अध्याय 6. स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय

एक जिला एक उत्पाद योजना .

बजट 2018-19 में प्रदेश सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद योजना को प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। इसी परिप्रेक्ष्य में 24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर एक जिला एक उत्पाद योजना का शुभारम्भ किया गया। इस योजना के माध्यम से राज्य में लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने‚ स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने तथा परम्परागत उद्योगों का विकास किया जायेगा। इसके साथ ही साथ इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार हर जिले के खास उत्पादों के निर्माण‚ विपणन और प्रसार की सहूलियतें उपलब्ध कराएगा।
राज्य सरकार के अनुसार इस योजना से 5 लाख नए रोजगार सृजित होंगे तथा राज्य की अर्थव्यवस्था में यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी।
•देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में प्रदेश का योगदान 44% है।
इसी तरह कालीन में 39% तथा चर्म उत्पाद में 26% है। यह योजना प्रदेश के लघु उद्योगों और हस्तशिल्प के विकास के मार्ग को प्रशस्त करेगा।
•एक जिला एक उत्पाद के तहत राज्य के प्रत्येक जिले में एक उत्पाद का चयन किया जायेगा।
•वस्तुत: एक जिला एक उत्पाद योजना विश्व में पहली बार जापान में वर्ष 1979 में लागू की गयी थी। इस योजना को आगे चलकर थाईलैण्ड सरकार द्वारा क्रियान्वित किया गया।
चीन फिलीपींस‚ इंडोनेशिया एवं मलेशिया में भी इस तरह की योजना का मॉडल अपनाया गया था।
•राज्य सरकार के अनुसार इस योजना के सुचारू रूप से लागू होने पर राज्य में 5 वर्षों में लगभग 25 लाख बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेगा। इन 25 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त होने से राज्य के G.D.P. में 2% की वृद्धि हो जायेगी।
•राज्य में उद्योगों का विकास करने के लिए स्थानीय उद्यमियों‚ कारीगरों को बढ़ावा देने के लिये अगले 5 वर्षों में 25000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दिया जायेगा।
•एक जिला एक उत्पाद योजना का क्रियान्वयन सूक्ष्म‚ लघु‚ मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग द्वारा किया जायेगा।
इसके लिये राज्य की राजधानी लखनऊ के निर्यात भवन में अलग से एक ODOP प्रकोष्ठ की स्थापना की जायेगी।

