प्रमुख खेल
− खेल एक ऐसी गतिविधि है जिससे शरीर स्वस्थ्य‚ लचीला और ऊर्जावान बनता है। खेल से मनोरंजन भी होता है जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है। खेल खेलने के हमारे जीवन में अनुशासन भी आता है और शरीर में रक्त का संचार अच्छा होता है।
खेल घर के अन्दर और बाहर दोनों जगह खेलते हैं। दोनों जगहों के लिए अलग−अलग खेल होते हैं। प्रत्येक खेल के अलग− अलग नियम होते हैं।
हॉकी− हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है−
• यह खेल ग्यारह−ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है।
• यह खेल मध्य रेखा के बैक पास देकर शुरू किया जाता है।
• यह खेल स्टिक या हॉकी के चपटे भाग द्वारा ही खेला जाता है।
बॉल को शरीर के किसी अंग द्वारा रोका नहीं जा सकता।
• एक टीम में सामान्यत: पॉच फॉरवर्ड‚ तीन हॉफ बैक‚ दो फुल बैक और एक गोलकीपर होता है।
• इस खेल की अवधि 70 मिनट की होती है। यह 35−35 मिनट की अवधि में दो बार खेला जाता है। बीच में 5 से 10 मिनट का मध्यावकाश होता है।
• आधा समय बीत जाने पर एक ओर से दूसरी ओर टीमें जाकर परस्पर अपना स्थान बदल देती हैं।
• खेल का मैदान आयताकार होता है जिसकी लम्बाई 91.40 मीटर व चौड़ाई 55 मीटर होती है। सफेद लाइनों से निशान लगाकार मैदान बनाया जाता है।
मेजर ध्यानचन्द्र भारत के महान हॉकी खिलाड़ी थे। उन्होंने भारत को लगातार तीन बार ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाया।
उनकी जन्मतिथि 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
• इसकी गेंद सफेद रंग की होती है। इसका वजन 156 से 163 ग्राम के बीच होता है। जिसकी परिधि 22.40 सेमी. से 23.50 सेमी. के बीच होती है।
• स्टिक के अतिरिक्त बॉल को किसी भी तरीके से या किसी भी दिशा में उठाना‚ किक करना‚ फेंकना‚ ले जाना व लुढ़काना नहीं चाहिए।
• किसी विपक्षी की स्टिक पर मारना‚ हुक करना या कोई बाधा पहुँचाना मना है।
• गोलकीपर बॉल को किक कर सकता है या उसे अपने शरीर के किसी अंग द्वारा रोक सकता है। ऐसा वह तभी कर सकेगा जब बॉल उसके अपने घेरे के अन्दर है।
• उसे गोल में मारी गई किसी बॉल को रोकने के लिए दण्डित नहीं किया जाता है।
• गोलकीपर यदि पेनाल्टी में भाग ले रहा है तो वह उपरोक्त विशेषाधिकारों से वंचित रहेगा और उसे दस्तानों के अतिरिक्त अपने पैठ या किसी अन्य साज−सामान को उतारने नहीं दिया जाता है।
• यदि बचाव−पक्ष का कोई खिलाड़ी अपने घेरे के भीतर जाकर नियमों का उल्लंघन करता है तो अम्पायर द्वारा विरोधी टीम को पेनाल्टी−कार्नर दिया जाता है।
• जब गेंद गोल के खम्भों के बची से गोल−रेखा को पूरी तरह से पार कर जाए तो गोल हो जाता है।
क्रिकेट− क्रिकेट खेल का जन्मदाता इंग्लैण्ड को माना जाता है‚ परन्तु कुछ इतिहासकार इसका जन्म स्थान फ्रांस को मानते हैं। 12वीं शताब्दी में इस खेल का प्रचलन इंग्लैण्ड में ही था। यह खेल दो दलों (टीमों) के बीच खेला जाता है। प्रत्येक दल में 11−11 खिलाड़ी होते हैं। यह खेल तीन प्रारूपों में खेला जाता है− 1 पाँच दिवसीय मैच (टेस्ट मैच) 2. एक दिवसीय मैच‚ 3. 20−20 मैच। इंच से अधिक न हो तथा इसकी लम्बाई 58 इंच से अधिक न हो।
क्रिकेट खेल के कुछ प्रमुख नियम−
1. टीम की बैटिंग या फील्डिंग का निर्णय टॉस जीतने के बाद होता है।
2. खेल प्रारम्भ होने‚ मध्याह्न तथा खेल समाप्त होने का समय पूर्व निर्धारित होता है।
3. पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जितने रन बनाएगी‚ विपक्षी टीम को जीतने के लिए उससे एक रन ज्यादा बनाना पड़ता है।
बैडमिंटन− बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला खेल है जो विरोधी खिलाड़ियों (एकल) या दो विरोधी जोड़ों (युगल) द्वारा नेट से विभाजित एक आयताकार कोर्ट में आमने−सामने खेला जाता है।
खिलाड़ी अपने रैकेट से शटलकॉक को मारकर के अपने विरोधी के कोर्ट के आधे हिस्से में गिराकर अंक प्राप्त करते हैं। शटलकॉक कोर्ट के अन्दर गिरने पर सर्विस ब्रेक हो जाती है। प्रत्येक पक्ष शटलकॉक को नेट के उस पार जाने से पहले उस पर सिर्फ एक बार मार (स्ट्राइक) सकता है। इसमें 21−21 अंकों का प्रत्येक सेट तथा कुल 3 सेट का मैच होता है। दो सेट जीतने वाले को विजेता घोषित किया जाता है।
• शटलकॉक 14 से 16 पंखे कार्क के बेस में फिक्स होते हैं।
सभी पंखों की लम्बाई 62 से 70 मिमी होती है। शटलकॉक का वजन 4.75 से 5.50 ग्राम तक होता है।
