Chapter Notes and Summary
महाभारत युद्ध के बाद श्रीस्रष्ण ने छत्तीस वर्ष तक द्वारका पर शासन किया। समस्त सुख-समृद्धि को प्राप्त यह विशाल यादव-वंश आपसी कलह से नष्ट हो गया। इससे दु:खी होकर बलराम ने समाधि में बैठकर शरीर त्याग दिया। समस्त वंश के नाश को देखकर ध्यानमग्न श्रीस्रष्ण समुद्र के किनारे अकेले घूम रहे थे। सोचते-सोचते वे वहीं एक वृक्ष के नीचे ज़मीन पर लेट गए। शिकार की तलाश में घूमते हुए एक शिकारी ने स्रष्ण को हिरन समझकर तीर मार दिया। तीर श्रीस्रष्ण के तलुए को छेदता हुआ शरीर में घुस गया और यह तीर ही स्रष्ण की मृत्यु का कारण बन गया। श्रीस्रष्ण की मृत्यु का समाचार पाकर दुखित हुए युधिष्ठिर ने राजगद्दी अभिमन्यु के पुत्र् परीक्षित को सौंप दी। युधिष्ठिर अपने भाइयों व द्रौपदी को लेकर हिमालय की ओर चले गए। इधर परीक्षित और उसके वंशजों ने न्यायोचित शासन की परंपरा का निर्वाह करते हुए दीर्घ समय तक राज्य किया।