TET SS Notes HL1WL

अध्याय 6 सामाजिक अध्ययन का अधिगम स्रोत प्राथमिक एवं द्वितीयक

स्रोत का अर्थ• कोई वस्तु, स्थान, पुस्तक या व्यक्ति जो ज्ञान को वास्तविक आधार प्रदान करते हैं उस आधार को स्रोत कहा जाता है। स्रोत का अर्थ होता है – मूल।• विशय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी अन्य द्वारा बताए गए अनुभवों की अपेक्षा प्रत्यक्ष अनुभव अधिक लाभदायक होते हैं।• मूल साधनों के …

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अध्याय 7 सामाजिक अध्ययन का अधिगम परियोजना कार्य

परियोजना कार्य की अवधारणा• किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जो विशेष कार्य योजना बनाई और क्रियान्वित की जाती है, उसे परियोजना(Project) कहते हैं।• शिक्षा संबंधी सिद्धांत तथा अभ्यास के लिए योजना विधि वर्तमान युग की एक नवीन देन है। इसके अन्तर्गत किसी कार्य को छोटे-छोटे कार्यों में विभक्त करके उसे निश्पादित करने का समयबद्ध …

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अध्याय 8 सामाजिक अध्ययन का अधिगम मूल्यांकन

मूल्यांकन की अवधारणा• मूल्यांकन यह जानने की पद्धति है कक्षा में दी जाने वाली शिक्षा कहाँ तक प्रभावशाली रही है और शिक्षा के उद्धेश्यों की प्राप्ति हुई है या नहीं।• शैक्षणिक कार्यक्रम को सुचारू रूप से बनाये रखने तथा शिक्षा-पद्धति में सुधार के लिए उचित मूल्यांकन आवश्यक है।• उचित मूल्यांकन के लिए यह जरूरी है …

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अध्याय 7 राजनीतिक विज्ञान लिंग भेद समाप्ति

लिंग बोध या जेंडरहमारे अपने परिवार या समाज से लिंग बोध/जेंडर की समझ बनती है। समाज या परिवार में पहले से ही पुरुषों और स्त्रियों के कार्य व स्वभाव पहले से ही तय होते हैं। ये समस्याएँ अलग-अलग धर्मों, समुदाय में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। जिस समाज में हम बड़े होते हैं वह हमें …

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अध्याय 8 राजनीतिक विज्ञान संविधान

भारतीय संविधान निर्माण के आरम्भिक प्रयासलगभग 200 वर्षों के औपनिवेशिक शासन, जन आधारित स्वतंत्रता संघर्ष, राष्ट्रीय आंदोलन, देश के विभाजन व राष्ट्रव्यापी सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण हो रहा था। इसलिए, संविधान निर्माता जन आकांक्षाओं की पूर्ति, देश की एकता व अखण्डता तथा लोकतांत्रिक समाज की स्थापना के प्रति …

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अध्याय 1 सामाजिक अध्ययन का अधिगम सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान की अवधारणा एवं प्रकृति

सामाजिक अध्ययन की अवधारणासामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान, मानविकी और इतिहास का समाकलित अध्ययन है। इसमें मानव संबंधों की चर्चा होती है। अत: इसमें सामाजिक विज्ञान के विविध सरोकारों को समाविष्ट किया जाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह सामाजिक व भौतिक वातावरण के साथ मानव के संबंधों की चर्चा करता है। …

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अध्याय 2 सामाजिक अध्ययन का अधिगम कक्षा प्रक्रियाएँ गतिविधियाँ एवं प्रबंध

कक्षा-कक्ष संचालनकक्षा-कक्ष संचालन विद्यार्थियों के अधिगम पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है। कक्षा संचालन अधिगम-अध्यापन कार्य (प्रक्रिया) का एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है। कक्षा के प्रभावी संचालन का उत्तरदायित्व मुख्यत: अध्यापक की सक्रियता पर आश्रित होता है, किन्तु विद्यार्थियों का सहयोग वांछनीय है। अत: अध्यापक को चाहिए कि वह अपने विद्यार्थियों के साथ सहयोग, मैत्री तथा …

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अध्याय 3 सामाजिक अध्ययन का अधिगम तार्किक चिन्तन का विकास

तार्किक चिन्तन की अवधारणा• संक्रियात्मक दृष्टि से चिन्तन तार्किक संक्रियाओं की एक प्रवृत्ति है जिनमें से प्रत्येक संक्रिया, संज्ञान की प्रक्रिया में एक विचित्र भूमिका अदा करता है।• तर्क, चिन्तन का एक मुख्य पक्ष है। इस प्रक्रिया में अनुमान भी महत्त्वपूर्ण होता है।• तार्किक चिंतन अवधारणाओं, संकल्पनाओं, सिद्धांतों आदि में वस्तु जगत को परावर्तित करने …

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अध्याय 4 सामाजिक अध्ययन का अधिगम परिपृच्छा अन्वेषण एवं अनुभवजन्य साक्ष्य

परिपृच्छा एवं अन्वेषणपरिपृच्छा का शाब्दिक अर्थ होता है – पूछताछ। इस प्रक्रिया में ज्ञान बढ़ाना या किसी संदेह अथवा समस्या का समाधान करना है। चिन्तन प्रक्रिया का यह एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। अन्वेषण का शाब्दिक अर्थ है – खोज। विद्यार्थियों में तार्किक चिंतन का विकास एवं अधिगम हेतु अन्वेषण एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। अन्वेषण …

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अध्याय 5 सामाजिक अध्ययन का अधिगम सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान शिक्षण की समस्याएँ

सामाजिक विज्ञान शिक्षण की सीमाएंवास्तव में सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र बड़ा व्यापक है और विश्व में मनुष्य कार्बन वर्तमान सामाजिक जीवन ही इसका सार है। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि सामाजिक अध्ययन एक असीम व अंतहीन सागर है। आवश्यक सामान्य ज्ञान की रूपरेखाएँ सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि इसकी सीमाएँ निर्धारित …

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