6 Hindi Chapter 6 पार नज़र के जयंत विष्णु नार्लीकर

Chapter Notes and Summary
छोटू के पापा एक सुरंगनुमा रास्ते से अपने काम पर जाया करते थे। वह रास्ता आम लोगों के लिए बंद था, वहाँ सिर्फ पास (प्रवेश-पत्र् Entry-card) से ही जा सकते थे। एक दिन छोटू के हाथ पास (प्रवेश-पत्र् Entry-card) लग गया और वह पापा से नज़र बचाकर सुरंग में चला गया। खाँचे में कार्ड डालने पर दरवाजा खुल गया और अन्दर घुसते ही वापस बन्द हो गया। निरीक्षक यंत्र् ने छोटू की तस्वीर ख°च ली और खतरे की सूचना सिपाहियों को दे दी। सिपाही छोटू को पकड़कर वापस छोड़ गए। छोटू के पापा ने उसे बताया कि वह स्थान ज़मीन के ऊपर है वहाँ एक विशेष सूट पहनकर जाना पड़ता है। खास किस्म के जूतों तथा प्रशिक्षण के कारण ही वह चल-फिर सकते हैं। एक समय मंगल ग्रह के सभी लोग धारती के ऊपर ही रहते थे। वातावरण में परिवर्तन आने के कारण जीव मरने लगे। सूरज में परिर्वतन के फलस्वरूप प्रास्रतिक संतुलन बिगड़ा और हमारे पूर्वज ही बचे रहे। अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ज़मीन के नीचे घर बनाया। दूसरे दिन कम्प्यूटर से पता चला कि एक अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की ओर बढ़ रहा है और उसमें से एक यांत्र्कि हाथ बाहर निकल रहा है। कॉलोनी प्रबंधा समिति की मीटिंग में अधयक्ष ने बताया कि दो यान मंगल की ओर बढ़ रहे हैं। सुरक्षा के जिम्मेदार लोग उसे नष्ट करना चाहते थे, परन्तु उससे उन्हें यानों के विषय में जानकारी नहीं मिल पाएगी। इतनी देर में एक अंतरिक्ष यान ज़मीन पर उतर चुका था।
पापा छोटू को कंट्रोल रूम ले गए जहाँ से यान साफ दिखाई दे रहा था। यान से निकला यांत्र्कि हाथ जमीन से मिटी कुरेदना चाहता था तभी छोटू ने कॉन्सोल का लाल बटन दबा दिया जिससे यान की हरकत रुक गई। छोटेू के पापा ने लाल बटन को पूर्व स्थिति में ला दिया, किन्तु यांत्र्कि हाथ की हरकत सहसा रुक गई। नासा के तकनीशियनों ने रिमोट कंट्रोल से यांत्र्कि हाथ को ठीक कर दिया जिससे उसने मंगल की मिट्टी के विभिन्न नमूने एकत्र् कर लिए।
वैज्ञानिक मंगल की मिटी का अधययन करके ये जानना चाहते थे कि क्या पृथ्वी की तरह मंगल पर भी जीवन के अनुकूल दशाएँ हैं, जो आज भी एक रहस्य है।

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