द होने की आशंका है। दैनिक वार्तालाप जगत में भाषा पहचान प्रस्तुत करने का संकेतक और साधन बन जाती है। हमारे आस-पास के लोग भाषा प्रयोग करने की कतिपय शैली के आधार पर हमारी परख करते हैं और अनजाने में प्रत्येक भाषा का प्रयोग करने वाला आदतन इस शैली का अनुसरण करता है। अपने वाचिक सम्प्रेषण को समय-समय पर अभिलेखित करना अवांछनीय विचार नहीं है अत: यह वाचिक अभिव्यक्ति से अनावश्यक तत्वों के परिहार में सहायक होगा। इसी प्रकार यह एक अच्छा विचार है कि यदा-कदा विराम देकर अपने लिखित सम्प्रेषण को वस्तुनिष्ठ ढंग से पढ़ा जाए।
81. पशुओं के पास भाषा नहीं होती है क्योंकि उनमें−
(a) वाक् शक्ति का अभाव होता है
(b) श्वसन का अभाव होता है
(c) जटिलता स्तर का अभाव होता है
(d) जानकारी साझा करने का अभाव होता है
Ans. (c)
82. जब मानव उत्तर देने के बजाय प्रतिक्रिया देते हैं तो
(a) वे संदेश विहीन हो जाते हैं
(b) वे नियंत्रण खो देते हैं
(c) वे भावुक हो जाते हैं
(d) वे बोल नहीं सकते हैं
Ans. (a)
83. भाषा की प्रक्रिया विस्मयकारी है क्योंकि यह है
(a) एक प्रतिक्रिया (b) एक अनुक्रिया
(c) सहज (d) अनैच्छिक
Ans. (d)
84. किसी व्यक्ति की भाषा शैली किसका स्वरूप धारण कर लेती है :
(a) एक प्रतिक्रिया (b) एक आदत
(c) एक अनुक्रिया (d) एक विचार
Ans. (b)
85. विश्व एक शांत स्थल हो जाएगा यदि लोग सोचेंगे
(a) बहुत अधिक (b) सुनने से पहले
(c) उत्तर देने से पूर्व (d) बोलने से पहले
Ans. (d)
Comprehension: अधिकांश लोग बुद्धि को शैक्षणिक उपलब्धि से सम्बन्धित करते हैं। मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिए गए बुद्धि के विभिन्न सिद्धांतों में माना गया है कि अकादमिक बुद्धि के दो प्रकार होते हैं − शाब्दिक और गणितीय अथवा तार्किक। अधिकांश विशेषज्ञों के अनुसार बुद्धि वंशानुगत विशेष गुण होती है जो व्यक्तिगत व्यवहार और कार्य निष्पादन को प्रभावित करती है। परन्तु अनेक शोध अध्ययनों से यह पता चला है कि वातावरण बुद्धि के विकास को अत्यधिक रूप से प्रभावित करता है। चूँकि बुद्धि की एक विशेषता विश्लेषणात्मक और तर्कपरक कौशल है‚ उच्च बुद्धि-लब्धि (आई क्यू) वाले लोग अल्प बुद्धि-लब्धि वाले लोगों की तुलना में समस्या को बेहतर ढंग से समझेंगें। बहुत से संगठन कर्मचारियों की भर्ती करते समय बुद्धि को एक महत्वपूर्ण मानदण्ड मानते हैं। उदाहरणार्थ‚ अनेक मैनेजमेट स्कूलों मे विद्यार्थियों के प्रवेश और शिक्षकों की भर्ती में बुद्धि लब्धि (आई क्यू) पर काफी बल दिया जाता है। बुद्धिमान व्यक्तियों की विशेषता अति ऊर्जा आवेग‚ उपलब्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता होती है। काफी बुद्धिमान कर्मचारी कार्य में संबंधित कौशल और अन्य संगठनात्मक पद्धतियों को शीघ्रता से सीखते हैं तथा संगठन को उन्हें प्रशिक्षित करने में अपेक्षाकृत कम समय लगता है। उच्च बुद्धिमत्ता वाले लोगों में अच्छी विश्लेषणात्मक और तार्किक कौशल होने के कारण उनमें निर्णय लेने की अच्छी क्षमता होती है। उच्च उपलब्धि की ललक के साथ‚ ये लोग अधिकांशत: काफी सृजक होते हैं। जैसा कि कहावत है कि ‘किसी मूर्ख मित्र की तुलना में बुद्धिमान शत्रु बेहतर है।’ ऐसी उच्च बुद्धि-लब्धि (आई क्यू) के बावजूद बहुत बुद्धिमान लोग हमेशा अति प्रसन्न नहीं हो सकते हैं। उच्च बुद्धि-लब्धि उन्हे निष्क्रय बना देती है जिसकी परिणति उनकी चिंता और नैराश्य के रूप में होती है। आमतौर पर कहा जाता है कि उच्च बुद्धि-लब्धि वाले लोग प्राय: असंतुष्ट लोग होते हैं।
86. जब विद्यार्थी कक्षा में प्रथम आता है तो इसका श्रेय किसे दिया जाता है?
(a) संपर्क में रहने वाले व्यक्ति को
(b) बुद्धि को
(c) कठिन परिश्रम को
(d) शारीरिक सौष्ठव को
Ans : (b)
87. ‘भारांक’ के लिए दूसरा शब्द है
(a) क्रेडिट (b) द्रव्यमान
(c) भार (d) स्वतंत्रता
Ans : (a)
88. निम्नलिखित में से किसके दौरान उच्च ऊर्जा‚ अन्तर्न्तेद‚ उपलब्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता को महत्व दिया जाता है?
(a) प्रवेश (b) भर्ती
(c) पदोन्नति (d) प्रवेश और भर्ती
Ans : (d)
89. जो लोग कम समय में समस्या को समझ जाते हैं वे ………….. वाले होते हैं।
(a) उच्च बुद्धि-लब्धि (b) निम्न बुद्धि-लब्धि
(c) औसत बुद्धि-लब्धि (d) उत्तम बुद्धि-लब्धि
Ans : (a)
90. असंतोष प्राय: ……… वाले लोगों में देखा जाता है।
(a) सृजनात्मक कौशल (b) उच्च उम्मीद
(c) उत्तम निर्णय क्षमता (d) उच्च शैक्षणिक योग्यता
Ans : (c)
प्रश्न संख्या (91-95) के लिए− भारतीय संगठनों ने पारम्परिक रूप से अपने मानव संसाधन को विशिष्ट प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के एक साधन के रूप में नहीं माना है। इसके बजाए भारतीय व्यवसाय के प्रमुख के लिए‚ जन-प्रबंधन एक बड़ी चुनौती रही है। आज इस स्थिति में तेजी से परिवर्तन हो रहा है क्योंकि भारतीय संगठन पेशेवर मानव संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता को स्वीकार कर रहे है। साथ ही‚ प्रशिक्षित मानव संसाधन पेशेवरों की मांग में वृद्धि हो रही है। अधिकांश विश्वविद्यालयों में बिजनेस स्कूल्स मानव संसाधन पेशेवरों के प्रशिक्षण का दृष्टिगत रखकर विशिष्ट और आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहे है। संगठन अधिकाधिक रूप से मानव संसाधनों संबंधी उत्तरदायित्वों को संभालने के लिए लाइन-मैनेजरों को बढ़ावा दे रहे है। प्राचीन भारत अपने व्यवसाय आधारित अधिक्रम के लिए जाना जाता था। भारतीय ग्रन्थ-अर्थशास्त्र सुपरवाइजर और निष्पादन- आधारित पारिश्रमिक का उल्लेख किया गया है। वर्ष 1850 के बाद ही भारत में औपचारिक औद्योगिक संगठनों को अभ्युदय हुआ लेकिन वह 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद ही हुआ और व्यवसायिक संगठनों की कार्मिक प्रबंधन नीति में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया। स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि के मॉडल के रूप में मिश्रित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित दिया गया तो औद्योगिक संगठनों को मोटे तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया। चूंकि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को विशाल निवेश प्राप्त हुआ और ये इकाइयां सबसे बड़ी नियोक्ता बन गई जो कार्मिक प्रबंधन के प्रति उनके उपागम पर अत्यधिक ध्यान दिया गया। भारतीय संविधान में प्रतिष्ठापित समाजवादी समाज के लक्ष्य का निहितार्थ यह है मानव संसाधन का संरक्षण एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य बन गया। श्रमिकों के संरक्षण के लिए अनेक उपबंध किए गए। संगठनों को सभी कार्मिकों का ध्यान रखने के लिए कल्याण अधिकारियों की नियुक्ति करनी पड़ी। विकास के अगले चरण में भारतीय व्यवसायिक संगठनों में श्रमिक संघो और प्रबंधक संघों का अभ्युदय देखा गया। अधिकांश संगठनों में कार्मिक कार्यालयों की वृद्धि को अधिक बल मिला।
91. व्यवसायिक संगठनों की कार्मिक नीति में महत्त्वपूर्ण सुधार कब से देखा गया?
(a) 1850 (b) 1857
(c) 1940 (d) 1947
Ans : (d)
92. अनेक संगठनों के कार्मिक कार्यालयों में किस कारण से वृद्धि देखी गई है?
(a) भारत की स्वतंत्रता (b) औद्योगिक विकास
(c) संघो की अभ्युदय (d) श्रामिक-हितैषी नीतियां
Ans : (c)
93. प्राचीन भारत में अधिक्रम प्रणाली किस पर आधारित थी?
(a) वह कार्य‚ जो आपने किया
(b) वह परिवार‚ जिससे आप संबंधित थे
(c) वह स्थान‚ जहां आप रहते थे
(d) आपके जन्म का वर्ष
Ans : (a)
94. अधिकाधिक संगठन लाइन-मैनेजरों को क्या संभालने के लिए बढ़ावा दे रहे है?
(a) सम्पूर्ण संगठन
(b) मानव संसाधन के उत्तरदायित्व को संभालने के लिए
(c) कनिष्ठो के कार्यालय
(d) जन-सम्पर्क
Ans : (b)
95. मानव संसाधन के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को
(a) अतीत में नहीं समझा गया है
(b) वर्तमान में प्राप्त नहीं किया गया है
(c) अतीत में उपेक्षा नहीं की गई है
(d) भविष्य के लिये नियोजित नहीं किया गया है
Ans : (a)
Comprehension: भूगोल का प्रयोजन पृथ्वी की सतह के भौतिक और मानवीय संगठन को समझना है। भूगोल के क्षेत्र में अन्तर्सम्बन्धित विषय अक्सर दृष्टिगोचर होते हैं। ये हैं- पैमाना‚ अभिरचना और प्रक्रिया। पैमाना की परिभाषा संरचना के उस स्तर के रूप में दी जाती है‚ जिस पर किसी परिघटना का अध्ययन किया जाता है। अभिरचना की परिभाषा किसी मापनी विशेष में अध्ययन की गई परिघटना में पाए गए अंतर के रूप में दी जाती है। तीसरा विश्व प्रक्रिया पूर्ववर्ती दो विषयों को संयोजित करता है। प्रक्रिया की परिभाषा किसी मापनी विशेष में अभिरचना उत्पन्न करने के लिए किसी परिघटना कार्य को प्रभावित करने वाले कारकों के विवरण के रूप में दी जाती है। उदाहरणार्थ जब कोई विमान यात्री खिड़की से बाहर देखता है तो पैमानों के अनुसार दृश्य परिवर्तित होता है। वैश्विक स्तरपर जब कोई वायुयान अपनी ऊँचाई बरकरार रखता है तो वह बादल को उनकी सभी अभिरचना में देख सकता है‚ समय के अनुसार वह सूर्य या चन्द्रमा को भी देख सकता है। जब वायुयान थोड़ी कम ऊँचाई पर आता है तो यात्रियों को भूमि के विभिन्न स्वरूप और जल निकाय के अलग-अलग रंग दिखाई दे सकते हैं। महाद्वीपीय पैमाने पर यात्रियों को भूमि के विविध स्वरूप दिखाई देने के साथ-साथ उनके संवितरण का विन्यास भी दिखाई पड़ता है। यह अभिरचना भूमि और जल तथा इनमें से प्रत्येक की संख्या में अंतर से उभरती है। ध्यानपूर्वक देखने पर‚ यात्रीगण इस बात को नोट कर सकते हैं कि प्रत्येक भू-आकृति किस प्रकार दूसरे से संलयित होते हैं। और किस प्रकार प्रत्येक पर्वत में उस प्रक्रिया का संकेत मिलता है‚ जिससे होकर वह उभरकर आया। भूगोल में प्रक्रियाओं में नियमित तौर पर और पुनरावृत्तिक परिवर्तन होता है। इसका एक उदाहरण सूर्य और पृथ्वी का वार्षिक चक्र है। प्रकृति की अधिकांश प्रणालियों में कालचक्र प्रदर्शित होता है जो अपनी स्वयं की प्रणाली में संगठित होते हैं। चूंकि ये कालचक्र और नैसर्गिक प्रक्रियाएं सदैव सक्रिय रहती है‚ पृथ्वी का पर्यावरण सदैव गतिशील अवस्था में रहता है। यह पर्यावरणीय परिवर्तन केवल नैसर्गिक प्रक्रिया का परिणाम नहीं है अपितु मानवीय कार्यकलाप का भी परिणाम है। भौतिक भूगोल मनुष्य और प्रकृति के मध्य अंत: क्रिया की सूझबूझ की दिशा में कार्य करने के साथ-साथ इस अंत: क्रिया के परिणाम का भी अध्ययन करता है ताकि वैश्विक जलवायु परिवर्तन का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जा सके।
96. अन्य तत्वों के साथ भू-आकृतियों (लैंडमास) के लयन को विमानयात्री द्वारा किस पैमाने पर देखा जा सकता है:
(a) वैश्विक पैमाना (b) महाद्विपीय पैमाना
(c) स्थानीय पैमाना (d) समय का पैमाना
Ans : (b)
97. प्रकृति की कार्य प्रणाली के समय चक्र में उनके अपने स्वयं के ———- का पालन किया जाता है
(a) मार्ग (b) लय
(c) प्रक्रिया (d) चक्र
Ans : (b)
98. भौतिक भूगोल में मनुष्य और प्रकृति के मध्य अंत:क्रिया के परिणामों का अध्ययन किया जाता है ताकि
(a) वैश्विक जलवायु परिवर्तन के बारे में बोध हो सके।
(b) प्रकृति पर मनुष्य के क्रिया-कलापों के प्रभाव का अध्ययन किया जा सके।
(c) वैश्विक जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों का निराकरण किया जा सके।
(d) मनुष्य और जन्तु के बीच संघर्ष को कम किया जा सके।
Ans : (c)
99. भूगोल के अन्तर्गत अभिरचना अध्ययन में परिघटना में प्रेक्षित परिवर्तन किस स्तर पर देखा जाता है :
(a) किसी मापनी विशेष पर (b) किसी भी मापनी में
(c) प्रत्येक मापनी में (d) अधिकांश मापनी में
Ans : (a)
100. किसी विमानयात्री द्वारा खिड़की से बाहर देखा गया दृश्य निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होगा?
(a) प्रक्रिया (b) अभिरचना
(c) मापनी (d) लय
Ans : (c)
Read the passage carefully and answer question 101 to 105. नीचे दिए गए परिच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़े और प्रश्न 101 से 105 तक के उत्तर देंToday, in the digital age, who owns information owns the future. In this digital world, we face a fundamental choice between open and closed. In an open world information is shared by all freely available to everyone. In a closed world information is exclusively owned and controlled by a few. Today, we live in a closed world a world of extraordinary and growing concentration in power and wealth. A world where innovation is held back and distorted by the dead hand of monopoly; where essential medicines are affordable only to the rich, where freedom is threatened by manipuklation, exclusion and exploitation; and each click you make, every step you take/they will be watching you. By contrast, in an open world all of us would be enriched by the freedom to use enjoy and build on everythng from statistics and research to newspaper stories and books, from software and films to music and medical formulae. In an open world, we would pay innovators and creators more and more fairly, using market-driven remuneration rights in place of intellectual property monopoly rights. As they have improved, digital technologies have taken on ever more of the tasks that humans used to do, from manufacturing cars to scheduling appointments. And in the next few decades, artifical intelligence may well be not only driving our cars for us but drafting legal contracts and performing surgery. On the face of it, we have much to gain if machines can spare us tedious or routine tasks and perform them with greater accuracy. The danger, though, is that robots run on information-software, data algorithms and at present the own- earship of this sort of information is unequal. And because it is protected by our closed system of intellectual property rights. आज के डिजिटल युग में‚ जो सूचना का स्वामी है वही भविष्य का स्वामी होगा। इस डिजिटल दुनिया में हमें मुक्त और निर्मुक्त के बीच बुनियादी चयन करना हैं एक मुक्त संसार में सभी सूचना को साझा करते हैं-यानि यह सबसे के लिए रूप से स्वामित्व और नियंत्रण होता है। आज हम एक संवृत्त दुनिया में निवास करते हैं इस दुनिया में धन और शक्ति का असाधारण रूप से और सतत् केन्द्रीयकरण हो रहा है। एक दुनिया जहाँ नवाचार को अतिशत एकाधिकार द्वारा हतोत्साहित और विकृत किया जाता है‚ जहाँ आवश्यक दवायें सिर्फ अमीरों की पहुँच में हैं‚ जहाँ स्वतंत्रता के छल-साधन‚ बहिष्करण और शोषण के कारण खतरे में पड़ जाती हैं‚ और आपके द्वारा किये गये हर बल्कि उठाये गये हर कदम की वे निगरानी कर रहे हैं। इसके विपरीत‚ एक मुक्त दुनिया में हम सब हर चीज‚ जैसे सांख्यिकी और शोध से लेकर समाचार पत्र की रपटें और किताबें‚ सॉफ्टवेयर और फिल्म से ले कर संगीत और चिकित्सीय सूत्र‚ के प्रयोग ‚ उपयोग और संवर्धन की आजादी से लाभान्वित होंगे। एक मुक्त दुनिया में हम नवाचारकों और सर्जकों को बौद्धिक संपदा एकाधिकारों की बजाये बाजार चालित पारितोषिक अधिकारों के आधार पर ज्यादा से ज्यादा उचित भुगतान करेंगे। डिजिटल तकनीकों में सुधार के साथ आज वे कार निमार्ण से लेकर मुलाकात का समय तय करने तक मानव द्वारा किए जाने वाले ज्यादा से ज्यादा काम निपटा रही हैं। और आने वाले कुछ दशकों में‚ कृत्रिम प्रज्ञा न सिर्फ हमारे लिए कार चला रही हो सकती है बल्कि संभव है कि वह विधिक अनुबंध तैयार करने और शल्य चिकित्सा का काम भी करने लगे। प्रकटत: यदि मशीन हमारे दैनंदिन के जटिल कार्यों को ज्यादा कुशलता से करने लग जाए तो इससे हमें काफी फायदा होगा। हालांकि इसमें खतरा यह है कि रोबोट सूचना-सॉफ्टवेयर‚ आँकड़ा कलन-विधि के आधार पर चालित होते हैं और फिलहाल इस प्रकार की सूचना का स्वामित्व असमान है। और चूंकि यह हमारे संवृत्त बौद्धिक संपदा अधिकार तंत्र द्वारा संरक्षित है।
101. How will an open world function? एक मुक्त दुनिया कैसे कार्य करेगी?
(a) With limited choices/सीमित विकल्पों के साथ
(b) information is available to everyone सूचना सबको उपलब्ध होगी
(c) Information is exclusive सूचना विशिष्ट लोगों के पास होगी
(d) information is controlled/सूचना नियंत्रित होगी
Ans.(b)
102. Which of these characteristics of a closed world?एक संवृत्त दुनिया की क्या विशेषतायें है? (1) Concentration in power and wealth increases शक्ति और धन का केंद्रीकरण (2) Innovation in controlled/नवाचार नियंत्रित होता है (3) Only the rich have access to medicines दवाये सिर्फ अमीरों की पहुँच में होती है। (4) Freedom is manipulated स्वतंत्रता छल-साधित होती है। (5) Information is shared by all सब लोग सूचना साझा करते हैं। (6) Creativity is recognised रचनात्मक की स्वीकृति होती है
(a) (1)‚ (3)‚ (4) और (4)
(b) (2)‚ (3)‚ (4) और (5)
(c) (3)‚ (4)‚ (5) और (6)
(d) (4)‚ (5)‚ (6) और (1)
Ans.(a)
103. What is the status of intellectual property rights in an open world एक मुक्त दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकारों की क्या स्थिति हैं?
(a) They are monoploy rights वे एकाधिकारात्मक अधिकार होते हैं।
(b) Medical formulae are restricted चिकित्सीय सूत्र तक सीमित पहुँच होती है।
(c) Replaced by remuneration rights पारितोषिक अधिकारों द्वारा प्रतिस्थापित
(d) Protected proprietorial rights संरक्षित स्वामित्व अधिकार
Ans.(c)
104. What is the impact of digitial technologies on the present day world वर्तमान विश्व पर डिजिटल तकनीकों का क्या प्रभाव है?
(a) Creativity is sidelined रचनात्मकता उपेक्षित होती है।
(b) Mechanical accuracy is distorted यांत्रिक शुद्धता विकृत होती है।
(c) Tedious tasks see an upward trend जटिल कार्यों में बढ़ोत्तरी दिखती है।
(d) Human tasks are performed by machines मशीन मानवीय कार्य संपादित करते हैं।
Ans.(d)
105. The crux of the passage contains the following statements परिच्छेद के सार में निम्न कथन शामिल हैं- (1) Digital technology is dangerous डिजिटल तकनीक खतरनाक है। (2) Those who own information will own the future/जो सूचना के स्वामी हैं‚ वही भविष्य के स्वामी होंगे। (3) Artifical intelligence will do the human tasks कृत्रिम प्रज्ञा मानवीय कार्य संपादित करेगी। (4) Monopoly of digital technology has led to unequal ownership of information डिजिटल तकनीक के एकाधिकार से सूचना का असमान स्वामित्व उत्पन्न हुआ है। (5) intellectual property rights should be proected in an open world एक मुक्त संसार में बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण होना चाहिए। कूट:
(a) (1)़‚ (2) और (3) (b) (2)़‚ (3) और (4)
(c) (3)़‚ (4) और (5) (d) (4)़‚ (5) और (1)
Ans.(b)
निम्नलिखित अवतरण को पढ़िए तथा 106 से 110 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजिए : जब ब्रिटिश शासन देश के आर्थिक विकास को क्षति पहुंचाने वाला हो गया था तब भी उसने भारतीय समाज के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू करने तथा इस प्रक्रिया ने बहुत सी प्रगतिशील संस्थाओं को स्थापित करने में मदद की। अंगेजों द्वारा शुरू की गई हितकारी संस्थाओं में से एक था प्रजातंत्र। इस बात का कोई विरोध नहीं कर सकता कि बहुत सी कमियों के बावजूद लोकतंत्र भारत में ब्रिटिश शासन से पूर्व प्रचलित राजाओं तथा नवाबों के निरंकुश शासन का अच्छा और बेहतर विकल्प था। वैसे भारत ने ब्रिटिश लोकतंत्र की जो हानिकारक परम्परा अपनाई वह थी उसके निर्वाचित सदस्यों में सहयोग की अपेक्षा विरोध का भाव यह उसका अनिवार्य लक्षण था। वह पार्टी जिसको निर्वाचित सदस्यों का बहुमत प्राप्त होता था। वह सरकार बनाती थी जबकि अन्य सदस्य विपक्ष में होते थे। विपक्ष का अस्तित्व ही सत्ता में बैठे लोगों के लिए प्रजातंत्र का हॉलमार्क माना गया। सैद्धान्तिक दृष्टि से‚ प्रजातंत्र लोगों द्वारा शासन हैं‚ किन्तु जहां प्रत्यक्ष शासन सम्भव नहीं है‚ वहां लोगों द्वारा निर्वाचित सदस्यों का शासन होता है। यह स्वाभाविक है कि समाज के अन्य लोगों की तरह ही निर्वाचित सदस्यों के विचारों में भी कुछ मतभेद हो। सामान्यत: किसी भी संगठन के सदस्यों में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद होता है परन्तु वे सर्वसम्मति के आधार पर कार्य करते हैं तथा वे सामान्यत: जो सत्ता और बहुमत में हैं तथा अन्य जो विपक्ष में हैं उनमें भेद नहीं करते। संगठन के सदस्य प्राय: सर्वसम्मति से कार्य करते हैं। सर्वसम्मति का साधारण रूप से अर्थ है‚ पर्याप्त चर्चा के बाद बहुमत से पारित प्रस्ताव सदस्यों को उस समय स्वीकार होता है। अत: सदस्य‚ जो किसी मुद्दे पर बहुमत में होते हैं तथा जिनका प्रस्ताव स्वीकृत होता है‚ यह आवश्यक नहीं कि वे किसी अन्य मुद्दे पर मतभेद की स्थिति में एकमत ही हों। व्यापक रूप में‚ यह संयोग ही था कि इस सामान्य प्रफ्रिया की अपेक्षा ब्रिटेन में दो पार्टियों की व्यवस्था अभिभावी हुई‚ जिसे प्रजातान्त्रिक शासन की सबसे उत्तम पद्धति के रूप में अब सामान्यत: स्वीकार कर लिया गया है। भारत में प्रजातंत्र में प्रवृत्त बहुत से लोग दो दलों की व्यवस्था को देश में लागू करने में खिन्नता अनुभव करते हैं। ऐसा लगता है‚ भारत में लगभग बराबर शक्ति के दो दलों का होना – वस्तुत: असम्भाव्य है। दो दलों की व्यवस्था के अभाव के प्रति जो खिन्नता प्रकट करते हैं उनको इनके कारणों पर विचार करना चाहिए। ब्रिटेन प्रजातंत्र के कुछ सदस्य ऐसे थे (जिनकी लार्ड‚ नवाब सामन्ती व्यवस्था आदि में रुचि थी) तथा नए व्यावसायिक वर्ग के सदस्यों में व्यापारी और शिल्पी शामिल थे। इन समूहों का बल लगभग समान था तथा विभिन्न कालों में वे अपना पृथक् शासन स्थापित करने के योग्य थे।
106. ब्रिटिश-पूर्व काल में भारत जब स्वतंत्र शासकों द्वारा शासित था‚ तब
(a) समाज में शांति तथा समृद्धि परिव्याप्त थी।
(b) राजनीतिक मामलों से जनता असंपृक्त थी।
(c) नीति निर्धारण में जनमत आवश्यक था।
(d) कानून सबके लिए समान था।
Ans: (b)
107. ब्रिटेन में प्रचलित प्रजातंत्र के विशिष्ट लक्षण क्या हैं?
(a) जिसकी लाठी उसकी भैंस के शासन का अन्त
(b) जनता का जनता के लिए जनता द्वारा शासन
(c) यह समय की कसौटी पर खरा उतरा
(d) निर्वाचित सदस्यों में पारस्परिक सहयोग
Ans: (c)
108. प्रजातंत्र इनमें से क्या है?
(a) निर्वाचित सदस्यों का नीति निर्धारण के मुद्दों पर एकमत होना
(b) सत्ता पक्ष की अपेक्षा विपक्ष का अधिक शक्तिशाली होना
(c) आमजन के प्रतिनिधि
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans: (c)
109. भारत में ब्रिटिश शासन के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?
(a) यह भारतीय समाज के आधुनिकीकरण के पीछे था।
(b) इस अवधि में भारत को आर्थिक लाभ हुआ।
(c) प्रगति के उद्देश्य से विभिन्न संस्थाओं की स्थापना हुई।
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans: (c)
110. उस अवधि में नए व्यावसायिक वर्ग के सदस्य कौन हुए?