• रैकेट− इसमें रैकेट की लम्बाई 68 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। रैकेट की चौड़ाई 23 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
• सर्विस− इसमें सर्विस करते समय खिलाड़ी (सर्वर तथा रिसीवर दोनों) अपने कोर्ट में खड़े होते हैं। उनके दोनों पैर सीमा रेखाओं को बिना छुए अपनी−अपनी जगह स्थिर रखकर सर्विस करेंगे।
अर्जुन अवार्ड से सम्मानित खिलाड़ी− साइना नेहवाल‚ पी.वी. सिंधु‚ पी. गोपीचन्द्र‚ श्रीकान्त‚ अभिन्न श्यामगुप्त‚ अनूप श्रीधर आदि।
एथलेटिक्स के खेल
1. दौड़− एथलेटिक्स के खेल में दौड़ प्रतियोगिता प्रमुख होती है। यह 100 मी.‚ 200 मी.‚ 400 मी. तथा 800 मी. है। 14 वर्ष आयु वर्ग की सबसे लम्बी दौड़ 800 मीटरहै। जहाँ से 200 मीटर की दौड़ प्रारम्भ होती है‚ वहीं से यह दौड़ भी शुरू की जाती है। इस दौड़ को प्रारम्भ करने के लिए स्टैगर के बजाए कर्व से दौड़ाया जाता है।
जिसके आरम्भ होने के उपरान्त खिलाड़ी बिना किसी धावक को बाधा पहुँचाए प्रथम लेन में आकर दौड़ पूरी कर सकता है।
4 × 100 मीटर रिले− इस दौड़ को गोल परिधि के धावन पथ पर ही कराया जाना चाहिए। इसमें टीम के 4 धावक प्रतिभाग करते हैं। इसमें बैटन का प्रयोग होता है। इसकी लम्बाई 30 सेमी व परिधि 12 सेमी होती है एवं वजन 50 ग्राम से 60 ग्राम तक होता है। बैटन को निर्धारित जोन में ही बदलना होता है जो कि 20 मी. लम्बा बना होता है।
80 मीटर बाधा दौड़− इस दौड़ में 80 मीटर लेन में 8 बाधाओं को पार करना पड़ता है। इसमें पहली बाधा 12 मी. पर शेष 8 मी. के अन्तर से लगायी जाती है। बाधा (हार्डिल) की ऊँचाई बालकों के लिए .92 सेमी तथा बालिकाओं के लिए .76 सेमी होती है।
2. ऊँची कूद− ऊँची कूद का मैदान 5 मीटर लम्बा व 4
मीटर चौड़ा क्षेत्र होता है‚ जिसके पोल की ऊँचाई 2.75 मीटर होती है। क्रॉस बार की लम्बाई 3.95 मीटर से 4.02 मीटर होती है।
प्रत्येक खिलाड़ी को एक निर्धारित ऊँचाई पर कूदने के लिए 3 मौके दिए जाते हैं। कूदते समय क्रॉस बार का गिर जाना फाउल होता है।
3. गोला फेंक− गोला पीतल अथवा लोहे के ठोस पदार्थ का बना होता है जिसका वजन 5 किग्रा होता है। गोला फेंकने के वृत्त का व्यास 2.135 मीटर होता है जिसकी सीध में 0.75 मी. की रेखा दोनों ओर बनायी जाती है‚ जिसके पीछे से खिलाड़ी को बाहर निकलना होता है। सेक्टर के किनारे एक टी बोर्ड लगा होता है।
4. चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो)− डिस्कस‚ फाइबर या लकड़ी का वृत्त के आकार का होता है। इसका वजन 1.5 किलोग्राम होता है। डिस्कस फेंकने के वृत्त का व्यास 2.05 मीटर होता है‚ जिसकी सीध में दोनों ओर .75 मीटर की रेखा बनी होती है। जिसके पीछे से खिलाड़ी को वृत्त के बाहर निकलना होता है। इसका सेक्टर 34.92 अंश का होता है। फेंक की नाम‚ फेंका गया डिस्कस जिस जगह गिरता है उस बिन्दु से वृत्त के केन्द्र बिन्दु तक की जाती है।
इसमें खिलाड़ी को तीन अवसर प्रदान किए जाते हैं। डिस्कस सेक्टर से बाहर जाने पर फाउल होता है।
5. कुश्ती− विश्व के प्राचीनतम खेलों में एक खेल− ‘कुश्ती’ का उल्लेख हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है।
ऐतिहासिक तथ्य साक्षी हैं कि 2500 ई.पू. में भी ‘कुश्ती’ प्रचलित थी। यह बात और है कि तब इसे ‘मल्ल युद्ध’ के नाम से जाना जाता था। इसे मात्र मनोरंजन का ही नहीं‚ बल्कि शक्ति का भी प्रतीक माना जाता था। राजा−महाराजाओं से लेकर जमींदार तक पहलवानों को संरक्षण देते हुए ‘कुश्ती’ को प्रोत्साहित करते थे।
कुश्ती का स्थान− कुश्ती के लिए 9 मीटर व्यास का एक गोलाकार अखाड़ा होता है‚ जिसके अन्दर एक मीटर व्यास का केन्द्रीय वृत्त रेखांकित होता है। यदि गद्दे पर प्रतियोगिता आयोजित होती है तो गद्दा 1 मीटर तक ऊँचा होता है।
कुश्ती की अवधि− प्रत्येक कुश्ती का कुल समय 6 मिनट होता है। उस समय तीन−तीन मिनट के दो भागों में बँटा होताहै।
प्रत्येक राउंड के बाद 30 सेकेण्ड का विश्राम होता है।
कुश्ती के लिए भार वर्ग− प्रतियोगिता प्रारम्भ होने से 1 दिन पूर्व खिलाड़ी का भार लिया जाता है।
1. 25−27 किग्रा 2. 27−30 किग्रा 3. 30−33 किग्रा
4. 33−37 किग्रा 5. 37−41 किग्रा 6. 41−45 किग्रा
7. 45−50 किग्रा 8. 50−55 किग्रा 9. 55−60 किग्रा
10. 60 किग्रा से ज्यादा कुश्ती से संबंधित प्रमुख नियम− पुल (Pull)– जब कोई पहलवान चित्त होने के खतरे से बचने हेतु संघर्ष करता है और उसकी पीठ गद्दे की ओर 90 अंश से अधिक मुड़ जाती है तथा वह अपने शरीर के ऊपर के हिस्से से प्रतिरोध करता है तो इस स्थिति को पुल कहा जाता है।
