7 Hindi Chapter 22 प्रतिज्ञापूर्ति

Chapter Notes and Summary
आचार्य द्रोण की रथ पर अर्जुन के होने की बात दुर्योधान व कर्ण को अच्छी नहीं लगी। कर्ण ने कहा कि अज्ञातवास की अवधिा अभी समाप्त नहीं हुई है। पांडवों को पुन: बारह वर्ष के लिए जाना होगा। आश्चर्य है कि सेना भय से काँप रही है। मैं अकेला ही मुकाबला करूँगा और दुर्योधान को जो वचन दिया था, उसे आज पूरा करके दिखाऊँगा। कर्ण को यों दम भरते हुए देखकर स्रपाचार्य बोले कि कर्ण! मूर्खता की बातें न करो। हम सबको एक साथ मिलकर अर्जुन का मुकाबला करना होगा। यह सुनकर कर्ण को गुस्सा आ गया। वह बोला-आचार्य तो अर्जुन की प्रशंसा करते कभी थकते ही नहीं हैं। अर्जुन की शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर बताने की इन्हें एक आदत-सी पड़ गई है। न मालूम यह भय के कारण है या अर्जुन को अधिाक प्यार करते हैं। जो भी हो, मैं अकेला ही अर्जुन का सामना करूँगा। यह सुनकर अश्वत्थामा ने कहा कि कर्ण! किया तुमने कुछ नहीं है और कोरी डींगें मारने में समय गँवा रहे हो। इस वाद-विवाद को देखकर भीष्म बड़े खिन्न हुए। वह बोले कि यह आपस में वैर-विरोधा या झगड़े का समय नहीं है। अभी तो सबको एक साथ मिलकर शत्र्ु का मुकाबला करना है। भीष्म ने दुर्योधान को बताया कि प्रतिज्ञा का समय कल पूरा हो चुका है। तुम लोगों की गणना में भूल है। प्रतिज्ञा की अवधिा पूरी हो गई है। यदि पांडवों के साथ संधिा करनी हो, तो अभी समय है। पितामह की बात सुनकर दुर्योधान ने उनसे कहा कि मैं कभी भी पाण्डवों के साथ संधिा नहीं करुँगा। राज्य तो देना दूर रहा, मैं तो एक गाँव तक पांडवों को देने के लिए तैयार नहीं हूँ। यह सुनकर युद्ध के लिए कौरव सेना व्यूह-रचना करने लगी। अर्जुन ने दो-दो बाण आचार्य द्रोण व पितामह भीष्म की ओर इस तरह से छोड़े, जो उनके चरणों में जाकर गिरे। अर्जुन ने कर्ण को घायल कर दिया, अश्वत्थामा को हरा दिया, द्रोणाचार्य को निकल जाने दिया, दुर्योधान को मैदान से भगा दिया। भीष्म ने सेना लौटाने की सलाह दी। कौरव-सेना हार मानकर हस्तिनापुर लौट गई।
इधार युद्ध से लौटते हुए अर्जुन ने कहा कि उनर! अपना रथ नगर की ओर ले चलो। तुम्हारी गायें छुड़ा ली गई हैं। शत्र्ु भी भाग खड़े हुए हैं। इस विजय का यश तुम्हीं को मिलना चाहिए। इसलिए चंदन लगाकर और फूलों का हार पहनकर नगर में प्रवेश करना। अर्जुन वृहन्नला रूप में फिर सारथि बन गया। दूतों द्वारा नगर में खबर भेज दी कि राजकुमार उत्तर की विजय हुई है।

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