Chapter Notes and Summary
यह कथा मूलत: जापानी भाषा में लिखा गया एक संस्मरण है इसमें तोमोए में पढ़ने वाले दो बच्चों के विषय में बताया गया है। यहाँ हरेक बच्चा एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था और वह उनकी निजी संपत्ति होती थी। वहाँ किसी और को आना हो तो बड़ी शिष्टता से पूछना होता था ‘क्या मैं अंदर आ जाऊँ?’ तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में वुळहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था। उस बड़े से पेड़ पर चढ़ने पर पैर फिसलने लगते थे लेकिन ठीक से चढ़ा जाए तो ज़मीन से छह पुळट की ऊँचाई पर स्थित द्विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। वह झूले जैसी आरामदेह जगह थी। तोत्तो-चान अक्सर खाने की छुटी के समय या स्वूळल के बाद उस पर चढ़ी मिलती। वहाँ से वह दूर आकाश को या सड़क पर आ-जा रहे लोगों को देखती।
तोत्तो-चान ने सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद बड़े साहस का एक काम करने का फैसला लिया। उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आने का न्यौता दिया। यासुकी चान को पोलियो था। वह किसी पेड़ को अपना नहीं मानता था, क्योंकि पेड़ पर चढ़ना उसके लिए असंभव था। तोत्तो-चान और यासुकी-चान के इस कार्यक्रम का पता दोनों में से किसी के माता-पिता को न था। यदि उन्हें पता होता तो दोनों को बहुत डाँट पड़ती। स्वूळल पहुँचने पर मैदान में उसे यासुकी-चान मिला। दोनों बहुत ही अधिक उत्तेजित थे। तोत्तो-चान उसे अपने पेड़ के पास ले गई।
वहाँ वह चौकीदार के यहाँ से एक सीढ़ी उठाकर लाई। वह फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी और वहाँ से तिपाई सीढ़ी घसीट लाई। पसीने से लथपथ उसने तिपाई सीढ़ी को द्विशाखा से लगा दिया। उसने यासुकी-चान को सहारा देकर धीरे-धीरे सीढ़ी पर चढ़ाया। यासुकी-चान सीढ़ी के ऊपर तो पहुँच गया और तोत्तो-चान सीढ़ी से छलांग मारकर पेड़ पर पहँुच गई लेकिन यासुकी-चान को सीढ़ी से वहाँ पर लाना बहुत मुश्किल हो गया। दोनों को अपनी सारी मेहनत बेकार लगने लगी। तोत्तो-चान का रोने का मन होने लगा लेकिन वह रोई नहीं। उसने यासुकी-चान को लेट जाने को कहा और उसका पोलियो वाला हाथ पकड़कर उसे द्विशाखा पर ख°चने की कोशिश करने लगी।
उस समय अगर कोई बड़ा उन दोनों को देखता तो जरूर-चीख पड़ता। दोनों बहुत खतरा उठा रहे थे। काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने द्विशाखा पर थे। पसीने से लथपथ तोत्तो-चान ने सम्मान से यासुकी-चान का अपने पेड़ पर स्वागत किया। यासुकी-चान ने झिझकते हुए मुस्कराकर पूछा, ह्रक्या मैं अंदर आ सकता हूँ?ह् यासुकी-चान और तोत्तो-चान पेड़ पर बैठ बेहद खुश थे। यासुकी के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और आखिरी अवसर था।