Chapter Notes and Summary
केशव और श्यामा की छत पर का£नस पर चिड़िया ने अंडे दिए थे। वे प्रतिदिन चिड़ा और चिड़िया को देखते रहते और सोचते कितने अंडे हैं, और बच्चे कब निकलेंगे। अम्मा और बाबूजी अपने-अपने कामों में इतने व्यस्त रहते कि वे उनसे इस विषय में कुछ न पूछते। बस आपस में ही दोनों बच्चे सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे लेते। दोनों बच्चे चिड़िया के बच्चों के लिए परेशान रहते थे कि कहीं अण्डों से निकलने वाले बच्चे भूख और प्यास से मर न जाएँ, इसलिए उन्होंने सोचा कुछ चावल के दाने, एक कटोरी में पानी और घोंसले के ऊपर छाया कर दें तो चिड़िया को परेशानी नहीं होगी। इसलिए श्यामा और केशव ने अम्मा के सोने के बाद सभी चीज़ों का इंतजाम किया।
का£नस पर हाथ रखते ही दोनों चिड़ियाँ उड़ गईं। केशव ने फटे-पुराने कपड़े की गद्दी बनाकर अंडे उसके ऊपर रख दिए। अंडों पर टोकरी को लकड़ी से टिकाकर छाया कर दी। पास में चावल के दाने और पानी भरी कटोरी रख दी और चुपचाप कमरे में आकर सो गए।
सोकर उठकर दोनों ने देखा अंडे नीचे गिरकर टूटे पड़े थे। जब अम्मा को पता चला कि केशव ने अंडों को छेड़ा था तो अम्मा ने बताया अंडों को छूने से चिड़िया के अंडे गन्दे हो जाते हैं और फिर चिड़िया उन्हें नहीं सेती। यह सुनकर केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस हुआ और वह दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर कभी दिखाई नहीं पड़°।