Chapter Notes and Summary
इस पाठ में लेखक ने दांडी कूच का वर्णन किया है कि किस तरह इस सत्याग्रह में लोगों ने हजारों की संख्या में भाग लिया था‚ जिसमें बल्लभभाई पटेल को ‘दो शब्द’ कहने पर ही भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। बोरसद की अदालत में पटेल ने अपना अपराध कबूल कर लिया‚ जिस पर जज ने डेढ़ घंटे में तीन लाइन की सजा सुनाई। सजा थी ` 500 जुर्माना और तीन महीने की जेल।
उनकी गिरफ्तारी से गांधीजी बहुत नाराज हुए। जिस हॉल में पटेल को गिरफ्तार किया गया‚ वहीं गांधीजी का भव्य स्वागत किया गया। दरबार समुदाय के लोगों से त्याग और हिम्मत सीखने की बात गांधी ने कही।
ब्रिटिश कुशासन का जिक्र करते हुए गांधीजी ने लोगों को संबोधित किया।
लोगों ने प्रस्ताव रखा कि गांधी थोड़ी यात्रा कार से कर लें‚ पर गांधीजी इस पर सहमत नहीं थे। उनके अनुसार यात्रा में कष्ट सहकर‚ लोगों का सुख-दु:ख समझकर ही सच्ची यात्रा हो सकती थी। गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी एकमत होकर नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए या नष्ट करा दिए ताकि किसी तरह का कोई खतरा ही न रहे। नदी के तट पर उस दिन की यात्रा आधी रात के समय तय की गई ताकि पानी में कीचड़ और दलदल कम-से-कम हो। रात साढ़े दस बजे भोजन के बाद सत्याग्रही नदी की ओर चले। कुछ लोगों ने गांधी को कंधे पर उठाने की सलाह दी‚ पर उन्होंने मना कर दिया। नदी के तट पर उस घुप्प‚ अंधेरी रात में भी मेला-जैसा लगा हुआ था। मंडलियाँ थीं। रघुनाथ काका ने गांधी को नदी पार कराने का जिम्मा लिया। जब यात्रा आरंभ हुई तब अंधेरा इतना हो गया था कि छोटे-मोटे दिल से उसे भेद नहीं पा रहे थे। थोड़ी ही देर में कई हजार लोग नदी तट पर दिये लिए पहुँच गए थे जिससे अंधेरा काफी समाप्त हो गया था। इस तरह तट के दोनों तरफ रोशनी में लोगों ने नदी पार की। गांधीजी के उतरने के बाद भी लोग तट पर इस उम्मीद से दिये लिए खड़े थे कि और भी लोग अभी रात को नदी पार करके आ सकते थे।