Chapter Notes and Summary
प्रस्तुत पदों के रचयिता रविदास अर्थात् रैदास हैं। ये दोनों पद प्रभु की आराधना तथा एक भक्त की चरम भक्ति को दर्शाते हैं। आत्मनिवेदन‚ दास्य भाव तथा सहज भक्ति इन पदों की विशेषता है।
रैदास के दो पद हैं। पहले पद ‘अब कैसे छूटे राम नाम’ में भक्ति का सहज प्रदर्शन है। इस पद के माध्यम से कवि भक्ति को आंतरिक तत्त्व मानता है; बाहरी नहीं। मंदिर‚ मस्जिद की अपेक्षा पूज्य का स्थान अंतस में है। ‘तुम चंदन हम पानी’ कहकर रैदास इस भाव को रेखांकित कर रहे हैं। यह पद ईश्वर एवं भक्त के तादात्म्य को भी दर्शाता है। प्रभु का चंदन होना तथा भक्त का पानी इसी तादात्म्य भाव का उदाहरण है। भक्ति में ईश्वर एवं भक्त एकमेव हो जाते हैं। यह भक्त एवं भक्ति की पराकाष्ठा है।
रैदास का दूसरा पद भक्तिकालीन युग के सामाजिक सत्य को प्रस्तुत करता है।
रैदास निम्न वर्ग से थे। अत: वे समाज में व्याप्त ऊँच-नीच एवं आर्थिक विषमता को दूर करने का प्रयास करते रहे। उनका दूसरा पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते हुए यह माँग करते हैं कि निम्न वर्ग‚ दीन-दरिद्रों की सहायता हेतु भगवान हमेशा तैयार रहता है। ‘जिसकी कोई सहायता नहीं करता‚ उन पर प्रभु की कृपा रहती है।’ ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’पंक्ति में कवि इसी ओर संकेत कर रहा है। कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर समाज में व्याप्त असमानता को अपनी सर्वशक्तिमत्ता से दूर कर देंगे। यह एक भक्त की पुकार है। जो ईश्वर के प्रति अपार आस्था और विश्वास को दिखाता है।
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