Chapter Notes and Summary
पदों का सार
भोर और बरखा अर्थात् प्रभात और वर्षा इनसे संबंधित पदों में मीराबाई ने अपनी अनन्य भक्ति व प्रेम स्रष्ण के प्रति दर्शाया है कि कैसे प्रभात के समय वे श्रीस्रष्ण को उठाना चाहती हैं और वर्णन करती हैं कि घर-घर के दरवाज़े खुल गए हैं, गोपियाँ दही बिलो रही हैं, ग्वाल बाल सब गौओं को चराने जा रहे हैं। दूसरे पद में वर्षा ऋतु का वर्णन है कि बादलों के आते ही मीरा को भनक पड़ती है कि श्रीस्रष्ण आ रहे हैं। चारों तरफ शीतल और सुहावनी पवन चलती है। ऐसे में मीरा जी स्रष्ण के आने की खुशी में मंगल गीत गाना चाहती हैं।