Chapter Notes and Summary
प्रस्तुत कविता में कवि ने सभ्यता के विनाश को खतरनाक बताया है। वह कहता है कि इस युग में मानव कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। सभ्यता के विकास के कारण उन साधनों का प्रयोग किया जा रहा है जो मानव जीवन के लिए घातक हैं। उसे चारों ओर संकट-ही-संकट दिखाई देता है। जन विरोधी ताकतें लगातार फैलती जा रही हैं‚ तब कवि अपनी माँ को याद करता है और कहता है कि उनमें अपार सहन शक्ति थी जो उन्हें ईश्वर भक्ति एवं आस्था के कारण प्राप्त थी। कवि की माँ का कहना था कि दक्षिण दिशा में यमराज का वास होता है‚ इस कारण उस ओर पैर करके कभी नहीं सोना चाहिए। परंतु इस विकास के दौर में तो जब चारों ओर संकट-ही-संकट नजर आता है‚ तो ऐसा लगता है कि सभी दिशाओं में यमराज का वास हो गया है।
वर्तमान स्थिति में हर दिशा में हिंसा‚ विध्वंस‚ नाश और मौत के चिह्न फैले हुए हैं‚ जिन्हें कवि मौन होकर देख रहा है।