fजला उत्पाद
आगरा चमड़ा
इलाहाबाद फल प्रसंस्करण (अमरूद)
आजमगढ़ ब्लैक पाटरी
बलिया बिन्दी
फिरो़जाबाद काँच की चूड़ियाँ
मैनपुरी तारकशी
हाथरस हींग प्रोसेसिंग
कौशाम्बी फल प्रसंस्करण (केला)
एटा घुंघरू और घंटी
कासगंज जरी और जरदोजी
मथुरा बाथरूम फीटिंग्स
अलीगढ़ ताले और हार्डवेयर
प्रतापगढ़ फलों के प्रसंस्करण (आँवला)
मऊ विद्युत से चलने वाला करघा (पॉवर लूम)
बरेली जरी का काम
जौनपुर प्रेशर कूकर
बदायूँ जरी का काम
गाजीपुर परदा
पीलीभीत बांसुरी
वाराणसी रेशम उत्पाद
शाहजहांपुर जरी का काम
शामली हब और एक्सल
कानपुर नगर चर्म उत्पाद
मुजफ्फरनगर गुड़ उत्पाद
इटावा खाद्य प्रसंस्करण (आलू उत्पाद)
सहारनपुर लकड़ी पर नक्काशी
औरैया देशी घी
भदोही दरी और कालीन
मिर्जापुर दरी और कालीन
फर्रुखाबाद ब्लॉक प्रिंटिंग
सोनभद्र कालीन
कन्नौज इत्र और चिकन
उन्नाव जरी
संभल सींग और हड्‌डी
रायबरेली लकड़ी के शिल्प
अमरोहा संगीत वाद्ययंत्र (ढ़ोलक)
सीतापुर दरी
गाजियाबाद इंजीनियरिंग सामान
लखीमपुर खीरी जनजातीय शिल्प
बागपत हथकरघा
हरदोई डेयरी उत्पाद
मेरठ खेल का सामान
बिजनौर लकड़ी की नक्काशी
बुलंदशहर पाटरी (खुर्जा)
गौतमबुद्ध नगर तैयार किए गए उत्पाद
रामपुर पृष्ठ का काम‚ छूरी
हापुड़ घर का फर्नीचर
मुरादाबाद धातु शिल्प (पीतल)
संत कबीर नगर पीतल के बर्तन
सिद्धार्थनगर फूड प्रोसेसिंग (काला नमक चावल)
चित्रकूट लकड़ी के खिलौने
बांदा सजर स्टोन क्राफ्ट
महोबा गोरा स्टोन क्राफ्ट
हमीरपुर जूती
गोंडा फूड प्रोसेसिंग (दाल)
बलरामपुर फूड प्रोसेसिंग (दाल)
बहराइच गेहूँ के डंठल की कलाकृतियाँ
बाराबंकी दुपट्‌टा
फैजाबाद गुड़ एवं जेगरी उत्पाद
अम्बेडकरनगर पॉवरलूम
अमेठी बिस्कुट
सुल्तानपुर मूंज के बने फर्नीचर (मचिया)
गोरखपुर टेराकोटा
कुशीनगर काष्ठ कला कृतियाँ
देवरिया प्लास्टिक के तोरण द्वार
महाराजगंज फर्नीचर
झाँसी सॉफ्ट द्वायज
जालौन हैंडमेड पेपर
ललितपुर भगवान कृष्ण की मूति