चित्त− जब एक पहलवान के दोनों कंधे एक साथ गद्दे को छू लेते हैं तथा दूसरे का उस पर नियंत्रण हो जाता है इस स्थिति को चित्त होना कहा जाता है। यह हार का सूचक है।
सडेन डेथ− जब दोनों पहलवानों के अंक बराबर होते हैं तो सडेन डेथ द्वारा अंतिम निर्णय होता है। इसमें जो पहलवान पहला अंक जीतता है‚ वह विजेता होता है।
कुश्ती के महान खिलाड़ी− गामा पहलवान− गामा पहलवान को रुस्तम−ए−जहाँ कहा जाता है।
दारा सिंह− ‘फ्री स्टाइल’ कुश्ती के लिए विश्व विख्यात पहलवान रहे हैं।
महाबली सतपाल− गुरु हनुमान के शिष्य महाबली सतपाल जो भारतीय विद्यालयी खेल संघ के अध्यक्ष एवं भारतीय कुश्ती के विकास पुरुष हैं। इन्हें महाबली एवं पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
6. वॉलीबॉल− इस खेल में दोनों टीमों में 6−6 खिलाड़ी होते हैं। खेल का मैदान नेट के द्वारा 2 बराबर भागों में बँटा होता है।
सर्विस से गेंद नेट के पार करके खेल प्रारम्भ किया जाता है। सर्विस दी गई टीम की कोशिश होती है कि विरोधी टीम न तो गेंद को लौटा पाए और न इसे जमीन पर गिरने से रोक पाए।
विपक्षी टीम यदि गेंद लौटाने में सफल हो जाती है तब उसका भी प्रयास होता है कि पहली टीम के खिलाड़ी गेंद लौटा न सकें तथा वह गेंद उनके पाले में गिर जाए।
• प्रत्येक टीम को गेंद को तीन बार उठाने का मौका मिलता है। खिलाड़ी शरीर के किसी हिस्से से गेंद मार सकते हैं परन्तु गेंद शरीर पर रुकने न पाए। प्राय: यह उँगलियों से ही खेला जाता है।
• वॉलीबॉल का वजन 260 से 280 ग्राम परिधि 65−67
सेमी होती है। वॉलीबॉल में 9 मीटर तथा 18 मीटर लम्बा मैदान होता है जिसमें एक मध्य रेखा होती है। मध्य रेखा के ऊपर जाली (नेट)
लगायी जाती है। मध्य रेखा से दोनों ओर 9 × 9 वर्गमीटर का वर्गाकार क्षेत्र होता है जिसमें मध्य रेखा से 3 मीटर दूर आक्रमण रेखा होती है। मध्य रेखा के अंतिम दोनों छोर से एक−एक मीटर दूर खम्भा होता है जिसमें नेट लगायी जाती है। खम्भों की ऊँचाई 2.50
मीटर होती है। जमीन से नेट की ऊँचाई पुरुष वर्ग में 2.43 तथा महिला वर्ग में 2.24 मीटर होती है। दोनों तरफ पृष्ठ रेखा के बाहर सर्विस क्षेत्र होता है। इस खेल में कुल छ: निर्णायक सदस्य होते हैं।
जिसमें मुख्य निर्णायक‚ सह निर्णायक‚ स्कोरर‚ टाइम कीपर‚ दो लाइन जज होते हैं।
गणना− वॉलीबॉल पाँच सेटों में खेला जाता है। जो टीम तीन सेट जीत जाती है उसे विजेता घोषित किया जाता है। एक सेट 25
अंक का होता है। पाँचवाँ सेट यदि होता है तो 13 अंक आने पर दोनों टीमों का आपस में पाला बदल दिया जाता है। उसी अंक के आगे खेल बढ़ाया जाता है।
7. फुटबॉल−
• यह खेल विश्व में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल है। यह खेल ग्यारह−ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है।
• प्रत्येक टीम में पाँच फारवर्ड तीन हाफ−बैक‚ दो फुल बैक और एक गोलकीपर विशेषज्ञ खिलाड़ी होते हैं।
• खेल का मैदान आयताकार होता है जिसकी लम्बाई × चौड़ाई अधिकतम 110 × 75 मी. एवं न्यूनतम 100 × 64 मी. होती है।
• फुटबॉल की परिधि 69 से 71 सेमी के बीच होती है। इसका वजन 410−450 ग्राम होता है।
• यह खेल 45−45 मिनट की दो समान समयावधि में खेला जाता है। आधा समय बीत जाने पर पाँच से दस मिनट का मध्यावकाश होता है।
• इसमें 11 खिलाड़ी खेलते हैं और पाँच अतिरिक्त खिलाड़ी होते हैं। खेल के दौरान केवल तीन खिलाड़ी ही बदले जा सकते हैं।
• इस खेल में टॉस जीतने वाली टीम चाहे तो मैदान की साइड चुन ले चाहे बॉल‚ पर पहले किक लगाये।
• हॉफ−टाइम के बाद जब खेल पुन: आरम्भ हो तो साइड बदल ली जाती है। जिस टीम के खिलाड़ी ने आरम्भ करने के समय किक लगाई थी उसकी विरोधी टीम का खिलाड़ी गेंद पर पहले किक लगाता है।
• पेनाल्टी−किक‚ पेनाल्टी−चिह्न से लगाई जाती है। जब यह किक लगाई जा रही हो तो किक लगाने वाले खिलाड़ी और विरोधी टीम के गोल कीपर के अलावा सभी खिलाड़ी खेल के मैदान के अन्दर हों परन्तु पेनाल्टी क्षेत्र से बाहर कम से कम 9.15 मी. दूर रहेंगे।
कुछ अन्य खेल−
1. टच एण्ड पास (Touch and Pass)– इस खेल में दो टीम होती है प्रत्येक में 13−13 खिलाड़ी होते हैं‚ इसमें टॉस जीतने वाली टीम ‘पास’ या कोर्ट का चुनाव करती है। खेल प्रारम्भ होने पर ‘पास’ वाली टीम बॉल को लेकर तेजी से विरोधी टीम की ओर बढ़ती है तथा खिलाड़ी बिना छुए हुए‚ अपने को बचाते हुए विरोधी टीम की गोल रेखा के पार फेंककर गोल करने का प्रयास करते हैं। यहाँ ‘छू’ जाने का अर्थ‚ जिस खिलाड़ी के पास बॉल हो उसे थपकी मारना है‚ न कि धक्का देना‚ भिड़ जाना या पकड़ लेना है।