(a) ब्रिटिश-आभिजात्य वर्ग (b) लार्ड तथा नवाब
(c) राजनीतिज्ञ (d) व्यापारी तथा शिल्पी
Ans: (d)
Read the passage carefully and answer questions from 111 to 115. गद्यांश ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न संख्या 111 से 115 तक के उत्तर दीजिएThe phrase ‘public displomacy’ reflects multiple viewpoints and ideas and hence, dose not possess a unique, well-established conceptualisation. Yet, in simple words public diplomacy is the influence of nation on foreign audiences. Public diplomacy may also be defined as direct communication with foreign peoples, with the aim of affecting their thinking and ultimately, that of their goverments’. Heance, public diplomacy can be thought of asa process of a nation listening and understanding the needs of other countries and communicating its viewpoint to eventually build relationships. The focus on developing relationships is also indicated in the definition of public diplomacy as ‘the process by which direct relations are pursued with a country’s people to advance the interests and extend the values of those being represented. It is also highlighted that engagement and dialogue as key indicators of developing relationships in public diplomacy. “Effective public diplomacy is a two-way” street with reciprocal influence on both the source and reciever involved in the ongoing commuication process. The ongoing communication leads to developing lasting relationships with a foreign audience that bestows nation with soft power. Soft power is an advantage in world affairs and incites admiration and respect in other parts of the world. The soft power of a country is defined by three factors: its culture, political values and foreign policies. All these factors promarily rest on its ability to shape preference of others by using strategic communciation skills. We must remember that public diplomacy is not a public relations compaign, but to create on enabling environment for government policies. ‘‘सरकारी कूटनीति’’ पद से विविध विचार और दृष्टिकोण परिलक्षित होते हैं और इस प्रकार इसमें विशिष्ट‚ सुस्थापित अवधारणा सन्निहित नहीं है। तथापि सरल शब्दों में सरकारी कूट नीति की परिभाषा ‘‘विदेशी व्यक्तियों के चिंतन और अंतत्वोगत्वा उनकी सरकारों को प्रभावित करने के उद्देश्य’’ से उनके साथ प्रत्यक्ष संवाद के रूप में भी दी जा सकती है। अत: सरकारी कूटनीति को किसी राष्ट्र द्वारा अन्य देशों की बात सुनने और उनकी आवश्यकताओं को समझने और अंतत: संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से अपने विचार संप्रेषित करने की प्रक्रिया के रूप में भी समझा जा सकता है। सरकारी कूटनीति किसी भी राष्ट्र की अस्तिमता और पहचान पर आधारित होती है जो बहुत से कारकों अर्थात् राजनीतिक‚ सामाजिक‚ आर्थिक और सांस्कृतिक घटकों से प्रभावित होता है। बातचीत शुरू करने‚ संवाद को जारी रखने और संबंध बनाने के लिए विश्वास को एक अनिवार्य कारक के रूप में उजागर किया गया है। सरकारी कूटनीति की परिभाषा में सबंध विकसित करने पर जोर दिए जाने को भी ऐसी प्रक्रिया के रूप में निरूपित किया गया है जिससे देश की जनता के साथ प्रत्यक्ष संबंधों का अनुसरण किया जाता है ताकि जिन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है‚ उनके हितों और मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सके। इस बात को भी उजागर किया गया है कि सरकारी कूटनीति में संबंधों को विकसित करने के लिए संपर्क और संवाद महत्वपूर्ण निरूपक हैं। ‘‘प्रभावी सरकारी कूटनीति एक उभयदिशीय मार्ग है जिसमें दोत और जारी संचार प्रक्रिया में शामिल प्राप्तकर्ता दोनों पर परस्पर प्रभाव पड़ता है।’’ जारी संवाद की प्रक्रिया के फलस्वरूप विदेशी श्रोतागण के साथ चिरकालिक संबंध स्थपित हो पाता है जिससे राष्ट्रों को मृदु शक्ति प्राप्त होती है। मृदु शक्ति वैश्विक मामलों में लाभकारी होती है जिससे विश्व के अन्य हिस्से में प्रशंसा और सम्मान का भाव उत्पन्न होता है। किसी देश की मृदु शक्ति तीन कारकों-इसकी संस्कृति‚ राजनीतिक मूल्य और विदेशी नीतियेां से परिभाषित होती है। ये सभी कारक मुख्यत: रणनीतिक संचार कौशल का उपयोग करते हुए अन्य देशों की अधिमान्यता को स्वरूप प्रदान करने में इसकी अभियेाग्यता पर आधारित है। हमें स्मरण रखना चाहिए कि सरकारी कूटनीति जनसम्पर्क अभियान नहीं है बल्कि इसका प्रयोजन सरकारी नीतियों के समर्थकारी वातावरण का निर्माण करना है।
111. Identify the objective of public diplomacy. सरकारी कूटनीति के उद्देश्य को पहचानिए-
(a) Influence the antion/राष्ट्र को प्रभावित करना
(b) Communicatie directly with people जनता के साथ प्रत्यक्ष संवाद
(c) Affect the thinking of foreign governments विदेशी सरकारों की सोच को प्रभावित करना
(d) Conceptualise national listening राष्ट्रीय श्रवण की अवधारणा का निर्माण करना
Ans.(c)
112. What factors impact the identity of a nation? किन कारकों से किसी राष्ट्र की पहचान प्रभावित होती है?
(a) Political, social, economic and culture राजनीतिक‚ सामाजिक‚ आर्थिक और सांस्कृतिक
(b) national reputation/राष्ट्रीय अस्मिता
(c) Foreign audience/विदेशी श्रोतागण
(d) Different ideas/विभिन्न विचार
Ans.(a)
113. Direct relations are necessary with a country toनिम्नलिखित में से किस प्रयोजनार्थ किसी के साथ प्रत्यक्ष संबंध आवश्यक है?
(a) Pursue vested interest निहित स्वार्थ हित साधन के लिए
(b) Influence the communication source संचार के दोत को प्रभावित करने के लिए
(c) Advance the representative values प्रतिनिधिात्मक मूल्य को बढ़ावा देने के लिए
(d) highlight the key indicators महत्वपूर्ण निरूपकों को उजागर करने के लिए
Ans.(c)
114. The ongoing communication process will provideजारी संचार प्रक्रिया के फलस्वरूप-
(a) Development of foreign audience विदेशी श्रोता समूह का निर्माण होगा
(b) Advantageous soft power लाभकारी मृदु शक्ति उत्पन्न होगी
(c) Admiration for other countries अन्य देशों के प्रति सराहना का भाव उत्पन्न होगा
(d) Imposition of cultural values on others अन्य देशों पर सांस्कृतिक मूल्यों का अध्यारोपण होगा
Ans.(b)
115. What does the passage declare? इस गद्यांश से क्या निष्कर्ष निकलता है? (1) Public diplomacy is not for indirect relations with other countries सरकारी कूटनीति अन्य देशों के साथ अप्रत्यक्ष संबंध के निमित नहीं है। (2) Public diplomacy builds relations with other countries सरकारी कूटनीति से अन्य देशों के साथ संबंध का निर्माण होता है। (3) Trust is needed to sustain a dialogue किसी भी वार्ता को जारी रखने के लिए न्यास अपेक्षित है। (4) Strategic communication skills will help shape others Preference रणनीतिक संचार कौशल से अन्य देशों की अधिमान्यता को स्वरूप प्रदान करने में मदद मिलेगी। (5) public diplomacy is not public relations. सरकारी कूटनीति लोक संबंध नहीं है। (6) Soft power is not used to have a role in world affairs. मृदु शक्ति का प्रयोग वैश्विक मामलों में भूमिका के निमित नहीं है।
(a) (1)‚ (2)‚ (3) और (4)
(b) (2)‚ (4)‚ (5) और (6)
(c) (1)‚ (4)‚ (5) और (6)
(d) (2)‚ (3)‚ (4) और (5)
Ans.(d)
अधोलिखित अनुच्छेद को पढ़ें और प्रश्न संख्या 116 से 120 का उत्तर दें: अनेक उदाहरणों में ज्ञान का सृजन रचनात्मकता तथा विचारों की उद्भावना की अपेक्षा रखता है। वैकल्पिक निर्णय-समर्थक समाधानों की उद्भावना में यह विशेष महत्व रखता है। कुछ लोगों का यह मत है कि‚ व्यक्तिविशेष की रचनात्मक क्षमता का उद्भव वैयक्तिक गुणोंयथा आविष्कारी प्रवृत्ति‚ स्वातन्त्र्य‚ वैयक्तिकता‚ उत्साह और नमनीयता से होता है। परन्तु अनेक अध्ययनों से यह पता चला है कि रचनात्मकता‚ जिसे पहले व्यक्ति-विशेष के गुणों का कृत्य माना गया था‚ वह गुणों का उतना परिणाम नहीं है और वैयक्तिक रचनात्मकता सीखी जा सकती है और उसका सुधार भी हो सकता है। इस विचार ने अविष्कारी कम्पनियों को यह आभास कराया है कि विचारसृजक कार्य-वातावरण का विकास रचनात्मकता के संवर्धन की कुंजी है। परिणामत: व्यक्तियों अथवा समूहों के द्वारा प्रयोज्य विधियों तथा तकनीकों का विकास किया जा रहा है। विचार-सृजन के समर्थन के लिए मानवीय विधियां-यथा विचारों का आदान-प्रदान कुछ परिस्थितियों में अत्यन्त सफल हो सकती हैं‚ परन्तु अन्य परिस्थितियों में यह प्रस्ताव न आर्थिक दृष्टि से साध्य है और न सम्भव है। उदाहरण के लिए‚ मानवीय विधियां सामूहिक रचनात्मकता के क्षणों में नहीं कार्य कर सकेंगी या प्रभावी नहीं होगी‚ जब (1) उचित विचारसृ जन सत्र को संचालित करने के समय का अभाव हो‚ (2) सुविधा देने वाला अक्षम हो (या सुविधा देने वाला कोई भी न हो)‚ (3) विचार-सृजन का सत्र संचालन अन्तन्त व्यवसाध्य हो‚ (4) आमनेसामने के सत्र के लिए विषय-वस्तु अत्यन्त संवेदनशील हो‚ अथवा (5) पर्याप्त प्रतिभागी न हों‚ प्रतिभागियों का सम्मिश्रण इष्टतम न हो या विचार-सृजन का वातावरण न हो। ऐसी परिस्थितियां में‚ कम्प्यूटर के द्वारा विचार-सृजन की विधियों का प्रयोग किया गया है‚ इसमें पर्याप्त सफलता भी मिली है। विचार-सृजन का सॉफ्टवेयर एक व्यक्ति के या समूह के लिए किया गया है‚ जो व्यक्ति या समूह को नए विचारों‚ विकल्पों और (विचारों के) चयन के लिए प्रेरित करता है। प्रयोक्ता सारा कार्य करता है‚ पर सॉफ्टवेयर‚ एक प्रशिक्षक के समान उसे प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। यद्यपि विचार-सृजन का सॉफ्टवेयर अपेक्षाकृत अभी नया है‚ फिर भी बाजार में इसके अनेक ‘पैकेज’ उपलब्ध हैं। विचार-सृजन सॉफ्टवेयर के प्रयोक्ता के द्वारा विचारों के प्रवाह की अभिवृद्धि के लिए विविध विधाओं का प्रयोग किया जा रहा है। उदाहरणार्थ‚ अंग्रेजी भाषा के सह-शब्दकोष- आइडियाफिशर में‚ ऐसे प्रतिसन्दर्भ‚ शब्द और वाक्य हैं। इन सम्बन्धपरक कड़ियों ने प्रयोक्ता को विषय-विशेष से सम्बन्धित शब्दों का ‘फीड’ (भरण) आसान बना दिया है। कुछ ‘सॉफ्टवेयर पैकेज’ ऐसे प्रश्नों का प्रयोग करते हैं‚ जो प्रयोक्ता को नए अनन्तिष्ट विचार सारणियों के ‘प्रयोग के प्रति प्रेरित करते’ हैं। यह प्रयोक्ताओं को चक्रिक चिन्तन की परिपाटी से मुक्त करने में‚ उनके मानसिक अवरोधों पर विजय पाने तथा उनकी दीर्घसूत्रता के दौर को दूर करने में सहायक होता है।
116. उपर्युक्त उद्धरण में लेखक ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है:
(a) ज्ञान-सृजन पर (b) विचारों की उद्भावना पर
(c) रचनात्मकता पर (d) वैयक्तिक गुणों पर
Ans: (a)
117. रचनात्मक के सम्वर्धन के वातावरण के लिए अपेक्षित है:
(a) निर्णय-समर्थन पद्धति (b) विचार-सम्वर्धन
(c) निर्णय-समर्थक समाधान (d) वैकल्पिक वैयक्तिक कारण
Ans: (c)
118. विचार की उद्भावना के लिए मानवीय तरीके‚ कुछ परिस्थितियों में :
(a) विकल्पत: प्रभावी हैं।
(b) कम व्ययसाध्य हैं।
(c) सुविधाप्रदायक की अपेक्षा नहीं रखते हैं।
(d) इष्टतम प्रतिभागियों का सम्मिश्रण अपेक्षित है।
Ans: (c)
119. विचारों की उद्भावना का सॉफ्टवेयर कार्य करता है:
(a) प्रेरणाप्रदाता के रूप में
(b) ज्ञान के ‘पैकज’ के रूप में
(c) प्रयोक्ता के मित्र प्रशिक्षक के रूप में
(d) वातावरण-सृजक के रूप में
Ans: (a)
120. मानसिक अवरोध‚ दीर्घसूत्रता के दौर तथा चक्रिक चिन्तन की परिपाटी पर तभी विजय पायी जा सकती है‚ जब:
(a) आविष्कारी कम्पनियां ‘इलेक्ट्रॉनिक’ चिन्तन-विधियों को अपनाएं।
(b) विचारों की उद्भावना के सॉफ्टवेयर प्रश्नों को प्रेरित करें।
(c) मानवीय विधियां समाप्त हों।
(d) व्यक्ति सॉफ्टवेयर के प्रति स्वाभाविक रूझान रखें।
Ans: (a)
121. इस उद्धरण का पाठ कुछ प्रश्नों को प्रतिबिम्बित कराता है या उठाता है:
(a) निर्वाचन आयोग की सत्ता को चुनौती नहीं दी जा सकती
(b) इससे भारतीय राजनीति के अपराधीकरण को रोकने में सहायता मिलेगी
(c) इससे चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या में कमी होगी
(d) यह निष्पक्ष एवं निर्बाध चुनाव को सुनिश्चित करेगा
Ans: (d)
122. इस उद्धरण के अनुसार संविधान की अनुच्छेद संख्या. . . के अन्तर्गत निर्वाचन आयोग एक स्वतन्त्र सांवैधानिक प्राधिकार है।
(a) 324 (b) 356
(c) 246 (d) 161
Ans: (a)
123. निर्वाचन आयोग की स्वतन्त्रता का अर्थ है:
(a) सांवैधानिक दर्जा होना
(b) विधायी शक्तियां धारण करना
(c) न्यायिक शक्तियां धारण करना
(d) राजनीतिक शक्तियां धारण करना
Ans: (a)
124. निष्पक्ष एवं निर्बाध चुनाव का अर्थ है:
(a) पारदर्शिता
(b) कानून एवं व्यवस्था कायम रखना
(c) क्षेत्रीय बातों पर ध्यान देना
(d) दबाव-समूहों के लिए भूमिका
Ans: (b)
125. अनुच्छेद ________के अन्तर्गत मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से हटाया जा सकता है।
(a) 125 (b) 352
(c) 256 (d) 324
Ans: (d)
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 126 से 130 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजिए : करीब तीन दशकों तक हीरोइनों के चपटे पेट की आभूषण जड़ित नाभियों के इर्द-गिर्द सिमटे रहने के बाद मुम्बइया फिल्म उद्योग भारतीय मूल की जोशीली गुरिन्दर चड्ढा की बल्ले-बल्ले के साथ भारत और खुद अपनी तलाश में जुट गया है। चार प्रमुख निर्देशकों की 30-30 करोड़ रु. से अधिक के बजट वाली और शीघ्र ही रिलीज होने वाली चार फिल्मों में यह जानने की कोशिश तो की ही गई है कि हम कौन हैं‚ दूसरों को भी पुन: परिभाषित किया गया है। यह बुनियादी प्रश्न है जिसका उत्तर ढूंढने से शोशेबाज लोग कतराते हैं। यह ऐसा सवाल भी है जो रोशनी मद्धिम होने और प्रोजेक्ट चलने के साथ ही दर्शकों को बांध देता है। एक राष्ट्र राज्य के लघु में हम है कौन? एक कौम के रूप में हम कहां जा रहे हैं? जर्मनों ने इसके लिए एक शब्द ईजाद किया था-जाइटगीस्ट। यश चौपड़ा शायद इसका उच्चारण भी न कर सकें। किन्तु 72 वर्षीय चौपड़ा ही ऐसे व्यक्ति हैं जो इसे बखूबी दर्शा सकते हैं। भारतीय मूल के लोगों को परदे पर (1991 के लम्हे में) दिखाने वाले पहले फिल्मकार का दर्जा हासिल करने के बाद वे नई फिल्म वीर जारा में अपनी जड़ों की ओर लौट आए हैं। यह फिल्म 1986 के दौर पर आधारित है जिसमें पाकिस्तान को जो कि पारस्परिक रूप से पराया है‚ वह हिस्सा जो अलग हो गया-प्रेमी और उद्धारकर्ता के रूप में दिखाया गया है। 1947 के दौर पर आधारित सुभाष घई की ‘किसना’ में पराए के रूप में अंग्रेज महिला को दिखाया गया है। वह कोई मेमसाहब नहीं बल्कि महबूबा है। केतन मेहता की ‘द राइजिंग’ में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अंग्रेज असंख्य लोगों को सताने वाला दुष्ट नहीं‚ जो जुएल इन द क्राउन से लेकर कर्मा तक फैला हुआ है‚ बल्कि इज्जतदार दोस्त है। वस्तुत: मनोज कुमार की देश की धरती एक अलग फिल्म है- उसमें संस्कृति है‚ विवादास्पद राजनीति नहीं‚ बल्ले-बल्ले हैं‚ बॉज्ब नहीं दूरियां नहीं नजदीकियां हैं। ये चारों फिल्में हीरो और हीरोइन का एक नया चेहरा प्रस्तुत कर रहा है। इस नए हीरो में कमजोरियां हैं‚ वह संवेदनशील हैं‚अपने धर्म के प्रति निष्ठावान है लेकिन असफलता से डरता नहीं है-वह युवक कम‚ पुरुष ज्यादा है। उसका नाम भी परिपक्वता का प्रतीक है‚ ‘वीर जारा’ में वीर प्रतापसिंह और ‘स्वदेश’ में मोहन भार्गव। नई हीरोइन कोई कमसिन शोख हसीना नहीं है बल्कि पारम्परिक पंजाबी लिबास में ठेठ भारतीय काया वाली बेब हैं‚ जैसी कि गुरिन्दर चड्ढा की ब्राइड एण्ड प्रेज्युडिस में दिखती है।
126. यश चौपड़ा किस शब्द को बोलने में समर्थ नहीं हो सकेंगे?
(a) ज्लिंग + ज्लिंग (b) जाइटगीस्ट
(c) मोंटाज (d) दूरियां
Ans: (b)
127. 1991 में लम्हें किसने बनाई थी?
(a) सुभाष घई (b) यश चौपड़ा
(c) आदित्य चौपड़ा (d) शक्ति सामन्त
Ans: (b)
128. मनोज कुमार से कौन-सी फिल्म सम्बन्धित है?
(a) ज्यूल इन द क्राउन (b) किसना
(c) जारा (d) देश की धरती
Ans: (d)
129. यश चौपड़ा की नवीनतम फिल्म कौन-सी है?
(a) दीवार
(b) कभी-कभी
(c) दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे
(d) वीर जारा
Ans: (d)
130. वीर जारा में हीरोइन की ड्रेस क्या है?
(a) परम्परागत गुजराती कपड़े (b) परम्परागत बंगाली कपड़े
(c) परम्परागत पंजाबी कपड़े (d) परम्परागत मद्रासी कपड़े
Ans: (c)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए एवं 131 से 135 के प्रश्नों के उत्तर दीजिए : समस्त राजनैतिक प्रणालियों को वैयक्तिक सम्पत्ति और जनता की शक्ति के बीच के सम्बन्धों में मध्यस्थता करने की आवश्यकता होती है। जो इसमें असफल होते हैं उनकी सरकार पर धनी वर्ग के हितों के दबाव में आकर ठीक से काम न कर पाने का खतरा बना रहता है। भ्रष्टाचार इस असफलता का एक लक्षण है जिसमें व्यक्ति पैसे देने को (रिश्वत) तैयार रहता है और इससे सार्वजनिक हित का लक्ष्य पूरा नहीं होता। प्राइवेट व्यक्ति और वाणिज्य प्रतिष्ठान अपना दैनन्दिन काम निकालने के लिए नौकरशाही के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को पैसा देते हैं। वे अपने टैक्स कम करने के लिए तथा सख्त कानूनों से बचाने के लिए रिश्वत देते हैं और ऊंची दरों पर ठेके प्राप्त करते हैं तथा प्राइवेट प्रतिष्ठानों को कम कीमत पर रियायतें प्राप्त करवाते हैं। यदि भ्रष्टाचार एक बीमारी बन चुका है तो नौकरशाह और जनप्रतिनिधि दोनों मिलकर जनता के हित की योजनाओं को व्यक्तिगत लाभ के लिए बदल सकते हैं जिसमें जनता का हित कम और व्यक्तिगत लाभ के अवसर अधिक होते हैं। वास्तव में रिश्वत कमीशन और बड़े सौदों में हिस्सा सरकार की असफलता का एक प्रकार है। अच्छे अभिशासन के लिए प्रयास भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से अधिक व्यापक होना चाहिए। सरकारें ईमानदार‚ किन्तु अकुशल हो सकती है जिसका कारण कर्मचारियों को उनकी उत्पादकता के कार्य के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता और राज्य के छोटे अधिकारियों द्वारा नीति को बहुत अधिक प्रभावित करता है। रिश्वत सुस्त कामचोर को कठिन मेहनत करने की प्रेरित कर सकती है और जो भीतरी चौकड़ी में शामिल नहीं है उन्हें पैसे का लाभ प्राप्त करने का अवसर देती है। फिर भी इन मामलों में भी भ्रष्टाचार केवल इन काम के (functional) क्षेत्रों तक सीमित नहीं किया जा सकता। जब भी वैयक्तिक लाभ सकारात्मक माना जाएगा तो वहां प्रलोभन अवश्य रहेगा‚ यह कठोर वास्तविकता की तर्कसंगत अनुक्रिया (response) है‚ लेकिन कालान्तर में यह विकराल रूप धारण करेगी।
131. जो सरकारें व्यक्तिगत सम्पत्ति और सार्वजनिक शक्ति के भेद के ऊपर ध्यान केन्द्रित करने में असफल होती है‚ उनके निम्नलिखित बनने की सम्भावना होती है?
(a) प्रकार्यात्मक (b) अप्रक्रियात्मक
(c) सामान्य प्रकार्यात्मकता (d) अच्छा अभिशासन
Ans: (b)
132. बुरे अभिशासन का एक महत्वपूर्ण लक्षण है:
(a) भ्रष्टाचार
(b) उच्चतम कर
(c) पेचीदे अधिनियम और विनियम
(d) महंगाई
Ans: (a)
133. जब भ्रष्टाचार सर्वत्र व्याप्त हो तो सरकारी कर्मचारी हमेशा निम्नलिखित के लिए अवसरों की तलाश में रहते हैं:
(a) सार्वजनिक हितों के लिए
(b) सार्वजनिक लाभ के लिए
(c) व्यक्तिगत लाभ के लिए
(d) कंपनी के मुनाफे के लिए
Ans: (c)
134. सार्वजनिक/व्यक्तिगत कर्मचारियों के लिए उत्पादकता से प्रोत्साहन को जोड़ा जाना निम्नलिखित का संकेतक है:
(a) कार्यकुशल सरकार (b) बुरा अभिशासन
(c) अकुशल सरकार (d) भ्रष्टाचार
Ans: (a)
135. बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने का उपाय है:
(a) व्यक्तिगत मुनाफा
(b) भ्रष्टाचार विरोधी अभियान
(c) अच्छा अभिशासन
(d) कमीशन और हिस्सा देना
Ans: (c)
नीचे लिखे गद्यांध को पढ़िए और प्रश्न संख्या 136 से 140 तक के प्रश्नों का उत्तर दीजिए। गांधीजी का सामाजिक व पर्यावरण दर्शन सर्वग्राही रूप से मनुष्य क्या चाहते हैं पर आधारित न होकर‚ उनकी आवश्यकताओं पर आधारित है। जीवन के आरम्भ में जैनियों‚ थियोसॉफिकल‚ ईसा के उपदेशों‚ रस्किन और टाल्सटाय और सबसे महत्वपूर्ण भगवद्गीता के परिचय ने उनकी सर्ववादी मानवता‚ प्रकृति उसके पर्यावरणीय अन्तर्सम्बन्ध के चिन्तन पर गहरा प्रभाव डाला साधनहीन ग्रामीण जनता के प्रति उनके मन में एक वैकल्पिक सामाजिक चिन्तन का विचार पनपा‚ जो दूरदर्शी स्थानीय और तात्कालिक था। गांधीजी इस बात से पूरी तरह जागरूक थे कि प्राकृतिक संसाधनों की तुलना में जनता के लिए भोजन जुटाने की मांग कही ज्यादा थी‚ और औद्यागीकरण ने इसे और जटिल बना दिया था। यह बात आज जितनी सामान्य और भोली लगती है लेकिन एक शताब्दि पहले यह उद्घोषणा धर्मद्रोही जैसी विरल थी। गांधी आधुनिकतावादी‚ औपनिवेशिक षड्यंत्र के अन्तर्गत पर्यावरण के प्रति संवेदनशील मौजूदा ढांचे के विनाश की आशंका से चिन्तित थे। इन मौजूदा ढांचों में भरण-पोषण की पारम्परिक रीति से सम्पन्न बनाने की अपार सम्भावनाएं थीं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बजाय मानव आत्मा एवं शक्ति को दास बनाने वाली वैकल्पिक अन्धी पश्चिमी टेक्नोलॉजी के। शायद गांधीजी का जो नैतिक सिद्धान्त सबसे अधिक जाना जाता है वह है सक्रिय अहिंसा‚ दूसरे जीवों को दुख न पहुंचाना पारम्परिक नैतिक संयम से व्युत्पन्न। इस मूल्य की सर्वाधिक परिष्कृत अभिव्यक्ति महाभारत महाकाव्य (100 से 200 ई. पू.) में मिलती है जहां मानव की निरंतर स्वतंत्रताओं‚ इच्छाओं और संग्रह के ऊपर नियंत्रण लगाने से नैतिक विकास होता है। मनुष्य कार्यों का मूल्यांकन दूसरों के ऊपर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा‚ इसमें मापा जाता है। जैनियों ने इस सिद्धांत को समस्त चैतन्य तथा जीव-जन्तुओं पर समान रूप से लागू किया है। अग्रणी जैन मुनि और भिक्षुणियां जीवों व कृमियों की हत्या न हो इसलिए रास्ते को झाडू से बुहारते हैं। अहिंसा सार्वभौम आदेश है‚ जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
136. निम्नलिखित में से गांधीजी की मानवता‚ प्रकृति और उसके पर्यावरण से अंतर्सम्बन्धों की सर्ववादी विचारधारा के विकास के ऊपर किसका गहरा प्रभाव पड़ा है?
(a) जैन शिक्षाओं का (b) ईसाई प्रवचनों का
(c) भगवद्गीता का (d) रस्किन और टाल्सटाय का
Ans: (c)
137. गांधीजी का सर्वग्राही सामाजिक व पर्यावरणीय दर्शन मनुष्यों की.. . . .पर आधारित है।
(a) ग्रामीण नीति (b) इच्छाएं
(c) धन (d) कल्याण
Ans: (a)
138. गांधीजी का साधनहीन लोगों‚ गरीबों एवं ग्रामीण जनता के प्रति गहरी चिन्ता से किस वैकल्पिक व्यवस्था का विचार पनपा है?
