Chapter Notes and Summary
प्रस्तुत पाठ में दिए गए दोहे अब्दुर्रहीम खानखाना ‘रहीम’ द्वारा रचित हैं। ये दोहे नीतिपरक दोहे हैं। जिनकी विशेषता है कि एक पंक्ति में नीति संबंधी विचार और दूसरी पंक्ति में उस विचार संबंधी उदाहरण होता है। जैसे रहिमन निज संपत्ति बिना‚ कोऊ न विपत्ति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को‚ नहिं रवि सके बचाय॥
उपरोक्त दोहे में प्रथम पंक्ति में नीति संबंधी विचार है और दूसरी पंक्ति में उस विचार से संबंधित एक उदाहरण दिया गया है।
प्रस्तुत दोहे मानवीय व्यवहार को अनुशासित एवं समाज-सापेक्ष बनाने का प्रयास है। रहीमदास के दोहे आम जीवन से उठाए गए उदाहरणों के साथ नीतिपरक शिक्षाएँ देते हैं। ये दोहे मानव-समाज को सच्चाई एवं अच्छाई की ओर प्रेरित करते हैं। उन्होंने ब्रज एवं अवधी भाषा में दोहों की रचना की है।