नोट− इस खेल की समयावधि 20 मिनट है‚ इस दौरान जो टीम अधिक गोल करती है वह विजयी घोषित होती है‚ यदि इस 20
मिनट में दोनों टीम बराबर गोल करती हैं तो 5 मिनट का समय और देकर दोनों टीमों को 3−3 फ्री हिट दी जाती है जो टीम हिट्स को अधिक गोल में परिवर्तित करेगी वही टीम विजयी होगी।
2. घेरों में टप्पा देना− इस खेल में 4−4 खिलाड़ियों के ग्रुप बनाये जाते हैं‚ प्रत्येक समूह के लिए एक फुटबॉल या टेनिस बॉल होना आवश्यक है। खिलाड़ियों के प्रत्येक समूह के लिए लगभग 3 से 4 फुट के व्यास का एक घेरा चूना या खड़िया की सहायता से बनाया जाता है। घेरे में खिलाड़ी यथास्थान खड़े हो जाता है तथा गेंद को टप्पा देकर एक खिलाड़ी से दूसरे खिलाड़ी तक पहुँचाया जाता है। खिलाड़ी बॉल को पकड़े बगैर ज्यादा से ज्यादा टप्पे देने कोशिश करते हैं। जब गेंद का टप्पा घेरे के अन्दर पड़ता है तभी सही ‘रिटर्न’ माना जायेगा‚ अन्यथा फाउल (foul) माना जायेगा। यदि कोई खिलाड़ी गेंद को घेरे में नहीं लौटा पाता‚ इस स्थिति में विपक्षी टीम को एक अंक मिल जायेगा।
3. लम्बीकूद− कूद में भाग लेने वाले को निर्धारित पक्ष से दौड़ते हुए टेक−ऑफ बोर्ड पर पैर रख कर कूदना होता है। कूदते समय यह ध्यान रहे कि सफेद चूने की रेखा पर पैर न पड़े तथा कूदने के उपरान्त शरीर का कोई भी अंग कूद स्थान से पीछे न छुए।
अंतर्राष्ट्रीय खेल
राष्ट्रीय स्तर पर योग्य खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लेकर अपने−अपने देश का नाम रोशन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खेलों में ओलम्पिक‚ पैरालम्पिक‚ एशियाड एवं सैफ खेल प्रमुख हैं।
ओलम्पिक खेल−
• ओलम्पिक खेलों का प्रारम्भ सर्वप्रथम 776 ई.पू. में यूनान (ग्रीस) के ओलम्पिया नगर में हुआ।
• ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद आयोजित होते हैं।
• ओलम्पिक खेलों में पहले मात्र दौड़ की ही प्रतिस्पर्धा होती थी। बाद में इसमें अन्य खेल भी जुड़ गए। ओलम्पिक में पहले महिलाएं प्रतिभाग नहीं करती थीं। सन् 1900 पेरिस के फ्रांस ओलम्पिक खेलों से महिलाएं प्रत्येक स्तर के खेलों में प्रतिभाग करती हैं।
• आरम्भ के ओलम्पिक खेलों में प्रतियोगियों को पुरस्कार के रूप में जैतून का ताज पहनाया जाता था। अब पुरस्कार स्वरूप पदक दिए जाते हैं।
• अंतर्राष्ट्रीय खेल वे खेल हैं जिसमें दो या दो से अधिक राष्ट्र प्रतिभाग करते हैं।
• जैतून का पेड़ यूनान का एक पवित्र एवं सदाबहार पेड़ है। जिसको सम्मान देने की दृष्टि से उसकी पत्तियों का ताज/मुकुट पुरस्कार स्वरूप विजेताओं को पहनाया जाता था। जैतून के पेड़ को शान्ति का प्रतीक माना जाता है।
• आधुनिक ओलम्पिक− फ्रांस के महान शिक्षाविद् एवं समाजशास्त्री बैरेन पियरे डी कुवर्टिंन ने विश्व समुदाय में एकता एवं सौहार्द के उद्देश्य से 1896 में एथेन्स (यूनान की राजधानी)
से आरम्भ किया व 1916‚ 1940‚ 1944 को छोड़कर प्रत्येक चार वर्ष के अन्तराल पर ये खेल आयोजित होते हैं।
• ओलम्पिक ध्वज में पाँच गोले एक−दूसरे से मिले होते हैं। ये नीले‚ काले‚ लाल‚ पीले तथा हरे रंग के होते हैं। जो पाँच महाद्वीपों (यूरोप‚ अफ्रीका‚ अमेरिका‚ एशिया‚ ऑस्ट्रेलिया) के प्रतीक हैं।
ओलम्पिक खेलों में भारत की स्थिति
• सन् 2008 बीजिंग (चीन) ओलम्पिक में निशानेबाजी में अभिनव बिन्द्रा ने स्वर्ण पदक‚ कुश्ती में सुशील कुमार ने कांस्य पदक और मुक्केबाजी में बिजेन्द्र सिंह ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
• भारत ने ओलंपिक खेलों में वर्ष 1928 से 1956 तक लगातार 6 बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता। इसके अतिरिक्त हॉकी में ही 1960 में रजत तथा 1968‚ 1972 में कांस्य पदक जीता।
• वर्ष 1992 में भारत की पी.टी. ऊषा 100 मीटर की दौड़ में सेकेन्ड के सौवें भाग से पीछे रहने के कारण कांस्य पदक नहीं जीत सकीं।
• वर्ष 1952 में के.डी. जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
यह उस समय का पहला एकल पदक था जो विजेता को व्यक्तिगत रूप से प्राप्त हुआ था।
• सन् 1996 के अटलांटा ओलम्पिक खेलों में भारत के लिएण्डर पेस लॉन टेनिस के खेल में कांस्य पदक विजेता बने।
• सन् 2000 के सिडनी ओलम्पिक में कर्णम् मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन स्पर्धा में कांस्य पदक प्राप्त किया।