(a) आवश्यकताएं (b) सामाजिक चिंतन
(c) शहरी नीति (d) आर्थिक चिन्तन
Ans: (b)
139. औपनिवेशिक नीति और आधुनिकीकरण .. . को विनाश की ओर ले गई।
(a) विशाल औद्योगिक आधारिक संचना
(b) सिंचाई आधारिक संरचना
(c) शहरी आधारिक संरचना
(d) ग्रामीण आधारिक संरचना
Ans: (d)
140. गांधीजी की सक्रिय अहिंसा…से व्युत्पन्न है।
(a) दूसरे व्यक्ति को चोट न पहुंचाने का नैतिक निग्रह
(b) स्वतंत्रता‚ इच्छाएं और सम्प्राप्तियों का होना
(c) कार्य करने की स्वतंत्रता
(d) प्रकृति के विरुद्ध अन्धी टेक्नोलॉजी तथा मानव आत्मा एवं शक्तियों को दास बनाना।
Ans: (a)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और प्रश्न 141 से 145 तक के उत्तर दीजिए : मूल सिद्धांत यह है कि धारा 14 वर्ग आधृत विधि-निमार्ण को वर्जित करती है‚ किन्तु विधि निर्माण के उद्देश्य से‚ तर्कसंगत वर्गीकरण की अनुमति देती है‚ जो उन व्यक्तियों और वस्तुओं के बीच भेद करती है : जिन्हें एक वर्ग में रखा गया है‚ जो उसके विपरीत हैं और इन वर्गों के बीच का भेद का एक तर्कसंगत अभिबन्ध (nexus) होना चाहिए‚ जिस कानून (statute) को बनाकर यह उद्देश्य पूरा होता है। धारा 14 का बल इस बात पर है‚ कि कानून के समक्ष प्रत्येक नागरिक समानता एवं कानूनी संरक्षण का हकदार है। नैसर्गिक रूप से समाज में असमानता है एक कल्याणकारी राज्य को विधायी एवं कार्यकारी रूप से समाज के कम भाग्यशाली (कमजोर) वर्ग के लोगों की दशा सुधारने के लिए प्रयत्न करना होगा ताकि समाज में सामाजिक एवं आर्थिक असमानता की खाई पाटी जा सके। इससे उन नागरिकों की दशा सुधारने के लिए विधि निर्माण की आवश्यकता होगी‚ जो इस सकारात्मक कार्रवाई का उद्देश्य है। वर्गीकरण के सिद्धान्त के अभाव में‚ इस प्रकार के विधान का धारा 14 में वर्णित समानता के सिद्धान्त का भटक जाना सम्भव है। यथार्थ रूप से सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को समझते हुए संविधान के भाग IV में वर्णित जिन दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए राज्यों के लिए जो कार्रवाई अनिवार्य है‚ न्यायालय ने उसके लिए वर्गीकरण के सिद्धान्त विकसित किए हैं। यह सिद्धान्त समाज के कमजोर तथा दूसरे जरूरतमन्द तबकों के लिए कानून बनाने तथा सकारात्मक कार्रवाई को सुदृढ़ करने के लिए विकसित किया गया था। इस प्रकार की विधायी तथा कार्यपालिका की कार्रवाई को तभी पुष्ट किया जा सकता है‚ यदि वह तर्कसंगत वर्गीकरण तथा उद्देश्य प्राप्ति के बीच के सहसम्बन्ध के युगल सिद्धान्तों के परीक्षण पर खरा उतरता हो। कानून के समक्ष समानता की संकल्पना/अवधारणा में‚ मनुष्यों के बीच सम्पूर्ण रूप से समानता शामिल नहीं है जो भौतिक रूप से असम्भव है। धारा 14 में जिस बात की गारण्टी दी गई है वह है विशिष्ट का भेदन करके सबके साथ समान व्यवहार कानून के समक्ष समानता का अर्थ है। समान नियम के समक्ष सभी (नागरिक) समान हैं और उनको सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए। कानून के समक्ष समानता का अर्थ यह नहीं है जो चीजें भिन्न हैं वे भी समान हैं। वास्तव में इसका अर्थ है‚ जन्म‚ जाति और अन्य किसी आधार पर विशेषाधिकारों का निषेध। विधायिका तथा शासक सरकार को‚ मानव सम्बन्धों से उत्पन्न कई प्रकार की समस्याओं का समाधान करते समय‚ विशेष नियम बनाने का अधिकार होना चाहिए ताकि वह किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त कर सके तथा उसकी प्राप्ति के लिए उसे व्यक्तियों को वर्गीकृत कर सके‚ जिन पर ऐसे नियम लागू होने हैं।
141. संविधान में प्रतिज्ञापित मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार किसके अन्तर्गत आता है?
(a) धारा 12 का भाग III (b) धारा 13 का भाग III
(c) धारा 14 का भाग III (d) धारा 15 का भाग III
Ans: (c)
142. समानता के अधिकार का मुख्य जोर यह है कि‚ वह अनुमति देता है:
(a) वर्ग विधायन को
(b) कानून के समक्ष समानता और समान कानूनी संरक्षण को
(c) सम्पूर्ण समानता को
(d) जन्म के आधार पर विशेषाधिकार को
Ans: (b)
143. समाज में सामाजिक एवं आर्थिक असमानता को दूर किया जा सकता है :
(a) कार्यपालिका और विधायी कार्यवाई द्वारा
(b) सार्वभौतिक मताधिकार द्वारा
(c) समान व्यवहार द्वारा
(d) उपर्युक्त में कोई नहीं
Ans: (a)
144. वर्गीकरण का सिद्धान्त निम्नलिखित उद्देश्य से विकसित किया गया है:
(a) समाज के कमजोर वर्गों की सहायता के लिए
(b) पूर्ण समानता के लिए
(c) समान व्यवहार के लिए
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans: (a)
145. अनेक प्रकार के मानव सम्बन्धों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करते समय सरकार को :
(a) कई प्रकार के दृष्टिकोण रखने का अधिकार होना चाहिए।
(b) कई प्रकार के दृष्टिकोण रखने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
(c) समान अधिकार वापस लेने का अधिकार होना चाहिए।
(d) उपर्युक्त में से कोई नही।
Ans: (d)
निम्नांकित परिच्छेद ध्यान से पढ़िए और नीचे दिए प्रश्नों (146 से 150) का उत्तर दीजिए : आमूल रूप से बदल रहे मानसून प्रारूप‚ शीत ऋतु की धान की उपज और श्वास रोगों में काफी वृद्धि सभी पर्यावरणीय कयामत परिदृश्य का हिस्सा है जिसका दक्षिण एशिया में बाजा बज रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम रिपोर्ट के अनुसार‚ राख‚ अम्ल‚ वायुधुन्ध एवं अन्य कणों से युक्त प्रदूषण के घातक तीन किमी. लम्बे गहन आवरण के भयानक कॉकटेल ने इस क्षेत्र को आच्छादित किया हुआ है। भारत‚ जो पहले ही सूखे की स्थिति से जूझ रहा है‚ के लिए इसका निहितार्थ सर्वनाश ही है और फसल की और विफलता का अर्थ बहुत से भारतीयों के लिए जीवन एवं मौत के समान होगा। अपरिपक्व मौतों में वृद्धि के प्रतिकूल सामाजिक व आर्थिक प्रभाव होंगे और रुग्णता (रोगों) वृद्धि हमारी जीर्ण स्वास्थ्य‚ व्यवस्था पर असहनीय भार डालेगी। इसके लिए हम अपने सिवाय किसी अन्य को दोषारोपित नहीं कर सकते हैं। सरकारी एवं कॉरपोरेट भारत दोनों ही स्वच्छ प्रौद्योगिकी के किसी भी जिक्र के प्रति हमेशा से एलर्जिक रहें हैं। अधिकांश यान्त्रिक द्वि-पहिया वाहन‚ प्रदूषण नियन्त्रण की उचित व्यवस्था के बिना ही एसेम्बली लाईन से बन कर निकलते हैं। सरल प्रौद्योगिकीयों‚ जो लोगों के जीवन एवं पर्यावरण में मार्मिक परिवर्तन ला सकती हैं‚ पर आर एवं डी के लिए कम प्रयत्न किया जाता है। तथापि‚ जबकि इससे कोई इन्कार नहीं कि दक्षिण एशिया को अपने कृत्य को स्वच्छ करना चाहिए‚ शंकाशील लोग हेज रिपोर्ट के समय के बारे में प्रश्न खड़ा कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन पर क्यिोटो अधिवेशन के होने में सिर्फ दो हफ्ते ही रह गए हैं और विकासशील विश्व एवं पश्चिम‚ विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रायिक युद्ध के लिए स्थिति तैयार हो गई है। राष्ट्रपति बुश ने किसी भी कच्चे मसौदे (प्रोटोकल) पर हस्ताक्षर करने से दृढ़ता से इन्कार कर दिया है‚ जबकि इसका अर्थ अमेरिका के उपभोग स्तर में परिवर्तन का होगा। यू.एस. पर्यावरण रिपोर्ट शायद संयुक्त राज्य अमेरिका की शस्त्रशाला में स्थान प्राप्त कर सकेगी क्योंकि उसके संयन्त्र भारत और चीन जैसे नियन्त्रणों की ओर आरोपी अंगुली उठा रहे हैं। फिर भी‚ यू.एस.ए. कारोबारी कोटा (नियतांश) समाप्त करने के मामले में अपनी संदिग्ध भूमिका से शायद ही इन्कार कर सकेगा। धनी देश‚ गरीब देशों से आसानी से अत्यधिक ऋण खरीद सकते हैं और प्रदूषण जारी रख सकते हैं। बजाए इसके कि विकासशील देशों का ज्यादा अच्छा करने की कोशिश करें‚ जिन्होंने‚ बेशक पश्चिम के साथ चलने की अपनी कोशिश में पर्यावरणीय संक्षिप्त उपाय किए हैं। यू.एस.ए. को अपनी देश में व्याप्त पर्यावरणीय दुराचार को देखना चाहिए। तेल की खोज के लिए अछूते क्षेत्रों को खोलने से लेकर पेय जल के मानक शिथिल करने तक‚ बुश की नीतियां वास्तव में लाभदेय नहीं हैं‚ अमेरिका के हितों के लिए भी नहीं। हमने समझ लिया कि इसमें हम सभी संलग्न हैं और किसी भी क्षेत्र में प्रदूषण हो वो वैश्विक सरोकार होना चाहिए अन्यथा गुफा के अन्त में सिर्फ ज्यादा गुफाएं ही होंगी।
146. सरकारी एवं कॉरपोरेट भारत दोनों किसके प्रति एलर्जिक हैं?
(a) मानसून की विफलता
(b) निर्धनता एवं असमानता
(c) औद्योगिक उत्पादन की मन्दगति
(d) स्वच्छ प्रौद्योगिकी का जिक्र
Ans: (d)
147. यदि अपरिपक्व मृत्यु की दर बढ़ती है तो यह :
(a) जीर्ण-शीर्ण अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त भार डालेगी
(b) प्रतिकूल सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव डालेंगी
(c) जनसंख्या नियन्त्रण के हमारे प्रयत्न पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी
(d) समाज में नौकरी के उम्मीदवार कम होंगे
Ans: (b)
148. परिच्छेद के अनुसार द्वि-पहिया उद्योग किसके बारे में पर्याप्त सरोकार नहीं रखता है :
(a) सड़कों पर यात्रियों की सुरक्षा
(b) वाहन स्वामी का जीवन सुरक्षा बीमा
(c) वाहन में प्रदूषण नियन्त्रण व्यवस्था
(d) द्वि-पहिया वाहन की बढ़ती लागत
Ans: (c)
149. क्योटो अधिवेशन के बिल्कुल पहले ही हेज रिपोर्ट के समय निर्धारण के पीछे क्या कारण होगा?
(a) संयुक्त राष्ट्र यू.एस.ए. के साथ मिलकर कार्य कर रहा है
(b) आगामी अधिवेशन के संयोजक/संचालक यू.एस.ए. को पाठ पढ़ाना चाहते हैं
(c) पर्यावरण अवनति के विध्वंसकारी प्रभावों की ओर विश्व का ध्यान खींचना
(d) आगामी अधिवेशन में‚ यू.एस.ए. इसे विकासशील देशों के विरुद्ध अवसर के रूप में उपयोग करना चाहता है
Ans: (d)
150. दक्षिण एशिया में पर्यावरणीय अवनति का संकेत निम्नांकित में से कौन सा है?
(a) सामाजिक एवं आर्थिक असमानता
(b) जीर्ण हो रही स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था
(c) अपर्याप्त प्रदूषण नियन्त्रण व्यवस्था
(d) आमूल रूप से बदल रहा मानसून पैटर्न
Ans: (d)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और प्रश्न 151 से 156 तक का उत्तर दीजिए : ब्रिटिश नीति में निर्णयात्मक परिवर्तन वास्तव में जन-समूह के दबाव के कारण 1945-46 के पतझड़ एवं शीत के महीनों में आया जब पैरड्रल मूलन ‘वेवल जर्नल’ का सम्पादन कर रहे थे। उन्होंने प्रत्यक्षतया इस स्थिति को अत्यन्त विस्फोटक बतलाया था। प्रारम्भ में‚ अत्यन्त मूर्खता से‚ ब्रिटिश सरकार ने 20,000 आई.एन.ए. कैदियों पर मुकदमा चलाने (कम-से-कम 7000 को सेवा-मुक्त करने और बिना मुकदमा चलए बन्दी बनाने) का निर्णय लिया गया। उन्होंने इस मूर्खता पर और मूर्खता तब की जब उन्होंने नवम्बर 1945 को दिल्ली के लाल किला में इस मुकदमे की प्रथम सुनवाई शुरू की जब एक हिन्दू‚ एक मुस्लिम और एक सिख (पी.के. सहगल‚ शाहनवाज‚ गुरबख्श सिंह ढिल्लों) को कटघरे में खड़ा किया गया। भोलाभाई देसाई‚ तेजबहादुर सप्रू और नेहरू बचाव-पक्ष के वकील बने। नेहरू ने तो वकीलों के परिधान को 25 वर्ष के पश्चात् पहना था। मुस्लिम लीग भी देश भर में हुए रोष-प्रदर्शनों में शामिल हुई। 20 नवम्बर को गुप्तचर ब्यूरो की एक टिप्पणी में यह स्वीकार किया गया कि इससे पूर्व ऐसा कोई अन्य मामला नहीं हुआ जिसने इतनी दिलचस्पी‚ यह कहना भी उपयुक्त होगा कि सहानुभूति‚ आकर्षित की हो। विशेष प्रकार की ऐसी सहानुभूति साम्प्रदायिक अवरोधों को लांघ जाती है। इस पत्रकार (बी. शिवाराव) ने उसी दिन लाल किले के बन्दियों से मुलाकात के बाद यह रिपोर्ट किया- उनमें हिन्दू अथवा मुस्लिम होने का लेश मात्र भी भाव नहीं है……….. लाल किले में मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे लोगों में से बहुसंख्या मुसलमानों की थी और उनमें से कुछ लोग व्यथित हो रहे थे कि जिन्ना पाकिस्तान सम्बद्ध भी द्वन्द्व को जीवित रखे हुए हैं। ब्रिटिश सरकार अत्यन्त अधीर हो उठी कि कहीं आई.एन.ए. के भाव भारतीय सेना में न फैल जाएं और जनवरी में पंजाब के गवर्नर ने रिपोर्ट भेजी थी कि आई.एन.ए. के मुक्त किए गए सैनिकों के स्वागत-समारोह में वर्दीधारी भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था।
151.इस गद्यांश के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा शीर्षक उपयुक्त होगा?
(a) नेवल का जर्नल
(b) मुस्लिम लीग की भूमिका
(c) आई.एन.ए. के मुकदमें की सुनवाई
(d) लाल किले के बन्दी
Ans: (c)
152.पी. के. सहगल‚ शाहनवाज और गुरूबख्श सिंह ढिल्लों का मुकदमा किसका प्रतीक बना?
(a) साम्प्रदायिक समरसता
(b) सभी धार्मिक व्यक्तियों के लिए धमकी
(c) स्वतन्त्रता के लिए जूझ रहे व्यक्तियों के लिए धमकी
(d) देशवासियों के विरुद्ध ब्रिटिश प्रतिक्रिया
Ans: (a)
153. आई. एन. ए. से भाव है :
(a) इण्डियन नेशनल असेम्बली
(b) इण्डियन नेशनल एसोसिएशन
(c) इण्टर-नेशनल एसोसिएशन
(d) इण्डियन नेशनल आर्मी
Ans: (d)
154.इससे पूर्व किसी अन्य मामले ने इतनी दिलचस्पी‚ यह कहना भी उपयुक्त होगा कि सहानुभूति‚ आकर्षित नहीं की थी। यह सहानुभूति उस कोटि की थी जो साम्प्रदायिक अवरोधेां को लांघ जाती है। इसमें किसकी सहानुभूति किससे है और यह सहानुभूति किसके विरुद्ध है?
(a) मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध शाहनवाज से सहानुभूति जतलाई।
(b) हिन्दुओं ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध पी.के. सहगल से सहानुभूति जतलाई।
(c) सिखों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध गुरबख्श सिंह ढिल्लों से सहानुभूति जतलाई।
(d) भारतीयों ने उन व्यक्तियों से सहानुभूति की जिन पर मुकदमा चल रहा था।
Ans: (d)
155. लाल किले के बाहर खड़े लोगों की बहुसंख्या‚ जो मुकदमें की सुनवाई की प्रतीक्षा कर रही थी‚ जो जिन्ना की आलोचना कर रही थी‚ वह कौन थे?
(a) हिन्दू (b) मुस्लिम
(c) सिख (d) हिन्दू और मुस्लिम दोनों
Ans: (b)
156. आई.एन.ए. के मुक्त किए गए कैदियों के साथ भारतीय वर्दीधारी सैनिकों की सहानुभूति किस बात का संकेत है?
(a) राष्ट्रवाद एवं भातृभाव की भावना
(b) भारतीय सैनिकों की विप्लवी प्रकृति
(c) स्वागत-समारोह में भाग लेना
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans: (a)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न 157 से 162 तक के उत्तर दीजिए : यह उक्ति ‘‘यह किस जैसा है?’’ मूल विचार प्रक्रिया में आती है कि काई व्यक्ति किस प्रकार इस धरती के खण्डों में व्याप्त वस्तुओं और घटनाअें का अवलोकन एवं विवरण देता हैं। इस धरती पर असीम गोचरीय विविधता है‚ मगर कोई व्यक्ति इस बात का निर्णय कैसे करे कि क्या देखा जाए? धरती या इसके किसी खण्ड के सम्पूर्ण विवरण जैसी कोई वस्तु नहीं है‚ क्योंकि धरती की इस सतह का प्रत्येक सूक्ष्मदर्शी बिन्दु हर वैसे ही अन्य बिन्दु से भिन्न है। अनुभव दर्शाता है कि अवलोकित वस्तुएं जानी-पहचानी होती हैं‚ क्योंकि वह उन गोचरीय घटनाओं जैसे होती हैं जो घर पर घटित होती हैं अथवा क्योंकि अमूर्त बिम्बों एवं आदर्शों‚ जो मानवीय मस्तिष्क में विकसित होते हैं‚ से मिलते-जुलते हैं। अमूर्त बिम्बों का निर्माण कैसे होता है? जानवरों में से केवल मानव को ही भाषा प्राप्त हुई है। उनके शब्द विशेष वस्तुओं का ही नहीं‚ बल्कि वस्तुओं के कोटियों के मानसिक बिम्बों का प्रतीक बनतें हैा मनुष्य उस वस्तुओं को याद रख सकता है जिसे उसने देखा अथवा अनुभव किया हो‚ क्योंकि वह उसके साथ किसी शब्द का प्रतीक जोड़ देता है। इस धरती पर मानव के प्राकृतिक निवास के सम्बन्ध में अधिकसे- अधिक ज्ञान-प्राप्ति की शृंखला के दौरान वस्तुओं और घटनाओं में निरन्तर अन्तर-क्रिया चलती रही हैं। इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष ज्ञान कहा जाता है और मानसिक बिम्ब को अवधारणां। प्रत्यक्ष ज्ञान को कुछ लोग यथार्थता कहते हैं जबकि इसके प्रतिकूल मानसिक बिम्ब सैद्धान्तिक होते हैं जिसका भावार्थ है कि ये अवास्तविक होते हैं। प्रत्यक्ष ज्ञान और अवधारणा के बीच का सम्बन्ध इतना सरल नहीं जितना इस परिभाषा से दिखायी देता है। यह अब अपूर्णतया स्पष्ट हो गया है कि भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के मानव अथवा समान संस्कृतियों वाले व्यक्ति भी यथार्थता के प्रति विभिन्न मानसिक बिम्बों को विकसित कर सकते हैं‚ और जिसका उन्हें प्रत्यक्ष बोध होता है वह उनकी पूर्व-अवधारणा की झलक होती है। इस धरती पर वस्तुओं और घटनाओं के प्रत्यक्ष ज्ञान के सम्बन्ध में अवलोकनकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह मानसिक बिम्बों को देखते हुए यथार्थता के प्रति पुनर्विचार करे। अवलोकनकर्ता का प्रत्यक्ष ज्ञान उसकी अवधारणा का निर्धारण करता है‚ परन्तु पिछले प्रत्यक्ष ज्ञान को साधारणीकरण से अवधारणा का उद्गम होता है। वस्तु स्थिति यह है कि शिक्षित अवलोकनकर्ता को सिखाया जाता है कि वह किन्ही अवधारणाओं को स्वीकार करे और इन अवधारणाओं को वह अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान उन्हें तीव्रता अथवा परिवर्तित करता है। विद्वता के किसी क्षेत्र में किसी समय पर दिया व्यावसायिक मत यह निर्धारित करता है कि कौन-सी अवधारणाएं अथवा प्रक्रियाएं स्वीकार्य हैं‚ और ये विद्वत्तापूर्ण व्यवहार के आदर्श की स्थापना करते हैं।
157. गद्यांश मे वर्णित समस्या में किसकी झलक है?
(a) विचार प्रक्रिया (b) मानवीय व्यवहार
(c) सांस्कृतिक प्रत्यक्ष ज्ञान (d) व्यावसायिक राय
Ans: (a)
158. गद्यांश के अनुसार ज्यादातर मानव-मन में यह होता है:
(a) वस्तुओं का अवलोकन (b) मानसिक बिम्बों को बनाना
(c) भाषा द्वारा अभिव्यक्ति (d) ज्ञान जुटाना
Ans: (b)
159. अवधारणा से भाव है:
(a) एक मानसिक बिम्ब
(b) एक यथार्थता
(c) भाषा के रूप में अभिव्यक्त विचार
(d) उपर्युक्त सभी
Ans: (a)
160. प्रत्यक्ष ज्ञान का अवधारणा से सम्बन्ध है:
(a) सकारात्मक (b) नकारात्मक
(c) प्रतिबिम्बित (d) सम्पूर्ण
Ans: (c)
161. इस गद्यांश में धरती को माना गया है:
(a) ग्लोब (b) मानवीय निवास
(c) आकाशीय पिण्ड (d) एक नक्षत्र
Ans: (b)
162. प्रत्यक्ष ज्ञान से भाव है :
(a) इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अवलोकन
(b) एक कल्पित विचार
(c) प्रतिबिम्ब के सिरे
(d) एक अमूर्त बिम्ब
Ans: (a)
नीचे दिया गया परिच्छेद पढ़िये और परिच्छेद की अपनी समझ के आधार पर आगे नीचे दिये प्रश्नों (163 से 168) का उत्तर दीजिये: यह स्मरण रखना चाहिये कि सभी राष्ट्रवादी आन्दोलनों की तरह से भारत में राष्ट्रवादी आन्दोलन अनिवार्य तौर पर मध्यवर्गीय (बूर्जुआ) आन्दोलन था। यह विकास की स्वाभाविक ऐतिहासिक अवस्था को निरुपित करता है‚ और इसे श्रमजीवी वर्ग आन्दोलन समझना अथवा ऐसा सोच कर उसकी आलोचना करना गलत है। गांधीजी इस आन्दोलन की‚ और इस आन्दोलन के सम्बन्ध में भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व सर्वोच्च श्रेणी तक करतें हैं‚ और वे उस सीमा तक भारतीय लोगों की आवाज बन गए। भारत और भारतीय जनता के प्रति गांधीजी का मुख्य योगदान उन शक्तिशाली आन्दोलनों‚ जो कि उन्होंने राष्ट्रीय कांग्रेस के जरिये चलाये‚ के माध्यम से था। गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के जरिये करोड़ो लोगों को गढ़ने (अथवा बदल डालने) की चेष्टा की‚ और उन्हें बदलने में सामान्य तौर पर सफल हुए। वे हतोत्साहित‚ भीरु और निराश लोगों‚ भयाभिभूत और प्रत्येक प्रबल हित द्वारा परास्त और विरोध करने में अक्षम लोगों को आत्म सम्मान युक्त‚ आत्म-निर्भर‚ तानाशाही के विरोधी‚ और संयुक्त कार्रवाई तथा ज्यादा बड़े लक्ष्य के लिये बलिदान करने वाले लोगो में बदलने में काफी हद तक सफल हुए। गांधीजी ने लोगों को राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर सोचने के लिये प्रेरित किया और प्रत्येक गांव और प्रत्येक बाजार नये विचारों तथा नई आशाओं‚ जो लोगों में मर गई थीं‚ पर तर्क एवं बहस के साथ गूंजने लगा। यह सब अद्भुत मनोवैज्ञानिक परिवर्तन था। निस्संदेह‚ इसके लिये समय आ चुका था और परिस्थतियों तथा विश्व की स्थितियों ने इस परिवर्तन के लिये कार्य किया। परन्तु परिस्थियों तथा स्थितियों का लाभ उठाने के लिये महान नेता आवश्यक है। गांधीजी वो नेता थे‚ और उन्होंने बहुत से वो बन्धन खोल दिये जिसने हमारे दिमाग को कैद और विकलांग किया हुआ था। हम भारतीय लोगों में जिस किसी ने भी इसका अनुभव किया है वह मुक्ति और उल्लास की उस महान अनुभूति को कभी भी नहीं भुला सकता है। गांधीजी ने भारत में अत्यधिक महत्वपूर्ण क्रान्तिकारी भूमिका अदा की हैं‚ क्योंकि वे जानते थे कि किस प्रकार वस्तुनिष्ठ स्थितियों का सर्वाधिक लाभ उठाया जाए तथा किस प्रकार जनता के दिलों तक पहुंचा जाये। जबकि ज्यादा उन्नत विचारधारा के समूहों ने सामान्यतया हवा में ही कार्य किया‚ क्योंकि वो उन स्थितियों के साथ ठीक-ठीक तरह से जम नही सके और इसलिये जन साधारण में यथेष्ठ प्रतिक्रिया नहीं जागृत कर सकें। यह पूर्णतया सत्य है कि गांधी जी राष्ट्रवादी स्तर पर कार्य करते रहे और उन्होंने वर्गों के संघर्ष के बारे में नहीं सोचा और उनके आपसी भेदों को शान्त करने की कोशिश की। परन्तु उन्होंने लोगों को जिस कार्य में लगाया और जो शिक्षा दी उसने जनचेतना को अनिवार्यत: आश्चर्यजनक रूप से जगा दिया। गांधी जी और कांग्रेस को उनके द्वारा अपनाई गई नीतियों एवं उनकी कार्यवाही के आधार पर समझना चाहिये। परन्तु इसके पीछे‚ व्यक्तित्व मायने रखता है और उन नीतियों और गतिविधियों को रंजित करता है। गांधीजी जैसे प्रत्येक असाधारण व्यक्ति के मामले में उन्हें समझने और उसका मूल्यांकन करने के लिये व्यक्तित्व का प्रश्न विशेष रूप से महत्वपूर्ण बन जाता है। हमारे लिये वे भारत की आत्मा और प्रतिष्ठा तथा उसके विषादग्रस्त करोड़ों लोगों की अपने अनन्त कष्टों से मुक्त होने की उत्कण्ठा का प्रतिनिधित्व करते है‚ और ब्रिटिश सरकार अथवा अन्य द्वारा उनका अपमान भारत और उसके लोगों का अपमान है।
163.प्रदत्त परिच्छेद के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) परिच्छेद स्वतन्त्रता के लिये भारतीय आन्दोलन में गांधाीजी की भूमिका की समीक्षा है।
(b) परिच्छेद भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधीजी की भूमिका का अभिवादन करता है।
(c) लेखक भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधीजी की भूमिका पर तटस्थ है।
(d) यह श्रमजीवी वर्ग आन्दोलन के प्रति इण्डियन नेशनल कांग्रेस के समर्थन का विवरण हैं।
Ans: (a)
164. गांधीवादी आन्दोलन द्वारा भारतीय जनता में लाए जाने वाले परिवर्तन थे :
(a) भौतिक (b) सांस्कृतिक
(c) प्रौद्योगिकीय (d) मनोवैज्ञानिक
Ans: (d)
165. राष्ट्रवादी आन्दोलन को श्रमजीवी वर्ग आन्दोलन समझना और ऐसा समझ कर उसकी आलोचना करना गलत है‚ क्योंकि यह:
(a) ऐतिहासिक आन्दोलन था।
(b) भारतीय जनता की आवाज था।
(c) बूर्जुआ (मध्यवर्गीय) आन्दोलन था।
(d) ऐसा आन्दोलन था जिसका प्रतिनिधित्व गांधीजी ने किया।
Ans: (b)
166. गांधीजी ने भारत में क्रान्तिकारी भूमिका अदा की‚ क्योंकि वे:
(a) नैतिकता का प्रचार कर सकते थे।
(b) भारतीयों के दिलो तक पहुँच सकते थे।
(c) वर्गों के संघर्ष देख सकते थे।
(d) भारतीय नेशनल कांग्रेस का नेतृत्व कर सकते थे।
Ans: (b)
167. उन्नत विचार धारा के समूह हवा में कार्य करते रहे‚ क्योंकि वे निम्नलिखित के साथ ठीक-ठीक जम नही सके:
(a) जनसाधारण की वस्तुनिष्ठ स्थितियां
(b) गांधीवादी विचारधारा
(c) लोगों की वर्ग चेतना
(d) जनता के बीच भेद
Ans: (c)
168. लेखक ने परिच्छेद का समापन किया है :
(a) भारतीय जनसाधारण की आलोचना
(b) गांधीवादी आन्दोलन द्वारा
(c) गांधीजी के व्यक्तित्व का महत्व बता कर
(d) करोड़ो भारतीयों की व्यथा पहचान कर
Ans: (c)
नीचे दिया गया परिच्छेद ध्यानपूर्वक पढ़िए और परिच्छेद के बारे में अपनी समझ के आधार पर नीचे दिये प्रश्नों (169 से 174) का उत्तर दीजिये: सभी इतिहासकार ग्रन्थ चाहे वो निजी पत्र‚ सरकारी अभिलेख या पल्ली जन्म सूचियां या कुछ भी हों‚ के निर्वचक होते हैं। अधिकांश प्रकार के इतिहासकारों के लिये स्वयं ग्रन्थों को छोड़कर अन्य किसी को समझने का यह सिर्फ आवश्यक माध्यम है। जैसे कि राजनीतिक कार्रवाई या ऐतिहासिक प्रवृत्ति। जबकि‚ बौद्धिक इतिहासकार के लिये‚ उसके चयनित ग्रन्थ को ही पूर्णतया समझना पूछताछ का लक्ष्य होता है। निस्संदेह‚ बौद्धिक इतिहास‚ अन्य विषयों‚ जो अपने ही उद्देश्यों के लिये ग्रन्थों का आदतन निर्वचन कर रहे हैं और तर्कणा जो निष्कर्ष को दिखावटी रूप से क्षेत्र के साथ जोड़ती है‚ पर फोकस करके निष्कर्ष निकालने को विशेषत: प्रवृत्त होता हैं इसके अतिरिक्त‚ सम्बन्धित उप-विषय क्षेत्रों के साथ सीमाएं बदल या खिसक रही हैं और अस्पष्ट है कला का इतिहास और विज्ञान का इतिहास दोनों कुछ स्वायत्ता का दावा करते हैं‚ आंशिक रूप से इसलिये क्योंकि उन्हें विशेषित तकनीकी कौशलों की जरूरत है‚ परन्तु दोनों को व्यापक बौद्धिक इतिहास के भाग के रूप में भी देखा जा सकता है‚ जैसा कि स्पष्ट होता है जब हम ब्रह्माण्डकीय धारणाओं अथवा कालिक नैतिक आदर्शों के बारे में ज्ञान के सर्वसामान्य स्टॉक के बारे में विचार करते हैं। सभी इतिहासकारों की तरह से‚ बौद्धिक इतिहासकार विधियों का उत्पादक होने के बजाय उनका उपभोक्ता होता है। उसकी विशिष्टता विगतकाल के उस पहलू जिस पर वह प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा है‚ में स्थित है और प्रमाण के समूह या तकनीकों के समूह पर एकमात्र स्वामित्व होने में स्थित नहीं है। यह कह लेने के बाद‚ यह जरूर प्रतीत होता है कि ‘‘बौद्धिक इतिहास’’ का नाम गलतफहमी के अनानुपातिक भाग को आकर्षित करता है। यह कहा जाता है कि बौद्धिक इतिहास किसी ऐसी चीज का इतिहास है जिसे कभी महत्त्व नहीं दिया जाता था। राजनीतिक इतिहासकारों के ऐतिहासिक स्वामित्व पर दीर्घकालीन प्रभुत्व एक प्रकार की विषयासक्ति (फिलिस्तिनिज्म) अनकही धारणा की सत्ता और उसके प्रयोग का ही वास्तव में महत्त्व था‚ को जन्म देता है। इस दावे से पूर्वाग्रह संबलित हुआ कि राजनीतिक कार्रवाई वास्तव में कभी भी उन सिद्धान्तों या विचारों जों ‘ज्यादा फ्लैपडुडल’ थे का परिणाम नहीं थी। इस धारणा की बपौती अभी भी इन अपेक्षित विचारों की प्रवृत्ति में दृष्टिगोचर होती है कि इससे पहले कि राजनीतिक वर्ग को बौद्धिक सत्कार के योग्य समझा जा सके अनुज्ञापन प्राप्त हो‚ मानो इसके कुछ कारण हैं कि क्यों कला या विज्ञान‚ दर्शनशास्त्र या साहित्य का इतिहास दलों या संसदों के इतिहास की तुलना में दिलचस्पी और महत्त्व का हैं शायद हाल ही के वर्षों में इस फिलिस्तिनिज्म (विषयासक्ति) की दर्पण-प्रतिच्छाया इस दावे में ज्यादा सर्वसामान्य रही है कि किसी के विचार विधिवत अभिव्यक्ति के अथवा दुनियादारी के हैं का कोई महत्व नहीं है‚ मानो वह सिर्फ अल्पसंख्यक वर्ग के विचार हैं।
169. बौद्धिक इतिहासकार का लक्ष्य निम्नलिखित में से किसे समझने का होता है?