स्थानीय पेशे एवं व्यवसाय

लकड़ी के कारीगर कुर्सी‚ मेज‚ दरवाजा‚ सोफासेट आदि को निर्मित करने वाला व्यक्ति बढ़ई कहलाता है और इस पेशे को बढ़ईगीरी कहते हैं। यह पेशा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लघु उद्योगों के रूप में अत्यधिक प्रचलित है।
मिट्‌टी के कलाकार मिट्‌टी हमारे जीवन में अनेक प्रकार से उपयोग में आती है।
मिट्‌टी के बर्तन उपयोग मटका पानी भरना कुल्हड़ पेय पदार्थ को पीने हेतु मिट्‌टी की इन सारी चीजों को बनाने वाले को कुम्हार कहते हैं।
कुम्हार बर्तन बनाने से पहले मिट्‌टी को ठीक प्रकार से गूँथते हैं‚ फिर उसको चाक के द्वारा अपने हाथ से सही रूप देते हैं। गीले बर्तनों को सुखाकर आग में पकाते हैं। बर्तन पकाने के लिए उन्हें एक जगह इकट्‌ठा करके उपले से ढककर आवाँ तैयार करते हैं‚ फिर उसमें आग लगाते हैं। दो से तीन दिन के अन्दर बर्तन पककर तैयार हो जाते हैं।
इसे भी जानें−
•चॉक चलाने की डण्डी ‘चकरेटी’ कहलाती है तथा यह चाक पर जिस गड्‌ढे में फँसाई जाती है उसे ‘गुल्बी’ कहा जाता है।
•चॉक पर काम करते समय जिस बर्तन में पानी रखा जाता है उसे ‘कुण्डी’ कहते हैं।
•बर्तन की ठुकाई के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले औजार थापा और ‘पिण्डी’ कहलाते हैं।
दर्जी
आप जो कपड़े सिले हुए पहनते हैं‚ वह हाथ और मशीन की सहायता से सिले जाते हैं। इन कपड़ों को सिलने वाले को ‘दर्जी’ कहते हैं। दर्जी के उपकरण हैं− कैंची‚ सिलाई मशीन‚ इंचीटेप‚ सुई‚ धागा‚ बटन आदि।
किसान
खेती का काम करने वाले को किसान कहा जाता है। इन्हें ‘कृषक’ और ‘खेतिहर’ के नाम से भी जाना जाता है। ये खेती करने की प्रक्रिया में बीज बोने के लिए जमीन तैयार करते हैं। बीज बोते हैं।
समय-समय पर सिंचाई और निराई-गुड़ाई करते हैं। रोगों से बचाव एवं देखभाल करते हैं। फसल से बचाव एवं देखभाल करते हैं। फसल पक जाने पर लोगों के उपयोग के लिए अनाज और सब्जियाँ उपलब्ध कराते हैं। कुछ किसान फल वाले पौधे की भी खेती करते हैं जैसे−केला‚ अमरूद‚ आम‚ पपीता‚ आँवला आदि। किसान फावड़ा‚ खुरपी‚ कुदाल‚ हँसिया‚ हल आदि औजारों की सहायता से खेती करता है।
लोहार
लोहार लोहे की चीज बनाने के लिए लोहे को भट्‌टी में गरम करता है। जब लोहा लाल गरम हो जाता है तब लोहार उसे मनचाहे आकार में बदल देता है। वह हथौड़ा‚ छेनी‚ भाथी (धौंकनी) आदि औजारों का प्रयोग करके फाटक‚ ग्रिल‚ रेलिंग‚ कुदाल‚ बर्तन आदि बनाता है।
राजगीर
जो आपके घर को मिट्‌टी‚ सीमेण्ट‚ गिट्‌टी‚ रेत‚ लोहा‚ लकड़ी आदि की सहायता से बनाता है उसे ‘राजगीर’ कहते हैं। राजगीर जिन औजारों की सहायता से घर एवं बहुमंजिला इमारतों को बनाता है‚ वे हैं− हथौड़े‚ छेनी‚ रन्दा‚ कन्नी‚ सूत‚ साहुल‚ गुनिया‚ पाटा‚ पारा लेबिल आदि।
डॉक्टर
ग्रामीण और शहरी अस्पतालों में चिकित्सकीय कार्य करने वाले व्यक्ति को डॉक्टर कहते हैं। डॉक्टर को समाज में दूसरे भगवान का दर्जा दिया जा सकता है। जिस देश में स्वास्थ्य प्रणाली उत्तम होती है उस देश की अर्थव्यवस्था भी अच्छी होती है। क्योंकि एक स्वस्थ्य लोकतंत्र का आधार एक स्वस्थ्य समाज ही होता है।
औजार/उपकरण उपयोग स्टैथस्कोप दिल की धड़कन सुनने के लिए किया जाता है।
रक्तचाप मीटर रक्त के दबाव को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
स्टॉपवाच श्वसन दर रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
वजन मशीन वजन रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
थर्मामीटर शरीर का तापमान रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
पट्‌टी शरीर के भाग में चोट लगे स्थान को ढकने के लिए किया जाता है।
•दिल की धड़कन की गति आप भी पता कर सकते हैं। यदि आप 50−100 मीटर तेजी से दौड़े। अब सीने पर हाथ रखें‚ आपको अपने दिल की धड़कन तेज सुनाई देगी।
मोची हम सभी जो चप्पल‚ जूते पहनते हैं‚ उनके टूटने परं मोची उनकी मरम्मत अपने उपकरणों की सहायता से करता है। मोची के औजार हैं−कारबुट‚ जूता‚ सरौता‚ डेरी झबिया‚ शिलापंच‚ सुई-धागा‚ कुटावरी ब्रुश आदि।
सफाई कर्मी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गली−मोहल्लों‚ नालियों आदि की सफाई करने वाला व्यक्ति सफाई कर्मी कहलाता है। स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से इसका कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

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