• सन् 2004 के एथेन्स ओलम्पिक में सेना के मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी का रजत पदक प्राप्त किया।
• सन् 2012 में लन्दन ओलम्पिक में सुशील कुमार ने कुश्ती में रजत पदक तथा योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
निशानेबाजी में विजय कुमार ने रजत तथा गगन नारंग ने कांस्य पदक प्राप्त किया। बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने कांस्य तथा मुक्केबाजी में मैरी कॉम ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
• सन् 2016 रियो ओलम्पिक में बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु ने रजत पदक तथा साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
• रियो ओलम्पिक 2016 में दीपा करमाकर भारत की प्रथम महिला जिमनास्ट थीं जिन्होंने जिमनास्टिक प्रतियोगिता में भाग लिया लेकिन कुछ ही अंकों से कांस्य पदक से वंचित रह गई।
ओलम्पिक प्रतियोगिता में पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी पैरालम्पिक खेल− वैसे तो पैरालम्पिक खेल की शुरुआत की कहानी ओलम्पिक के साथ ही जुड़ी है। इसका श्रेय डॉ. गुडविंग गुट्टमन्न को जाता है। जिन्होंने अक्षम लोगों को जीने का नया नजरिया देने के लिए ओलम्पिक के समान ही पैरालम्पिक की संकल्पना की थी। सन् 1960 में प्रथम पैरालम्पिक का आयोजन रोम (इटली) में किया गया‚ जिसमें 23 देशों के 400 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया।
भारत ने अब तक पैरालम्पिक खेलों में जीते गए 8 पदकों में से एथलेटिक्स में 6 व तैराकी व पावर−लिफ्टिंग में एक−एक पदक जीते हैं।
रियो पैरालम्पिक (2016) में भारत की ‘दीपा मलिक’ ने शॉटपुट में रजत पदक हासिल कर‚ पहली भारतीय महिला खिलाड़ी होने का गौरव प्राप्त किया।
एशियाड खेल−
• एशियाई खेलों के जनक प्रोफेसर गुरूदत्त सोढ़ी‚ महाराजा पटियाला एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू थे।
• इन खेलों का आयोजन भी प्रत्येक चार वर्ष बाद होता है।
• एशियाड खेलों का प्रथम आयोजन वर्ष 1951 में 4 मार्च से 11 मार्च तक नई दिल्ली में किया गया था।
• एशियाड खेलों में एथलेटिक्स‚ हैण्डबॉल‚ कुश्ती‚ भारोत्तोलन‚ मुक्केबाजी‚ कराटे‚ कबड्डी‚ जिम्नास्टिक‚ निशानेबाजी‚ तैराकी‚ साइकिल दौड़‚ हॉकी‚ वॉलीबॉल‚ फुटबॉल आदि खेल सम्मिलित हैं।
• वर्ष 1982 में नवें एशियाई खेलों का आयोजन नई दिल्ली में हुआ था।
• एशियाई खेल वर्ष 2002 में बुसान (दक्षिण कोरिया) में हुए थे। जिसमें कुल 44 देशों ने भाग लिया। इसमें खेलों की कुल संख्या 38 थी।
• एशियाई खेल वर्ष 2006 में कतर की राजधानी दोहा में हुआ था जिसमें कुल 45 देशों ने भाग लिया। इसमें खेलों की कुल संख्या 39 थी।
• एशियाई खेल वर्ष 2010 में चीन के गुआंग्झू में हुआ था जिसमें कुल 45 देशों ने भाग लिया। इसमें खेलों की कुल संख्या 42 थी।
• एशियाई खेल वर्ष 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुआ था‚ इसमें भारत ने पुरुष हॉकी टूर्नामेंट में स्वर्णपदक जीता। इस खेल में कुल 45 देशों ने भाग लिया और खेलों की कुल संख्या 36 थी।
• एशियाई खेल वर्ष 2018 में इण्डोनेशिया के जकार्ता और पालेम्बैंग में हुआ था। इसमें भारत ने 15 स्वर्ण पदक‚ 24 रजत पदक‚ 30 कांस्य पदक जीते थे। इस खेल में कुल 45 देशों ने भाग लिया और खेलों की कुल संख्या 40 थी।
एशियाड में भारत की स्थिति− भारत ने 2018 तक 154 स्वर्ण पदक‚ 202 रजत पदक‚ 315 कांस्य पदक जीते हैं।
सैफ (सार्क) खेल या दक्षेस (दक्षिण एशियाई खेल)− आज विभिन्न देशों के बीच खेल श्रेष्ठता का सूचक बन गए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लेने से देश का गौरव बढ़ता है।
सैफ अर्थात् साउथ एशिया इन्टरनेशनल फेडरेशन। इसके अन्तर्गत केवल साउथ एशिया के देश ही खेलों में भाग ले सकते हैं। सैफ में भारत‚ श्रीलंका‚ पाकिस्तान‚ बांग्लादेश‚ नेपाल‚ भूटान तथा मालदीव देश शामिल हैं।
राष्ट्रकुल खेल− राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन भी प्रत्येक चार वर्ष के उपरान्त किया जाता है। इन खेलों में वही देश भाग लेते हैं जिन पर ब्रिटिश सरकार ने शासन किया था। भारत ने वर्ष 1934
ई. में लंदन में आयोजित राष्ट्रकुल खेल में प्रथम बार प्रतिभाग किया था। इस खेल का प्रारम्भ सर्वप्रथम वर्ष 1930 में कनाडा से प्रारम्भ किया गया जिसमें कुल 11 देशों ने भाग लिया था।
खेल भावना एवं अनुशासन
खेल भावना
• खेल प्रारंभ होने तथा समाप्त होने पर प्रतिद्वन्दी टीम‚ मैच रेफरी‚ निर्णायक व अम्पायर से हाथ मिलाना।