(a) उसके अपने विशेष ग्रन्थ (b) राजनीतिक कार्रवाइयां
(c) ऐतिहासिक प्रवृत्तियां (d) उसकी पूंछताछ
Ans: (a)
170. बौद्धिक इतिहासकार किसके एकमात्र स्वामित्व का दावा नहीं करता है?
(a) निष्कर्ष (b) प्रमाण का कोई भी संग्रह
(c) विशिष्टता (d) आदतन निर्वचन
Ans: (b)
171. बौद्धिक इतिहास के बारे में गलतफहमियां किससे उत्पन्न होती हैं?
(a) तकनीकों का समूह
(b) ज्ञान का सामान्य स्टॉक
(c) राजनीतिक इतिहासकारों का प्रभुत्व
(d) ब्रह्माण्डकीय धारणाएं
Ans: (a)
172. विषयासक्तिवाद (फिलिस्तिनिज्म) क्या है?
(a) पूर्वाग्रह का पुनर्बलित होना
(b) कारणों को गढ़ना
(c) भूस्वामियों का प्रभाव
(d) यह धारणा कि सत्ता और उसके प्रयोग का महत्व होता है
Ans: (d)
173. ब्रह्माण्डकीय धारणाओं या कालिक नैतिक विचारों का ज्ञान किसके अंश के रूप में निकाला जा सकता है?
(a) साहित्यिक आलोचना (b) विज्ञान का इतिहास
(c) दर्शनशास्त्र का इतिहास (d) बौद्धिक इतिहास
Ans: (d)
174. विधिवत अभिव्यक्ति के बारे में किसी के विचारों का कोई महत्त्व नहीं है‚ मानों वो विचार अल्पसंख्यक वर्ग के हैं‚ यह दावा किसके लिये है?
(a) अनुज्ञापत्र प्राप्त राजनीतिक वर्ग
(b) राजनीतिक कार्रवाई
(c) साहित्य का दर्शन
(d) फिलिस्तिनिज्म की दर्पण-प्रतिच्छाया
Ans: (d)
निम्नलिखित परिच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न क्र. 175 से 180 तक के उत्तर दीजिए: बीसवीं शताब्दी का उत्प्रेरक तथ्य अनियन्त्रित विकास‚ उपभोगवादी समाज‚ राजनीतिक भौतिकवाद तथा आध्यात्मिक अवमूल्यन है। इस अस्वाभाविक विकास ने पवित्र बोध की लोकोत्तर द्वितीय वास्तविकता की ओर प्रवृत्त किया है कि जैविक रूप से‚ लोकोत्तरता मानवीय जीवन का ही हिस्सा है। शताब्दी के अंत में‚ यह अत्यावश्यक बल के साथ स्पष्ट हुआ कि प्रबुद्ध बुद्धिवाद की ‘प्रथम वास्तविकता’ तथा लोकोत्तर की द्वितीय वास्तविकता का मनुष्य की श्रेष्ठ स्थिति में संश्लेषण किया जाना चाहिये। यथातथ्य मूल्य हमारा विवरण देते हैं‚ वे हमारी नैतिकता के हैं का चित्रण करते हैं‚ वे एस्ट मूल्य हैं (लेटिन भाषा में एस्ट का अर्थ ‘है’ होता है।) आदर्श मूल्य हमें यह बतातें हैं कि हमें क्या होना चाहिये‚ वे एस्टो मूल्य हैं (लेटिन भाषा में एस्टो का अर्थ है जो होना चाहिये)। दोनों को हमारी चेतना के उतार-चढ़ाव का भाग होना चाहिये। नित्य नया विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और शाश्वत विश्वास एक ही निश्चयात्मकता के दो रूप हैं‚ यानि वे मानव की सम्पूर्णता उसकी जीवटता का साहस और पारमार्थिक सत्ता में उसकी भागीदारी है। विज्ञान के भौतिक आधार धराशायी हो गये हैं। विज्ञान ने स्वयं सिद्ध कर दिया है कि द्रव्य ही ऊर्जा हैं तथ्यों के समान ही प्रक्रियाएं वैध हैं‚ और उसने यह भी सिद्ध कर दिया है कि ब्रंह्माण्ड अ-भौतिक है। नई शताब्दी में वैज्ञानिक और मानवीय दोनों संस्कृतियां साधारण दृष्टिकोण को पुन: स्थापित करेंगी और वैज्ञनिक समझ की आधरशिला बनेंगी। उससे इस पौराणिक मत को एक नया अर्थ मिलेगा कि प्रकृति का आधार गुणात्मक और मात्रात्मक है। मानवीय उद्यम मानवीय सरोकारों के प्रति गैर जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं।
175. परिच्छेद में चर्चित समस्या समग्र रूप से किस पर विचार करती है?
(a) उपभोक्तावाद (b) भौतिकवाद
(c) आध्यात्मिक अवमूल्यन (d) असाधारण विकास
Ans: (c)
176. परिच्छेद में ‘यथातथ्य’ मूल्यों का अभिप्राय है:
(a) क्या है (b) क्या होना चाहिये
(c) क्या हो सकता है (d) कहां है
Ans: (b)
177.परिच्छेद के अनुसार‚ ‘प्रथम वास्तविकता’ में क्या सम्मिलित होता है?
(a) आर्थिक समृद्धता (b) राजनीतिक विकास
(c) पावन बोध (d) प्रबुद्ध बुद्धिवाद
Ans: (d)
178. वैज्ञानिक तथा मानवीय दो संस्कृतियों के मेल का तात्पर्य है:
(a) सामान्य दृष्टिकोण की पुनस्र्थापना।
(b) ब्रह्माण्ड भौतिक तथा अ-भौतिक दोनों है।
(c) मानव‚ प्रकृति की तुलना में उत्कृष्ट है।
(d) प्रकृति में मात्रा तथा गुण की सह-विद्यमानता
Ans: (a)
179. परिच्छेद की विषयवस्तु:
(a) विवरणात्मक है। (b) निर्देशात्मक है।
(c) स्वत: सिद्ब है। (d) वैकल्पिक है।
Ans: (a)
180.परिच्छेद इंगित करता है कि विज्ञान ने सिद्ध किया है कि:
(a) ब्रह्माण्ड भौतिक है।
(b) द्रव्य ऊर्जा है।
(c) प्रकृति में बहुलता है।
(d) मानव गैर जिम्मेदार होते हैं।
Ans: (b)
निम्नलिखित परिच्छेद को ध्यान पूर्वक पढ़कर प्रश्न क्र. 181 से 186 तक के उत्तर दीजिए : जेम्स मैडिसन ने कहा‚ ‘जो लोग स्वयं को अपना नियन्त्रक समझते हैं उन्हें ज्ञान से प्राप्त शक्ति से अपने को सुसज्जित कर लेना चाहिए।’ भारत में शासकीय गोपनीयता अधिनियम‚ 1923 जन साधारण को सूचना की सार्वजनिक मनाही का सुविधाजनक धूम्रावरण था। पारम्परिक रूप से सार्वजनिक कार्यकरण को गोपनीय रखा जाता रहा। परन्तु‚ लोकतन्त्र में‚ जहां लोग ही अपने को शासित करते हैं‚ ज्यादा खुलापन रखना आवश्यक है। सूचना का अधिकार हमारे लोकतन्त्र को परिपक्व होने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का एक प्रमुख सोपान हैं यह निर्णय लेने की उस प्रक्रिया‚ जो उनके जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित करती है‚ में पूर्णतया भागीदारी प्रदान करता है। लोकसभा में प्रधानमन्त्री का भाषण इसी सन्दर्भ में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा‚ ‘‘मैं सिर्फ यह देखना चाहूंगा कि प्रत्येक व्यक्ति‚ विशेष रूप से हमारे लोक सेवक‚ विधेयक को सकारात्मक भावना से देखें न कि सरकार को अशक्त (गतिहीन) करने वाले क्रूर कानून के रूप में। बल्कि वे विधेयक को सरकार-नागरिक अन्तराफलक सम्बन्धों को सुधारने के ऐसे उपकरण के रूप में देखें जो लोगों को एक मित्रवत‚ देखभाल करने वाली तथा लोगों की भलाई करने वाली सरकार के रूप में परिणत हो।’ उन्होंने आगे कहा‚ ‘यह नवाचारी विधेयक है जिसमें उसके कार्यकरण के अनुभव के बाद पुनरावलोकन की गुंजाइश रहेगी। अत: यह विधि व्यवस्था का ऐसा अंश है‚ जिसकी कार्यशीलता को सतत पुनरावलोकन के अन्तर्गत रखा जाएगा।’ आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कार्यपालिका विभाग‚ विधान-मण्डल और न्यायपालिका में सूचना अधिकार की अनुप्रयुक्ति के सम्बन्ध में चर्चा की है। अधिनियम को उसकी मूल भावना के अनुरूप अक्षरश: क्रियान्वित करने में न्यायपालिका अग्रणी हो सकती है क्योंकि अधिकांश कार्य‚ जो न्यायपालिका करती है‚ सार्वजनिक छानबीन के लिए खुला रहता है। भारत सरकार ने न्यायपालिका के लिए रू. 700 करोड़ की ई- शासन योजना को मंजूरी दी है जिससे इसके अभिलेखों का व्यवस्थित वर्गीकरण‚ मानकीकरण एवं श्रेणीकरण हो सकेगा। यह न्यायपालिका को अधिनियम के अन्तर्गत उसके अधिदेश को पूरा करने में सहायता करेगा। इसी तरह का क्षमता निर्माण अन्य सभी लोक प्राधिकरणों में अपेक्षित होगा। अपारदर्शिता से पारदर्शिता एवं सार्वजनिक जवाबदेयता में रूपान्तरण राज्य के सभी तीनों अंगों का उत्तरदायित्व है।
181. एक व्यक्ति शक्ति प्राप्त करता है:
(a) ज्ञान अर्जित करके
(b) शासकीय गोपनीयता अधिनियम‚ 1923 से
(c) ज्यादा खुलापन लाने से
(d) लोक सूचना मना करने से
Ans: (a)
182.सूचना का अधिकार क्या करने का मुख्य अग्र सोपान है?
(a) नागरिकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूर्णतया भागीदारी करने योग्य बनाने में
(b) लोगों को अधिनियम के प्रति जागरूक बनाने के लिए
(c) प्रशासन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए
(d) लोगों को सरकार के प्रति मित्रवत बनाने के लिए
Ans: (a)
183. प्रधानमन्त्री ने विधेयक को क्या समझा?
(a) लोक सेवकों को शक्ति प्रदान करेगा।
(b) सरकार-नागरिकों के अन्तराफलक सम्बन्धों को सुधारने का उपकरण जो कि मित्रवत‚ देखभाल करने वाली तथा प्रभावपूर्ण सरकार लाएगा।
(c) शासकीय कर्मचारियों के विरुद्ध क्रूर कानून के रूप में।
(d) लोगों को परेशान करने से रोकना।
Ans: (b)
184. आयोग ने विधेयक को कैसे प्रभावशील बनाया?
(a) कार्यकारी प्राधिकारियों को शक्ति हस्तान्तरित करके
(b) कार्यकारी तथा विधायी शक्ति को मिश्रित करके
(c) न्यायपालिका को अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप अक्षरश: क्रियान्वित करने में अग्रणी मानकर
(d) अधिनियम के क्रियान्वयन से पूर्व लोगों को शिक्षित करके
Ans: (c)
185.प्रधानमन्त्री ने अधिनियम को नवोन्मेषकारी समझा और आशा की कि :
(a) उसकी कार्यकारिता के अनुभव के आधार पर उसका पुनरावलोकन किया जा सकेगा।
(b) लोक सेवक विधेयक को सकारात्मक भावना से देखेंगे।
(c) इसे सरकार को अशक्त (गतिहीन) करने का क्रूर कानून न समझा जाए।
(d) उपर्युक्त सभी।
Ans: (d)
186.पारदर्शिता और जवाबदेयता राज्य के तीन अंगों का उत्तरदायित्व है। राज्य के ये तीन अंग हैं :
(a) लोकसभी‚ राज्यसभा और न्यायपालिका
(b) लोकसभा‚ राज्यसभा और कार्यपालिका
(c) न्यायपालिका‚ व्यवस्थापिका और आयोग
(d) व्यवस्थापिका‚ कार्यपालिका और न्यायपालिका
Ans: (d)
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ें और 187 से 192 तक के प्रश्नों का उत्तर दें: विकासशील देशों में और नगरीकरण प्रक्रिया से शहरों का प्रचलित दृष्टिकोण कुछ इस प्रकार का होता है कि तमाम सुख और सुविधाएँ प्राप्त होने के बावजूद इन शहरों के आविर्भाव से पर्यावरणीय अपकर्ष‚ गन्दी बस्तियों और आबादियों का बसना‚ नगरीय गरीबी‚ बेरोजगारी‚ अपराध‚ अराजकता और यातायात अव्यवस्था के संकेत मिलते हैं। लेकिन वास्तविकता क्या है? वास्तव में यह आश्चर्यजनक है कि विकासशील देशों में पिछले 50 वर्षों में शहरी जनसंख्या में वर्ष 1950 से 300 मिलियन से वर्ष 2000 तक 2 बिलियन तक की अभूतपूर्व रूप से वृद्धि होने के बाद भी विश्व ने बुरी तरह नहीं बल्कि कितनी अच्छी तरह से इसका सामना किया है। सामान्य रूप से शहरी जीवन की गुणवत्ता में जल की उपलब्धता और सफाई के प्रबन्ध‚ बिजली‚ स्वास्थ्य और शिक्षा‚ संचार और परिवहन व्यवस्था की दृष्टि से सुधार हुआ है। उदाहरणत: एशियाई विशाल देशों जैसे कि चीन‚ भारत‚ इंडोनेशिया और फिलिपाइन्स के शहरी क्षेत्रों में अधिकांश निवासियों को उन्नत जल सुविधाएँ उपलब्ध करा दी गयी हैं। इसके बावजूद 20वीं शताब्दी के पिछले दशक के दौरान कुल शहरी जनसंख्या की प्रतिशतता के अनुसार उन्नत जल व्यवस्था की उपलब्धता में कमी आई है। हांलाकि इस असीम संख्या में से लाखों अतिरिक्त शहरी निवासियों को उन्नत जल सुविधाएँ उपलब्ध करा दी गयी हैं इन देशों ने स्वच्छता सेवाओं में महत्त्वपूर्ण रूप से प्रगति की है‚ साथ ही एक दशक में (1990-2000) 293 मिलियन से अधिक नागरिकों के अतिरिक्त जनसमूह के लिए भी सेवाएँ उपलब्ध कराई हैं। इन सुधारों के विषय में तेजी से बढ़ती हुईं शहरी जनसंख्या के पृष्ठपट‚ राजकोषीय चरमराहट और क्लिष्ट मानव संसाधनों तथा गुणवत्ता-उन्मुख लोक-प्रबन्धन के मद्देनजर विचार किया जाना चाहिए।
187. विकासशील देशों में शहरीकरण प्रक्रिया का प्रचलित दृष्टिकोण है-
(a) सकारात्मक (b) नकारात्मक
(c) तटस्थ (d) अनिर्दिष्ट
Ans: (b)
188. विकासशील देशों में 1950-2000 ए.डी. तक शहरी नागरिकों की औसत आगमन वृद्धि किसके करीब थी?
(a) 30 मिलियन (b) 40 मिलियन
(c) 50 मिलियन (d) 60 मिलियन
Ans: (a)
189. शहरीकरण की वास्तविकता प्रतिबिम्बित होती है-
(a) स्थिति को अच्छी तरह से व्यवस्थित किया गया है
(b) स्थिति कितनी बुरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गयी है
(c) शहरीकरण की रफ्तार कितनी तेज रही है
(d) पर्यावरण में कितनी तेजी से गिरावट आई है
Ans: (a)
190. निम्नलिखित में से किसको शहरी जीवन की गुणवत्ता का सूचक नहीं माना जाता है?
(a) शहरीकरण की गति
(b) मूल सेवाओं का प्रावधान
(c) सामाजिक सुख-सुविधाओं तक पहुँच
(d) उपर्युक्त सभी
Ans: (a)
191. लेखक ने इस अनुच्छेद में किस विषय पर केन्द्रित करने का प्रयास किया है?
(a) ज्ञान का विस्तार (b) पर्यावरणीय चेतना
(c) विश्लेषणात्मक तार्किकता (d) वर्णनात्मक अधिकथन
Ans: (c)
192. उपर्युक्त अनुच्छेद में लेखक क्या अभिव्यक्त करना चाहता है?
(a) शहरी जीवन की कठिनाइयाँ
(b) शहरी जीवन की व्यथा
(c) मानव प्रगति की जागरुकता
(d) विकास की सीमाएँ
Ans: (d)
निम्नलिखित अनुच्छेद को सावधानी से पढ़े और प्रश्न 193 से 198 तक का उत्तर दीजिए – ताजमहल विश्व के ज्ञात सर्वोत्तम स्मारकों में से एक है। सफेद संगमरमर के गुम्बद का यह ढाँचा चार चौकोर बागों के दक्षिणी छोर पर एक चबूतरे पर स्थित है। 305 × 549 मीटर नाप की दीवारों के अंदर बने ये बाग जन्नत लगते हैं। मुमतजाबाद नामक क्षेत्र में दीवारों के बाहर नौकर-चाकरों के रहने के क्वार्टर‚ बाजार‚ सराय और स्थानीय व्यापारियों और अभिजात लोगों द्वारा बनाई गई अन्य दुकानें आदि हैं। मुमतजाबाद के गुम्बद परिसर और अन्य शाही भवनों की देख-भाल‚ गुम्बद की सहायता के लिए विशेष रूप से दिये गए तीस गाँवो की आय से की जाती थी। मुगल इतिहास में ताजमहल नाम का उल्लेख नही है‚ लेकिन इसका प्रयोग भारत के तत्कालीन यूरोपीय लोगों ने किया था। उनका कहना था कि यह इस गुम्बद का प्रचलित नाम था। तत्कालीन पुस्तकों आदि में सामान्यत: इसे केवल प्रकाशित गुम्बद (रौजा-ए-मुनव्वरा) कहा गया था। वर्ष 1631 में अपने चौदहवें बच्चे को जन्म देने के बाद ही मुमताज महल की मृत्यु हो गई थी। मुगल दरबार तब बुरहानपुर में था। शोक-संतप्त बादशाह ने उसके शव को ताप्ती नदी के किनारे स्थित जईनाबाद नामक विशाल बाग में दफनाया था। छह माह बाद उनके शव को आगरा लाया गया‚ जहाँ मकबरे के लिए तय की गई जमीन में इसे दफनाया गया। यह जमीन जमुना नदी के किनारे मुगल शहर के दक्षिण में स्थित थी। यह जमीन राजा मानसिंह के समय से कछवाह राजाओं की थी और तत्कालीन राजा जयसिंह से खरीदी थी। हालांकि तत्कालीन इतिहासकारों ने इस बात का उल्लेख किया है कि जयसिंह ने स्वेच्छा से यह लेन-देन किया था‚ लेकिन उपलब्ध फरमानी (शाही आदेश) से पता चलता है कि मकबरा बनाने का कार्य शुरू कियो जाने के लगभग दो वर्ष तक भी अंतिम कीमत तय नहीं हो पाइ थी‚ जयसिंह का और सहयोग वर्ष 1632 और 1637 के बीच जारी किए गए उन शाही आदेशो कें जारिए सुनिश्चित किया गया था‚ जिनमें माँग की गई थी कि वह अपने ‘‘पूवर्जो की रियासत’’ के अंदर पड़ने वाले मकराना की खानों से आगरा तक राजमिस्त्री और संगमरमर ले जाने वाली बैलगाडियाँ मुहैया करवाएगा‚ जहाँ ताजमहल और आगरे के किले का शाहजहाँ द्वारा किया जाने वाला परिवर्धन संबंधी निर्माण कार्य साथ-साथ किया जा रहा था। इस मकबरे का कार्य 1632 के आरम्भ मे शुरु किया गया था। लिखित सबूतों से पता चलता है कि अधिकांश गुम्बद वर्ष 1636 तक पूरा हो गया था। वर्ष 1643 में जब शाहजहाँ ने मुमताज महल का उर्स समारोह बहुत धूम-धाम से मनाया था‚ यह संपूर्ण परिसर वास्तव में पूरा हो गया था।
193. प्रचलित नाम ताज महल किसके द्वारा दिया गया था?
(a) शाह जहाँ (b) पर्यटकों
(c) जनता (d) यूरोपियन यात्रियों
Ans: (d)
194. निम्नलिखित में से सही कथन कौन-सा है?
(a) संगमरमर का प्रयोग ताजमहल के निर्माण के लिए नहीं किया गया था।
(b) ताज महल परिसर में रेडसेन्ड पत्थर दिखाई नहीं देता है।
(c) ताज महल के चारों ओर ‘चार बाग’ नामक चार चौकोर बाग हैं।
(d) ताज महल का निर्माण मुमता़ज महल क लिए ‘उर्स समारोह’ मनाने के लिए किया गया था।
Ans: (c)
195. समकालीन ग्रन्थों में ताजमहल किस नाम से जाना जाता है?
(a) मुमताजाबाद (b) मुमताज महल
(c) ज़ै़नाबाद (d) रौजा-ए-मुनव्वरा
Ans: (d)
196. ताज महल का निर्माण कार्य किस अवधि में पूरा किया गया था?
(a) 1632-1636 ए. डी. (b) 1630-1643 ए. डी.
(c) 1632-1643 ए. डी. (d) 1636-1643 ए. डी.
Ans: (c)
197. ताज महल के निर्माण की भूमि के स्वामित्व संबंधी प्रलेखों को कहते हैं-
(a) फरमान (b) विक्रय-विलेख
(c) विक्रय -क्रय विलेख (d) उपर्युक्त मे से कोई नहीं
Ans: (a)
198. ताज महल के निर्माण के लिए प्रयोग किया जाने वाला मार्बल पत्थर राजा जयसिंह की पैतृक रियासत से लाया गया था। उस स्थान का नाम जहाँ मार्बल की खान पाई जाती है‚ क्या है?
