Chapter Notes and Summary
निबन्ध ‘चिठियों की अनूठी दुनिया’ लेखक ‘श्री अरविन्द वुळमार सिंह’ द्वारा रचित है। इस निबन्ध में पत्र्-लेखन का महत्त्व बताया गया है। आज के युग में संचार के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध होने के बाद भी पत्रें की उपयोगिता कम नहीं हुई है। राजनीति, साहित्य व कला की दुनिया से जुड़ी तमाम घटनाओं का आदान-प्रदान पत्र् से ही होता है। दुनिया के समस्त साहित्य पत्रें पर ही निर्भर हैं। आज विद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी पत्र्-लेखन का विशेष महत्त्व है। पत्र्-लेखन के महत्त्व को और अधिक बढ़ाने के लिए विश्व डाक संघ ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सन् 1972 से पत्र्-लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित कीं। आज भी लोगों ने अपने पुरखों की चिठियों को सहेजकर रखा हुआ है। बड़े-बड़े लेखक, पत्र्कारों, उद्यमी, कवि, प्रशासक, संन्यासी आदि की रचनाएँ अपने आप में अनुसन्धान का विषय हैं। पत्र् किसी दस्तावेज से कम नहीं है इसलिए ही आज़ादी के पहले अंग्रेज़ अफसरों ने अपने परिवारीजनों को जो पत्र् में लिखा वह आगे चलकर बहुत महत्त्वपूर्ण पुस्तक तक बन गई। पत्र् ही एक ऐसा माध्यम है जो दुनिया के किसी भी कोने तक पहुँच सकता है। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिठी या मनीऑर्डर लेकर पहुँचने वाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।