Chapter Notes and Summary
जिस काम को नौकर-चाकर करते थे, उस काम को भी गाँधीजी छोटा नहीं समझते थे। जब वे वकालत में हजारों रुपये कमाते थे, तब भी हाथ की चक्की से रोटी के लिए आटा पीस लेते थे। कुछ समय तक वे आश्रम के भंडार में काम सँभालते थे और आश्रमवासियों को अक्सर अपने ही हाथ से भोजन परोसते।
हर प्रकार का काम करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। गाँधीजी ने बोअर-युद्ध के दौरान घायलों को स्टे्रचर पर लादकर पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था।
भारतीयों के नेता के रूप में एक बार वे लंदन गए। भारतीय छात्रें ने उन्हें भोज पर निमंत्र्ति किया। दोपहर बाद दो बजे एक दुबला पतला छरहरा आदमी उनमें शामिल होकर सब्जियाँ साफ करने, तश्तरियाँ धोने के काम में उसकी मदद करने लगा, वे गांधाीजी थे। गाँधीजी कमरे में बुहारी भी स्वयं करते थे।
गाँधीजी के अनुसार बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार और देखभाल अनिवार्य है। वे बच्चों की देखभाल माँ की तरह ही करते थे।
दक्षिण अफीका में वे गोखले के लिए भोजन परोसते और पैर दबाने को भी तैयार रहते थे, क्योंकि वे बड़ों का बहुत आदर करते थे।
गाँधीजी ने इंग्लैण्ड में देखा कि वहाँ नौकरों को भी परिवार का ही हिस्सा माना जाता है। वे कहते थे-मैं किसी को अपना नौकर नहीं समझता, उसे अपना भाई या बहन मानता हूँ।