(a) बुरहानपुर (b) मकराना
(c) आम्बेर (d) जयपुर
Ans: (b)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 199 से 203 के उत्तर दीजिए: यूनेस्को की सहायता से सन् 1959 में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्पदा परिरक्षण एवं जीर्णोद्धार अभ्यास केंद्र (ICCROM) की स्थापना के बाद पूरी दुनिया में विरासत संरक्षण में परिष्कार हुआ। 126 देशों की सदस्यता वाले इस अंतर-सरकारी संगठन ने विभिन्न व्यवसायों के 4‚000 से अधिक व्यावसायिकों को प्रशिक्षण देकर‚ कार्यव्यापार के मानक बना कर तथा तकनीकी विशेषज्ञता की साझीदारी कर सराहनीय कार्य किया है। इस स्वर्ण जयन्ती वर्ष में‚ इस संगठन की वैश्विक संरक्षण में प्रमुख भूमिका को स्वीकार करते समय हमें भारतीय संरक्षण आन्दोलन में अंतराष्ट्रीय कार्य का मूल्यांकन करना समीचीन होगा। अविच्छिन्न निवेश‚ दृढ़ मनोयोग तथा समर्पित शोध तथा प्रचार-प्रसार कुछ सकारात्मक सबक हैं जो याद रखे जाने योग्य हैं। कुछ देशों‚ जैसे इटली में किए गए कार्यों से यह प्रदर्शित होता है कि प्रचुर आर्थिक प्रावधान द्वारा विरासत को प्राथमिकता प्रदान करना लाभकारी होता है। दूसरी ओर‚ भारत‚ जो सांस्कृतिक सम्पदा में कम सम्पन्न नहीं है‚ को इस दिशा में एक लम्बी दूरी तय करनी है। सर्वेक्षणों से यह पता चलता है कि यहाँ 6‚600 संरक्षित स्मारकों के अतिरिक्त 60‚000 उनके ही मूल्यवान ढाँचे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता हैं भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के एक छोटे से समूह के अलावा केवल लगभग 150 प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना पर बल दिया जा रहा है। जैसा कि यूरोप में किया गया है‚ संरक्षण को शोध तथा इन्जीनियरिंग संस्थानों की मुख्य धारा में शामिल करने से अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे। वित्त-पोषण को बढ़ाना तथा संस्थानों की स्थापना करना अपेक्षाकृत सरल हैं वास्तविक चुनौती स्थानीय संदर्भों को संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उपागमों को पुनर्परिभाषित करने में निहित है। संरक्षण कार्य को विरासती ढाँचों के कलात्मक-ऐतिहासिक मूल्य के संवर्धन तक सीमित नहीं रखा जा सकता‚ जिस पर संभवत: अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र अधिक जोर देते हैं। इस प्रयास को एक व्यापक आधार प्रदान करना होगा: इसे विरासती ढाँचे के स्थान पर रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता को संबंर्धित करने का साधन बनाना होगा। संरक्षणपरक प्रयासों को‚ विरासती ढाँचे के आस-पास रहने वाले लोगों के रहनसहन के स्तर की देख-भाल करने वाली ठोस योजनाओं के साथ जोड़ना होगा। पाश्चात्य देशों के असदृश‚ भारत में अभी भी अनेक पारम्परिक भवन-निर्माण कारीगरी के कौशल जीवित हैं तथा संरक्षणपरक कार्य इन्हें आलंबन प्रदान करते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास की संरक्षण से संबंधित घोषणा में इसे स्वीकार किया गया है। परन्तु इसे सरकारी समर्थन मिलना अभी बाकी है। हरित भवन आन्दोलन के साथ जोड़कर संरक्षण को अधिक सशक्त बनाया जा सकता हैं विरासती ढाँचे अनिवार्यत: पर्यावरण हितैषी होते हैं तथा भविष्य में संरक्षण‚ धारणीय भवन निर्माण अभियान का अत्यावश्यक हिस्सा बन सकता है।
199. विरासत संरक्षण के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव कब आया?
(a) अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्पदा परिरक्षण एवं जीर्णोद्धार केन्द्र की स्थापना के बाद
(b) इस क्षेत्र में विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किए जाने के बाद
(c) शैक्षिक संस्थानों को यूनेस्कों द्वारा सहायता प्रदान किए जाने के बाद
(d) स्मारकों की सुरक्षा के लिए भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए उपायों के बाद
Ans: (a)
200. इस अंतर-सरकारी संगठन की सराहना किसलिए की गई?
(a) सदस्यों की संख्या 126 तक बढ़ाने के लिए
(b) व्यावसायिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने तथा तकनीकी विशेषज्ञता में साझेदारी कराने के लिए
(c) संरक्षण में अविच्छिन्न निवेश करने के लिए
(d) पुनरुद्धार तथा जीर्णोद्धार में इसकी समर्थनकारी भूमिका के लिए
Ans: (b)
201. भारतीय संरक्षण आन्दोलन तब सफल होगा जब
(a) भारत सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी
(b) संरक्षण आन्दोलन में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका और सहभागिता होगी
(c) अविच्छिन्न निवेश‚ दृढ़ मनोयोग तथा संरक्षण के लिए जागरूकता का प्रचार-प्रसार होगा
(d) भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की सार्थक सहायता प्रापत होगी
Ans: (c)
202. भारत के ऐतिहासिक स्मारकों के सर्वेक्षण के अनुसार‚ यहाँ बहुत कम संरक्षित स्मारक हैं। स्मारकों की कुल संख्या में संरक्षित स्मारकों की संख्या का प्रतिशत कितना आता है?
(a) 10 प्रतिशत (b) 11 प्रतिशत
(c) 12 प्रतिशत (d) 13 प्रतिशत
Ans: (b)
203. अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए भारत को यूरोप से क्या सीखना चाहिए?
(i) सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान होना चाहिए। (ii) समर्पित प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापना। (iii) पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने के लिए सरकार को बाध्य करना। (iv) शोध तथा इंजीनियरिंग संस्थानों की मुख्य धारा में संरक्षण को शामिल करना।
(a) (i), (ii), (iii), (iv) (b) (i), (ii), (iv)
(c) (i), (ii) (d) (i), (iii), (iv)
Ans: (b)
निम्नलिखित अनुच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़ें एवं प्रश्न 204 से 208 के उत्तर दीजिए : पारम्परिक भारतीय मूल्यों का अवलोकन वैयक्तिक एवं परिसीमित भौगोलिक क्षेत्र में बसे लोगों अथवा समूहों‚ जो समान नेतृत्व प्रणाली का लाभ उठाते हैं‚ जिसे हम ‘राज्य’ कहते हैं‚ दोनों के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। विभिन्न ऐतिहासिक उद्गम स्थलों के सामाजिक समूह‚ जो एक दूसरे से भौगोलिक‚ आर्थिक एवं राजनीतिक भाव से जुड़े हुए हैं‚ परन्तु सामाजिक रूप से‚ विचारात्मक अथवा भाषात्मक आधार पर आत्मीकृत नहीं हैं फिर भी वे शान्तिपूर्वक अथवा अत्यन्त शान्तिपूर्वक सहअस्तित्व की भावना से रहते हैं जो भारत राज्य की मुख्य विशिष्टता है। आधुनिक भारतीय विधि कुछ ऐसे नियमों को निर्धारित करेगी जिनका सम्बन्ध मुख्यतया पारिवारिक व्यवस्था से है जैसे कि लंगोट किस प्रकार पहनी जाती है अथवा पगड़ी किस तरह बाँधी जाती है। क्योंकि इस आधार पर एक क्षेत्रीय समूह के सदस्य के रूप में वादियों की पहचान की जा सके एवं उन्हें अपनी पारम्परिक विधि को अपनाने का अवसर प्राप्त हो सके। हालांकि उनके पूर्वजों ने वह क्षेत्र तीन-चार शताब्दियों पूर्व छोड़ दिया था। उपरोक्त प्रयुक्त शब्द ‘राज्य’ से हमें भ्रमित नहीं होना चाहिए। व्यक्ति और राज्य के बीच संघर्ष हो‚ ऐसा कुछ नहीं था। यह स्थिति कम से कम विदेशी राज्य की स्थापना से पूर्व न थी। जिस प्रकार राज्य की प्रभुसत्ता की अवधाराणा या चर्च-राज्य द्वि-भाजन भी नहीं था। आधुनिक भारत की धर्मनिरपेक्षता का एक विशिष्ट लक्षण यह है कि राज्य से यह अपेक्षा है कि प्रत्येक धर्म को न्यायजनक आदर व समर्थन प्राप्त होगा। भारत की सुविख्यात सहनशीलता के इन अभिमंत्रित पहलुओं ने (भारतीय शासकों ने धार्मिक समूहों पर कदाचित ही अत्याचार किया- यह अपवाद न होकर नियम था) 16वीं शताब्दी में भारत के पश्चिमी तट का भ्रमण करने वाले पुर्तगाली व अन्य यूरोपीय आगुन्तकों को एकदम प्रभावित किया। इस प्रकार से व अन्य प्रकार से उन पर पड़ने वाले प्रभावों के फलस्वरूप ही थामस मोर की रचना यूटोपिया के मूल ढाँचे की रचना की गई। आधुनिक भारत में ऐसा कुछ अधिक नहीं है जो यूटोपियन (आदर्श) प्रतीत हो परन्तु मानदण्डों की आत्मनिविष्टता पर बल देना‚ धर्मान्धता एवं संस्थागत मानव व प्राकृतिक संसाधनों के शोषण की अनुपस्थिति‚ यह ऐसे दो प्रमुख तथ्य हैं जो भारत की वास्तविकता और परम्पराओं को यूटोपिया (आदर्श राज्य) से जोड़ते हैं।
204. निम्नलिखित में से भारतीय राज्य का विशिष्ट लक्षण कौन सा है?
(a) लोगों का एक साझे नेतृत्व में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व
(b) विभिन्न ऐतिहासिक उद्गम स्थलों के सामाजिक समूहों‚ जो एक दूसरे से भौगोलिक‚ आर्थिक एवं राजनीतिक भाव से जुड़े हुए हैं‚ का शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व।
(c) सभी समूहों का सामाजिक एकीकरण
(d) सभी सामाजिक समूहों का सांस्कृतिक समीकरण
Ans: (b)
205. लेखक ने ‘राज्य’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ पर बल देने के लिए किया है?
(a) इतिहास के सम्पूर्ण काल के दौरान राज्य और व्यक्ति के बीच प्रतिरोधी सम्बन्धों का होना
(b) किसी निश्चित समय काल तक राज्य और व्यक्ति के बीच किसी संघर्ष का न होना।
(c) राज्य की प्रभुसत्ता की अवधारणा।
(d) धर्म पर आश्रय
Ans: (d)
206. निम्नलिखित में से आधुनिक भारत की ‘धर्मनिरपेक्षता’ का मुख्य लक्षण कौन लक्षण कौन सा है?
(a) धार्मिक आधार पर भेदभाव न करना।
(b) धर्म के प्रति पूर्ण उदासीनता।
(c) सामाजिक पहचान के लिए कोई स्थान नहीं।
(d) पारम्परिक विधि को न मानना।
Ans: (a)
207. निम्न में से थामस मोर की यूटोपिया का मूल ढाँचा किस से प्रेरित था?
(a) धार्मिक सहनशीलता की भारतीय परम्परा से।
(b) भारतीय शासकों द्वारा धार्मिक समूहों पर जुल्म।
(c) भारत में व्याप्त सामाजिक असमता।
(d) भारतीय राज्य के प्रति यूरोपीय बोध।
Ans: (a)
208. आधुनिक भारत का मुख्य लक्षण कौन सा है?
(a) यूटोपियन राज्य की प्रतिकृति
(b) विधि की एकरूपता
(c) पारम्परिक मूल्य प्रणाली का पालन
(d) धर्मान्धता की अनुपस्थिति
Ans: (d)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और प्रश्न 209 से 213 तक के उत्तर दीजिए। राजनीति में साहित्यिक अरूचि के संबंध में ऐसा प्रतीत होता है कि वह साहित्यिक प्रस्तुति के विषय के रूप में काफी हद तक राजनीति के अस्पष्ट व्यवहार पर अधिक ध्यान केन्द्रित नही करता है लेकिन इस बात पर ध्यान केन्द्रित करता है कि इसे साहित्य में प्राय: कैसे चित्रित किया जाता है अर्थात ऐसी प्रस्तुति की राजनीति क्या है। राजनीतिक उपन्यास अधिकांशत: केवल राजीनीति के बारे में एक उपन्यास नहीं होता है अपितु उसकी अपनी राजनीति होती है। इसलिए वह हमें केवल यह नहीं बताता है कि चीजें कैसी है अतिपु इनसे संबंधित विचारों को को स्पष्ट रूप से निश्चित सोच प्रदान करता है कि चीजें कैसी होनी चाहिए और यह बताता है कि किसी को सही-सही ऐसा सोचना और करना चाहिए कि चीजें वांछित दिशा में अग्रसर हों। संक्षेप में वह पाठकों को कारण या विचारधारा विशेष में बदलना या सूचीबद्ध करना चाहता है। यह प्राय: साहित्य नही होता है (यह केवल अत्यधिक परिचित पदबंध है) लेकिन एक प्रचार होता है। इससे साहित्यिक भावना का अतिक्रमण ही होता है‚ जिससे हम विश्व को भली-भाँति समझते हैं और हमारी सहानिुभूतियों का प्रभाव-क्षेत्र व्यापक होता है एवं हमारी सोच और सहानुभूति को कट्टर प्रतिबद्धता से संकीर्ण न करे जैस कि जॉन कीट्स ने कहा है – ‘‘हमें ऐसे काव्य से घृणा होती है‚ जो हम पर लाद दिया जाता है।’’ दूसरा कारण कि क्यों राजनीति उच्च प्रकार की साहित्यिक प्रस्तुति के प्रति अनुकूल आचरण नही करती है‚ यह है कि राजनीति अपने स्वभाव से ही विचार और विचारधारा से निर्मित होती है। यदि राजनीतिक स्थिति अपने को उपयुक्त साहित्यिक सम्मान नहीं दे पाती है तो इस संबंध में राजनीतिक विचार और भी गंभीर समस्या पैदा करते हैं। साहित्य के संबंध में यह तर्क दिया जाता है कि यह बौद्धिक अमूर्त विचारों की बजाय मानव अनुभवों के बारे में होता है। यह मानव जाति की ‘‘महसूस की गई वास्तविकता’’ पर विचार करता है और नीरस तथा निर्जीव विचारों की बजाय ओजपूर्ण और स्वादपूर्ण (रस) से संबंधित होता है। अमरीका की उपन्यासकार मेरी मकर्थी ने अपनी पुस्तक ‘आइडिया और नॉवल’ में इस विषय पर की गई व्यापक चर्चा में कहा है कि ‘‘उपन्यास में व्यक्त विचारों के बारें में आज भी यह महसूस किया जाता है कि वे अनाकर्षक होते हैं।’’ हालाँकि ऐसा ‘‘पहले’’ अर्थात 18वीं और 19वीं सदी में नही था। एक ओर विचार और दूसरी ओर उपन्यास के बीच असंगति के स्पष्ट स्वरूप का उनका निरूपण संभवत: इस मामले में विभाजित सोच का संकेत है और एक ऐसी दुविधा है जो कई लेखकों और पाठकों के बीच है: ‘‘विचार सशक्त होते हैं लेकिन मैं प्राय: सोचतीं हँू कि उपन्यास में उसकी आवश्यकता होती है। इसके बावजूद उपन्यासकारों के लिए यह महसूस करना काफी सामान्य है… ’’ विचारों विरूद्ध शस्त्र उठाते समय विचारों के प्रति आकर्षण अनुभव करना वह भी उपहास के हथियारों के साथ।
209. साहित्य में निम्नलिखित में से किस पर चर्चा की जाती है?
(a) राजनीति में मानव अनुभव
(b) बौद्धिक अमूर्त विचार
(c) शुष्क और रिक्त विचार
(d) मानव जीवन की महसूस की गई वास्तविकता
Ans: (d)
210. उपन्यासकार मेरी मकर्थी की टिप्पणियों से निम्नलिखित में से किसका पता चलता है?
(a) उपन्यास में आज के अनदेखें महसूस किए गए विचार
(b) राजनीतिक विचारों और उपन्यासों पर अंतश्चेता का द्विविभाजन
(c) विचारों और उपन्यास के बीच असंगति
(d) अनंत विचार और उपन्यास
Ans: (a)
211. इस गद्यांश के अनुसार एक राजनीतिक उपन्यास प्राय: निम्नलिखित में से क्या बन जाता है?
(a) राजनीति के लिए साहित्यिक अरूचि
(b) राजनीति की साहित्यिक प्रस्तुति
(c) अपनी ही राजनीति वाला उपन्यास
(d) राजनीति की अस्पष्ट परिपाटी का चित्रण
Ans: (c)
212. एक राजनीतिक उपन्यास से निम्नलिखित में से किसका पता चलता है?
(a) चीजों की वास्तविकता
(b) लेखक का बोध
(c) पाठकों की विचारधारा विशेष
(d) साहित्य की भावना
Ans: (b)
213. अपने स्वाभाव से राजनीति का ढाँचा होता है
(a) प्रचलित राजनीतिक स्थिति
(b) विचार और विचारधाराएँ
(c) राजनीतिक प्रचार
(d) मानव स्वभाव की समझ
Ans: (b)
निम्नलिखित अनुच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़िए और 214 से 219 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजिए: कथावाचन हमारे जीन में नही है। वह विकासमूलक इतिहास भी नहीं है। यह वह तत्व है जो हमें मानव बनाता है। मानव कथा वाचन के माध्यम से प्रगति करता है। किसी विशेष घटना का परिणाम कथा के कई विविध रूपों में सामने आता है‚ जिसके बारे में लोग कहते हैं। कभी-कभी उन कहानियों में भारी अंतर होता है। किस कहानी का वाचन हो रहा है और उसे दोहराया जा रहा है तथा किस कथा को छोड़ दिया गया और भुला दिया जाता है जिससे बहुधा यह निर्धारित होता है कि हमने कैसे प्रगति की। हमारा इतिहास‚ ज्ञान और समझये सभी कुछ कहानियों के संग्रह हैं जो जीवित रहते हैं। इसमें वे कहानियों भी शामिल हैं जो हम भविष्य के बारे में एक-दूसरे को कहते हैं। और भविष्य कैसा होगा यह आंशिक अथवा संभवत: व्यापक रूप से उन कहानियों के चयन पर निर्भर करता है जिन पर हमारा सामूहिक रूप से विश्वास होता है। कुछ कहानियाँ तो डर और चिंता फैलाने के लिए गढ़ी जाती हैं। ऐसा इसलिए कि कुछ कथा वाचक ऐसा महसूस करते हैं कि कुछ तनाव पैदा करने की जरूरत है। कुछ डरावनी कहानियाँ होती हैं‚ वे टोटमी चेतावनी जैसी होती हैं: ‘अभी कुछ नहीं किए तो हम सबका सर्वनाश हो जाएगा।’’ इसके बाद कुछ ऐसी कहानियाँ होती हैं जो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि सब कुछ अच्छा होगा यदि हम सब क्âुछ विशेष रूप से चन्द सक्षम वयस्कों के भरोसे छोड़ देंगे। इस समय यह प्रवृत्ति उन लोगों द्वारा आगे बढ़ाई जा रही है जो अपने आपको ‘‘विवेकी आशावादी’’ कहते हैं। वे यह दावा करते हैं कि प्रतिस्पर्धा करना‚सफल होना और दूसरों की कीमत पर लाभ लेना ही मानव स्वभाव है। हालांकि विवेकी आशावादी यह अनुभव नहीं करते कि भद्र सामाजिक ताने-बाने के माध्यम से मानवता ने समय के साथ कैसे प्रगति की है और कैसे बड़े समाज का समूह न्यूनतम स्वार्थ से कार्य करता है तथा प्रक्रिया में धनी और निर्धन एवं ऊँच-नीच को समान रूप से कैसे समायोजित करता है। कथा-वाचन के इस पहलू पर ‘‘व्यावहारिक सम्भाव्यों’’ द्वारा विचार किया जाता है‚ जो उन लोगों के मध्य का मार्ग अपनाते हैं जो यह कहते हैं कि सब ठीक-ठाक है‚ खुश रहो और सुखद भविष्य के लिए अपने व्यवहार में व्यक्तिवादी बनो और वे लोग जो निराशावाद और भय का दामन थामते हैं‚ वे यह मानते हैं कि हम सबका सर्वनाश हो जाएगा। हमारा भविष्य यह है कि हम किस कहानी को आगे बढ़ाते हैं और हम उस पर किस तरह से कार्य करते हैं।
214. हमारा ज्ञान निम्न में से किसका समूह है?
(a) कुछ ऐसी कहानियाँ जिन्हें हम याद करते हैं।
(b) कुछ कहानियाँ जो जीवित रहती हैं।
(c) कुछ महत्वपूर्ण कहानियाँ।
(d) वे सभी कहानियाँ जिन्हें हमने अपने जीवन काल में सुनाहै।
Ans: (b)
215. कहानियों के आधार पर हमारा भविष्य कैसा होगा?
(a) जो बार-बार कही जाती हैं।
(b) भय और तनाव फैलाने के लिए विरूपित की जाती है।
(c) भविष्य बताने के लिए विरूपित की जाती है।
(d) हम सामूहिक रूप से विश्वास का चयन करते हैं।
Ans: (d)
216. मानव कम स्वार्थी होते हैं जब:
(a) वे डरावनी कहानियाँ सुनते हैं।
(b) वे आनंददायी कहानियाँ सुनते हैं।
(c) वे अकेले काम करते हैं।
(d) वे बड़े समूह में कार्य करते हैं।
Ans: (d)
217. ‘क्रियात्मक संभाव्य’ वे हैं जो:
(a) विनाश का हौवा खड़ा करनेद वाले होते हैं।
(b) आत्म-केन्द्रित होते हैं।
(c) प्रसन्न और बेपरवाह होते हैं।
(d) मध्यमार्ग पर चलते हैं।
Ans: (d)
218. कथा वाचन निम्न में से क्या है?
(a) एक विज्ञान
(b) हमारे जीन में है
(c) एक तत्व जो हमें मानव बनाता है
(d) एक कला
Ans: (c)
219. विवेकी आशावादी :
1. अवसरों की ताक में रहते हैं।
2. संवेदनशील और पसन्न रहते हैं।
3. स्वार्थी होते हैं। नीचे दिए कूटों से सही उत्तर दीजिए।
(a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3 (d) 1‚ 2‚ और 3
Ans: (d)
निम्नलिखित अनुच्छेद को सावधानीपूर्व पढ़िए और 220 से 224 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजिए: हाल ही में मैंने वही काम किया जहां आपको एक बड़े कार्ड पर हस्ताक्षर करने होते हैं और यह काम अपने आप में ऐसे संत्रास है‚ विशेषकर जबकि उस बड़े कार्ड का धारक मेरे ऊपर झुका हुआ था। मैं अचानक ऐसी स्थिति में था‚ जैसे अग्रदीप में एक खरगोश या विनोदपूर्ण संवाद भेजने अथवा इन-जोक अथवा आरेखन के बीच उधेडबुन की स्थिति। इसके बजाय उपलब्ध अनेक विकल्पों से अभिभूत होकर मैंने यही लिखने का निर्णय किया : ‘‘गुड लक‚ ठीक है‚ जोएल’’। भयभीत होकर तभी मैंने महसूस किया कि मैं तो लिखना ही भूल गया हूँ। मेरा तो इतना-सा वजूद है ‘‘कम्प्यूटर पर अक्षरों को दबाओ।’’ खरीदारी हेतु मेरी सूची तो मेरे फोन के नोट प्रकार्य में छिपी है। यदि मुझे कोई याद करने की आवश्यकता पड़ती है‚ तो मैं अपने आप को ई-मेल भेज देता हँू। जब मैं कुछ सोच-विचार में संघर्ष कर रहा होता हँू तो मैं अपनी कलम चबाने लगता हँू। कागज कुछ इस तरह से है जिसे मैं लैपटॉप के नीचे एकत्रित करता हँू ताकि टँकण हेतु इसकी ऊँचाई मेरे लिए अधिक सुविधाजनक हो जाय। लेखनसामग्री विक्रेताओं द्वारा 1‚000 किशोर बालकों के सर्वेक्षण में‚ बिक ने पाया कि उनके 10 में से एक किशोर के पास अपनी कलम नहीं है‚ उनमें से हर तीसरे ने तो कभी पत्र नहीं लिखा है एवं 13 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के आधे किशोरों को कभी भी बाध्य नहीं किया गया कि वे बैठें और धन्यवाद का पत्र लिखें। 80% से अधिक किशोरों ने तो कभी भी कोई प्रेम पत्र नहीं लिखा‚ 56% के घर पर पत्र का कागज नहीं है। साथ ही एक एक-चौथाई को तो जन्मदिन के कार्ड लिखने की अनोखी जहमत की कोई जानकारी ही नहीं हुई। अधिक से अधिक यदि किसी किशोर को कलम के प्रयोग की आवश्यकता हुई तो वह सिर्फ प्रश्न पत्र का उत्तर लिखने में। बिक‚ क्या तुमने कभी मोबाइल फोन के बारे में सुना है? क्या तुमने ई-मेल‚ फेसबुक और स्नैप चैटिंग के बारे में सुना है? यही भविष्य है। कलम का जमाना गया। कागज का जमाना गया। हस्तलेखन अब स्मृतिशेष रह गया है। ‘‘हमारे पास हस्तलेखन सर्वाधिक सर्जनात्मक अभिव्यक्ति है तथा इसे रेखाचित्र (स्केचिंग)‚ चित्रकारी अथवा फोटोग्राफी जैसी कला के अन्य रूपों की तरह समान महत्व दिया जाना चाहिए।’’ निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
220. बिक के सर्वेक्षण के अनुसार‚ कितने किशोरों के पास कोई कलम नहीं है?
(a) 560 (b) 500
(c) 100 (d) 800
Ans: (c)
221. लेखक के अनुसार‚ निम्नलिखित में से कौन कामकाज की सर्वाधिक सर्जनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है?
(a) फोटोग्राफी (b) रेखाचित्र बनाना (स्केचिंग)
(c) पढ़ना (d) हस्तलेखन
Ans: (c)
222. लेखक की संपूर्ण सत्ता ——– के इर्द-गिर्द घूमती है।
(i) कम्प्यूटर (ii) मोबाइल फोन (iii) टाइपराइटर नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए :
(a) केवल (i) और (ii) (b) (i)‚ (ii) और (iii)
(c) (ii) और (iii) (d) केवल (ii)
Ans: (a)
223. लेखक की मुख्य चिंता क्या है?
(a) कि किशोर मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं।
(b) कि किशोर कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं।
(c) कि किशोर हस्तलेखन की कला भूल गये हैं।
(d) कि किशोर संचार हेतु सामाजिक नेटवर्क का उपयोग करते हैं।
Ans: (c)
224. एक बड़े कार्ड पर हस्ताक्षर करने की बात आई‚ तो लेखक को ‘‘अग्रदीप में किसी खरगोश’’ जैसा अनुभव हुआ। इस पद का क्या अर्थ है?
