Chapter Notes and Summary
‘भगवान के डाकिए’ नामक कविता के माध्यम से कवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हुए कह रहे हैं कि पक्षी और बादल संदेशवाहक हैं, जो संदेश को सर्वत्र् पृथ्वी पर एक दिशा से दूसरी दिशा में पहुँचाने का कार्य करते हैं। ये संदेश मनुष्य नहीं समझ पाता है, इन्हें प्रस्रति अर्थात् पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ते हैं। मनुष्य केवल यह अनुमान करता है कि एक देश की धरती अन्य देशों को अपनी सुगन्ध भेजती है और वह एक महक हवा में तैरती हुई महसूस होती है। ऐसा करके वह मनुष्यों में एकता, प्रेम व भाईचारे को बढ़ाने का संदेश देते हैं। बादलों के द्वारा जो वर्षा की जाती है, वह पानी किसी एक देश में भाप बनकर उड़ता है व ठण्डी होने पर किसी अन्य देश में वर्षा के रूप में गिरता है अर्थात् प्रस्रति बिना किसी भेदभाव किए मनुष्य को भी इसी प्रकार भेदभाव त्यागने की प्रेरणा देती है तथा पूरे विश्व में एकता की भावना संचारित करती है।