• परस्पर अभिवादन करना।
• अच्छे प्रदर्शन पर एक दूसरे को प्रोत्साहित करना। खराब प्रदर्शन पर हौसला बढ़ाना
• किसी भी खिलाड़ी को चोट लगने पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना।
• खेल में ईमानदारी दिखाना।
• खेल के प्रति सम्मान का भाव रखना।
• लिंगभेद‚ वर्णभेद व सक्षम−अक्षम के खाँचे में खेल को न बाँटना।
खेल अनुशासन
• खेल की उचित वेशभूषा में मैदान पर जाना।
• समय से मैदान में पहुँचना
• अनावश्यक शोर न करना।
• किसी पर टिप्पणी न करना।
• किसी को हतोत्साहित न करना।
• नियम व निर्देशों का पालन करना।
• क्षमतावर्द्धक‚ मादक या नशीले पदार्थों का सेवन न करना।
जब हम कोई भी खेल खेलते हैं तो उसमें हारते हैं या जीतते हैं।
हमारा पूरा प्रयास होता है कि हम जीतें पर सदैव ऐसा नहीं हो पाता।
अगर हम जीतते हैं तो हमें हारने वाले खिलाड़ी के प्रयास की सराहना करनी चाहिए। संबंध में बिशप पेन्सिल्वानिया की प्रसिद्ध उक्ति उल्लेखनीय है− ‘‘जीतना ही महत्त्वपूर्ण नहीं है। महत्त्वपूर्ण है प्रतिभाग करना। जीवन में विजेता होना ही आवश्यक नहीं। अच्छे प्रकार के संघर्ष करना कहीं अधिक आवश्यक है।’’ खेल भावना तथा अनुशासन एक दूसरे के पूरक है।
खेल भावना के संबंध में एक वास्तविक घटना− बच्चियों की सौ मीटर की दौड़ हो रही थी। एक बच्ची बैसाखी के सहारे सबसे आगे दौड़ रही थी। उसकी तेजी व फुर्ती से भीड़ आश्चर्यचकित थी। लक्ष्य मुश्किल से दो−चार कदम ही रहा होगा कि उस बच्ची की बैसाखी फिसल गई। वह गिरकर घसिटती चली गई। उससे कुछ ही पीछे दौड़ रही बच्ची तुरन्त रुक गई। उसने अपनी साथी को सँभाला और ट्रैक से एक ओर ले गई। उसे प्राथमिक उपचार भी दिया। जबकि वह चाहती तो दौड़ जीत सकती थी। लेकिन बच्ची ने खेल भावना का परिचय देते हुए अपने साथी की मदद की। इस तरह उसने वहाँ उपस्थित हर व्यक्ति का हृदय जीत लिया।
खेल का महत्त्व
खेलों का हमारे जीवन में निम्नलिखित महत्त्व है−
• शारीरिक‚ मानसिक एवं भावात्मक विकास होता है।
• हार एवं जीत दोनों के प्रति आदर भाव पैदा होता है।
• सहयोग‚ त्याग‚ सहानुभूति‚ मित्रता तथा राष्ट्रप्रेम की भावना बढ़ती है।
• नेतृत्व क्षमता तथा अनुशासन का गुण विकसित होता है।
खेल पुरस्कार
− खेलों के विकास के लिए प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान एवं पुरस्कार दिए जाते हैं। हमारे देश में केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा खेल के विकास के लिए निम्नलिखित पुरस्कार दिए जाते हैं− राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार− यह पुरस्कार 1991 से शुरू हुआ। यह खेल का राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च पुरस्कार है। हमारे देश में यह पुरस्कार विश्वनाथन आनन्द (शतरंज)‚ के. मल्लेश्वरी एवं एन. कुंजूरानी (भारोत्तोलन)‚ लिएण्डर पेस (टेनिस)‚ सचिन तेंदुलकर (क्रिकेट)‚ धनराज पिल्लै (हॉकी)‚ पुलेला गोपीचन्द (बैडमिंटन) तथा ज्योतिर्मय सिकदर‚ के.एम. वीनामोल‚ अंजू बॉबी जार्ज को (एथलेटिक्स) मिल चुका है। इस पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र‚ एक मेडल तथा रु. 7‚50000/− (सात लाख पचास हजार) की धनराशि नगद प्रदान की जाती है।
2018 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार साइखोम मीराबाई चानू (भारोत्तोलन) और विराट कोहली (क्रिकेट) को दिया गया है।
अर्जुन पुरस्कार− वर्ष 1961 में अर्जुन पुरस्कार शुरु किया गया।
यह सबसे अच्छे खिलाड़ियों को दिया जाने वाला खेल का एक राष्ट्रीय पुरस्कार है। इस पुरस्कार में अर्जुन की कांस्य प्रतिमा‚ एक प्रशस्ति−पत्र‚ पाँच लाख रुपये नगद और समारोह परिधान शामिल होता है।
द्रोणाचार्य पुरस्कार− यह पुरस्कार वर्ष 1985 से प्रारम्भ किया गया। द्रोणाचार्य पुरस्कार उन प्रशिक्षकों को दिया जाता है‚ जिन्होंने पूरे वर्ष के दौरान उत्कृष्ट सफलता हासिल करने वाली टीम या खिलाड़ी को प्रशिक्षित किया है। इस पुरस्कार में पाँच लाख रुपये नगद‚ द्रोणाचार्य की एक प्रतिमा‚ एक प्रशस्ति−पत्र‚ एक समारोह परिधान और एक टाई दी जाती है।
लक्ष्मण पुरस्कार− यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिनका वर्षभर में बहुत अच्छा प्रदर्शन होता है। इसमें पुरस्कार की नगद धनराशि 50‚000 रुपये तथा प्रशस्ति−पत्र दिया जाता है।
ध्यानचंद्र पुरस्कार− ऐसे खिलाड़ी जो अपने खेल कैरियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बाद रिटायरमेंट (सन्यास) के तदुपरांत खेल को बढ़ावा देने के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान निरन्तर दे रहे हैं।