(a) प्रसन्नता की स्थिति (b) दुश्चिंता की स्थिति
(c) वेदना की स्थिति (d) उलझन की स्थिति
Ans: (d)
निम्नलिखित उद्धरण को सावधानीपूर्वक पढ़िये और प्रश्न संख्या 225 से 230 तक के उत्तर दीजिये : श्रम के परिपे्रक्ष्य में‚ जापानी कार्यकर्ता दशकों तक अपेक्षाकृत कम लागत तथा उच्च गुणवत्ता के आधार पर प्रतिस्पर्धी अभिलाभ प्रदान करते रहे हैं‚ विशेषकर टिकाऊ वस्तुओं एवं उपभोक्ता संबंधी इलेक्ट्रानिक्स उद्योगों यथा: मशीनरी‚ ऑटोमोबाइल‚ टेलीविजन‚ रेडियो आदि के संदर्भ में। तदुपरान्त श्रम आधारित लाभ दक्षिण कोरिया‚ पश्चात मलेशिया‚ मैक्सिको तथा अन्य देशों में अंतरित हुए। सम्प्रति‚ श्रम के आधार पर चीन को विशेष लाभ उपलब्ध होता प्रतीत हो रहा है। फिर भी‚ ऐसी टिकाऊ वस्तुओं‚ इलेक्ट्रिॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों के लिए जापानी फर्म बाजार में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिसपर्धा योग्यता रखती है। किंतु अन्य औद्योगिक देशों के विनिर्माताओं के ऊपर प्रतिस्पर्धात्मक अभिलाभ हेतु श्रमबल अब पर्याप्त नहीं है। श्रम आधारित लाभ में इस प्रकार का बदलाव उत्पादन से जुडे उद्योगों तक स्पष्टत: अनुसीमित नहीं है। आज सूचना प्रौद्योगिकी एवं सेवा क्षेत्र से जुड़े अधिसंख्य रोजगार की संभावनाएँ यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका से भारत‚ सिंगापुर तथा ऐसे ही अन्य देशों की ओर बढ़ रही है यहाँ सापेक्षत: अधिक शिक्षित‚ कम लागत वाले कार्यबल तकनीकी कौशल रखते हैं। तथापि‚ जैसे-जैसे अन्य देशों में शैक्षिक स्तर एवं तकनीकी दक्षताएँ अभिवृद्ध हो रही है; भारत सिंगापुर तथा इसी प्रकार के अन्य देश जिनमें श्रम आधारित अभिलाभ प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर विशेष रूप में उपलब्ध रहे हैं‚ उनके समक्ष नए प्रतिस्पर्धियों के अविर्भाव से ऐसे लाभों की संभावनाओं को बनाए रखना कठिन प्रतीत होता है। पूँजी की दृष्टि से‚ सदियों तक स्वर्ण-सिक्कों के काल एवं बाद में कागजी मुद्रा ने भी वित्तीय प्रवाहों को प्रतिबंधित किया। इस क्रम में क्षेत्रीय केन्द्रीकरण का अभ्युदय हुआ जिसमें बड़े बैंक‚ उद्योग और बाजार सम्मिश्रित हुए। किंतु आज पूँजी का प्रवाह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्षिप्रगति से हो रहा है। वैश्विक वाणिज्य अब अपने व्यापारिक प्रतिभागियों से क्षेत्रीय अन्तक्रियाओं (विनिमय) की आवश्यकता नहीं रखता। नि:संदेह‚ क्षेत्रीय स्तर पर पूँजी-केन्द्रीकरण के पुंज न्यूयार्क‚ लंदन तथा टोक्यो जैसे स्थानों में अभी भी विद्यमान हैं किन्तु वे स्पर्धात्मक लाभों के लिए विश्व में फैले हुये अन्य पूँजी विनिवेशकों का दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त नहीं है। परिवतर्तित परिदृश्य के कोई भी संगठन अपने संसाधनों (यथा : भूमि‚ श्रम‚ पूँजी एवं सूचना प्रौद्योगिकी) को जोड़ने‚ समन्वित करने तथा अनुप्रयोग में प्रभावी रूप से सक्षम हैं तथा जिसे अन्य प्रतिस्पर्धाओं द्वारा सुविधाजनक रूप में अपनाया न जा सके‚ तभी उन्हें लम्बे अरसे तक ऐसे अभिलाभों के संपोषण का अवसर प्राप्त हो सकेगा। फर्म के ज्ञान-आधारित सिद्धान्त के प्ररिपे्रक्ष्य में इस धारणा से संगठनात्मक ज्ञान को परम्परागत आर्थिक आगतों की सामथ्र्य एवं महत्व के समतुल्य संसाधन के रूप में देखा जा सकता है। वह संगठन जिसमें उत्कृष्ट ज्ञान का संबल विद्यमान है‚ विशेषत: उन बाजारों में स्पर्धात्मक लाभ मिल सकते हैं जहाँ ज्ञान के अनुप्रयोग के प्रति आकर्षण हैं। इसके उदाहरण है: सेमीकन्डक्टर‚ जेनेटिक इंजीनियरिंग‚ फार्मास्युटिकल्स‚ सॉफ्टवेयर‚ सैन्य युद्ध कर्म तथ अन्य ज्ञान गहन प्रतिद्वंद्विता के वे क्षेत्र जो कालक्रमानुसार सिद्ध एवं वर्तमान में भी प्रभावी हैं। सेमीकन्डक्टर जैसे कम्प्यूटर चिप्स को ही ले लीजिए जो प्रमुख रूप से रेत एवं सामान्य धातुओं से बनते हैं। ये सार्वदेशिक एवं शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक प्रविधियाँ सामान्य कार्यालय भवनों में तैयार की जाती हैं तथा इसमें वाणिज्यिक दृष्टि से उपलब्ध उपकरणों का उपयोग होता है तथ कई औद्योगिक देशों में कारखानों में ही निर्मित होते हैं। फलस्वरूप‚ सेमीकन्डक्टर उद्योगों में भूमि को महत्चपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक संसाधन के रूप में नहीं लिया जाता है। इस उद्धरण के अनुसार निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
225. एक संगठन किस तरह संपोषणीय प्रतिस्पर्धा का लाभ उठा सकता है।
(a) क्षेत्रीय पूँजी प्रावाहों के माध्यम से।
(b) व्यापार कर्ताओं के बीच क्षेत्रीय अन्तर्किया के माध्यम से।
(c) बड़े बैंकों‚ उद्योगों ओर बाजारों को सम्मिश्रित कर।
(d) विभिन्न साधकत्वों के प्रभावी प्रयोग द्वारा।
Ans : (d)
226. विशिष्ट बाजारों में प्रतिस्पर्धी लाभों को सुनिश्चित करने के लिये क्या आवश्यक है?
(a) पूँजी की सुलभता
(b) सामान्य कार्यालय भवन
(c) उत्कृष्ट ज्ञान
(d) सामान्य धातुएँ
Ans : (c)
227. यह उद्धरण किस प्रवृत्ति का उल्लेख करता है?
(a) वैश्विक वित्तीय प्रवाह का
(b) विनिर्माण उद्योग में प्रतिस्पर्धा के अभाव का
(c) पूँजीवादियों के क्षेत्रीकरण का
(d) संगठनात्मक असंगति का
Ans : (a)
228. इस उद्धरण में लेखक किस पर बल देता है?
(a) अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य पर
(b) श्रम-गहन उद्योग पर
(c) पूँजी-संसाधन प्रबन्धन पर
(d) ज्ञान-अनुप्रेरित प्रतिस्पर्धी लाभ पर
Ans : (d)
229. किस देश ने आटोमोबाइल उद्योग में दशकों तक प्रतिस्पर्धी लाभ उठाया है?
(a) दक्षिण कोरिया (b) जापान
(c) मैक्सिको (d) मलेशिया
Ans : (b)
230. भारत और सिंगापुर के श्रम-आधारित प्रतिस्पर्धा लाभ आई.टी और सेवा क्षेत्रों में क्यों संपोषित नहीं किये जा सकते ?
(a) दक्षता के ह्नासमान स्तरों के कारण
(b) पूँजी-गहन प्रौद्योगिकी के आने के कारण
(c) नये प्रतिस्पर्धियों के कारण
(d) विनिर्माण उद्योगों के श्रम आधारित लाभ के अन्तरण के कारण
Ans : (c)
Read the following passage carefully and answer from 231 to 236 : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रश्न संख्या 231 से 236 तक के उत्तर दीजिए। The last great war, which nearly shook the foundations of the modern world, had little impact on Indian literature beyond aggravating the popular revulsions against violence and adding to the growing disillusionment with the ‘humane pretensions’ of the Western World. This was eloquently voiced in Tagore’s later poems and his last testament, Crisis in Civilsation. The Indian intelligentsia was in a state of moral dilemma. On the one hand, it could not help sympathising with England’s dogged courage in the hour of peril, with the Russians fighting with their backs to the wall against the ruthless Nazi hordes, and with china groaning under the, heel of Japanese militarism; on the other hand, their own country was practically under military occupation of their own soil, and an Indian army under Subhas Bose was trying from the opposite camp to liberae their country, No creative impulse could issue from such confussion of loyalties. One would imagine that the achievement of Indian independence in 1947, which came in the wake of the Allies’ victroy and was followed by the collapse of colonialism in the neighbouring countries of South-East Asia, would have released an upsurge of creative energy. No doubt it did, but unfortunately it was soon submerged in the great agony of partition, with its inhuman slaughter of the innocents and the uprootig of millions of people from their homeland, followed by the martyrdom of Mahatma Gandhi. These tragedies, along with Pakistan’s invasion of Kashmir and its later atrocities in Banglasesh, did indeed provoke a poignant writing, particularly in the languages of the regions most affected, Bengali, Hindi, Kashmiri, Punjabi, Sindhi and Urdu. But poignant or passionate writing does not by itself make great literature. What reserves of enthusiasm and confidence survived these disasters have been mainly absorbed in the task of national reconstruction and economic development. Great literature has always emerged out of chains of convulsions. Indian literature is richer today in volume, range and variety than it ever was in the past. अंतिम महायुद्ध जिसने आधुनिक विश्व की आधारशिला को लगभग विकंपित कर दिया‚ भारतीय साहित्य पर स्वल्प प्रभाव ही डाल सका है। यह हिंसा के विरुद्ध आम रूप से बढ़ावा देने की प्रवृत्ति तथा पश्चिमी दुनिया की ‘मानवीय विज्ञप्तियों’ के बारे में मोहभंग की स्थिति को प्रखरता से अभिव्यक्ति देने में ही सिमटा रहा। इसकी मुखर अभिव्यक्ति टैगोर की अंतिम कविताओं एवं उनके अंतिम महाग्रंथ ‘क्राइसिस इन सिविलाइजेशन’ के माध्यम से हुई। इस समय भारत का बुद्धिजीवी वर्ग एक नैतिक अंतद्र्वन्द्व की दशा से गुजर रहा था। एक ओर जहाँ वह संकट की घड़ी में इंग्लैंड के अदम्य साहस के प्रति सहानुभूति व्यक्त किए बगैर नहीं रह सका‚ जिसमें रूसी लोग निष्ठुर नाजी सैन्य शक्ति से लोहा ले रहे थे। चीन‚ जापान‚ की सेनाओं को बूटों तले रौंदा जा रहा था; वहीं दूसरी ओर उनका अपना ही देश अपनी धरती की सैन्य शक्ति के नियंत्रण में था‚ भारतीय सेना‚ सुभाष बोस के नेतृत्व में दूसरी ओर से उनके देश की मुक्ति का प्रयास कर रही थी। निष्ठाओें के ऐसे द्वन्द्व में किसी भी प्रकार की सृजनात्मक प्रवृत्ति के प्रस्फुटन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह सहज ही अनुमानित किया जा सकता है कि 1947 में भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति जो ‘मित्र राष्ट्रो’ के आविर्भाव क्रम में महत्वपूर्ण है। तथा जो पड़ोसी देशों‚ जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया में उपनिवेशवाद के अंत के रूप में फलित हुआ‚ सृजनात्मक ऊर्जा के विस्फोट को गतिमान कर सकता था। नि: संदेह ऐसा हुआ किंतु शीघ्र ही देश के विभाजन की यंत्रणा‚ नरसंहार तथा लाखों लोगों का अपने ही देश से विस्थापित होने और महात्मा गांधी की शहादत की घटना के साथ कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण तथा बाद में बांग्लादेश में उसके अत्याचारों ने मर्मस्पशी लेखन को प्रेरित किया था। इसका कारण बंगला‚ हिदीं‚ कश्मीरी‚ पंजाबी‚ सिंधी तथा उर्दू में महत्वपूर्ण लेखन सामने आया। किंतु केवल मर्मस्पर्शी अथवा भावपूर्ण लेखन अपने आपमें साहित्य को महानता प्रदान नहीं करता। इन आपदाओं के उपरान्त भी जो उत्साह एवं आत्मबल का कोश बना रहा वो राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा आर्थिक विकास में आत्मसात हुआ। महान् साहित्य का अभ्युदय सर्वदा ही खलबलियों की शृंखलाओं से प्रस्फुटित हुआ है। आज का भारतीय साहित्य पहले के सापेक्ष अपने परिमाण‚ विस्तार एवं विविधता में कही अधिक समृद्ध है।
231. What was the stance of indian intelligentsia during the period of great war ? महायुद्ध के समय भारतीय बुद्धिजीवियों की क्या सोच थी?
(a) Indifference to Russia’s plight. वे रूसी लोगों को कष्टों के प्रति उदासीन थे।
(b) They favoured Japanese militarism. वे जापानी सैन्य शक्तिवाद के पक्ष में थे।
(c) They prompted creativity out of confused loyalities./उनकी अनिश्चित निष्ठावानता ने सृजनात्मकता को बढ़ावा दिया।
(d) They expressed sympathy for England’s dogged courage./उन्होंने इंग्लैण्ड के दृढ़-साहस के प्रति सहानुभूति जताई।
Ans : (d)
232. Identify the factor responsible for the submergence of creative energy in Indian literature. भारतीय साहित्य में सृजनात्मक ऊर्जा को सन्निहित करने वाले कारक की पहचान कीजिये।
(a) Military occupation of one’s own soil . अपनी ही धरती का सैन्य आधिपत्य
(b) Resistance to colonial occupation. औपनिवेशिक आधिपत्य का प्रतिरोध
(c) Great agony of partition विभाजन फलस्वरूप अनुभूत तीव्र यंत्रणा
(d) Victory of Allies. मित्र राष्ट्रों की विजय ।
Ans : (c)
233. What was the aftermath that survived tragedies in Kashmir and Bangladesh ? कश्मीर तथा बंग्लादेश की त्रासदी से जनित प्रभाव क्या थे ?
(a) Suspicion of othe countries दूसरे देशों की शंका -भाव
(b) Continuance of rivalry/प्रतिद्वन्द्विता की निरन्तरता
(c) Menace of war/युद्ध का खतरा
(d) National reconstruction/राष्ट्रीय पुनर्निर्माण
Ans : (d)
234. The passage has the message that प्रस्तुत गद्यांश का कथ्य (संदेश) क्या है ?
(a) Disasters are inevitable आपदाएँ अवश्यंभावी होती है।
(b) Great literature emerges out of chains of convulsions./संक्षौभ-शृंखलाओं से महान साहित्य का अभ्युदय होता है।
(c) Indian literature does not have a marked landscape./भारतीय साहित्य का कोई विशिष्ट परिदृश्य नहीं है।
(d) Literature has no relation with war and independence./युद्ध और स्वतंत्रता से साहित्य का कोई लेना-देना नहीं है।
Ans : (b)
235. What was the impact of the last great war on Indian literature . पिछले महायुद्ध का भारतीय साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ा था?
(a) It had no impact. इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।
(b) It aggravated popular revulsion against violence. इसने हिंसा के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ा दिया था।
(c) It shook the foundations of literature. इसने साहित्य के नीवं को हिला दिया था।
(d) It offered eloquent support to the Western World . इसने पश्चिमी दुनिया को प्रबल समर्थन दिया।
Ans : (b)
236. What did Tagore articulate in his last testament ? अपने अंतिम महाग्रंथ (टेस्टामंट) में टैगोर ने किसकी अभिव्यक्ति की ?
(a) Offered support to Subhas Bose. सुभाष बोस को समर्थन दिया था।
(b) Exposed the humane pretensions of the Western World. पश्चिमी दुनिया की ‘मानवीय-विज्ञप्तियों’ की पोल खोली।
(c) Expressed loyalty to England. इंग्लैंड के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।
(d) Encouraged The liberation of countries. देशों की मुक्ति को प्रोत्साहन प्रदान किया।
Ans : (b)
Read the passage carefully and answer question numbers from 237 to 241. गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न संख्या 237 से 241 का उत्तर दें। Climate change is considered to be one of the most serious threats to sustainable development, with adverse impacts on the environment, human health, food security, economic activity, natural resources and physical infrastructure. Global climate varies naturally. According to the Inter-governmental Panel on Climate Change (IPCC), the effects of climate change have already been observed, and scientific findings indicate that precautionary and prompt action is necessary. Vulnerability to climate change is not just a function of geography or dependence on natural resources, it also social, economic and political dimensions which influence how climate change affects different groups. Poor people rarely have insurance to cover loss of property due to natural calamities i.e. drought, floods, super cyclones etc. The poor communities are already struggling to cope with the existing challenges of poverty and climate variability and climate change could push many beyond their ability to cope or even survive. It is vital that these communities are helped to adapt to the changing dynamics of nature. Adaptation is processes through which societies make themselves better able to cope with an uncertain future. Adapting to climate change entails taking the right measures to reduce the negative effects of climate change (or exploit the positive ones) by making the appropriate adjustments and changes. These range from technological options such as increased sea defences or flood-proof houses on stilts to behavioural change at the individual level, such as reducing water use in times of drought. Other strategies include early warning systems for extreme events, better management, improved risk management, various insurance options and biodiversity conservation. Because of the speed at which climate change is happening due to global temperature rise, it is urgent that the vulnerability of developing countries to climate change is reduced and their capacity to adapt is increased and national adaptation plans are implemented. Adapting to climate change will entail adjustments and changes at every level from community to national and international. Communities must build their resilience, including adopting appropriate technologies while while making the most of traditional knowledge, and diversifying their livelihoods to cope with current and future climate stress. Local coping strategies and knowledge need to be used in synergy with government and local interventions. The need of adaptation interventions depends on national circumstances. There is a large body of knowledge and experience within local communities on coping with climatic variability and extreme weather events. Local communities have always aimed to adapt to variations in their climate. To do so, they have made preparations based on their resources and their knowledge accumulated through experience of past weather patterns. This includes times when they have also been forced to react to and revover from extreme events, such as floods, drought and hurricanes. Local coping strategies are an important element of planning for adaptation. Climate change is leading communities to experience climatic extremes more frequently, as well as new climate conditions and extremes. Traditional knowledge can help to provide efficient, appropriate and time-tested ways of advising and enabling adaptation to climate change in communities who are felling the effects of climate changes due to global warming. जलवायु परिवर्तन को समर्थनीय विकास का सर्वाधिक गंभीर खतरा माना जाता है। इसका पर्यावरण‚ मानव स्वास्थ्य‚ खाद्य सुरक्षा‚ आर्थिक गतिविधि‚ प्राकृतिक संसाधनों और भौतिक अवसंरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वैश्विक जलवायु स्वाभाविक रूप परिवर्तित होती रहती है। जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर को ज्ञापित करने वाले सरकारी पैनल (आई.पी.सी.सी.) के अनुसार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को पहले ही प्रेक्षित किया जा चुका है और वैज्ञानिक निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि सतर्कता और शीघ्रतापूर्वक कार्रवाई किया जाना आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के प्रति भेद्यता सिर्फ भूगोल से नहीं जुड़ी है अथवा सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर नहीं है बल्कि जलवायु परिवर्तन के सामाजिक‚ आर्थिक और राजनीतिक आयाम भी हैं जो इस बात को प्रभावित करते हैं कि किस प्रकार से जलवायु परिवर्तन विभिन्न समूहों को प्रभावित करते हैं। निर्धन व्यक्तियों के पास प्राकृतिक आपदाओं जैसे −सूखा‚ बाढ़‚ महाचक्रवात आदि के कारण सम्पत्ति को होने वाली क्षति की पूर्ति करने के लिए शायद ही बीमा होता है। निर्धन समुदाय तो गरीबी और जलवायु बदलाव की विद्यमान चुनौतियों से पहले ही जूझ रहा है और जलवायु परिवर्तन के कारण अनेक के लिए उससे जूझने और यहाँ तक कि अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। यह महत्त्वपूर्ण है कि प्रकृति के बदलते आयामों के साथ सामंजस्य बैठाने में इन समुदायों की सहायता की जानी चाहिए। अनुकूलन वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से समाज अनिश्चित भविष्य के साथ समंजस्य बिठाने में अपने को बेहतर ढंग से सक्षम बनाता है। जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन के तहत समुचित सामंजस्य और परिवर्तन करने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने (सकारात्मक प्रभावों का फायदा उठाने) के लिए सही उपाय किए जाते हैं। इन उपायों में प्रौद्योगिकीय विकल्प यथा: बढ़ी हुई समुद्री सुरक्षा अथवा टिलुओं पर बाढ़-रक्षित घर से लेकर व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहारगत परिवर्तन जैसे सूखे के समय में पानी का कम प्रयोग शामिल है। अन्य रणनीतियों में चरम घटनाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली‚ बेहतर जल प्रबंधन‚ उन्नत जोखिम प्रबंधन‚ विभिन्न बीमा विकल्प और जैव-विविधता संरक्षण सम्मिलित है। वैश्विक तापन वृद्धि के कारण जिस गति से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है यह अत्यावश्यक हो जाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रति विकासशील देशों की भेद्यता को कम किया जाए और उनकी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाया जाए तथा राष्ट्रीय अनुकूलन नीतियाँ कार्यान्वित की जाएँ। जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन समुदाय से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सभी स्तरों पर सामंजस्य और परिवर्तनों की माँग करता है। वर्तमान और भविष्य के साथ सामंजस्य बिठाने हेतु समुदायों को अपने सर्वाधिक पारम्परिक ज्ञान का उपयोग करने और अपनी आजीविका के विविधीकरण के साथ-साथ समुचित प्रौद्योगिकियों को अपनाने सहित अपनी नम्यता बनानी चाहिए। सरकारी और स्थानीय हस्तक्षेपों के साथ तालमेल बिठाते हुए सामंजस्य बिठाने वाली स्थानीय रणनीतियों और ज्ञान का प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुकूलन संबंधी हस्तक्षेप राष्ट्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। जलवायु संबंधी बदलावों और चरम मौसमी घटनाओं के साथ सामंजस्य बिठाने के संबंध में स्थानीय समुदायों के पास वृहत ज्ञान और अनुभव है। स्थानीय समुदायों का हमेशा से उद्देश्य अपने जलवायु परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना रहा है। ऐसा करने के लिए उन्होंने विगत के मौसमी पैटर्नों के अपने अनुभव के आधार पर अपने संसाधनों और संचित ज्ञान के अनुरूप तैयारियाँ की हैं। इसमें वे समय भी शामिल रहे हैं जब उन्हें बाढ़‚ सूखा और तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं से प्रतिक्रिया करना और उनसे उबरना पड़ा है। सामंजस्य बिठाने की स्थानीय रणनीतियाँ अनुकूलन के नियोजन में महत्त्वपूर्ण तत्त्व रही हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुदायों को बार-बार चरम जलवायु स्थितियों तथा नई जलवायु स्थितियों और चरम स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। पारम्परिक ज्ञान से उन समुदायों को जो वैश्विक तापन की वजह से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं‚ जलवायु परिवर्तन के साथ सामंजस्य बिठाने तथा कुशल‚ समुचित और समयसिद्ध उपाय ढूँढ़ने में सहायता मिलेगी।
237. To address the challenge of climate change, developing countries urgently require : जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए विकासशील देशों को अत्यावश्यक रूप से निम्नलिखित में से क्या करने की जरूरत है?
(a) Adoption of technological solutions प्रौद्योगिकीय समाधान अपनाना
(b) Imposition of climate change tax जलवायु परिवर्तन कर लगाना
(c) Implementation of national adaptation policy at their level/अपने स्तर पर राष्ट्रीय अनुकूलन नीति का कार्यान्वयन
(d) Adoption of short-term plans अल्पावधि योजनाएँ अपनाना
Ans : (c)
238. Adaptation as a process enables societies to cope with :/अनुकूलन एक प्रक्रिया के रूप में समाजों को निम्नलिखित में से किसके साथ सामंजस्य बिठाने में समर्थ बनाता है? (1) An uncertain future/अनिश्चित भविष्य (2) Adjustments and changes/सामंजस्य और परिवर्तन (3) Negative impact of climate change जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव (4) Positive impact of climate change जलवायु परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव Select the most appropriate answer from the following code:/निम्नलिखित कूट में से सर्वाधिक उपयुक्त का चयन करें:
(a) (3) only /सिर्फ (3)
(b) (1), (2), (3) and (4)/ (1), (2), (3) और (4)
(c) (1) and (3)/(1) और (3)
(d) (2), (3) and (4)/(2), (3) और (4)
Ans : (b)
239. The traditional knowledge should be used through:/पारम्परिक ज्ञान का उपयोग निम्नलिखित में से किसके माध्यम से किया जाना चाहिए?
(a) Modern technology/आधुनिक प्रौद्योगिकी द्वारा
(b) Its dissemination/इसके प्रचार-प्रसार द्वारा
(c) Improvement in national circumstances राष्ट्रीय परिस्थितियों में सुधार द्वारा
(d) Synergy between government and local interventions सरकार और स्थानीय हस्तक्षेपों के बीच तालमेल से
Ans : (d)
240. Given below are the factors of vulnerability of poor people to climate change. Select the code that contains the correct answer./नीचे जलवायु परिवर्तन के प्रति निर्धन व्यक्तियों की भेद्यता के कारक दिए गए हैं। सही उत्तर वाले कूट का चयन करें। (1) Their dependence on natural resoucres प्राकृतिक संसाधनों पर उनकी निर्भरता (2) Geographical attributes/भौगोलिक कारण (3) Lack of financial resources/वित्तीय संसाधनों की कमी (4) Lack of traditional knowledge पारम्परिक ज्ञान का अभाव Code :/कूट :
(a) (3) only/सिर्फ
(b) (1), (2) and (3)/(1), (2) और (3)
(c) (2), (3) and (4)/(2), (3) और (4)
(d) (1), (2), (3) and (4)/(1), (2), (3) और (4)
Ans : (b)
241. The main focus of the passage is on : इस गद्यांश का संकेन्द्रिक बिन्दु है :
(a) Social dimensions of climate change जलवायु परिवर्तन के सामाजिक आयाम
(b) Combining traditional knowledge with appropriate technology/पारंपरिक ज्ञान को समुचित प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ना
(c) Co-ordination between regional and national efforts/क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयासों के बीच समन्वय
(d) Adaptation to climate change जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन
Ans : (d)
Read the following passage carefully and answer questions from 242 to 246 : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न संख्या 242 से 246 तक के उत्तर दीजिए : If India has to develop her internal strengths, the nation has to focus on the technological imperatives, keeping in mind three dynamic dimensions: the people, the overall economy and the strategic interests. These technological imperatives also take into account a ‘fourth’ dimension, time, an offshoot of modern day dynamism in business, trade, and technology that leads to continually shifting targets. We believe that technological strengths are especially crucial in dealing with this fourth dimension underlying continuous change in the aspirations of the people, the economy in the global context, and the strategic interests. The progress of technology lies at the heart of human history. Technological strengths are the key to creating more productive employment in an increasingly competitive market place and to continually upgrade human skills. Without a pervasive use of technologies, we cannot achieve overall development of our people in the years to come. The direct linkages of technology to the nation’s strategic strengths are becoming more and more clear, especially since 1990s. India’s own strength in a number of core areas still puts it in a position of reasonable strength in geo-political context. Any nation aspiring to become a developed one needs to have strengths in various strategic technologies and also the ability to continually upgrade them through its own creative strengths. For people-oriented actions as well, whether for the creation of large scale productive employment or for ensuring nutritional and health security for people, or for better living conditions, technology is the only vital input. The absence of greater technological impetus could lead to lower productivity and wastage of precious natural resources. Activities with low productivity or low value addition, in the final analysis hurt the poorest most. The technological imperatives to lift our people to new life, and to a life they are entitled to is important. India, aspiring to become a major economic power in terms of trade and increase in GDP, cannot succeed on the strength of turnkey projects designed and built abroad or only through large-scale imports of plant machinery, equipment and know how. Even while being alive to the short-term realities, medium and long-term strategies to develop core technological strengths within our industry are vital for envisioning a developed India. यदि भारत को अपनी आंतरिक शक्तियाँ विकसित करनी है‚ तो उसको तीन गतिशील आयामों- जनता‚ सर्वांगीण अर्थव्यवस्था और सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयताओं पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। ये प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयताएँ एक ‘‘चौथे आयाम’’‚ समय‚ पर भी ध्यान रखती है जो व्यवसाय‚ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी की आधुनिक गतिशीलता से नि:सृत है‚ और जो निरंतर बदलते लक्ष्यों की ओर अग्रसर करता है। हमारा यह मानना है कि इस चौथे आयाम के सन्दर्भ में जनता की आकांक्षाओं में निरंतर हो रहे परिवर्तन‚ वैश्विक संदर्भ में अर्थव्यवस्था तथा सामरिक महत्व वाले हित के परिप्रेक्ष्य में प्रौद्योगिकीय शक्तियाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। मानव इतिहास के मूल में प्रौद्योगिक विकास समाया रहता है और इसका उपयोग बढ़ती प्रतिस्पर्धा वाले बाजार में प्रौद्योगिकी शक्तियाँ अधिक उत्पादक रोजगार पैदा करने तथा मानवकौशलों को अद्यतन बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। प्रौद्योगिकियों के व्यापक अनुप्रयोग के बिना हम आने वाले समय में अपने लोगों का सर्र्वांगीण विकास नही कर सकते। देश की सामरिक शक्तियों के साथ प्रत्यक्ष संलग्नताएँ विशेष रूप से 1990 के दशक के बाद से अधिकाधिक स्पष्ट होती जा रही है। कई मूल अनुक्षेत्रों में स्वयं भारत की शक्ति उसको भू-राजनीतिक संदर्भ में यथोचित शक्ति की स्थिति में रखती है। एक विकसित देश बनने के आकांक्षी किसी भी देश के लिए विभिन्न सामरिक प्रौद्योगिकियों में शक्ति-सम्पन्न होना और स्वयं की सृजनात्मक शक्तियों के माध्यम से उन्हें निरंतर अद्यतन करते रहने की सामथ्र्य भी आवश्यक है। जन-अभिमुखी कार्यो के लिये भी चाहे विशाल स्तर पर उत्पादनशील रोजगार का सृजन हो या जनता की पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करनी हो या फिर जीवन यापन की बेहतर स्थितियाँ हों- दोनों दृष्टियों से प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण आगत है। प्रौद्योगिकी पर अपेक्षाकृत अधिक बल की अनुपस्थिति से निम्न स्तरीय उत्पादकता और मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। निम्न स्तरीय उत्पादकता या निम्न स्तरीय मूल्य-संवर्धन से जुड़े क्रियाकलाप अंतत: अत्यंत गरीब लोगों को सबसे अधिक हानि पहुँचाते हैं। हमारी जनता को एक नए जीवन तक पहुँचाना और वह जीवन प्रदान करना‚ जिसके लिए वह हकदार है‚ इस बारे में प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयता महत्वपूर्ण है। व्यापार और जी.डी.पी. में वृद्धि की दृष्टि से एक बड़ी आर्थिक शक्ति होने का आकांक्षी भारत विदेश में डिजाइन की गयी और निर्मित ‘टर्नकी’ परियोजनाओं की शक्ति या केवल संयंत्र मशीनरी‚ उपकरण और तकनीकी ज्ञान के बल पर सफल नहीं हो सकता। अल्पकालिक यथार्थों पर ध्यान देते हुए हमारे उद्योगों में मध्यम एवं दीर्घकालिक रणनीतियों द्वारा प्रौद्योगिकीय शक्तियों को विकसित करना विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिये महत्वपूर्ण है।
242. The advantage of technological inputs would result in:/प्रौद्योगिकीय आगतों के लाभ का परिणाम होगा:
(a) Lifting our people to a life of dignity हमारे लोगों को गरिमामयी जीवन तक पहुँचाना
(b) Unbridled technological growth अनियंत्रित प्रौद्योगिकीय संवृद्धि
(c) Importing plant machinery संयंत्र मशीनरी का आयात
(d) Sidelining environmental issues पर्यावरण संबंधी मुद्दों को गौण मानना
Ans. (a)
243. More productive employment demands : अधिक उत्पादक रोजगार पैदा करने के लिए आवश्यक है :
(a) Large industries/विशाल उद्योग
(b) Pervasive use of technology प्रौद्योगिकी का व्यापक अनुप्रयोग
(c) Limiting competitive market place प्रतिस्पर्धात्मक बाजार का दायरा सीमित करना
(d) Geo-political considerations भू-राजनीतिक सोच-विचार
Ans. (b)
