6 Hindi Chapter 14 लोकगीत भगवत् शरण उपाधयाय

Chapter Notes and Summary
मनोरंजन के प्रमुख साधानों में लोकगीत सबसे प्रमुख साधान है। गाँव के साधारण वाद्य यंत्रें की मदद से त्योहारों तथा अनेक अवसरों पर लोकगीत पुरुषों तथा स्त्र्यिों द्वारा गाए जाते हैं। भले ही इन्हें शास्त्रीय संगीत जितना महत्त्व किसी समय में नहीं दिया जाता था, पर अब तो लोकगीत काफी लोकप्रिय हो गए हैं।
लोकगीत अनेक प्रकार के होते हैं। इन लोकगीतों में सिर्फ कल्पना ही नहीं रोजमर्रा का जीवन होता है। कहरवा, बिरहा, बिदेसिया, आदि लोकगीत बड़ी भीड़ को आसानी से आकर्षित कर लेते हैं। इसकी भाषा गाँवों की भाषा होती है।
दूसरे प्रकार के लोकगीतों में जगनिक द्वारा रचित आल्हाखण्ड है जो अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। इसका अलग ही राग और बोल हैं। यों तो लोकगीत पुरुष भी गाते हैं पर अधिाकांश लोकगीतों का सम्बन्धा स्त्र्यिों से है।
लोकगीतों का वर्णन कालिदास ने भी अपने ग्रंथों में भी किया है। बारहमासा तो पुरुष और नारी मिलकर एक साथ गाते हैं। स्त्र्यिाँ तो सभी ऋतुओं में दलों में गाती हैं जिनमें होली और कजरी भी हैं। पूरब की बोलियों में अधिाकतर विद्यापति के गीत गाए जाते हैं। गुजरात के लोकगीत गरबा को स्त्र्यिाँ विशेष ढंग से घेरे में घूम-घूमकर गाती हैं और लकड़ियाँ बजाती हैं, जो बाजे का काम करती हैं। ब्रज में होली के अवसर पर रसिया नामक लोकगीत गाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *