हमारे गाँव एवं शहरों में अनेक अवसरों पर मेला लगता है‚ जैसे दशहरा‚ दिपावली‚ होली‚ ईद‚ नागपंचमी आदि। प्रत्येक मेले का अपना महत्त्व होता है। स्थानीय मेलों में स्थान विशेष के खान− पान‚ पहनावा‚ वहाँ के लोकगीत एवं लोकनृत्य का विशेष आकर्षण होता है। इन मेलों में त्यौहारों से सम्बन्धित सामग्रियों की बिक्री होती है तथा झाँकिया सजती हैं। मेले में गाँव व शहर के शिल्पकारों को अपनी बनाई वस्तुओं को बेचने एवं बहुत सारे लोगों को अपनी कला से परिचित कराने का अवसर प्राप्त होता है। बच्चों के साथ ही बड़ों को भी इन मेलों का इन्तजार रहता है। बच्चे मेले में अपनी पसंद के खिलौने और गुब्बारे खरीदते हैं। वही बड़े लोग अपने दैनिक जीवन के जरूरतों की वस्तुएँ मेले से खरीदते हैं। मेले में दूर−दूर से लोग आते हैं जिससे सभी को एक दूसरे से एक ही जगह मिलने का अवसर प्राप्त होता है।
उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 2,250 मेलों का आयोजन किया जाता है‚ जो कि राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं।
राज्य में सर्वाधिक (86) मेले मथुरा में‚ फिर कानपुर (80), हमीरपुर (79), झाँसी (78), आगरा (72) तथा फतेहपुर (70) में मेले लगते हैं। सबसे कम मेले पीलीभीत में लगते हैं।
• कुम्भ मेला− विश्व का सबसे बड़ा मेला कुम्भ मेला प्रत्येक 12 वर्ष पर प्रयाग (इलाहाबाद) में लगता है। इसके अलावा कुंभ मेला भारत में हरिद्वार‚ नासिक तथा उज्जैन में लगता है।
मेले का आयोजन स्थल (जिले) [Place Conduction fairs (Districts)]
मेले |
आयोजन स्थल (जिले) |
महाकुम्भ का मेला |
प्रत्येक 12वें वर्ष (प्रयाग में) |
कुम्भ मेला |
प्रत्येक 6वें वर्ष (प्रयाग में) |
माघ मेला |
प्रत्येक वर्ष माघ में (प्रयाग में) |
ककोरा मेला |
बदायूँ (रुहेलखण्ड का मिनी कुम्भ) |
रामनगरिया मेला |
फर्रुखाबाद (गंगा तट) |
बटेश्वर मेला (पशु मेला) |
आगरा (ऊँट मेला) |
ददरी मेला (पशु मेला) |
बलिया (कार्तिक पूर्णिमा) |
सरधना मेला |
सरधना‚ मेरठ (नवम्बर) |
नौचंदी मेला |
मेरठ |
गढ़मुक्तेश्वर मेला |
हापुड़ (कार्तिक पूर्णिमा) |
कंस मेला |
मथुरा एवं फतेहपुर सीकरी में |
हरिदास जयन्ती मेला |
निधिवन‚ वृन्दावन (मथुरा) |
मुड़िया मेला |
वृन्दावन (मथुरा) |
देवा शरीफ मेला |
बाराबंकी (कार्तिक) |
शृंगीरामपुर मेला |
फर्रुखाबाद (दशहरा एवं कार्तिक पूर्णिमा) |
मकनपुर मेला |
फर्रुखाबाद |
सैयद सलार मेला |
बहराइच |
ढाईघाट मेला |
शाहजहाँपुर |
खारी झल्लू कार्तिक मेला |
बिजनौर |
चैत रामनवमी मेला |
अयोध्या |
कार्तिक या परिक्रमा मेला |
अयोध्या‚ फैजाबाद |
परिक्रमा मेला |
नैमिषारण्य‚ सीतापुर (फाल्गुन में) |
गोला गोकरननाथ मेला |
खीरी (मकर संक्रांति) |
बाल सुन्दरी देवी मेला |
अनूपशहर (बुलन्दशहर) |
कालिन्जर मेला |
बाँदा |
देवीपाटन मेला |
बलरामपुर |
श्रावणी मेला |
संकिसा (फर्रुखाबाद) |
श्रावणी एवं जन्माष्टमी मेला |
मथुरा |
नवरात्रि एवं गणगौर मेला |
आगरा |
कैलाश मेला |
आगरा (सावन के तीसरे सोमवार को) |
नककटैया मेला |
चेतगंज‚ वाराणसी (दशहरा) |
रथयात्रा मेला |
वाराणसी |
शाकम्भरी देवी मेला |
सहारनपुर (नवरात्र) |
गोविन्द साहब मेला |
अम्बेडकर नगर |
खिचड़ी मेला |
गोरखपुर (मकर संक्रांति) |
रामायण मेला |
अयोध्या चित्रकूट व शृंगवेरपुर |
सोरों मेला |
कासगंज |
झूला मेला |
मथुरा‚ अयोध्या (श्रावण में) |
ध्रुपद मेला |
वृन्दावन एवं वाराणसी |
विंध्याचल देवी मेला |
मिर्जापुर (नवरात्र) |
देवछठ मेला |
दाऊजी (मथुरा) |
प्रमुख वार्षिक उत्सव
लखनऊ महोत्सव− इस महोत्सव में अवध के परम्परागत संगीत‚ नृत्य‚ वैभव‚ नजाकत एवं नफासत का दिग्दर्शन कराया जाता है।
वाराणसी उत्सव− इस उत्सव में भारतीय धर्म एवं संस्कृति तथा ज्ञान−विज्ञान का प्रस्तुतीकरण किया जाता है। यह एक पर्यटन उत्सव है।
सुलहकुल उत्सव− हिन्दु−मुस्लिम एकता का यह उत्सव आगरा में मनाया जाता है।
कन्नौज उत्सव− पर्यटन विभाग द्वारा यह उत्सव प्रत्येक वर्ष कन्नौज में मनाया जाता है।
ताज महोत्सव− प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में ताजनगरी ‘आगरा’ में आयोजित इस पर्यटन महोत्सव में मुगलकालीन संस्कृति तथा भारतीय ललित कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
राम बारात उत्सव− यह उत्सव प्रत्येक वर्ष आगरा में मनाया जाता है।
प्रयाग महोत्सव− प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के सहयोग से प्रतिवर्ष इस पर्यटन उत्सव का आयोजन किया जाता है।
त्रिवेणी महोत्सव− प्रत्येक वर्ष फरवरी में इलाहाबाद स्थित वोट क्लब पर होने वाले इस आयोजन में प्रदेश की मिश्रित संस्कृति का अवलोकन कराया जाता है।
काम्पिल उत्सव− फर्रुखाबाद के रामेश्वर नाथ‚ कामेश्वर नाथ तथा जैन मंदिरों में आयोजित इस पर्यटन उत्सव में विभिन्न धार्मिक− सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सरधना महोत्सव− राज्य सरकार के सहयोग के इस महोत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष मेरठ के सरधना में किया जाता है।
लठमार होलिकोत्सव− प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने में मथुरा में बरसाना व उसके एक दिन बाद नंदगाँव में यह उत्सव आयोजित होता है। इस प्रेम भरे रंगोत्सव को देखने के लिए देश−विदेश से लोग आते हैं।
बिठूर गंगा महोत्सव− कानपुर के बिठूर नामक स्थान पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में गंगा के तट पर इस महोत्सव का आयोजन होता है।
गंगा महोत्सव− राज्य सरकार के सहयोग से प्रत्येक वर्ष इस महोत्सव का आयोजन वाराणसी में किया जाता है।
कबीर/मगहर महोत्सव− संत कबीर नगर जनपद के मगहर में प्रत्येक वर्ष इस उत्सव/मेले का आयोजन किया जाता है।
झाँसी महोत्सव− राज्य के संस्कृति विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में पाँच दिवसीय आयुर्वेद महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
सैफई महोत्सव− प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में इस महोत्सव का आयोजन सैफई (इटावा) में किया जाता है।
कजरी महोत्सव− यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष मिर्जापुर में मनाया जाता है।
सोन महोत्सव− यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष सोनभद्र जिले में मनाया जाता है।
वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल− राज्य सरकार के सहयोग से प्रत्येक वर्ष इस फेस्टिवल का आयोजन इलाहाबाद में किया जाता है।
प्रमुख महोत्सव
महोत्सव |
स्थान |
सुलहकुल महोत्सव |
आगरा |
लखनऊ महोत्सव |
लखनऊ |
सैफई महोत्सव |
सैफई (इटावा) |
ताज महोत्सव |
आगरा |
झाँसी महोत्सव |
झाँसी |
काम्पिल महोत्सव |
फर्रुखाबाद |
त्रिवेणी महोत्सव |
इलाहाबाद (फरवरी माह में) |
होलिकोत्सव |
मथुरा |
रामबरात उत्सव |
आगरा |
वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल |
इलाहाबाद |
गंगा महोत्सव |
बिठुर (कानपुर‚ वाराणसी |
यमुना महोत्सव |
मथुरा |
कबीर महोत्सव |
मगहर (सन्त कबीर नगर) |
सरधना महोत्सव |
मेरठ |
कजरी महोत्सव |
मिर्जापुर |
बौद्ध महोत्सव |
कुशीनगर‚ श्रावस्ती‚ संकिसा |
भारत के प्रमुख क्षेत्रीय मेले एवं त्यौहार पुष्कर मेला− पुष्कर मेला राजस्थान के अजमेर में कार्तिक पूर्णिमा को लगता है। यहाँ प्रसिद्ध ब्रह्मा जी का मन्दिर है। पुष्कर मेला ऊँटों का मेला माना जाता है। जिसमें ऊँटों की खरीददारी और बिक्री की जाती है।
गणगौर त्यौहार− गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। इस दिन कुंवारी लड़कियाँ एवं विवाहित महिलायें शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छीटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं। यह त्यौहार होलिका दहन के बाद प्रारम्भ होता है।
बैसाखी− बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में बैशाखी मनाई जाती है। बैसाखी मुख्यत: पंजाब या उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है‚ लेकिन इसे बैसाख‚ बिशु‚ बिहू आदि नाम से देशभर में मनाया जाता है। बैसाखी रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है।
बिहू− बिहू असम का मुख्य त्यौहार है। यह त्यौहार असम में चावल की नई फसल काटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
अम्बुबची मेला− असम प्रदेश के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर के परिसर में इस त्यौहार को आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार जून के महीने में पड़ता है और उत्तर−पूर्व भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है‚ यहाँ तक कि इसे ‘पूर्व का महाकुम्भ’ भी कहा जाता है।
सोनपुर पशु मेला− सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर−दिसम्बर) में लगता है। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। इस मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ के नाम से भी जाना जाता है। यह विश्व में आयोजित किया जाने वाला अपनी तरह का एकमात्र मेला है। हाथी बाजार इस मेले का प्रमुख आकर्षण है।
दुर्गा पूजा− दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध त्यौहार है।
यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में बड़े धूम−धाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव− यह दस दिवसीय महोत्सव आषाढ़ शुक्ल द्वितीय से आषाढ़ शुक्ल एकादशी तक ओडिशा के पुरी शहर में मनाया जाता है। इसमें आषाढ़ शुक्ल द्वितीय को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है।
• कोणार्क नृत्य महोत्सव− यह महोत्सव 1−5 दिसम्बर तक कोणार्क मन्दिर में मनाया जाता है। इसमें देशभर के नर्तक भाग लेते हैं।
• अंबाजी मेला− उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले में माँ अंबा को समर्पित अंबाजी मेला आयोजित किया जाता है।
• ओणम− ओणम केरल का एक प्रमुख त्यौहार है। ओणम का उत्सव सितम्बर में राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है। इस उत्सव में नौका दौड़ जैसे खेलों का आयोजन भी होता है।
ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्यौहार है जो सभी घरो को खुशहाली से भर देता है।
• पोंगल− पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है‚ जो तमिलनाडु में बड़े धूम−धाम के साथ मनाया जाता है। यह फसल कटाई का उत्सव है।
• नैना देवी मेला− नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के विलासपुर जिले में है। नैनादेवी मंदिर में नवरात्रि का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वर्ष में आने वाली दोनों नवरात्रि‚ चैत्र मास और अश्विन मास के नवरात्रि में यहाँ पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसे नैना देवी मेला के नाम से जाना जाता है।
• सूरजकुण्ड मेला− सूरजकुण्ड मेले का आयोजन हरियाणा के फरीदाबाद में किया जाता है। इसे हस्तशिल्प मेला के नाम से जाना जाता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण है कि भारत के सभी राज्यों में सबसे अच्छा शिल्प उत्पादों को एक ही स्थान पर जहाँ आप न देख सकते है बल्कि उन्हें महसूस कर सकते हैं और उन्हें भी खरीद सकते हैं। इस शिल्प मेले में आप सबसे अच्छे हथकरघा और देश के सभी हस्तशिल्प पा सकते हैं।
गणपति उत्सव− गणपति उत्सव हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर गणेश जी की पूजा होती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है।
गंगा दशहरा− ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भागीरथी गंगा नदी को पृथ्वी पर लाये थे। इस दिन गंगा पूजन किया जाता है।
छठ पूजा− यह त्यौहार बिहार‚ उत्तर प्रदेश व बंगाल में वर्ष में 2
बार चैत्र व कार्तिक में मनाया जाता है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें अस्त होते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। इसे डाला छठ भी कहते हैं। सूर्य के साथ इस दिन छठ मइया की भी पूजा की जाती है।
माघ मेला− माघ मेला हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में यह मेला आयोजित होता है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में यह मेला इलाहाबाद में मनाया जाता है।
सैयद सलार गाजी मेला− सैयद सलार गाजी मेला बहराइच में लगता है। इस मेले में इनकी दरगाह पर हिन्दू-मुस्लिम मन्नत माँगने और अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आते हैं।
बटेश्वर पशु मेला− बटेश्वर पशु मेला आगरा में लगता है।
यह एक बहुत बड़ा पशु मेला है‚ जो अक्टूबर और नवम्बर के महीने में आयोजित किया जाता है। बटेश्वर का पशुओं का मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है तथा इस मेले का आनन्द लेने के लिए देश−विदेश से पर्यटक आते हैं।
देवा शरीफ मेला− देवा शरीफ मेला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में आयोजित किया जाता है। इस मेले में हिन्दू−मुस्लिम एकता देखने को मिलता है। यहाँ पर कौमी एकता के प्रतीक हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है। यहाँ उत्तर प्रदेश सरकार की देख−रेख में प्रतिवर्ष मेले का आयोजन होता है जिसमें अनेक श्रद्धालु आते हैं। इस मेले में अनेक धार्मिक−सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्थान मिलता है।
नौचन्दी मेला− नौचन्दी मेला उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। नौचन्दी मेला मेरठ में प्रतिवर्ष लगता है। यह मेला मेरठ की शान है। यहाँ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू−मुस्लिम एकता का प्रतीक है। नौचंदी मेला प्रत्येक वर्ष नौचन्दी मैदान में लगता है।
इसकी खासियत है कि नौचन्दी मेला केवल रात में लगता है। नौचंदी मेले के नाम से यहाँ एक ट्रेन भी चलती है‚ नौचन्दी एक्सप्रेस।
शास्त्रीय नृत्य |
राज्य क्षेत्र |
भरतनाट्यम |
तमिलनाडु |
कुचीपुड़ी |
आन्ध्र प्रदेश |
ओडिशी |
ओडिशा |
कथकली |
केरल |
मोहिनीअटम् |
केरल |
मणिपुरी |
मणिपुर |
कथक |
उत्तर प्रदेश |
लोक नृत्य |
राज्य क्षेत्र |
रऊफ‚ दामली |
जम्मू−कश्मीर |
छोलिया |
उत्तराखण्ड |
घूमर |
हरियाणा |
गरबा |
गुजरात |
तमाशा‚ लावणी |
महाराष्ट्र |
भाँगड़ा‚ गिद्दा |
पंजाब |
झूमर‚ कालबेलिया |
राजस्थान |
चरबा |
हिमाचल प्रदेश |
बिहू |
असम |
कोलाट्टम |
तमिलनाडु |
घण्टा मर्दला |
आन्ध्र प्रदेश |
बाँस नृत्य |
मणिपुर (कुकी जनजाति) |
यक्षगान |
कर्नाटक |