244. Absence of technology would lead to:/प्रौद्योगिकी की अनुपस्थिति से किसका मार्ग प्रशस्त होगा?
(A) Less pollution/कम प्रदूषण
(B) Wastage of precious natural resources मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी
(C) Low value addition/निम्न स्तरीय मूल्य-संवर्धन
(D) Hurting the poorest most अत्यंत गरीब लोंगों को सबसे अधिक नुकसान Code :/कूट :
(a) (a), (c) and (d) only/केवल (a), (c) और (d)
(b) (a), (b) and (c) only/केवल (a), (b) और (c)
(c) (b), (c) and (d) only/केवल (b), (c) और (d)
(d) (a), (b) and (d) only/केवल (a), (b) और (d)
Ans. (c)
245. Envisioning a developed India requires : विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिए आवश्यक है :
(a) Development of core technological strengths संकेन्द्रिक प्रौद्योगिकीय शक्ति का विकास
(b) Aspiration to become a major economic player प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने की आकांक्षा
(c) Dependence upon projects designed abroad विदेश में तैयार की गई परियोजना पर निर्भरता
(d) Focus on short-term projects लघुकालिक परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित करना
Ans. (a)
246. According to the above passage, which of the following are indicative of the fourth dimension? उपरोक्त गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन चौथे आयाम को इंगित करता है?
(A) Aspirations of people/जन-आकांक्षाएँ
(B) Modern day dynamism/आधुनिक गतिशीलता
(C) Economy in the global context वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अर्थव्यवस्था
(D) Strategic interests/सामरिक हित Code :/कूट :
(a) (A), (B) and (D) only/केवल (A), (B) और (D)
(b) (A), (B) and (C) only/केवल (A), (B) और (C)
(c) (B), (C) and (D) only/केवल (B), (C) और (D)
(d) (A), (C) and (D) only/केवल (A), (C) और (D)
Ans. (c)
Read the following passage carefully and answer question numbers from 247 to 251: निम्नलिखित गद्यांश को सावधानीपर्वूक पढ़िए और प्रश्न संख्या 247 से 251 तक के उत्तर दीजिए। It is easy to see that there is nothing particularly unusual, or especially contrary to reason, for a person to choose to pursue a goal that is not exclusively confined to his or her own self-interest. As Adam Smith noted, we do have many different motivations, taking us well beyond the single-minded pursuit or our interest. There is nothing contrary to reason in our willingness to do things that are not entirely self-serving. Some of these motivations, like ‘humanity, justice, generosity and public spirit’, may even by very productive for society, as Smith noted. There tends to be, however, more resistance to accepting the possibility that people may have good reasons even to go beyond the pursuit of their own goals. The argument runs: if you are consciously not pursuing what you think are your goals, then clearly those cannot be your goals. Indeed, many authors have taken the view that the claim that one can have reason not to be confined to the pursuit on one’s goals is ‘nonsensical’ since even strongly heterogeneous or altruistic agents cannot pursue other people’s goals without making their own. The point here is that in denying that rationality demands that you must act single- mindedly according to your own goals. You do not necessarily dedicate yourself to the promotion of others. we can reason our way towards following decent rules of behaviour that we see being fair to others as well. This can restrain the unique dominance of single-minded pursuit of our own goals. There is nothing particularly mysterious about our respect for sensible rules of conduct. This can qualify the pursuit of what we rightly- and reasonably- see as goals that we would in general like to advance. What we can say about your choice? There is no difficulty in understanding that you are not averse to helping your neighbour- or anyone else – pursue his or her well being. But it so happens that you do not think that your neighbour’s well-being is, in fact, best advanced by his wasting time on playing a silly game. Your action is not corollary of any general pursuit of well-being. किसी-व्यक्ति के लिए ऐसे प्रयोजन का लक्ष्य का चयन करना‚ जो उसके निजी हित में पूर्णत: सहायक न हो‚ यह बात असामान्य है या खास तौर से तर्क के विरुद्ध है‚ ऐसा सहज ही कहा जा सकता है। जैसा कि एड्म स्मिथ ने कहा है‚ हमारी अभिप्रेरणाओं में एक ऐसी विविधता होती है‚ जो हमें अपने निजी हित-साधन की दृष्टि से एकनिष्ठ प्रयास से परे ले जाती है। स्व-हितों को पूरा करने की दृष्टि से हमें ऐसे कार्यों के प्रति लगाव रखने में कोई तर्क-विरुद्ध स्थिति नहीं प्रतीत होती। जैसा कि स्मिथ ने कहा है‚ इनमें से कुछ अभिप्रेरणाएँ‚ जैसे मानवता‚ न्याय‚ उदारता और जन-भावना समाज के लिए अत्यधिक उत्पादक भी हो सकती है। फिर भी उन संभावनाओं को स्वीकार करने के प्रति अधिक प्रतिरोध की ओर उन्मुखता होती है‚ जिनके बारे में व्यक्तियों के पास स्वयं अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रायास के परे जाने के मामले में उचित कारण हो। यह तर्क इस प्रकार है : यदि आप अपने उन लक्ष्यों के लिए सचेतन रूप से प्रयास नहीं कर रहे हैं‚ जिन्हें आप अपने लक्ष्य मानते हैं तो ये स्पष्ट रूप से अपने लक्ष्य की परिधि में नहीं आ सकते। वस्तुत: अनेक लेखकों के मतानुसार यह कहना निरर्थक है कि व्यक्ति का अपने लक्ष्यों तक ही अपने प्रयास सीमित नहीं रखने का कारण हो सकता है‚ क्योंकि अत्यंत विषम प्रकृति के व्यक्ति का उदार दृष्टिवादी भी दूसरे व्यकितयों के लक्ष्यों को अपना बनाए बिना उसकी ओर प्रयासरत नहीं हो सकते। विचारणीय यह है कि तर्कसंगतता संबंधी आवश्यकताओं को नकारने में आपको स्वयं अपने लक्ष्यों के अनुसार एकनिष्ठ होकर कार्य करना होगा। यह आवश्यक नहीं है कि आप अन्य व्यक्तियों के लिए अपने निजत्व का परित्याग कर दें। हम आचरण के उन सुसंस्कृत नियमों के अनुसरण की दिशा में अपने तरीके के कारण बता सकते हैं‚ जिन्हें हम अन्य के प्रति भी न्यायसंगत मानते हैं। यह प्रवृत्ति हमारे अपने लक्ष्यों के एकनिष्ठ प्रयास की विलक्षण प्रबलता को अवरुद्ध कर सकती है। आचरण के सुसंगत नियमों के प्रति आदर प्रदर्शित करने में कोई विशेष रहस्यात्मकता नहीं है। यह इस प्रयास के अनुकूल होगा‚ जिसको हम सही और तर्कसंगत ढंग से उन लक्ष्यों को मानते हैं‚ जिन्हें हम सामान्यत: बढ़ावा देंगे। हम आपके विकल्प के बारे में यह कह सकते हैं?यह समझना कठिन नहीं है कि आप अपने पड़ोसी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसके हित के बारे में प्रयास करने में सहायता के प्रति उदासीन नहीं हैं। लेकिन‚ यदि ऐसा होता है तेा आप यह नहीं सोच रहे हैं कि आपके पड़ोसी का हित एक विवेकशून्य खेल को खेलने में उसके समय की बर्बादी को ही प्रश्रय दे रहा है। आपका यह मानना हित-साधन के किसी सामान्य प्रयास का अनुसिद्धांत नहीं है।
247. The observation of Adam Smith in going beyond self-serving interest is: /स्व-साधक हित से परे जाने में एड्म स्मिथ की टिप्पणी है:
(a) Having one’s own goals अपने लक्ष्यों तक सीमित रहना
(b) Motivations like justice and public spirit न्याय और जन-भावना जैसी अभिप्रेरणाएँ
(c) Issues contrary to reasons. /तर्क-विरुद्ध मसले
(d) Willingness to do different things विभिन्न कार्य करने के लिए इच्छुक होना
Ans :(b)
248. In the view of many authors, not pursuing one’s own goal is :/अनेक लेखकों के मतानुसार स्वयं अपने लक्ष्य साधनों के लिए प्रयास करना है :
(a) Nonsensical/अर्थहीन (b) Natural/स्वाभाविक
(c) Altruistic/उदारवादी (d) Rational/विवेकसम्मत
Ans :(c)
249. According to the passage, decent rules of behaviour are needed :/गद्यांश के अनुसार आचरण के सुसंस्कृत नियम आवश्यक हैं :
(a) Because of self-imposed restraints स्वारोपित निग्रहों के कारण
(b) To be rational /तर्कसंगत होने के लिए
(c) For being fair to others अन्य व्यक्तियों के प्रति न्यायसंगत होने के लिए
(d) Due to dominance of our own goals हमारे अपने लक्ष्यों की प्रबलता के कारण
Ans :(c)
250. What can stand in the way of single-minded pursuit of one’s goals?/व्यक्ति के लक्ष्यों के एकनिष्ठ प्रयास में क्या अवरोध हो सकता है?
(a) Giving priority to our own goals स्वयं अपने लक्ष्यों को प्राथमिकता देना
(b) Compulsion to consider the goals of others अन्य व्यक्तियों के लक्ष्यों पर विचार करने की अनिवार्यता
(c) Respect for sensible rules of conduct आचरण के सुसंगत नियमों के प्रति आदर
(d) Pursuit of paradoxical parameters विरोधाभासी मापदण्डों का प्रयास
Ans :(c)
251. The moral derived from the passage is: गद्यांश से प्राप्त नैतिक सीख है:
(a) Pro-active move to support others अन्य व्यक्तियों की सहायता के लिए पहल
(b) Not to think of our neighbour पड़ोसी के हित के बारे में सोचना
(c) Force people to take on the other people’s goals as their own /व्यक्तियों को अन्य व्यक्तियों के लक्ष्यों को अपने लक्ष्य मानने के लिए बाध्य करना
(d) Assist your neighbours to engage in any activity of their choice /अपने पड़ोसियों को उनकी पसंद के किसी क्रियाकलाप में रत रहने में सहायता करना
Ans :(a)
Read the following passage carefully and answer questions 252 to 256 : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न सं. 252 से 256 के उत्तर दीजिए : Singapore has long advocated for India to take up its role as an integral part of the region. It is gratifying to see how Asean – India relations have grown during the past 25 years. In 1991, when the Cold War ended and India began its economic liberalisation, Singapore saw an opportunity to deepen ties and build on its historical and cultural links with the Asian region. Singapore pushed for India to become a full Asean dialogue partner in 1995 and join the EAS in 1995 and since then, Asean – India ties have strengthened. All in all, around 30 platforms for co-operation exist, including seven ministerial dialogues and the Annual Leader Summit. However, there is scope for more and it is a must. For instance, there are tremendous opportunities in enhancing physical and digital connectivity between India and Asean. Asean is committed to strengthening land, air and sea linkages with India. These linkages will enhance people-to-people flows, as well as boost business, investment and tourism. The India-Myanmar- Thailand trilateral highway will connect India’s Northeast to mainland Southeast Asia. While one can fly directly between India and several Asean countries, there is still much room to expand air links to support growing business and tourism. Beyond physical linkages, digital connectivity is the new frontier in the Fourth Industrial Revolution. India has made great progress in innovation, Start-ups and digital inclusion. There are opportunities to apply initiatives such as Aadhaar in our region. Ecommerce and FinTech are two other areas of potential collaboration. As an economic hub, Singapore can serve as a springboard to launch these ideas to Southeast Asia and beyond. India’s role in Asean should be anchored by growing economic ties with Singapore. The economic integration involving 16 countries with one-third of global GDP and trade will create an integrated Asian market. सिंगापुर ने लम्बे अर्से से भारत के क्षेत्र के अभिन्न भाग के रूप में अपनी भूमिका अपनाने की वकालत की है। यह देखना संतोषप्रद है कि पिछले 25 वर्षों में आसियान-भारत सम्बन्धों में किस प्रकार अभिवृद्धि हुई है। वर्ष 1991 में जब शीत युद्ध समाप्त हुआ और भारत ने अपना आर्थिक उदारीकरण शुरू किया‚ सिंगापुर को एशियाई क्षेत्र में अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्पर्क को गहन बनाने और बढ़ाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। सिंगापुर ने 1995 में भारत को आसियान का पूर्णकालिक संवाद भागीदार बनाने और 1995 में ई.ए.एस. में शामिल करने की पहल की और उसके बाद से आसियान-भारत संबंध उत्तरोत्तर सुदृढ़ हुए हैं। कुल मिलाकर आज पारस्परिक सहयोग के 30 मंच अस्तित्व में हैं जिनमें सात मंत्रीस्तरीय वार्ता और एक वार्षिक राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन शामिल हैं। बहरहाल‚ अभी और सहयोग की गुंजाइश है और इसकी आवश्यकता भी है। उदाहरण के तौर पर भारत और आसियान के मध्य भौतिक और डिजीटल सम्पर्क बढ़ाने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। आसियान भारत के साथ सड़क‚ हवाई और समुद्री सम्पर्क बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इन सम्पर्कों से जनसम्पर्क तो बढ़ेगा ही व्यापार‚ निवेश और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत-म्यांमार-थाइलैंड त्रिस्तरीय राजमार्ग भारत के पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया के मुख्य भाग से जोड़ेगा। हालांकि आज भारत और अनेक आसियान देशों के बीच विमान सेवाएं उपलब्ध हैं‚ निरन्तर बढ़ते व्यापार और पर्यटन के हित में हवाई सम्पर्कों के और अधिक विस्तार की अभी भी पर्याप्त गुंजाइश है। चतुर्थ औद्योगिक क्रांति के नए आयाम के रूप में भौतिक सम्पर्क से परे डिजीटल सम्पर्क का भी अपना महत्व है। भारत ने नवाचार‚ स्टार्ट-अप्स और डिजीटल समावेशन के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। हमारे क्षेत्र में आधार जैसी पहलों के अनुप्रयोग के अवसर उपलब्ध हैं। ई-कॉमर्स और फिनटेक पारस्परिक साझेदारी के दो अन्य सम्भावित क्षेत्र हैं। एक आर्थिक केन्द्र के रूप में सिंगापुर इन विचारों को दक्षिण पूर्व एशिया और उसके आगे तक ले जाने में स्प्रिंग बोर्ड का काम कर सकता है। आसियान में भारत की भूमिका सिंगापुर के साथ विकसित हो रहे आर्थिक सम्बन्धों पर आधारित होनी चाहिए। दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद और व्यापार का एक तिहाई वाले 16 देशों का आर्थिक गठजोड़ एक एकीकृत एशियाई बा़जार का सृजन करेगा।
252. What prompted Singapore to opt for stronger ties with India? सिंगापुर को भारत के साथ और अधिक मजबूत सम्बन्ध के लिए क्यों प्रेरित होना पड़ा?
(a) End of Cold War/शीत युद्ध की समाप्ति
(b) Economic liberalisation in India भारत में आर्थिक उदारीकरण
(c) Historical past/ऐतिहासिक अनुभव
(d) Geo-political equations / भू-राजनीतिक समीकरण
Ans. (b)
253. The commitment of Asean with India is : भारत के साथ आसियान की प्रतिबद्धता है−
(a) More and more dialogues अधिक से अधिक वार्ता
(b) Offer political platforms राजनीतिक मंच उपलब्ध कराना
(c) Improving transport links परिवहन सम्पर्क में सुधार करना
(d) Hold leadership summits नेतृत्व के स्तर पर शिखर सम्मेलन करना
Ans. (c)
254. What is needed to encourage tourism between India and Asean? भारत और आसियान के मध्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या अपेक्षित है?
(a) Air links /हवाई सम्पर्क
(b) Innovation/नवाचार
(c) Start-ups/स्टार्ट-अप्स
(d) Waterways/जलमार्ग
Ans. (a)
255. The areas of collaboration between India and Asean are : भारत और आसियान के बीच सहयोग के क्षेत्र हैं −
1. Fin Tech / फिनटेक
2. Aadhaar / आधार
3. E-commerce / ई-कॉमर्स
4. Digital backwardness / डिजीटल पिछड़ापन
5. Trilateral highways / त्रिपक्षीय राजमार्ग
6. Fourth Industrial Revolution चतुर्थ औद्योगिक क्रांति Code :
(a) (1), (2), (3) and (4)
(b) (2), (3), (4) and (5)
(c) (3), (4), (5) and (6)
(d) (1), (3), (5) and (6)
Ans. (a)
256. Who can be India’s launchpad for an integrated Asian market as per the passage? गद्यांश के अनुसार एक एकीकृत एशियाई बा़जार के लिए कौन भारत का लाँचपैड हो सकता है?
(a) Thailand / थाईलैंड
(b) Myanmar / म्यांमार
(c) Southeast Asia / दक्षिण-पूर्व एशिया
(d) Singapore / सिंगापुर
Ans. (d)
Read the following passage carefully and answer the questions from 257 to 261. नीचे दिए गए गद्यांश को सावधानीपूर्वक पढ़िए और प्रश्न संख्या 257 से 261 तक के उत्तर दीजिए। One of the findings of the research into successful leadership is the fact that respect is always a two-way street. No matter how powerful you are, no matter what your experience, skill and accomplishments, you will not be respected by others if you consistently treat them disprespectfully. Friendliness-that is, treating others politely and showing interest in them – is a way of showing your respect for other people, and in return they respect you. If as a manager you are respected, your preventive maintenance strategy will be accepted as a sincere attempt to resolve problems rather than a meanspirited attempt to cause problems. As important as friendliness is, I want to make sure you are not mislead into believing that friendliness will replace or correct poor management. I have seen effective managers who didn’t use this friendliness element but could have been more effective if they did use it. I have seen very friendly managers who were ineffective because they were not doing effective management things. In other words, managers who intervene effectively in a friendly way are always more effective than managers who intervene effectively in a non-friendly way. Maintaining a friendly relationship is another part of maintaining work performance. It also helps you avoid having people try to hurt you because they don’t like you. It might save your life. सफल नेतृत्व के सम्बन्ध में कृत शोधों का एक निष्कर्ष यह रहा है कि सम्मान हमेशा एक द्विपक्षीय आयाम है। आप चाहे कितने ही शक्तिशाली क्यों न हों और आपका अनुभव‚ कौशल एवं उपलब्धि कितनी ही अधिक क्यों न हो‚ यदि आप अन्य व्यक्तियों को सम्मान नहीं देते हैं तो अन्य भी आपका सम्मान नहीं करेंगे। मैत्री भाव अर्थात् अन्य व्यक्तियों के प्रति विनम्रतापूर्ण व्यवहार और उनमें रुचि प्रदर्शित करना‚ अन्य के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति का एक तरीका है और इसके बदले में वे आपको सम्मान देते हैं। यदि एक प्रबंधक के रूप में आपको सम्मान मिलता है तो आपकी निवारकधारिता नीति को समस्याओं के समाधान की दिशा में एक ईमानदार प्रयास माना जाएगा‚ न कि निम्न भावना से प्रेरित समस्याओं के उद्भावक के रूप में। मैत्री भाव तो महत्वपूर्ण है ही‚ किन्तु मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि आप यह भ्रम न पालें कि मैत्री भाव कमजोर प्रबंधन का स्थानापन्न बनेगा या कुप्रबंधन में सुधार ला देगा। मैंने उन प्रभावी प्रबंधकों को देखा है‚ जिन्होंने इस मैत्री भाव के पक्ष को नहीं अपनाया‚ लेकिन यदि उन्होंने इसको अपनाया होता तो वे अधिक प्रभावी हो सकते थे। मैंने अत्यंत मैत्रीपूर्ण प्रबंधकों को भी देखा है‚ जो अप्रभावी रहे क्योंकि वे प्रभावी प्रबंधन के कार्यों को समुचित ढंग से नहीं कर पा रहे थे। अन्य शब्दों में‚ मैत्रीपूर्ण तरीके से प्रभावी हस्तक्षेप करने वाले प्रबंधक अमैत्रीपूर्ण तरीके से प्रभावी हस्तक्षेप करने वाले प्रबंधकों के सापेक्ष सदैव प्रभावी रहते हैं। मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखना कार्य निष्पादन के स्थायित्व का एक अन्य पक्ष है। यह आपको आहत करने वाले उन व्यक्तियों से बचने में भी सहायक होगा‚ जो आपको पसंद नहीं करते। इससे आप निरापद जीवन बिता सकेंगे।
257. What is reported in respect of successful leadership? सफल नेतृत्व के सम्बन्ध में शोध परिणाम क्या है?
(a) Respect depends on experience of the leadership./सम्मान नेतृत्व के अनुभव पर निर्भर है।
(b) Respect depends on the skills of the leadership./सम्मान नेतृत्व के कौशल पर निर्भर है।
(c) Respect depends on the accomplishments of the leader./सम्मान नेता की उपलब्धि पर निर्भर है।
(d) Respect comes out of respect. सम्मान से सम्मान मिलता है।
Ans. (d)
258. The passage highlights which of the following feature of a successful leadership? उपरोक्त गद्यांश सफल नेतृत्व की निम्नलिखित में से किस विशेषता पर प्रकाश डालता है?
(a) Independence of the leader/नेता की स्वतंत्रता
(b) Dependence of the leader/नेता की निर्भरता
(c) Reciprocity of the leader/नेता की पारस्परिकता
(d) Least concern for relationship by the leader नेता द्वारा सम्बन्ध के लिए प्रदर्शित न्यूनतम सरोकार
Ans. (c)
259. The preventive maintenance strategy used by a respected manager will mean to the subordinates : / एक सम्मानित प्रबंधक द्वारा प्रयुक्त निवारकधारिता का अधीनस्थों के लिए अर्थ होगा−
(a) An attempt to cause problems समस्याओं को उत्पन्न करने का एक प्रयास
(b) An attempt to resolve problems समस्याओं के समाधान का एक प्रयास
(c) An attempt to become mean-spirited निम्न भावना से प्रेरित होने का एक प्रयास
(d) An attempt to become sincere ईमानदार बनने का एक प्रयास
Ans. (b)
260. According to the passage friendliness in management terms implies : उपरोक्त गद्यांश के अनुसार प्रबंधन की शब्दावली में मैत्री भाव का निहितार्थ है−
(a) Replacing poor management कमजोर प्रबंधन का स्थानापन्न होना
(b) Correcting ineffective management अप्रभावी प्रबंधन में सुधार लाना
(c) Making management ineffective प्रबंधन को अप्रभावी बनाना
(d) Making management effective प्रबंधन को प्रभावी बनाना
Ans. (d)
261. The central idea of the passage is : उपरोक्त गद्यांश का मूल विचार है−
(a) Friendliness is necessary for management. प्रबंधन के लिए मैत्री भाव आवश्यक है।
(b) Friendliness avoids chances of feeling hurt. मैत्री भाव‚ भावनाओं के आहत होने की सम्भावनाओं से बचाता है।
(c) Friendliness improves work-ethos. मैत्री भाव कार्य संस्कृति में सुधार लाता है।
(d) Friendliness is a negative factor for management./मैत्री भाव प्रबंधन के लिए एक नकारात्मक कारक है।
Ans. (c)
निम्नांकित परिच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़ें और प्रश्न 262 से 266 तक के उत्तर दें : We live in a world characterised by greater universal aspirations to full participation in the life of societies. What is more in every society there is a constantly growing need to take full advantage of its reserves of intelligence, talent and energy. Here the need to improve the quality of education is emphasised. Clearly, any assessment of quality involves a value judgement that is coloured by what one expects of education. A goodquality education should meet three essential criteria : it should be democratic, it should be socially effective and it should be motivated by a humanism that does not allow it to be subordinated exclusively to the criterion of productivity. This calls for a critical appraisal of the highly debatable tendency to give priority to allegedly “practical” knowledge as opposed to mind-broadening subjects, topics for thought, artistic expression or the philosophical approach. The link between education and work formed another theme which was frequently brought up. There is a grave concern regarding the wide discrepancies between education and employment. UNESCO, for a long time now, has made a point of studying the interactions between education, work and employment as part of its action in the field of planning. It has to be said that it is very difficult to plan education strictly in accordance with employment forecasts, in view of the growing diversity of modern economies and the extremely rapid changes to which they are subject. It has been shown that greater flexibility in the structures and functioning of education provides the best guarantee against the danger that it will be ill-adapted to rapid change. हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जिसकी विशेषता गुरुतर सार्वभौमिक आकांक्षाओं से लेकर सामुदायिक जीवन में पूर्ण सहभागिता है। इसके अलावा‚ प्रत्येक समाज में अपनी प्रज्ञा‚ प्रतिभा और ऊर्जा की आरक्षिति का पूर्ण लाभ लेने की सतत विकासमान आवश्यकता है। यहाँ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। जाहिर तौर पर‚ गुणवत्ता के किसी भी मूल्यांकन में एक मूल्यगत निर्णय निहित होता है जो शिक्षा से हमारी प्रत्याशा से प्रभावित होता है। एक अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा को तीन मूलभूत मानदंडों पर खरा उतरना चाहिए : इसे लोकतांत्रिक होना चाहिए; इसे सामाजिक रूप से प्रभावी होना चाहिए और इसे एक ऐसे मानवतावाद से प्रेरित होना चाहिए जो इसे उत्पादकता मानदंडों का अनन्य रूप से अधीन न बनाये। इससे‚ कथित रूप से ‘‘व्यावहारिक’’ ज्ञान को वैचारिक क्षितिज में अभिवृद्धि करने वाले विषयों‚ विचार-बिन्दुओं‚ कलात्मक अभिव्यक्ति अथवा दार्शनिक उपागम की तुलना में वरीयता देने की अतिशय विवादास्पद प्रवृत्ति के समालोचनात्मक मूल्यांकन की आवश्यकता उत्पन्न होती है। शिक्षा और कार्य के बीच का सम्पर्कसूत्र एक और चर्चा का विषय है। शिक्षा और रोजगार के बीच की व्यापक असंगति के बारे में भी गम्भीर चिंता है। काफी लम्बे समय से यूनेस्को के क्षेत्र में अपने कार्य के भाग के रूप में शिक्षा‚ कार्य और रोजगार की अंत:क्रियाओं का अध्ययन करता रहा है। यह कहा जाना चाहिए कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हुई विविधता और उनमें होने वाले अत्यधिक त्वरित बदलावों के कारण रोजगार पूर्वानुमानों के ठीक अनुरूप शिक्षा की योजना बनाना अत्यंत कठिन है। यह दिखाया गया है कि शिक्षा के कार्यकरण और संरचना में बेहतर लचीलापन होना इस बात की गारण्टी है कि वह त्वरित बदलाव के प्रति अनुकूल होगी।
262. Why is there a need in every society to take advantage of intelligence, talent and energy? प्रत्येक समाज के लिए प्रज्ञा‚ प्रतिभा और ऊर्जा का लाभ उठाना क्यों आवश्यक है?
