6 Hindi Chapter 2 जंगल और जनकपुर

Chapter Notes and Summary
ऋषि विश्वामित्र् और दोनों राजकुमार शाम होने पर सरयू नदी के तट पर ही विश्राम करने लगे। विश्वामित्र् जी ने दोनों राजकुमारों को ‘बला-अतिबला’ नाम की विद्याएँ सिखाईं जिससे उन पर कोई सोते समय भी प्रहार नहीं कर सकेगा।
चलते-चलते महर्षि ने राक्षसी ताड़का के बारे में बताया जिसके डर से इस सुंदर वन का नाम ‘ताड़का वन’ पड़ गया था। राम ने महर्षि की आज्ञा पर धानुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई। राम का बाण ताड़का के हृदय में जाकर लगा। वह वहीं ढेर हो गयी। विश्वामित्र् दोनों राजकुमारों से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें सौ तरह के नए अस्त्र्-शस्त्र् दिए।
अगले दिन सिद्धाश्रम पहुँचकर महर्षि यज्ञ की तैयारियों में लग गए और उनकी रक्षा की जिम्मेदारी राम-लक्ष्मण को सौंपी गई। अनुष्ठान के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच ने राक्षसों के दल-बल के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया। राम का बाण मारीच को लगा और वह मूर्च्िछत हो गया और समुद्र किनारे जा गिरा। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और उसके प्राण निकल गये। अन्य राक्षस भाग खड़े हुए।
अनुष्ठान सम्पन्न होने पर महर्षि राजकुमारों को मिथिला के महाराज जनक के यहाँ स्वयम्वर में अद्भुत शिव-धानुष दिखाने ले गए।
राजा जनक ने कहा जो भी इस विशाल धानुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसके साथ में अपनी पुत्री सीता का विवाह करूँगा।
विश्वामित्र् की आज्ञा से राम ने धानुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा ख°ची और धानुष बीच में से टूट गया। मुनिवर की अनुमति पाकर राजा जनक ने राजा दशरथ को संदेश भेजा। राजा दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँच गये। विवाह से पूर्व जनक ने दशरथ से कहा की वह अपनी छोटी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से कराना चाहते हैं और उनके छोटे भाई कुशधवज की भी दो पुत्र्यिाँ-मांडवी और श्रुतकीर्ति हैं। उन्हें भी वह भरत व शत्र्ुघ्न के लिए स्वीकार करें। बराती बहुओं को लेकर अयोधया लौटे तब तीनों रानियों ने अपने पुत्रें और वधाुओं की आरती उतारी।

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