Chapter Notes and Summary
हिरण झाड़ियों में छिपता-भागता हुआ राम को कुटी से बहुत दूर ले गया। राम हिरण को पकड़ नहीं पाए और उस पर बाण चला दिया।
बाण लगते ही मारीच के रूप के साथ वह मायावी आवाज़ में सीता व लक्ष्मण को पुकारने लगा जैसे राम उन्हें पुकार रहे हों। सीता ने लक्ष्मण से कहा तुम्हारे भाई किसी संकट में हैं, अत: शीघ्र उनकी सहायता के लिए जाओ।
लक्ष्मण के जाते ही रावण साधाु का वेश रखकर आ पहुँचा। उसने सीता से कहा वह रावण है, राक्षसों का राजा, लंकाधिापति। सीता उसके साथ लंका में जाकर रहें। रावण ने सीता को खींचकर रथ में बैठा लिया। जटायु ने सीता का विलाप सुनकर रथ को क्षत-विक्षत कर दिया व रावण को घायल भी कर दिया। क्रोधा में रावण ने जटायु के पंख काट दिए। सीता ने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारम्भ कर दिया। जो वानरों ने उठा लिए। सीता राम का गुणगान करती हुई रावण से कहती है तेरा अंत निश्चित है।
रावण तत्काल दक्षिण की ओर अपने विमान से उड़ जाता है। लंका पहुँचकर अशोक वाटिका में सीता को बंदी बना दिया गया। सोने के हिरण ने सीता को सोने की लंका में पहुँचा दिया।