(a) To preserve the reserves of these factors cited इन कारकों की आरक्षिति को संरक्षित करने के लिए
(b) To participate in the life of societies समुदायों के जीवन में सहभागिता करना
(c) To characterise the world with universal aspirations विश्व को सार्वभौमिक आकांक्षाओं से विशेषित करना
(d) To assess the educational needs शैक्षिक आवश्यकता का मूल्यांकन करना
Ans. (b)
263. What is coloured by the expectation of education? शिक्षा की प्रत्याशा से क्या प्रभावित होता है
(a) Value judgement / मूल्यगत निर्णय
(b) Assessment of expected outcome अनुमानित परिणाम का मूल्यांकन
(c) Identification of motivation अभिप्रेरण की पहचान
(d) A critical appraisal of debatable tendencies विवादास्पद प्रवृत्तियों का समालोचनात्मक मूल्यांकन
Ans. (a)
264. The characteristic of humanism should be : मानवतावाद की विशेषता क्या होनी चाहिए?
(a) Priority to practical knowledge व्यावहारिक ज्ञान को वरीयता
(b) Opposition to philosophical approach दार्शनिक उपागम का विरोध
(c) Non-sub-ordination to productivity motion उत्पादकता विचार को नहीं मानता
(d) Planning education for employment रोजगार के लिए शिक्षा नियोजन
Ans. (c)
265. What is the action of UNESCO in the field of planning? नियोजन के क्षेत्र में यूनेस्को का क्या कार्य है?
(a) Focussing on artistic expression कलात्मक अभिव्यक्ति पर ध्यान केन्द्रित करना
(b) Expressing grave concern on discrepancies between education and life शिक्षा और जीवन के बीच की विसंगति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करना
(c) Not to plan education for work कार्य के लिए शिक्षा की योजना नहीं बनाना
(d) To study the linkage between education and work शिक्षा और कार्य के बीच सम्पर्क-सूत्र का अध्ययन
Ans. (d)
266. The passage emphasises the factors of : परिच्छेद में किन कारकों पर बल दिया गया है?
(a) Need for quality education गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता
(b) Link between education and work शिक्षा और कार्य के बीच सम्पर्क-सूत्र
(c) Balance between mind-broadening subjects with practical knowledge वैचारिक क्षितिज में अभिवृद्धि करने वाले विषयों के साथ व्यावहारिक ज्ञान का संतुलन
(d) Not planning education for meeting the needs of modern economies आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शिक्षा आयोजना नहीं बनाना
(e) Flexibility in the structures of education शिक्षा की संरचना में लोच
(f) Subjecting education to rapid changes शिक्षा को त्वरित बदलावों के अनुकूल बनाना कूट :
(a) (a), (d), (e), (f)
(b) (b), (d), (e), (f)
(c) (a), (c), d), (f)
(d) (a), (b), (c), (e)
Ans. (d)
Read the following passage carefully and answer questions 267 to 271. निम्नलिखित परिच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़ें और प्रश्न संख्या 267 से 271 के उत्तर दें। For all the disagreement in the industry about the future of aviation, there is perfect accord on one point : There is going to be a lot more of it. The world’s air passengers flew a combined 7.64 trillion kilometers in 2017. By 2037, that will rise to 18.97 trillion kilometers, with about 40% of the increase happening within five intra-regional markets : China, India, North-America, Europe and South-east Asia. That is sparking a battle over the biggest bottleneck holding back this growth : airports. The governments that still own many of them should be more open to privatisation to cover a $ 78 billion funding gap in needed capital investments. Airlines, airports’ biggest customers, see things differently. Costs at privatised terminals are higher and governments should be cautious about such actions in the interests of expanding the aviation sector as a whole. Privatising an airport does not necessarily make it more efficient. A study has found there was little difference between the performance of airports 100% owned by commercially-oriented government corporations and those majority controlled by private businesses. The key is instead to avoid structures where the incentives for managers are confused or misaligned, such as where private companies are brought in as minority investors or where managers are essentially bureaucrats swayed by political imperatives. There is a better solution out there, but it is not likely to be very attractive to incumbent airlines, airports, or passengers enamoured of the current generation of gleaming terminals : build more, cheaper airports. उड्डयन के भविष्य के बारे में उद्योग जगत में विद्यमान मतभेदों के बीच एक बिन्दु पर सभी की पूर्ण सहमति है कि इसमें अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। विश्वभर के विमान यात्रियों ने 2017 में संयुक्त रूप से 7.64 ट्रिलियन किलोमीटर की यात्रा पूरी की है। 2037 तक यह बढ़कर 18.97 ट्रिलियन किलोमीटर हो जाएगी; जिसमें से लगभग 40% वृद्धि पाँच अंतरा-क्षेत्रीय बाजारों यथा : चीन‚ भारत‚ उत्तरी-अमेरिका‚ यूरोप तथा दक्षिणपूर्व एशिया में ही हो जाएगी। इस क्षेत्र की वृद्धि में सबसे बड़ा अवरोध है विमानपत्तनों की कमी। हालांकि उनमें से अनेक विमानपत्तन सरकार के स्वामित्व वाले हैं तथापि वांछित पूँजी निवेश में 78 बिलियन डॉलर के निधियन के अंतर को पाटने के लिए इस क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाना चाहिए। एयरलाइन‚ जो कि विमानपत्तन के सबसे बड़े ग्राहक हैं‚ वे इसे अलग तरीके से देखते हैं। निजी टर्मिनलों पर आने वाली लागत तुलनात्मक रूप से अधिक है और उड्डयन क्षेत्र का विस्तार करने के हित में सरकार को ऐसी कार्रवाइयों के सम्बन्ध में सजग रहना चाहिए। आवश्यक नहीं है कि किसी विमानपत्तन का निजीकरण उसे और अधिक कुशल बनाए। एक अध्ययन में पाया गया है कि वाणिज्यिक उन्मुखी सरकार की 100% हिस्सेदारी वाले विमानपत्तन निगमों तथा निजी व्यवसायियों द्वारा प्रमुखता से नियंत्रित विमानपत्तनों के कार्य-निष्पादन के बीच बहुत ही कम अन्तर पाया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसी संरचना जहाँ प्रबंधकों के लिए प्रोत्साहन भ्रांतिपूर्ण अथवा असंरेखित हैं‚ जिस प्रकार से लघु निवेशकों के रूप में निजी कम्पनियों को लाया गया है या जहाँ प्रबंधक अनिवार्यत: नौकरशाह हैं जो राजनैतिक आदेश से प्रभावित हैं‚ बचना होगा। इसके लिए एक बेहतर समाधान है परन्तु यह सम्भावना है कि यह पदस्थ एयरलाइन‚ विमानपत्तन और चमक धमक वाले टर्मिनलों वाली वर्तमान पीढ़ी के अनुरक्त यात्रियों के लिए ज्यादा एवं सस्ते विमानपत्तनों का निर्माण करना बेहद आकर्षक नहीं होगा।
267. What is the growth rate in aviation apart from the five intra-regional markets? पाँच अंतरा-क्षेत्रीय बा़जारों के अतिरिक्त उड्डयन क्षेत्र की विकास दर क्या है?
(a) 10 percent / 10 प्रतिशत
(b) 20 percent / 20 प्रतिशत
(c) 30 percent / 30 प्रतिशत
(d) 40 percent / 40 प्रतिशत
Ans. (d)
268. Why should the governments be open to privatisation of airports? सरकार को विमानपत्तनों के निजीकरण की स्वतंत्रता क्यों देनी चाहिए?
(a) Because they own many airports क्योंकि उनके स्वामित्व वाले कई विमानपत्तन हैं
(b) Because there is a battle for growth क्योंकि वृद्धि के लिए लड़ाई चलती रहती है
(c) For necessary capital आवश्यक पूँजी के लिए
(d) To limit the government control of a aviation industry / उड्डयन उद्योग में सरकारी नियंत्रण कम करने के लिए
Ans. (c)
269. How do airlines see the move for privatisation of airports? एयरलाइन विमानपत्तनों के निजीकरण को किस प्रकार देखती है? (1) Feel that costs are high यह महसूस करती है कि लागत अधिक है (2) Governments should be cautious सरकार को सजग रहना चाहिए (3) Interest of the aviation sector is important उड्डयन क्षेत्र का हित महत्वपूर्ण है (4) It decentralises the authority to control यह नियंत्रण के प्राधिकार को विकेन्द्रित करता है Code : / कूट :
(a) (1), (2) and (3) (b) (2), (3) and (4)
(c) (3), (4) and (1) (d) (4), (1) and (2)
Ans. (a)
270. What is the key for making airports function efficiently? विमानपत्तन के प्रकार्य को कुशल बनाने के लिए क्या महत्वपूर्ण है?
(a) Make private companies as minority shareholders. निजी कम्पनियों को लघु पणधारक बनाना।
(b) Provide misaligned incentives to managers. प्रबंधकों को असंरेखित प्रोत्साहन मुहैया कराना
(c) Recognise political imperatives of bureaucrats appointed as managers. प्रबंधकों के रूप में नियुक्त नौकरशाहों के राजनैतिक आदेश को मान्यता प्रदान करना
(d) Avoid structures of confused incentives to managers./प्रबंधकों को भ्रांतिपूर्ण प्रोत्साहनों की संरचना की अनदेखी करना
Ans. (d)
271. Which of the following is the focal inference of the author in the passage? परिच्छेद में लेखक का मुख्य निष्कर्ष है−
(a) Private ownership of airports does not mean efficient management. / विमानपत्तनों के निजी स्वामित्व का आशय कुशल प्रबंधन नहीं है।
(b) Growth of the aviation industry is distorted. उड्डयन उद्योग की वृद्धि विरूपित है।
(c) Airports are not an obstacle to the growth of aviation industry. / उड्डयन उद्योग की वृद्धि में विमानपत्तन अवरोधक नहीं हैं।
(d) Government-owned airports are known for high performance./सरकारी स्वामित्व वाले विमानपत्तनों को उनके उच्च कार्यनिष्पादन हेतु जाना जाता है।
Ans. (a)
Read the following passage carefully and answer questions 272 to 276. निम्नांकित परिच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़ें और प्रश्न 272 से 276 के उत्तर दें। It has to be noted that, although certain overall results had been obtained in the matter of economic growth in the developing countries regarded as a group, little progress had been made towards the establishment of the new international economic order within the framework of negotiations among nations for the purpose of applying the principles adopted in 1974 by the United Nations General Assembly. The situation appeared to be marked by a slowing down at world level in the effort to find a solution to most of the major problems, due to certain inability to control the evolution of societies and economies, and a fairly widespread feeling of uncertainty as to the future. The changes which have occurred between 1978 and 1980 have only magnified the difficulties, so that today there is much talk of a deterioration in the international situation. This is immediately apparent in regard to inequalities between human beings, whether considered as individuals or groups or nations. Overall economic disparities have not been attenuated. In many countries, per capita gross national product remains less than $ 300, while in others it is situated at levels ten, twenty or even thirty times higher than this amount. In some rich countries, the average income is a hundred times higher than in the poorest countries. Particularly drastic is the state of penury, destitution and, all too often, homelessness of those populations that may be regarded as history’s most recent rejects : the disinherited masses of the poorest countries. In these countries, whose economic situation is particularly critical, the problems of hunger, disease and ignorance experienced by a large part of the population seem to all but paralyse efforts made to cope with them. यह ध्यान रखने वाली बात है कि एक समूह के रूप में देखे जाने वाले विकासशील देशों में हाँलाकि आर्थिक विकास के मामले में कुछ समग्र परिणाम प्राप्त हुए थे‚ संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1974 में अंगीकृत सिद्धांतों के अनुपालन के उद्देश्य से राष्ट्रों के बीच वार्ताओं के ढ़ाँचे के भीतर नवीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की दिशा में काफी कम प्रगति हई थी। समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के क्रमिक विकास को नियंत्रित कर सकने की कतिपय असमर्थता और भविष्य के बारे में अनिश्चितता की व्यापक भावना के कारण परिस्थिति कुछ ऐसी हो गई थी कि अधिकांश प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए वैश्विक प्रयासों में शिथिलता देखी जा रही थी। 1978 से 1980 के बीच होने वाले बदलावों ने इन कठिनाइयों को बढ़ाया ही है जिसके चलते आज अन्तर्राष्ट्रीय हालात के और बिगड़ने की बात की जाती है। यह मनुष्यों‚ चाहे उन्हें व्यक्ति‚ समूह या राष्ट्र माना जाए‚ के बीच असमानता के रूप में तत्क्षण परिलक्षित भी होता है। समग्र रूप से आर्थिक विषमताओं को कम नहीं किया जा सका है। कई देशों में‚ प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद आज भी 300 डालर से कम है‚ जबकि दूसरे देशों में यह इस राशि का दस‚ बीस और तीस गुणा तक है। कुछ अमीर देशों में निर्धनतम देशों की तुलना में औसत आय सौ गुणा तक ज्यादा है। विशेष रूप से गरीबी‚ और प्राय: इतिहास के नवीनतम बहिष्कृत समूहों के तौर पर जानी जाने वाली आबादी की आवासविहीनता की स्थिति और भी विकट है: यह वो आबादी है जिसमें निर्धनतम देशों के अपनी जड़ों से उखड़े लोग शामिल हैं। इन देशों की‚ जिनकी आर्थिक दशा विशेष रूप से नाजुक है‚ एक बड़ी आबादी के सम्मुख आ रही भूख‚ बीमारी और अज्ञानता की चुनौतियाँ इनके समाधान के प्रयासों को विफल बनाती दिखती हैं।
272. What was the purpose of principles adopted by the United Nations General Assembly? संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकृत सिद्धांतों का क्या उद्देश्य था?
(a) Considering developing countries as a group विकासशील देशों को एक समूह मानना
(b) Obtaining results in the economic growth of developing countries/विकासशील देशों में आर्थिक विकास के परिणाम प्राप्त करना
(c) Establishing a new international economic order/एक नवीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था स्थापित करना
(d) Permitting negotiations among nations/राष्ट्रों के मध्य बातचीत की अनुमति देना।
Ans. (c)
273. What is the consequence due to the little progress made by nations during negotiations? वार्ताओं के दौरान राष्ट्रों द्वारा हासिल अल्प प्रगति का क्या परिणाम है?
(a) Evolution of societies/समाजों का क्रमिक विकास
(b) Control of economies/अर्थव्यवस्थाओं का नियंत्रण
(c) Interference of UN / संयुक्त राष्ट्र का हस्तक्षेप
(d) Uncertain future / अनिश्चित भविष्य
Ans. (d)
274. What is apparent due to the changes occurred between 1978 and 1980? 1978 से 1980 के बीच हुए बदलावों का क्या प्रकट परिणाम हुआ है?
(a) Plan adjustment / योजना समायोजन
(b) Support of rich countries अमीर देशों का समर्थन
(c) Reduction in poverty / गरीबी में कमी
(d) Inequality between human beings मनुष्यों के बीच असमानता
Ans. (d)
275. How economic disparities are reflected? आर्थिक विषमतायें कैसे परिलक्षित होती हैं?
(a) $ 300 per capita GNP as benchmark मानक के रूप में 300 डालर प्रति व्यक्ति जी.एन.पी.
(b) Collectivising individuals into groups or nations
(c) Higher average income for poor countries गरीब देशों की उच्चतर औसत आय।
(d) Average income of some countries is a hundred times higher than in the poor countries / कुछ देशों की औसत आय का गरीब देशों की औसत आय से 100 गुणा अधिक होना।
Ans. (d)
276. Whom do you call as history’s recent rejects? आप किन्हें इतिहास का नवीनतम बहिष्कृत समुदाय कहते हैं?
(a) Homeless population / आवास विहीन आबादी
(b) Illiterate population / अज्ञानी आबादी
(c) Large part of population / आबादी का बड़ा हिस्सा
(d) Rich countries / अमीर देश
Ans. (a)
निम्नलिखित गद्यांश को सावधानीपूर्वक पढ़े और प्रश्न 277 से 281 के उत्तर दें। पिछले कुछ वर्षों में स्मार्ट फोन की लोकप्रियता काफी बढ़ी है और इसके मूल में उनका अनुप्रयोग अथवा प्रयोज्यता हार्डवेयर से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है और प्रयोज्यता की गुणवत्ता रचनात्मकता से निर्धारित होती है। रचनात्मकता जाहिर तौर पर असमान क्षेत्रों में उभरती है जैसे शिक्षा‚ उद्योग और संस्कृति। इसके परिणाम स्वरूप‚ आज लगभग सभी क्षेत्रों के सुसंयोजन पर जोर दिया जा रहा है। सुसंयोजन नीति-निर्धारण के क्षेत्र में भी अवश्य होना चाहिए। शिक्षण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी); विश्वविद्यालयों और व्यवसायों तथा शोध और शिक्षण के बीच की दीवार को तोड़ने एवं इन क्षेत्रों के सुसंयोजन से सुसंगति आएगी और संभवत: इसके अप्रत्याशित रचनात्मक नतीजे भी निकलेंगे। जब शिक्षा का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सम्मिलन होगा तो एक तथा एक का योग दो से ज्यादा होगा। यह सुसंयोजन कई स्वरूपों में हो सकता है : जैसे एक ऐसी शिक्षा प्रदान करना जो भिन्न सोच विकसित करती है और प्रारम्भिक आयु में ही छात्रों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है। विश्वविद्यालय और व्यवसाय के बीच को दीवार को तोड़ते हुए व्यवसायों की आवश्यकतानुरूप मानव प्रतिभा विकसित करना तथा सरकार द्वारा वित्त-पोषित शोध संस्थानों की परिसंपत्तियों को विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ साझ करना। इन सम्मिलनों से मानवीय रचनात्मकता को नया आयाम मिलेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कोई राष्ट्र तभी विश्व नेतृत्व प्रदान कर सकता है जब उसके वैज्ञानिक सम्बुद्ध हों तथा उन्हें अपने नैतिक संकल्पों के अनुरूप शोध की स्वतंत्रता हो।
277. गद्यांश के अनुसार स्मार्ट फोन का प्रयोग निम्नांकित में से किस में विकास के कारण बढ़ा है?
(a) अनुप्रयोगों की आवश्यकता (b) प्रौद्योगिकी
(c) शोध (d) लोक रुचि
Ans :(a)
278. इस गद्यांश के लेखक के अनुसार‚ प्रयोज्यता की गुणवत्ता किससे निर्धारित होती है?
(a) अनुप्रयोग के क्षेत्र से
(b) रचनात्मक और सुसंयोजन कारकों से
(c) हित क्षेत्रों से
(d) प्रचलित परंपराओं से
Ans :(b)
279. गद्यांश के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सुसंगति है-
(a) एक बहुविध अंत: क्रियात्मक प्रक्रिया
(b) शक्ति संवर्धन की एक सामान्य योगात्मक प्रक्रिया
(c) विभिन्न पक्षों पर आधारित एक अंत: क्रियात्मक प्रक्रिया
(d) क्रमिक रूप से विकसित होने वाली एक उदग्र प्रक्रिया
Ans :(a)
280. किसके माध्यम से विलक्षण परिणाम होंगे?
(a) नीति-निर्माण
(b) शोध एवं शिक्षा के मध्य के अवरोधकों को हटाना
(c) सुसंगति
(d) सुसंगति के रचनात्मक परिणाम
Ans :(d)
281. किसी राष्ट्र में शोध की गुणवत्ता में किसके परिणामस्वरूप बढ़ोत्तरी होती है?
(a) शोधार्थियों को समर्पित भावना
(b) शोधों में विविधता
(c) शोधार्थियों की विशेषता शक्ति
(d) शोधार्थियों का कठोर श्रम
Ans :(a)
Read the passage carefully and answer question numbers from 282 to 286./गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न संख्या 282 से 286 का उत्तर दें। In noting the nature of human lives, we have reason to be interested not only in the various things we succeed in doing, but also in the freedoms that we actually have to choose between different kinds of lives. The freedom to choose our lives can make a significant contribution to our well-being, but going beyond the perspective of wellbeing, the freedom itself may be seen as important. Being able to reason and choose is a significant aspect of human life. In fact, we are under no obligation to seek only our own well-being. It is for us to decide what we have good reason to pursue. We need not have to be a great leader to recognise that we can have aims or priorities that differ from the single-minded pursuit of our own well-being only. The freedoms and capabilities we enjoy can also be valuable to us. It is ultimately for us to decide how to use the freedom we have. It is important to emphasise that if social realisations are assessed in terms of capabilities that people actually have, rather than in terms of their utilities or happiness. First, human lives are then seen inclusively, taking note of the substantive freedoms that people enjoy, rather than ignoring everything other than pleasures or utilities they end up having. There is also a second significant aspect of freedom : it makes us accountable for what we do. Freedom to choose gives us the opportunity to decide what we should do, but with that opportunity comes the responsibility for what we do to the extent that they are chosen actions. Since a capability is the power to do something, the accountability that emanates from that ability – that power – is a part of the capability perspective, and this can make room for demands of duty – what can be broadly called deontological demands. There is an overlap here between agency-centred concerns and the implications of a capability based approach. The perspective of social realisations will take us to further issues central to the analysis of justice in the world. मानव जीवन की प्रकृति को रेखांकित करने में हमें केवल उन्हीं चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जिन्हें हम सफलतापूर्वक कर लेते हैं‚ बल्कि हमें उन स्वतंत्रताओं पर भी विचार करना चाहिए जो विभिन्न जीवन शैलियों को चुनने में वस्तुत: प्राप्त हैं। जीवन शैली के चयन में प्राप्त आजादी हमारे हित में महत्वपूर्ण अवदान कर सकती है। किन्तु हित के परिप्रेक्ष्य से परे जाने पर स्वतंत्रता अपने आप में महत्वपूर्ण बन जाती है। चयन करना तथा तर्क कर सकने की गुंजाइश मानव जीवन का महत्वपूर्ण पक्ष है। वस्तुत: हमें अपने हितों पर ही ध्यान रखने की बाध्यता नहीं है। हमें क्या अनुसरण करना चाहिए‚ यह हमारे स्वविवेक पर निर्भर है‚ इस बात पर बल देना महत्वपूर्ण है। यह दिखाने के लिए कि हमारे लक्ष्य एकनिष्ठ रूप से केवल अपने हित साधन से भिन्न है हमें कोई महान नेता बनने की आवश्यकता नहीं है। हमारी स्वतंत्रता तथा क्षमता भी हमारे लिये मूल्यवान हैं। अंतत: यह हमें ही तय करना है कि अपनी स्वतंत्रता का हम किस प्रकार उपयोग करें। यहाँ ध्यातव्य विषय यह होगा कि लोगों को अपनी क्षमताओं के अनुरूप न कि उनकी उपयोगिता या सुख देने की क्षमता पर सामाजिक उपलब्धियाँ मिली हुई हैं। प्रथमतया इस परिप्रेक्ष्य में मानव जीवन को एक व्यापकता प्राप्त हो जाती है जिसमें लोगों को पूरी आजादी उपलब्ध है सापेक्ष उस स्थिति के जिसमें उपयोगिता के अतिरिक्त अन्य पक्षों की उपेक्षा होती है। आजादी का एक दूसरा महत्वपूर्ण आयाम भी है और वह यह कि जो हम करते हैं‚ उसके लिये हम स्वयं जवाबदेह हैं। चयन की आजादी द्वारा हमें यह निर्णय करने का अवसर मिलता है कि हमें क्या करना चाहिए‚ परन्तु इस अवसर की सुलभता के साथ-साथ यह जवाबदेही भी बनती है कि हमें किस सीमा तक चयन के विकल्प को ढूँढ़ने की आजादी है। यत: सामथ्र्य‚ कुछ करने की शक्ति है‚ अस्तु इस सामथ्र्य से प्रसूत जवाबदेही की शक्ति उस सामथ्र्य के परिप्रेक्ष्य का अंग है‚ और यह कर्तव्य की उस मांग का मार्ग प्रशस्त करती है जिसे सामान्य रूप से इसे परिणाम निरपेक्ष मांग कहा जा सकता है। यहाँ अभिकर्ता−केन्द्रित सरोकार तथा सामथ्र्य आधारित उपागम के निहितार्थ के मध्य व्याप्ति है। सामाजिक उपलब्धि का यह परिप्रेक्ष्य हमें उन मुद्दों की ओर ले जाएगा जो विश्व में न्यायिक औचित्य के मुख्य मुद्दे हैं।
282. Why freedom is seen as important? स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण रूप में क्यों देखा जाता है?
(a) To succeed in doing things. इससे हम सफलतापूर्वक कार्य कर पाते हैं।
(b) To have different life styles. विभिन्न जीवन शैली अपनाने के लिये।
(c) To understand the perspective of one’s wellbeing./ अपने हित के परिप्रेक्ष्य को समझने के लिये।
(d) To go beyond the perspective of one’s own well-being./अपने हित के परिप्रेक्ष्य से परे जाने के लिये।
Ans. (d)
283. Why should we go beyond considerations of our own well-being?/हमें हमारे अपने हित पर ध्यान देने के परे क्यों सोचना चाहिये?
(a) To follow in the footsteps of great leaders. महान नेताओं के पदचिह्नों पर चलने के लिये।
(b) To think of freedoms of others. अन्य की स्वतंत्रता के बारे में विचार करने के लिये।
(c) To appreciate that our aims can differ from self-interest./इस बात का महत्व समझना कि हमारे लक्ष्य स्व-हित से भिन्न हो सकते हैं।
(d) To be able to enjoy our freedoms. अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने में समर्थ होने के लिये
Ans. (c)
284. What is of no value for assessing social realisations?/सामाजिक उपलब्धि का मूल्यांकन करने के लिये निम्न में से किसका महत्व नहीं है?
(a) Capabilities of people/लोगों की क्षमता
(b) Utilities/उपयोगिता
(c) Inability to use the freedom given प्रदत्त स्वतंत्रता का उपयोग करने में असमर्थता
(d) Ignoring the values of freedom स्वतंत्रता के मूल्यों की उपेक्षा करना
Ans. (b)
285. What is the inherent aspect of freedom? स्वतंत्रता का अन्तर्निहित पहलू क्या है?
(a) Pleasures of freedom / स्वतंत्र होने का सुख
(b) Absence of actions / कार्य का न होना
(c) Accountability / जवाबदेही
(d) Well-being of the self / स्वयं का हित
Ans. (c)
286. The central idea of the passage is : गद्यांश का केन्द्रीय भाव है−
(a) Emphasis on variety of personal issues व्यक्तिगत मुद्दों की विविधता पर जोर
(b) Use of power for freedom स्वतंत्रता की शक्ति का उपयोग
(c) Responsibility for individual happiness वैयक्तिक सुख की जवाबदेही
(d) Need for securing justice to all सभी को न्याय दिलाने की आवश्यकता
Ans. (d)