इस पुरस्कार की शुरूआत 2002 में हुई और पुरस्कार के विजेता को 5 लाख रु. की धनराशि प्रदान की जाती है।
रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार− यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उन महिला खिलाड़ियों को दिया जाता है जिनका राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन होता है। इसमें पुरस्कार की नगद धनराशि 50‚000 रुपये तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
• उत्कृष्ट युवा क्लबों को पुरस्कार− युवा क्लबों द्वारा राष्ट्र−निर्माण में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992−93 में यह योजना प्रारम्भ की गयी। यह योजना तीन स्तरों− जिला‚ राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चलाई जा रही है।
• खेल छात्रवृत्ति योजना− वर्ष 1970−71 में शुरू खेल प्रतिभा−खोज छात्रवृत्ति योजना ने 1997 में खेल छात्रवृत्ति योजना का रूप ले लिया। इस योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर‚ राज्य स्तर और विश्वविद्यालय/कॉलेज स्तर पर छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं।
वर्ष 2019 में पद्म अलंकरणों से सम्मानित किए गए खिलाड़ी पद्म भूषण
• बछेन्द्री पाल (पर्वतारोहण)
पद्म श्री
• सुनील छेत्री (फुटबॉल)
• प्रशांति सिंह (बास्केट बॉल)
• हरिका द्रोणावल्ली (शतरंज)
• गौतम गंभीर (क्रिकेट)
• शरद कमल (टेनिस)
• बोंबायला देवी लैशराम (तीरंदाजी)
• बजरंग पुनीया (कुश्ती)
• अजय ठाकुर (कबड्डी)
मेजर ध्यानचन्द− पूर्व कप्तान‚ हाँकी : इनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता।
पी.वी. सिन्धु− बैडमिंटन खिलाड़ी‚ रियो ओलम्पिक (2016)
में रजत पदक विजेता एवं हाल ही में हुए एशियन बैडमिंटन टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता।
सुशील कुमार− पहलवान : भारतीय कुश्ती मिताली राज− कप्तान‚ महिला क्रिकेट : टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी।
अजय ठाकुर− कप्तान‚ भारतीय कबड्डी टीम : भारत को कबड्डी वर्ल्ड चैम्पियन बनाने वाले कप्तान।
सुप्रिया− कप्तान‚ राष्ट्रीय खो−खो टीम।
• हॉकी‚ फुटबॉल‚ क्रिकेट‚ बैडमिंटन‚ जूडो‚ जिमनास्टिक‚ एथलेटिक्स (दौड़)‚ कबड्डी‚ मलखंब‚ खो−खो आदि राष्ट्रीय खेल हैं।
• हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
• हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है।
अभ्यास का महत्त्व− खेलकूद में शारीरिक स्वास्थ्य एवं अभ्यास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। निरन्तर खेल का अभ्यास हमारी शारीरिक और मानसिक सक्रियता को बढ़ाता है। खेलकूद से हम अनुशासित‚ धैर्यवान‚ समयबद्ध और विनम्र होते हैं। खेल का अभ्यास करने से आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे खेल के कौशल एवं बारीकियों को तीव्रगति से सीखा जा सकता है। हम खेल में नियमित अभ्यास एवं कुशलता से प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अत: प्रतिदिन अपने मनपसंद खेलों का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। खेल हमें आनंद की अनुभूति भी कराता है।
हमारे कुछ पारम्परिक खेल− प्राचीन काल से लेकर आज तक के खेलों में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। खेलों के खेले जाने के साधन‚ स्थान‚ पोशाक तथा नियमों आदि में सुविधानुसार अनेक परिवर्तन हुए हैं। पहले पेड़ों की सूखी टहनियों एवं लकड़ियों को स्वयं तराश कर खेलने योग्य बनाया जाता था। खेल के वही उपकरण अब कारखानों में बनाए जाते हैं। जो प्रयोग करने में आरामदेह तथा देखने में भी आकर्षक होते हैं। खिलाड़ियों के लिए दूसरी टीम से अलग दिखने के लिए अनेक रंगों के सुविधाजनक स्पोर्ट्स किट उपलब्ध हैं। खेलने के लिए स्टेडियम एवं खेल के मैदान बनाए गए हैं। जहाँ ट्रैक (मैदान में दौड़ने की लाइन) एवं प्रकाश आदि की उचित व्यवस्था रहती है और खिलाड़ियों को खेलने के लिए आदर्श कोर्ट (खेलने का निर्धारित स्थान) उपलब्ध होते हें। स्टेडियम में बहुत सारे लोग एक साथ बैठ कर खेलों का आनंद ले सकते हैं।
खेल शब्दावली
खेल | शब्दावली |
क्रिकेट | एल.बी.डब्ल्यू.‚ विकेट कीपर‚ बैट्समैन‚ बॉलर‚ चाइनामैन |
हॉकी | स्टिक‚ रेफरी‚ पेनाल्टी स्ट्रोक‚ अंडरकटिंग‚ वुली‚ सेंटर फॉरवर्ड‚ रालऑन‚ स्कूप‚ साइड लाइन‚ पुश इन‚ ट्राई ब्रेकर। |
