Chapter Notes and Summary
लंका कूच की तैयारियाँ रातभर चलती रहीं। सुग्रीव ने वानरों से कहा, ह्रइसमें वही सैनिक जाएँगे जो शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हों।ह् सेना का नेतृत्त्व नल कर रहे थे। सुग्रीव के सेनापति जामवंत व हनुमान सबसे पीछे थे। राम की शक्तियों को लेकर राक्षसों के मन में डर बैठ गया था।
ये चर्चाएँ विभीषण ने सुनी। उन्होंने रावण से कहा, ह्रसीता को लौटाने में ही सबका कल्याण है। सीता मिल जाएगी तो वे आक्रमण नहीं करेंगे। लंका बच जाएगी।
रावण का क्रोधा भड़क उठा। कहा, ह्र निकल जाओ यहाँ से।ह् विभीषण ने राम के पास जाना ठीक समझा। उन्होंने वानरराज से कहा मैं लंका के राजा रावण का छोटा भाई विभीषण हूँ। मैंने रावण से सीता को लौटाने की बात कही थी इसलिए मुझे लंका से निकाल दिया गया। मुझे राम से मिलवा दें। विभीषण ने राम से मिलकर कहा, ह्ररावण पर विजय प्राप्त करने के लिए बल और बुद्धि दोनों की आवश्यकता है।
राम की सेना के सामने एक बड़ी चुनौती समुद्र थी। नल और नील ने पाँच दिन में उस पर पुल तैयार कर दिया। सबसे पहले विभीषण पुल से उस पार गए। पीछे वानर सेना। राम ने अपनी सेना को चार भागों में विभक्त कर दिया, क्योंकि लंका के चार द्वार थे। सूर्योदय होते ही राम ने अंगद को बुलाया और कहा-तुम लंका जाओ मेरे दूत बनकर। सुलह का अंतिम प्रयास करो, पर रावण नहीं माना।
भयानक युद्ध हुआ। मेघनाद के राक्षस मायावी थे। उनके बाण राम व लक्ष्मण को लगे। वे मू£च्छत हो गए। उसने दोनों भाइयों को मृत समझ लिया। धाूम्राक्ष मारा गया। ब्रजदृष्ट जमीन पर गिर पड़ा। अकंपन कुचल कर मारा गया। प्रहस्त ने नील को धवस्त कर दिया। वुळंभकर्ण दुर्ग से बाहर आया, हनुमान और अंगद ने बाणों की वर्षा कर उसे मार दिया। रावण निराश हो गया। मेघनाद ने रावण को सहारा दिया। मेघनाद और लक्ष्मण में युद्ध हुआ। लक्ष्मण ने बाणों की बरसात कर दी। मेघनाद महल की ओर भागा और महल में ही मारा गया। अपने ज्येष्ठ पुत्र् की मृत्यु से रावण एकदम टूट गया। हनुमान ने निवुळंभ, देवतांक तथा त्र्fिशरा को मौत की नींद सुला दिया। अंगद ने नरांतक का काम तमाम कर दिया। लक्ष्मण ने अतिकाय का सिर काट दिया।
अकेला बचा रावण युद्ध के लिए निकला विभीषण को राम की सेना में देख रावण उबल पड़ा। उसने विभीषण पर निशाना लगाया।
लक्ष्मण ने बाण बीच में ही काट दिया। दूसरा चलाया तो लक्ष्मण बीच में आ गए जिससे वे अचेत हो गए। वैद्य सुषैण को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। सुग्रीव ने लक्ष्मण के स्वस्थ होने की सूचना राम तक पहुँचाई। राम-रावण युद्ध भयानक था। लगा कि युद्ध समाप्त होने को है। तभी रावण का एक बाण राम को लगा उनके रथ की धवजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक में लगा।
रक्त की धारा बह निकली। रावण के हाथ से धानुष छूट गया। वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। मारा गया। बची हुई राक्षस सेना जान बचाकर भागी।
रणक्षेत्र् में केवल एक व्यक्ति दु:खी था। राम ने विभीषण को समझाया, ह्रमित्र् शोक मत करो। रावण महान योद्धा था उसकी अंत्येष्टि महानता के अनुरूप होनी चाहिए। विभीषण ने हनुमान को सीता को लंका विजय का समाचार देने को कहा। हनुमान को छोड़कर किसी ने सीता को नहीं देखा था। सीता आई तो सबको अपनी कल्पनाओं से ऊपर सुन्दर सौम्य लगी। उस सुन्दरता में एक वर्ष बाद पति से मिलन की प्रसन्नता शामिल थी।