फुटबॉल | फुल बैक‚ स्ट्राइकर‚ सेन्टर‚ पेनाल्टी‚ किक‚ स्वीपर‚ हैंडबॉल‚ रैफ्री‚ टाई ब्रेकर‚ फाउल्ट‚ थ्रो इन। |
लॉन टेनिस | हाफ वाली‚ प्लेट‚ ड्यूश‚ सर्विस‚ गैंड स्लैम‚ टाइब्रेकर‚ बैक हैंड ड्राइव। |
बैडमिंटन | लव ऑल‚ ड्राइव‚ एडवांस‚ ड्राइव‚ शॉट‚ क्रॉस‚ सर्विस चेंज‚ मैंच प्वाइंट‚ सेट प्वाइंट‚ सर्विस ब्रेक‚ कोर्ट लॉग सर्विस‚ नेट फाल्ट। |
वॉलीबॉल | आर्म पास‚ सर्विस‚ हुक‚ फ्लोटर‚ नेट फाल्ट‚ वालीपास‚ ब्लाकिंग‚ रोटेशन‚ बूस्टर‚ डिगपास‚ एरियल‚ स्विच। |
टेबल टेनिस | सर्विस‚ सेंटरलाइन‚ बैक स्पिन‚ चाइनीज ग्रिप‚ फायल‚ टापस्पिन‚ पुश स्ट्रोक‚ रिवर्स |
बॉस्केटबॉल | रिग गार्ड‚ पिक‚ सेंटर लाइन‚ गोल‚ पास‚ प्वाइंट‚ डेट बॉल‚ बॉस्केट हैगिग‚ फ्री थ्रो लाइन‚ बैक बोर्ड। |
गोल्फ | बोगी‚ फोरसम‚ कोर्स लाइन‚ स्टाइमी‚ टी‚ पुट हाल‚ लिम्स‚ दि ग्रीन‚ बंकर‚ पोस्ट। |
पोलो | बंकर‚ चक्कर‚ मैलेट‚ चुक्का‚ एरिस रेल‚ एंगल शॉट। |
वाटर पोलो | गेट लाइन‚ 4 मीटर लाइन‚ 2 मीटर लाइन‚ पर्सनल‚ फॉल्ट बॉल‚ अंडर इसरलेसिंग। |
कुश्ती | हेड लाक‚ होल्ड‚ हीव‚ हॉफ नेल्सन‚ क्रैडल‚ ब्रिज‚ कॉशन‚ एक्टिव‚ अटैक‚ रीबाउट‚ डबल नेल्सन। |
शतरंज | पीसेज‚ चेक‚ रैंक‚ बिशप‚ गैम्बिट‚ ग्रैंडमास्टर‚ फिडे नाइट‚ एलो रेटिंग‚ चेकमेड‚ स्टेलमेट‚ पॉन। |
बेसबॉल | होम‚ आइट‚ बेसमैन‚ होमरन‚ पिचर‚ डायमंड। |
कबड्डी | बोनस प्वाइंट‚ टच प्वाइंट‚ आल आउट‚ डू और डाई रेट‚ सुपर रेट‚ सुपर टैकल |
विलियड्र्स | इन ऑफ‚ कैनसा‚ बोल्टिंग‚ हैजर्ड‚ क्यू‚ ब्रेक पॉट‚ क्यू। |
इन्डोर गेम− इसका अर्थ है घर के अंदर खेले जाने वाले खेल। जैसे− शतरंज‚ टेबल टेनिस‚ कैरम आदि। आउटडोर गेम− इसका अर्थ है खेल के मैदान में खेले जाने वाले खेल। यह खेल घर के बाहर खेला जाता है। जैसे− क्रिकेट‚ फुटबाल‚ हॉकी आदि। आउटडोर गेम स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक अच्छे होते हैं क्योंकि ये खुले वातावरण में उछल−कूद के साथ खेले जाते हैं। इन्डोर गेम शान्त वातावरण में मानसिक रूप से अधिक सक्रिय होकर खेले जाते हैं। कुछ खेल इन्डोर और आउटडोर दोनों होते हैं। जैसे− बैडमिंटन‚ टेबल टेनिस आदि।
भारतीय महिला खिलाड़ी− यह आम धारणा थी कि गतिशील खेल‚ जैसे− कुश्ती‚ क्रिकेट‚ टेनिस‚ बैडमिंटन‚ हॉकी‚ बॉक्सिंग‚ एथलेटिक्स आदि सिर्फ लड़के खेल सकते हें। परन्तु लगनशील‚ दृढ़ निश्चयी और आत्मविश्वासी कई लड़कियों ने लैंगिक विभेदता की इस अवधारणा को गलत साबित किया है और खेलों में अपना नाम रोशन किया। कुछ प्रमुख महिला खिलाड़ी हैं−
खिलाड़ी | खेल |
दीपिका कुमारी | धनुर्धारी |
सायना नेहवाल | बैडमिंटन |
मिताली राज | क्रिकेट |
पी.टी. ऊषा | एथलेटिक्स |
कर्णम मल्लेश्वरी | भारोत्तोलन (वेट लिफ्टिंग) |
एम.सी. मल्लेश्वरी | बॉक्सिंग |
गीता फोगाट | कुश्ती |
डॉली सिंह | कबड्डी |
अंजली भागवत | निशानेबाजी |
कृष्णा पुनिया | डिस्कस थ्रो |
ऋतु रानी | हॉकी |
दीपा कर्माकर | जिमनास्टिक |
जोशना चिनप्पा | स्कैवश |
पौलोमी घटक | टेबल टेनिस |
बुला चौधरी | तैराकी |
द्रोनावली हरिका | शतरंज |
हिमा दास | एथलेटिक्स |
प्रमुख आगामी खेलों का आयोजन
आयोजन | वर्ष | मेजबान देश |
13वाँ विश्वकप क्रिकेट | 2023 | भारत |
22वाँ फीफा विश्वकप (फुटबाल) | 2022 | कतर |
23वाँ फीफा विश्वकप | 2026 | कनाडा−मैक्सिको− |
32वाँ ओलम्पिक खेल | 2020 | टोक्यो‚ जापान |
33वाँ ओलम्पिक खेल | 2024 | पेरिस (फ्रांस) |
34वाँ ओलम्पिक खेल | 2028 | लास एंजिल्स (अमेरिका) |
38वाँ राष्ट्रीय खेल | 2020 | उत्तराखण्ड (भारत) |
39वाँ राष्ट्रीय खेल | 2022 | मेघालय (भारत) |
19वाँ एशियाई खेल | 2022 | हांगझोउ (चीन) |
20वाँ एशियाई खेल | 2026 | नगोया (जापान) |
22वाँ राष्ट्रमण्डल खेल | 2022 | बर्मिघम (ब्रिटेन) |
7th T–20 महिला क्रिकेट विश्वकप | 2020 | ऑस्ट्रेलिया |
7वाँ ICC T–20 वर्ल्ड कप (पुरुष) | 2020 | ऑस्ट्रेलिया |
8th ICC T–20 वर्ल्ड कप (पुरुष) | 2021 | भारत |
9th ICC चैम्पियन ट्रॉफी (क्रिकेट) | 2021 | भारत |
एक दिवसीय महिला क्रिकेट विश्वकप | 2021 | न्यूजीलैण्ड |
33वाँ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल | 2024 | पेरिस (फ्रांस) |
24वाँ शीतकालीन ओलम्पिक खेल | 2022 | बीजिंग (चीन) |
4th एशिया पैरा खेल | 2022 | हांगझाउ (चीन) |
मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप (पुरुष) | 2021 | नई दिल्ली (भारत) |
रग्बी विश्वकप | 2023 | फ्रांस |
22वाँ राष्ट्रमण्डल कुश्ती चैम्पियनशिप | 2022 | डरबन (दक्षिण अफ्रीका |